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हिन्दू धर्म

हम सभी को अभी या बाद में हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा, यही असली धर्म है, मुझे कोई हिन्दू तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं इस बात बात को स्ववेकर करती हूँ क्युकी यही सच बात है ओर सही भी, इस बात को अस्वीकार करने जैसे कुछ नहीं है।

बुद्धि

बुद्धि – मस्तिष्क
1- हमारी बुद्धि मैं सोचने और समझने की क्षमता होती है
2 हमारा मस्तिस्क एक कुशल प्रबंधक है।
3 हमारा मस्तिस्क आदेश और निर्देश देता है। इस शरीर को
4 निर्देश करना

किसी भी ज्ञान को काफी लंबे समय तक रखने की क्षमता और योग्यता होती है जिसके कारण हम किसी भी समय पर इस ज्ञान का प्रयोग करते है। अपने कार्यो तथा उस स्तिथी में उसी प्रकार का निर्णय ले सकते है।
किसी भी अनिश्चित घटना पर हमारा मस्तिष्क सुचारू रूप से कार्य करता है, यदि हमारे पास उस स्तिथी के अनुरूप ज्ञान है।
संभालना, किसी भी कार्य में नयापन लाना तथा कार्यो को नए ढंग से करने की क्षमता
किसी भी दूर की स्तिथी को समझने, परखने और जानने की क्षमता होती है।
सीखने की योग्यता
इच्छा शक्ति
समन्वय
भाषा का रूपांतरण
उद्द्देश्य शक्ति

हमारे मस्तिस्क के अंदर अनंत शक्ति है जिसे हम जान नहीं पा रहे है परंतु हमे जानना है और वह सभी शक्तियां हम कैसे जान सकते है ? उन शक्तियों को कैसे अर्जित कर सकते है ? कहते है हमारे मस्तिष्क की जो संरचना है वह बिल्कुल अंतरिक्ष की संरचना से मेल खाती है जैसा हमारा मस्तिष्क है वैसा ही बाहरी अंतरिक्ष भी है इसलिए जो हम अपने भीतरी मस्तिष्क में कर रहे है वैसा ही हमारे अंतरिक्ष में हो रहा है। उसी की वजह से ब्रह्माण्ड की स्तिथि ओर परिस्थिति लगातार परिवर्तन कर रही है।

हमारे मस्तिस्क मैं सारे ज्ञान को अर्जित करने की तथा उस ज्ञान को किर्यान्वित करने की बहुत क्षमताएं है। हमारा मस्तिष्क किर्याशील होता है। हर समय हमारा मस्तिस्क कितने ही प्रकार किर्यायो से संलग्न रहता है। अपने मस्तिस्क की क्षमताओं को देखो और पहचानो, अपने मस्तिस्क किसी की बुद्धि मेधावी ना हो, बहुत कम सोच पाता हो हम उसे ना जाने कितने ही प्रकार की दवाइया खिलाते है परंतु हमारे मस्तिष्क को बढ़ने के लिए किसी चव्यांप्रश् की आव्यशकता नहीं है सिर्फ अपने मस्तिष्क को देखो, स्वयं को समझो, हम अपने जीवन मैं किसी भी स्तर पर हो अपने जीवन को बेहतर बनाने की अवस्था चाहते है। हम सभी बेहतर जीवन चाहते है । हमारा मस्तिष्क बहुत तीव्र होना चाहता है। हम चाहते है की हमारी बुद्धि भी बहुत तीष्ण हो

हमारा मस्तिस्क बहुत शक्तिशाली है शायद जितनी हम कल्पना भी नहीं कर सकते तथा हमारा शारीर भी बहुत शक्तिशाली तथा विभिन्न प्रकार की शक्तियो से भरा हुआ है। जिसका हम अनुमान भी नहीं लगा सकते परंतु इन सभी शक्तियो को हमे जानना है मानव मस्तिस्क की शक्तियो को हमे समझना है जिसके द्वारा हम अनेको राज समझ सकते है इस जीवन के तथा इस जीवन की सभी आव्यसक्ताओं को पूरा कर सकते है । इस मानव मस्तिष्क में इतने रहस्य छिपे है की मानव मस्तिष्क भी छोटा पढ़ जाये

परंतु हम अपने मस्तिस्क के विचार को नहीं देखते,  हम सिर्फ चाँद, तारे, सूरज और आदि दूसरे ग्रहो की स्तिथी, परिश्तिथि को जानने में लगे हुए है अपने आपको जानने की कोशिश ही नहीं कर रहे है , की हमारा जन्म किन कारणों से हुआ है , क्या रहस्य है हमारे जन्म का?

हमारा मानव मस्तिष्क इतनी विशाल शक्तियो से भरा हुआ है की ये ग्रह आदि सब इस मस्तिष्क की रचना का हिस्सा है। मेरा यह कहना गलत नहीं होगा की एक ब्रह्माण्ड बाहर है और एक मानव शारीर मैं जिसको हम बहार खोज रहे है इन आँखों के द्वारा उसे हम अपने भीतर भी झांक कर देख सकते है, जिसकी पूरी स्तिथी और परिस्तिथि को समझ सकते है।

इस ब्रह्माण्ड की स्तिथी के लिए हमे बाहरी आँखों की आव्यसक्ता नहीं है ये सब कुछ हमारे भीतर ही है मात्र हमे अपने भीतर होते जाना है, बाहर तो सिर्फ दर्पण है जो अंदर है वो बाहर है। इसलिए सिर्फ भीतर होते चले जाओ सबकुछ अपने आप होता चला जायेगा

दृष्टि

अपनी दृष्टि को फैलाकर देखिए हर तरफ हर कारण का पता चल जाएगा सभी दुखों का निवारण भी मिल जाएगा लीजिए लाभ अपनी दृष्टि का इस सृष्टि में

हर व्यक्ति शिक्षक ओर सब ओर फ़ेले इस बात के उदाहरण ।
आँखे खोलिए ये हुआ क्यूँ ? क्यूँकि उसका दृष्टिकोण था कारण ॥

उसके दिए उदाहरणों का अपने जीवन में लाभ लीजिए ।
क्या करना क्या नहीं स्वयं के दृष्टि से पहचान कीजिए ॥