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तन्हाई का रास्ता

तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं, तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था,उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं।

ज़िन्दगी की जगमगाहट में खो गया हूं,
किसी के साथ न जाने कितनी रातें बिताया हूं।

तेरे जाने के बाद ये दुनिया सुनी हो गई,
हर रोशनी भी चली गई, अँधेरे में डूब गई।

तन्हाई की इस राह पर आज भी चलता हूं,
यादों के साथ आँसू बहाता हूं।

मेरी आवाज़ को धड़कनें सुनती हैं,
मगर खुद को तन्हा ही पाता हूं।

ये तन्हाई भरी ज़िंदगी अजनबी सी हो गई,
खुद को खो बैठा हूं, खुद से अलग हो गई।

क्या ये तन्हाई ही ज़िंदगी का मतलब है?
या कोई और मुझे समझा ही नहीं है।

उन्ही से सीखा है

प्यार से बात करना और मुस्कुराना तो उन्ही से सीखा है वरना हमे कहाँ कभी प्यार और मुस्कुराना यह आया

प्यार की बातें, मुस्कान की हंसी,
वो जीवन के रंग जो हैं सदैव स्वास्थ्य।
कोई अनजान, बन गया हमारा यार,
उन्ही से सीखा है प्यार का सच्चा आदर।

जब रूठ जाती थी ज़िंदगी के रंग,
वो ही आते थे हमारे दिल के संग।
हंसते रहते थे हम उनके साथ,
प्यार की बातों में खो जाते थे रात।

सपनों की दुनिया में सफर कराते थे,
वो ही थे जो हमारी दिल की आरती उठाते थे।
जिस्म को छूने से पहले दिल को छू जाते थे,
वो ही थे जो हमारे दिल को बहुत समझाते थे।

प्यार की बातें, मुस्कान की हंसी,
वो जीवन के रंग जो हैं सदैव स्वास्थ्य।
उनके बिना यह ज़िंदगी कैसी होती,
प्यार और मुस्कान से जीने की ख़्वाहिश रोती।

वो हमेशा रहेंगे हमारे दिलों में,
प्यार और मुस्कान से भरे हमारे सपनों में।
जब भी याद आएंगे हम उनकी मुस्कान,
दिल में उठेगा प्यार का यही गान।

उन्ही से सीखा है
उनही से सीखा है

छोटी शंका

छोटी सोच
ख़ुशियों को लेती वो नोच ।
शंका छोटी सोच का सपुत्र…
दोनों परस्पर बंधे एक सूत्र ।

स्वयं का करे आत्मनिरीक्षण ….
बड़ी सोच से करे सब परीक्षण
क्षण क्षण जीवन हो रहा पूरा….
देखा सपना न रह जाये अधूरा ।

छोटी शंका है अघोर,
ख़ुशियों का रोग जिसे था अभिमान।
इस सोच में उमड़ आती है शंका,
जो विचारों को बाँध देती है अभिमान की जंजीरों में।

जगत की सीमाओं से ज्यादा छोटी है,
इस सोच के आगे सब बेसर हैं।
ख़ुशियों के परिंदे उड़ जाते हैं,
जब इस सोच का सपुत्र नोच लेता है उन्हें।

प्रगति का पथ छोटी सोच से ढका होता है,
आगे बढ़ने की भीड़ को इससे बचना होता है।
हर व्यक्ति अनन्त संभावनाओं से युक्त है,
लेकिन छोटी सोच उसे हकीकत से दूर ले जाती है।

दोनों परस्पर जुड़े हैं एक सूत्र से,
बढ़ते जाते हैं वे साथ समय के साथ।
ख़ुशियों का रास्ता खोलने की कुंजी,
है महान सोच में, नहीं छोटी सोच की राजी।


अकेले बैठ

अकेले बैठ स्वय को भी दे समय…..
आत्ममंथन में समय को करे व्यय ।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे …..
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे ।

बेंठे अकेले और स्वय को दे समय….
व्यर्थ की बाँतो में हो रहा वो व्यय ।
रात्रि में करे दिन का लेखा जोखा….
व्यर्थ को छोड़े नहीं तो खा जाएँगे धोखा ।

अकेले बैठ स्वय को भी दे समय…
आत्ममंथन में समय को करे व्यय।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे…
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे।

जीवन की भागदौड़ में जब हम टूटे जाते हैं,
समय के चक्र में खो जाते हैं,
तब अकेले बैठ कर स्वयं को ध्यान देना होता है,
अपनी प्रतिभा को जगाना होता है।

जब जीवन की उचाईयों पर चढ़ना होता है,
समय के साथ कदम साथी रखना होता है।
आत्ममंथन करें और समय को व्यय करें,
इस रूप में अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।

हर दिन क्रियाएं करें सोने से पहले,
अपने सपनों को पूरा करने के लिए जगें।
आत्मा की ऊर्जा को जगाएं और बढ़ाएं,
नये दिन में खुशियों से भरी जिंदगी पाएं।

जन्मी समझ से नये दिन का स्वागत करें,
खुशियों के फूलों से आगाज करें।
अपनी कविता के रंग में रंग जाएं,
और जीवन की हर बाधा को संग जाएं।

अकेले बेंठ स्वय को भी दे समय…
आत्ममंथन में समय को करे व्यय।
क्रिया प्रतिदिन सोने से पहले करे…
जन्मी समझ से नये दिन में ख़ुशियाँ भरे।

जीवन की रेखाएं हम खुद खींचते हैं,
खुद ही अपने भाग्य की रचना करते हैं।
समय को सदा महत्व देते रहें,
और सपनों को पूरा करते जाएं।



सुविधाये

सुविधाये बन जाती दुविधाएँ….
जब जब वो सर चढ़ जाए ।
सुविधा है नहीं है वो हक़…..
कभी भी सकती वो सरक ।

धन्यवाद कीजिए मिली है सुविधा….
निपट रहे कार्यक्रम दूर हो रही दुविधा ।
चार दिन की ज़िंदगानी है जनाब …..
मिलजुल के ले सुविधाओ का लाभ ।

सुविधाये बन जाती दुविधाएँ,
जब जब वो सर चढ़ जाए।
सुविधा है नहीं है वो हक़,
जग जमाने में यही अहम सवाल बन जाए।

आदत सी बन गई हैं हमारी,
सब कुछ चाहे बिना मेहनत के पाए।
पर यह भूल रहे हैं हम शायद,
जो ऐसे हक़ को हासिल करने का बन जाए।

हक़ वो नहीं होता सिर्फ सुविधा,
जो मिले बिना किसी प्रयास के।
समय, मेहनत, और संघर्ष से,
हक़ को हम प्राप्त कर सकते हैं अपने मायने में।

ज़रूरत से ज़्यादा दौलत और आराम,
वास्तविकता से दूरी बढ़ा देते हैं।
पर असली महत्व हक़ का होता है,
जो मनुष्य को सच्ची ख़ुशी देते हैं।

हक़ को पाने के लिए संघर्ष करो,
खुद को प्रशासित करो, संयम रखो।
सुविधाओं की जगह हक़ को दो,
और जीवन को सत्य और न्याय से सजो।

इसलिए, सुविधाये बन जाती दुविधाएँ,
जब जब वो सर चढ़ जाए।
पर याद रखो, हक़ का मोल नहीं है,
सुविधाओं की दौलत में, असली ख़ुशी छिपी होती जाए।

अच्छा व्यक्ति बनना

बड़ा आदमी बनना अच्छी बात है…..
अच्छा व्यक्ति बनना बड़ी बात है ।
अच्छा बनने में ऊर्जा को लगाना ….
बड़े होंगे नहीं छोटा रास्ता है अपनाना।

सब का सम्मान सब का विकास…..
इस दिशा में अकारण सतत प्रयास ।
बड़ा आदमी बनन चाहते नहीं बुराई ….
अच्छे की मोहर की हज़ार गुना कमाई ।

बड़ा आदमी बनना अच्छी बात है,
अपने सपनों को पुरा करना अच्छी बात है।
पर याद रखो, अच्छा होने का मतलब,
सिर्फ पैमाने का बड़ा नहीं, बल्कि दिल का बड़ा होना है।

अच्छा व्यक्ति बनना बड़ी बात है,
दूसरों के लिए सहायता करना बड़ी बात है।
समय और समर्पण से, खुद को सजाना,
इंसानियत के मार्ग पर चलना, यही है सच्ची पहचाना।

अच्छा बनने में ऊर्जा को लगाना,
स्वयं को समर्पित करना, यही है जीवन का आदर्श गाना।
संघर्षों का सामना कर विजय प्राप्त करना,
और दूसरों को भी जीवन की ओर प्रेरित करना।

बड़े होंगे नहीं छोटा रास्ता है अपनाना,
सपनों को अनुसरण कर, खुद को पहचाना।
हर कठिनाई को चुनौती मानकर आगे बढ़ना,
अपने लक्ष्य को पूरा कर, जीवन को सजाना।

इसलिए, बड़ा आदमी बनना अच्छी बात है,
पर अपनी नीयत को सच्चाई से सजाना जरूरी है।
अच्छाई और दया के पथ पर चलने का संकल्प लेकर,
सभी को साथ लेकर जीना, यही है असली आदर्श।



नहीं कोई नियत रास्ता

ख़ुशियों का नहीं कोई नियत रास्ता …. ख़ुश रहना रास्ता ,इस रास्ता पे आस्था ।
ख़ुशियों दुखों संग भीतर ही उलझी….
खुश वो जिसने बात ये अच्छे से समझी ।
ख़ुशियाँ विकास….
भीतर का उल्लास ।

ख़ुशियाँ विकास, आनंद का आगाज,
हार्दिक आभार सबको, जो दिल से ये समझे,
ख़ुशियों का नहीं कोई नियत रास्ता,
ख़ुश रहना रास्ता, इस रास्ता पे आस्था।

जीवन के रंगों में, छुपे हैं अनेक सपने,
ख़ुशियों का आदान-प्रदान, मुस्कान के मध्यम से,
दुखों के संग भीतर ही उलझी,
ख़ुश वो जिसने बात ये अच्छे से समझी।

सफलता की मधुरता, ख़ुशियों की गहराई,
ज़िन्दगी के वक्त पर, खेल रही है खुदाई,
ख़ुशियाँ विकास की आवाज़ हैं,
हर एक क्षण में धन्य हैं, ये संघर्ष की राज़ हैं।

दूर हैं गम के बादल, निकले हैं ख़ुशियों के चमक,
विकास की राह पर, आगे बढ़ते जब ये कदम।
आशा की किरणें जगाते, रोशनी लाएं जग में,
ख़ुशियों का बाज़ार, हर दिल में बसी हैं विश्वास की खेली।

ख़ुशियाँ विकास, आनंद का आगाज,
हार्दिक आभार सबको, जो दिल से ये समझे,
ख़ुशियों का नहीं कोई नियत रास्ता,
ख़ुश रहना रास्ता, इस रास्ता पे आस्था।

ख़ुशियों का नहीं कोई नियत रास्ता….
मन में आस्था , ख़ुशी का तुम्हें वास्ता ।
भीतर सुख दुख दोनों ही समाये….
भीतर से ख़ुशी को खींच के लाये ।
ख़ुशियाँ विकास….
भीतर का उल्लास ।
उल्लास ही उल्लास हो जीवन में ,भीतर उसका बहता चश्मा , खूब ख़ुशियाँ रहे जीवन इस मनोकामना संग नमस्कार प्रणाम ।

अपने ख्वाबो की डोर

अपने ख्वाबो की डोर किसी और के हाथो में ना दो , वो कब उसे छोड़ दे, ये जाना मुझे नहीं।

अपने ख्वाबो की डोर
ख्वाबो की डोर

हर रात जब आंखें बंद करता हूँ,
मेरी ख्वाबों की उम्मीद दिल में जगाता हूँ।
पल-पल उनके संग बिताने की सपने सजाता हूँ,
मगर कहाँ तक मेरी इच्छा को मानता हूँ।

ख्वाबों की डोर जो मैंने खींची है सजाकर,
उन्हें तोड़ देने का ख़याल बहुत आता है।
कभी उनकी हंसी को देखकर खो जाता हूँ,
और फिर सपनों के सीने में उन्हें समाता हूँ।

पर क्या होगा जब वो मेरे ख्वाबों को छोड़ देगा,
अगर उनकी दुनिया में मेरी जगह नहीं रहेगी।
क्या मैं खुद को संभाल पाऊंगा फिर,
या उजड़ जाएगा मेरा हर अरमान और ख्वाबी।

अपने ख्वाबो की डोर का मेरी जिंदगी से रिश्ता,
ये तारीख़ तक चलता रहेगा क्या।
जब तक मेरी उम्र के बंद नहीं हो जाते,
मैं अपने ख्वाबों की डोर पर जीना चाहता हूँ।

पर जब उस दिन वो डोर मेरे हाथों से छूटेगी,
मैं अपनी तक़दीर के आगे सिर झुकाएगा।
जो भी होगा, वो मैं स्वीकार कर जाऊंगा,
और ख्वाबों की डोर को आखिरी सलाम कह दूँगा।

बात तो उन्ही की

बात तो उन्ही की होती है, जिनमे कुछ बात होती है जब दिल से निकलते हैं शब्द,
भावों के पर्वत बन जाते हैं। बात तो उन्ही की होती है, जिनमें बात होती है।

बात तो उन्ही की

विचारों की लहरें छू जाती हैं,
जब कहीं उन्हें बस पाती हैं।

भाषा की सामर्थ्य होती है यहाँ,
जिससे बातें सबको समझ आएं।

सरलता और सहजता का जादू होता है,
जब शब्दों में बात विभोर होती है।

कविता बन जाती है एक आइना,
जो दर्पण बनकर दिखलाती है सच्चाई।

बात तो उन्ही की होती है,
जिनमें बात होती है।

शब्दों में सहजता

शब्दों में सहजता होना जरूरी है, बात कितनी भी गहरी हो उसको समझाने के लिए सरल होना आवश्यक है।

शब्दों में सहजता

जब भाषा अपूर्ण रह जाए,
और व्यक्ति खो जाए अर्थ के हाथों,
तब कविता उभरती है सबके मन में,
अन्तर्निहित भावों को प्रकट करती हों।

शब्दों की सहजता एक आवश्यकता है,
जो मिटा दे गहराई की दीवारें,
विचारों को सरलता से पहुंचाए,
जीवंत कर दे हृदय के विभोर आदरें।

सरलता से ही संवाद बन पाता है,
अभिव्यक्ति का मार्ग खुल जाता है,
गहराई की धारा बह निकलती है,
सबको राह दिखलाती है आपसी यारी।

तो चलिए, शब्दों में सहजता को बढ़ाएं,
बातें ऐसी करें कि हर कोई समझे,
जीवन की गहराइयों में भी घुल जाएं,
सरलता के साथ सबको विश्राम मिले।