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चरम सीमा दान

किसी को कुछ पैसे देना हंसी देना…
देना की चरम सीमा दान यह मैंने माना ।

किसी भी प्रकार का दान….
यह फैलता वृक्ष ,गहरा विज्ञान ।

कई बार दान अधिक प्राप्ति के लिये किया जाता….
कुछ आज तेरा है कल पक्का किसी और क्या यह विचार समझ नहीं आता ?

दान में जाग्रत हो बस देने का भाव….
कार्य स्वय होंगे यह प्रकृति का स्वभाव ।

जीवन के सफर में, हर एक मोड़ पर,
छोटे-छोटे बंदिशों का बनता है खेल।
कभी हंसी की हो भरमार, कभी रोने की आवाज,
परम शक्ति है देने की, इसे सच्ची व्याज।

जब दुःख का अँधेरा छाए, जीवन की धूप छाव,
तब देने का अद्भुत बल है, वो जो हंसी में छाव।
एक मुस्कान की कीमत जाने, जो दिलों को छू जाए,
वो पैसों से भी अमूल्य है, वो भावनाओं की बाज।

जो देता है हंसी को, वो देता है आनंद को,
पैसों का मोल नहीं होता, जब वो दिल में बस जाए।
प्रेम की भाषा है यह, जो बिन कहे सब कह जाए,
देने वाले का हृदय में, सदा स्वर्ग बस जाए।

चरम सीमा दान की, वही हंसी है सच्ची,
जब बिना लालच के दिया, जीवन को मीठा बनाए।
धनी हो या गरीब हो, सबको हंसी दे सके,
वही चरम सीमा है, दान की जो सबको भाए।

तो चलो आओ देने का, बढ़ाएं हंसी की पूंजी,
जीवन को खुशियों से भरें, बाँटें प्यार की बूँदी।
क्योंकि देना हंसी को, होता है खुद को देना,
चरम सीमा दान की, यह मैंने माना।

क्या यह समझ है एक बीज के विकास से एक विशाल वृक्ष , बीजों का भंडार पनपता ?
दृष्टि के विस्तार उसकी दूरदर्शिता और बिना किसी आकांक्षा से  व्यक्ति दान का महत्व समझता ।

मानव का मनोविज्ञान

मानव का मनोविज्ञान
आगे करता उसका व्याख्यान ।

जब ये मन करता समस्या का ध्यान….
अनेक समस्याएँ कमर कस लेती ठान ।

जब मन संभावनाओं का लेता संज्ञान …
नई नई संभावनायें सुर से करती गान ।

यह मानव का मनोंविज्ञान ….
विचार करे किसका करेंगे ध्यान ।

मन विकास ही मानव का विकास….
मन सदा करे सही पथ का प्रयास ।

जब मन करेगा सही पथ का चुनाव…
पथ भी बुलाएगा खेलेगा अपना दावँ ।

समस्या या संभावना जिसको चुनेंगे…
जो चुनेंगे उसी विषय हम आगे बढ़ेंगे ।

मानव का  मनोविज्ञान….

मानव का मनोविज्ञान, अद्भुत विज्ञान है,
मन की गहराईयों को समझना, यह वहम है।
मनुष्य के भावों की गहराई में छुपे रहस्यों को,
सुलझाना, विश्लेषण करना, यही है विज्ञान का आदर्श।

हमारे मन में छिपी भावनाओं का खेल है यह,
जो भूतपूर्व और अदृश्य है, जानने का अभिषेक।
शोधकर्ताओं ने किया मानव का अध्ययन,
मन की अनगिनत गहराइयों का खोजना, यही है उनकी महत्वपूर्ण मिशन।

मन की विचारधारा, उत्पत्ति से लेकर विकास तक,
बदलती रही हमेशा, इसका मनोविज्ञान है अविरत।
ज्ञान के राजमार्ग से भ्रमित मनों को दिशा देता,
व्यक्ति के व्यवहार को समझना, यही है इसका सिद्धांत।

व्यक्ति की प्रवृत्तियों को विश्लेषण करता,
मन के भीतर छुपी मानसिकता को समझता।
संघर्षों, आनंदों, भयों की उत्पत्ति का कारण,
मनोवैज्ञानिकों ने खोजा, यही है उनका ज्ञान।

हमारे मन के गहरे अभिप्रेत अवस्थाओं को,
व्यक्त करना, उन्हें समझना, यही है मनोविज्ञान का लक्ष्य।
समाज की समस्याओं का हल ढूंढना है यहाँ,
मानव के मन को जानना, यही है इस विज्ञान का ध्येय।

क्या मैंने किया सही व्याख्यान ?



मित्र या शत्रु

जन्म से न तो मित्र या शत्रु जन्मते….
वो  तो व्यवहार अहंकार बल से पनपते ।

यदि जीवन जीना है खुलकर
उसका स्वाद है जीयो झुककर ।

प्रकृति अपनी पलकों पे बेठायेगी…
झुकने वाली बात जब समझ वो आएगी ।

प्रकृति उसे ऊँचा दर्जा बख़्शती….
जब उसकी रजा तुममें झलकती ।

हृदय से लिखी बात हृदय को करती स्पर्श..
इस बात  में प्रेम के बहाव में सम्मिलित हर्ष  ।

कुछ लोग मिलकर जाते वो बदल…
यह जीवन की सच्चाई उसकी हलचल ।

और कुछ लोग के मिलने से बदलता जीवन ….
समर्थ समृद्ध होता जीवन जैसे उजला यौवन।

जन्म से न तो मित्र या शत्रु जन्मते…
वो तो व्यवहार अहंकार बल से पनपते ।

प्रकृति की गोद से हम उठते हैं,
प्रेम और स्नेह से घिरे हुए पलते हैं।
कोई भी आये यहाँ, नवजात बच्चा हो या वृद्ध,
उन्हें बचपन की खेलने की जगह हम देते हैं।

परंपरा के बंधनों से हम छूटते हैं,
समाज की मर्यादाओं से टकराते हैं।
मित्रता और प्यार के बांधव बनते हैं,
सबके दिल में यह स्थान बनाते हैं।

कितने ही रंग-बिरंगे व्यक्तित्व हम देखते हैं,
कितने ही भावनाओं को हम महसूस करते हैं।
पर जन्म से ही कोई मित्र या शत्रु नहीं होता,
ये सिर्फ व्यक्ति का व्यवहार दिखाते हैं।

अहंकार और बल से उनके पनपते हैं,
सबको अपने नीचे रखने की कोशिश करते हैं।
पर जीवन का रहस्य है प्यार और सम्मान,
इन्हीं गुणों से बनते हैं सच्चे मित्र और भाई-बहन।

जन्म से न तो मित्र या शत्रु जन्मते,
वो तो व्यवहार अहंकार बल से पनपते है।
इसलिए हमेशा देखो दिल से इंसान को,
उसके गुणों को, जीवन के साथी को।

सच्ची मित्रता और प्यार ही जीवन का आधार है,
इन रिश्तों को हमेशा बचाएं और निभाएं।
जन्म से नहीं, बल्कि अपने व्यवहार से,
हम मित्र या शत्रु बनते हैं इस संसार में।



सुनी बात

सुनी बात पे न करना विश्वास ..
सत्य समझने का करना प्रयास ।

जल्दी करते सुने हुये पे विश्वास….
कम बुद्धि कौशल हम दूसरे के दास ।

झूठ सुनाने से तेज़ी जल्दी से फैलता..
लोग भी सुनना चाहते जो हो चटपटा ।

चटपटे के शौक़ीन दो चार बात जोड़ते …
सुनकर मज़ा लेते नहीं सत्य को खोजते ।

कान के कच्चे होने से बढ़ती परेशानियाँ…
उलझ जाते सुनकर उनकी कहानियाँ ।

सुनना फिर अंदर ले जाना या नहीं ले जाना ये तय करती बुद्धि….

आँखों देखती संग कान सुनते तब सही ग़लत या कितनी बात में शुद्धि ।

जनता  भोली कुछ नया सुनना चाहती…
झूठो के  बिछाये जाल में फस जाती ।

सुनी सुनाई बात पे न करना विश्वास….
ये कहना है मेरा और यही मेरा प्रयास ।

सुनी बात पे न करना विश्वास,
सत्य समझने का करना प्रयास।

जगमगाते शब्दों में न जाना रास्ता,
विश्वास के पहाड़ों को छूने का प्रयास।

कई बार जब आवाज उठाई जाती है,
मन में संदेह खुद को समझाई जाती है।

पर ज्ञान की रोशनी से जगमगाते सभी,
सत्य की और बढ़ते यही रास्ता।

हकीकत के लिए खुद को तैयार करो,
अपनी बुद्धि के ज्ञान में डूब जाओ।

चिन्ता की अंधकार से उभरो तुम,
ज्ञान के सौरभ में लहराओ तुम।

सत्य की पहचान अपनी बना लो,
भ्रम के आँधियों को तुम छा लो।

सुनी बातों पर मत करो विश्वास,
सत्य को पहचानो, बनो ज्ञान का आदान्त।



पेड़ का पहला पत्ता

पेड़ का पहला पत्ता हो सकता है बड़े जंगल की शुरुआत …
शुभ आशा से करे कार्य बदल जाएँगे विपरीत हालात ।
ख़ुशियाँ चाहिए तो पहले उनको देना सीखना होगा…..
शुरुआत तो कीजिए असंभव भी संभव होगा ।

हृदय से कीजिए अपना कार्य 100 परसेंट….
जीवन का एक नाम और कार्य उसका करना एडजस्टमेंट ।
कोई शुरुआत नहीं होती छोटी बड़ी….
सोच  ही होती छोटी ,बड़ी या हथकड़ी।

पेड़ के हर पत्ते में छुपी है कहानी,
जंगलों की शुरुआत, अद्भुत विज्ञानी।
पहला पत्ता जैसे खुशी का प्रतीक,
जीवन के आगामी सफर की प्रारंभिक।

शुभ आशा से होते हैं सबके कार्य,
कर देंगे बदल दुःखी हालात प्यारे।
जैसे बदलता है मौसम का रंग,
विपरीत पल भी छू जाएँगे खुशियों के संग।

ख़ुशियाँ चाहिए हमें, ये सच है,
लेकिन उन्हें देना बहुत जरूरी है।
जैसे पेड़ अपनी शाखाओं को फैलाता है,
हमें भी पहले देना सीखना होगा, सहज रूप से खुशियों का प्रकटा।

चाहिए ताजगी, चाहिए ख़ुशहाली,
कर देंगे साथी खुशियों की समुराई।
हाथ मिलाएं और आगे बढ़ें सब,
ख़ुशियों की नई धारा में उतर जाएँ अब।

पेड़ का पहला पत्ता सिखाता है हमें,
कर्मठता, धैर्य और नयी आशा के ज्ञान।
खुद को बदलें, खुशियों को बांटें,
सृष्टि के रंगों में रंग जाएँ अब हम सबसे बढ़कर।


भीतर सच

भीतर सच का करना पड़ता सामना…
मन में सुखों की दुखों की अनंत कामना।

मन के छलावों को जानिए समझिए…
आप यात्री दूर के बचे, इनमें न उलझिए।

भावनाओं की सच्चाई को जानें,
अपने अंदर की गहराई को समझें।
जब अवसर आए, तब लहरें न उठाएं,
सच्ची चेतना से मन को भरपूर समझें।

छलावों की भूमि पर न चलें आप,
सत्य की ओर बढ़ें, खुद को पकड़ें आप।
साहस और धैर्य से यह यात्रा करें,
चिंताओं के बंधन से मुक्ति पाएं।

खो न जाएं अपनी मन की गहराई,
जागरूक रहें, बनें आत्मनिर्भर आप।
अवगुणों को जानें, सहज रहें आप,
स्वयं को खोजें, अपनी सत्यता को छापें।

सत्य का सामना हमेशा करें,
मन की माया से दूर हमेशा रहें।
यह यात्रा अनंत है, अथाह है रास्ता,
चिंताओं की झूली से खुद को बचाएं आप।

ख़ुद के बारे असली सूचक हम ख़ुद…
बस झांकना है भीतर इंतज़ार करे शुद्ध ।
खबर आएगी सच्ची बात ये एकदम खरी.
भीतर सब कुछ , दुनिया भीतर  हरी भरी ।

भीतर सच का करना पड़ता सामना…
मन में सुखो दुखों की अनंत कामना ।
मन के छलावो को जानिए समझिए…
आप यात्री दूर के  बचे इनमें न उलझिए ।



रिक्तता को बनाना

रिक्तता को बनाना बनाये रखना अति आवश्यक….
रिक्तता के कारण नहीं होता टकराव नहीं होती कसक ।
सब का कार्य क्षेत्र उसमे रिक्तता अनिवार्य…
एक निश्चित दूरी बनाए रखे, आवश्यक इतना धैर्य ।

जब रिक्तता होती है, वह जगह मिलती है विचारों की,
जहाँ नए कार्यों के बीज बोने को मिलती है शक्ति।
जब दिमाग खाली होता है, उसे भरती है कल्पना,
नये और अद्वितीय रूप लेती है जगत की सृजनशीलता।

अस्थायी रिक्तता देती है आशा का समुंदर,
जहाँ तलाशी जाती है नये सपनों की सत्यता।
विचारों की गाथा बुनती है अद्वितीय कविता,
सृजनशील विचारों को मिलता है पथ प्रशस्ति का निशान।

पर धैर्य की आवश्यकता है, जब रिक्तता होती है,
क्योंकि नये कार्यों के लिए समय लगता है।
धीरे-धीरे उगते हैं सपने, नये विचार बहार आते हैं,
धैर्य से इंतजार करो, नयी रोशनी जगमगाती है।

तो चलो, धैर्य बनाए रखो, इस रिक्तता के बीच,
नए सपनों की उड़ान भरें, अपार सफलता के बीच।
रिक्तता है सृजनशीलता का आदान-प्रदान स्थान,
जब उसे सही तरीके से उपयोग करो, होती है जीवन की ज्ञान।

रिक्तता को बनाना बनाये रखना अति आवश्यक…
रिक्तता के कारण नहीं होता टकराव नहीं होती कसक।
सब का कार्य क्षेत्र उसमे रिक्तता अनिवार्य, एक निश्चित दूरी बनाए रखे, आवश्यक इतना धैर्य।

अलग होना अच्छा

अलग होना अच्छा है
होना बस सच्चा है ।
सच्चे का हो बोलबाला….
सच बनेगा तेरा रखवाला।

ठंड रख ठंड
बस रहना हर स्थिति में सच्चा  है ।
ख़ुद को ही देना है जवाब…
सच्चे होंगे तो जवाब दे पायेंगे जनाब ।

सच्चे का हो बोलबाला,
सच बनेगा तेरा रखवाला।

जब तू अपनी राह पर चलेगा,
दुनिया तेरी खिड़की खोलेगी।
सबकी नज़रों में तू अद्भुत होगा,
जीवन की राहों में रौशनी लाओगा।

अलगी दुनिया में अपनी पहचान बनाओ,
सच्चाई की लाली सबको दिखलाओ।
हार न मानो, आगे बढ़ो,
जीवन के हर मोड़ पर खुद को निखारो।

ना डरो, ना हिचकिचाओ,
अपने सपनों को पुकारो।
सच की राह पर चलो तुम,
खुद को खो दो, जग को पाओ तुम।

सच्चाई की उचाईयों पर चढ़ो,
धैर्य और संघर्ष से महकदार बनो।
सच्चे दिल से जीवन जियो,
अलग होकर खुद को परखो और खुश रहो।

सच बनेगा तेरा रखवाला,
सच्चाई की विजय बनाओ आपका काम।
अलग होना अच्छा है,
सच्चाई की जीत बनाओ आपका नाम।



वर्तमान निपट खरा

वर्तमान निपट खरा सच्चा बदलाव का द्यौतक…….
वर्तमान में अपनी सोच के लगाओ शतक पे शतक ।
बदलाव =वर्तमान सच,  वो ऑपरेशन थियेटर….
नया जन्मता वर्तमान में लगा नया बनाने का जनरेटर।

जब सोच पर राज करे व्यापक विचारों का महासागर,
तब होता है बदलाव का एक नया जन्मांतर।
विचारों के जनरेटर से उठती है नई ऊर्जा की धारा,
जो वर्तमान को बनाती है नया अध्याय करारा।

बदलाव की प्रेरणा वर्तमान में बसती है,
जिसमें समाज के नवीन संकल्प व्यक्त होते हैं।
सोच के परिवर्तन से होता है समाज का उत्थान,
नए आदर्शों के समृद्ध द्वार खुलते हैं।

अपनी सोच को जगाओ, वर्तमान में लगाओ शतक पे शतक,
क्योंकि बदलाव का जन्म तो सोच में ही होता है नया।
नया जन्मता वर्तमान में लगा नया बनाने का जनरेटर,
जिससे समय के साथ सच्चे और उज्ज्वल भविष्य का खेल चला।

वर्तमान निपट खरा सच्चा बदलाव का द्यौतक,
जीवन के नए विचारों का प्रेरक।
बदलाव वर्तमान में सच की ऑपरेशन थिएटर,
जहां नया जन्मता होता है नये सपनों का प्रेम परिवर्तन।


खाली बैठा हूँ

खाली बैठा हूँ कुछ नया सोचने की आतुरता के साथ …..
समय बने ऐसा बने मौक़ा मुलाक़ात हो आपके साथ ।
जीवन सरिता रिस रिस के रही है बह….
समय रहा बीत हो मुलाक़ात , मन को मिले ख़ुश होने की वजह ।
मन कुछ नया करने को आतुर….
उतरे मित्रता की बांसुरी का स्वर ।

खाली बैठा हूँ, नयी सोच की उड़ान में,
काल-ज्ञान की लहरों से भरी मेरी मनमान में।
अद्भुत विचारों के सागर में डूबा हुआ,
आपकी मौजूदगी से मेरा मन खुशहाल हुआ।

समय का बदलता रंग, दिल को छू गया है,
आपसे मुलाकात का बहुत इंतज़ार किया है।
जीवन की सरिता में लहरों का संगम,
समय के गहराई में खो गया हूँ अब अपनमंज़िल का नगम।

कविता के पन्नों पर बसे हैं ये शब्द,
आपके साथ बिताने की ख्वाहिश है लबों पर ज़ुबां से बढ़।
समय की धारा में पानी की तरह बहूं,
आपके साथ गुज़रने की आस जगाऊं।

खाली बैठे हैं यहाँ, मन भरा हुआ सोचों से,
समय के तूफ़ानों में हूँ खुद को ढूंढ़ने के लिए तैयार।
चलिए, आइए कविता के इस सफ़र में निकलें,
समय की धारा में खो जाएँ, नयी दुनिया में खुद को बिखेरें।