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अपनी शक्ति

अपनी शक्तियो को पहचानो , जिस प्रकार समुद्र कितना की बड़ा हो लेकिन एक गुब्बारे जो भर हुआ अपनी हवा रूपी शक्ति से उसको यह समुद्र अपने भीतर नहीं खिच सकता, तुम्हें अपनी शक्तियों को पहचानना होगा कोई भी स्थिति हो तुम्हें प्रश्नचित रहना होगा , कोई भी कार्य हो छोटा या बड़ा अपने कार्य में निपुण तुम्हें बनना होगा , ये जीवन का अर्थ रसीला है इसी प्रकार के जाग्रत गुणों से तुम्हें खुद को भरना होगा, आज का विचार “अपनी शक्ति”

बड़े हुए जेसे समुंद्
लेकिन एक निरीह
ग़ुब्बारे को वो नही
सकता डूबा….
तो पहचानना अपनी
शक्ति हर स्थिति में
रहना प्रसन्न नही कोई
तेरी तरह कोई दूजा ॥

क़ार्य नही कोई छोटा या बड़ा ,
बने अपने क़ार्य में पूर्ण निपुण…
यही जीवन अर्थपूर्ण रसीला,
जिसमें जाग्रत हो ऐसे गुण ॥

जीवन में संतुलन

जीवन में संतुलन होना ही उसका बाल है, हिम्मत है इस जीवन के आवश्यक घटक भी यही संतुलन है इस संतुलन को नया बिगाड़िए खुद को संभालिए इस जीवन रूपी राह में अड़ग होकर खड़े हो जाइए

जीवन में संतुलन,
ही उसका बल ……
क्या जीवन के
आवश्यक ओर क्या
अनावश्यक का पटल ॥

संतुलन में स्थिरता ओर विकास….
सुखद जीवन जीने का प्रयास ।
चल रहा आवश्यक अनावश्यक खेल…..
चुनाव सही तो तभी चलेगी जीवन की रेल ।

अपनी दृष्टि

अपनी दृष्टि को फैलाकर देखिए हर तरफ हर कारण का पता चल जाएगा सभी दुखों का निवारण भी मिल जाएगा लीजिए लाभ स्वयं दृष्टि का इस सृष्टि में

हर व्यक्ति शिक्षक ओर सब ओर फ़ेले इस बात के उदाहरण ।
आँखे खोलिए ये हुआ क्यूँ ? क्यूँकि उसका दृष्टिकोण था कारण ॥

उसके दिए उदाहरणों का अपने जीवन में लाभ लीजिए ।
क्या करना क्या नहीं स्वयं के दृष्टि से पहचान कीजिए ॥

अपनी दृष्टि को फैलाकर देखिए हर तरफ,
हर कारण का पता चल जाएगा, सभी दुखों का निवारण भी मिल जाएगा।

जब आप देखेंगे इस सृष्टि में लाभ का संगम,
तभी खुशियों का आगमन होगा आपके अंतरंग।

विचारों की ऊँचाइयों से आसमान छू जाएंगे,
जब आपकी दृष्टि में होंगे सभी कारणों के ज्ञान।

दुखों का परिहार और सुखों की वृद्धि होगी,
जब आप विकास की ओर बढ़ेंगे स्वयं की दृष्टि के साथ।

संचित ज्ञान का प्रयोग करें सही दिशा में,
जीवन के समस्याओं का समाधान होगा आपके लिए संग्राम।

स्वयं की दृष्टि को व्यापक बनाएं और देखें चमत्कार,
हर कठिनाई का निवारण होगा आपके आगे संकेतकार।

संकल्पित इच्छाओं को प्राप्त करेंगे आप जीवन में,
जब अपनी दृष्टि का लाभ लेंगे इस सृष्टि में।

स्वयं की दृष्टि को फैलाकर देखिए हर तरफ हर कारण का पता चल जाएगा,
सभी दुखों का निवारण भी मिल जाएगा, लीजिए लाभ अपनी दृष्टि का इस सृष्टि में।

यह भी पढे: सामान्य दृष्टि, बाह्य दृष्टि,

शब्द परिचय

यह जो शब्द है
इनमें कितना गुस्सा भर जाता है
इनका आपा खो जाता है
शब्दो को कौन समझाए ?
इनको कैसे मनाए ?

छोटी छोटी बातों पर ये शब्द तो रूठ जाए
इधर आए तो कभी उधर जाए
जब कोई इनका अपना खो जाता है
दुख बहुत आता है, रिक्त स्थान हो जाता है
वो स्थान फिर नहीं भार पाता है

लेकिन शब्द कुछ कर नही पाता है
जब करना चाहता है तो
 
शब्दो का ज्ञान उन्हें कुछ समझता है
क्रोध बहुत भीतर भरा हुआ है
मानो कोई प्यारा छूट गया है
वो अपने ना थे लेकिन
अपनो से कम ना थे

उनके जागने पर हम सोते थे
उनके होने पर ही हम होते है।
उनके ना होने पर कहाँ चैन से
सोते है हम।

जिंदगी क्या है

जिंदगी क्या है? ये एक गहरा प्रश्न है लेकिन हम अपने जीवन पर गौर नहीं करते बस जीवन में बिना मतलब की भाग दौड़ में व्यस्त है, जिसके कारण मिलन ओर बिछड़ना बना हुआ है, एक बार तो सबको बिछड़ ही जाना है

लेकिन हम जिंदगी में जीते हुए भी बिछड़ जाते है, जो नहीं होना चाहिए हमारी खुद की गलतिया जिंदगी की तकलीफ को बढ़ा देती है इसलिए हमे अपनी जिंदगी को बहुत संभाल कर जिन चाहिए, हम सभी को मिलजुल कर रहना चाहिए।

जिंदगी को मिलकर बिताया जाए इसको बिछड़ने ना दिया जाए जब तक हम जी रहे है, हमे सब संग साथ रहना है यही जीवन है।

जीवन का जीवन से मिलन है जिंदगी और मिलकर बिछुड़ना भी है जिंदगी
जिंदगी क्या है

जिंदगी का जिंदगी से मिलना है, जिंदगी ओर मिलकर बिछड़ना भी है जिंदगी

यह भी पढे: जिंदगी कैसी है, जिंदगी से जिंदगी,