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अनमोल विचार

कुछ ऐसे अनमोल विचार जो हमारी जिंदगी को बदलने में सहायक होते है, हर सुबह इन विचारों पर चिंतन, मनन करना चाहिए हमारा जीवन ओर सरल हो जाता है, ऐसे ही 10 अनमोल विचार है 1. श्रेष्ठ प्रयाणाम भविष्य
रूपी साँस लीजिए बिना
किसी अपेक्षा ….
वर्तमान रूपी साँस को
पकड़ के रोकिए वर्तमान में
जीना नेक शिक्षा …..
भूतकाल रूपी साँस बाहर
निकाले पाये मुक्ति
ये सच्ची परीक्षा ॥

2) काला घोड़ा सफ़ेद स्वारी एक के बाद एक की बारी…..
तवा वो काला घोड़ा रोटी होती गोरी सफ़ेद स्वारी ।
खड़ा द्वार पर ऐसा घोड़ा जिसने चाहा पेट मरोड़ा……
इसका उत्तर हे ताला , चाभी से मरोड़ते पेट नहीं मारना पड़ता हथौड़ा ।

3) जो समय बीता सो बीता वो नहीं आएगा दोबारा ……
अब समय दूसरा, झांकिये भविष्य वही अब उसका ही सहारा ।
समय सदा गतिमान अपने कार्य के प्रति कर्मनिष्ठ …..
समय के पास भूतकाल वर्तमान और भविष्य के अनगिनत असंख्य पृष्ठ ।

4) शिक्षक बच्चे से किया प्रश्न
शिक्षक तुमरे पास चार भटूरा हे
ओर वो भटूरा हम ने ले लिया
तो तुमरे पास क्या बचा ?
बच्चा बोला बचा हमारे पास “छोला “.

इस बात से पता चलता हे की भटूरा बिना छोले के अधूरा हे उसका जीवन ,
छोला भटूरे का परम मित्र और सखा है ।
दोनों जब एक दूसरे से मिलकर किसी तीसरे की आत्मिक संतुष्टि का कारण बनते हे अपना स्वयं का बलिदान देकर ।

5) सुख ही शांति….
ये शुद्ध भ्रांति ।
शांति ही सुख….
यह बात सत्य प्रमुख ।

भीतर शांति बाहर निरंतर प्रयास ….
फिर सब क्षेत्त्रो में होगा विकास ।
भीतरी शांति ही सच्चा सुख….
सब का हो भला कहे यह मुख ।

6) मेहनत का धन…..
ख़ुशियों से संपन्न ।
धेर्य हों धारण….
जीवन बने उदाहरण ।

मीठे बोल बने पहचान….
करे सबका सम्मान ।
मान सम्मान का व्यवहार….
जीवन का वो आधार ।

7) अच्छी पुस्तकें और अच्छे व्यक्ति ….
तुरंत नहीं समझ आते , कथन में नही कोई अतिशयोक्ति ।
पुस्तक की तरह व्यक्ति के भी भिन्न भिन्न अध्याय…
पढ़कर सीखना पड़ेगा कैसे अध्याय से स्वयं को समझ आए ।

पढ़े पुस्तक रुचि से स्वयं का प्रिय विषय…
सिद्ध हो सार्थक हो पूरा हो आपका ध्यय ।
स्वयं के जीवन के भी लिखने हे अध्याय…..
जो पढ़े समझे आपको बात समझ वो जाए ।

8) कभी बचपन में घुमाते थे साइकिल या स्कूटर का पहिया …..
वाह वो भी क्या दिन थे जो बस गये यादों में ,
मन बसिया ।
मैं और मेरा टायर संग लोहे की छड़ी आगे से गोल टायर में घूमती फसी…..
सोचते अब तो यादो के फ़व्वारे से चेहरे पे झांकती हँसी ।
मैं और मेरा टायर
अब आगे कुछ साल बचे होने को रिटायर ।
शुरुआत बचपन में टायर….
अब बुढ़ापा हो जाएँगे रिटायर ।
रिटायर में छिपा है टायर ….
इसी में पूरा जीवन चक्र हे दायर ।

9) क्रोध का कारण नहीं होता नक़द ….
क्रोध का परिणाम होता दर्दनाक दुखद ।
क्रोध एक ज्वाला करती सब भस्म….
जानती वो जलाना उसकी एक ही रस्म ।
क्रोध क्रोध
खोता बोध ।
करे क्रोध पे शोध….
यह दुख का बालकअबोध ।
यह जन्मता प्रतिशोध ….
जगाये भीतर यह बोध ।

10) काहे करे शिकायत….
उसमें दुःख चला आवत ।
शिकायत को समझेंगे….
बनायेंगे दोस्त नहीं उसमें उलझेंगे ।

जीवन जीवंत
शिकायतों का करे अंत ।
रहे हम शांत
अच्छा ही अच्छा होगा उसके उपरांत ।

आजकल पता नहीं क्या हुआ है,
पूछो कुछ जवाब कुछ और……
न करे शिकायत रहे मस्त समय
का अजीब यह चल रहा दोर ।

जीवन के अनमोल विचार जिनका करे हर सुबह चिंतन मनन

यह खाली हाथ

यह खाली हाथ का जो चित्र है उसे देखने से ऐसा लगता है मानो कितनी ही बाते बताना चाह रहा हो, आप लाये क्या थे और क्या लेकर जाओगे इस जीवन से ? साथी हाथ बटाना एक अकेला थक जाए तो मिलकर बोझ उठाना यह संदेश है हमारे जीवन के लिए इसलिए इन पर ध्यान दीजिए

यह खाली हाथ
Khaali-Haath
  1. मुझे यह खाली हाथ को देखकर सिकंदर के वो अनमोल वचन याद आते है जब उन्होंने कहाँ था की मुझे जब दफन करो तो मेरे दोनो हाथ बाहर की और कर देना दुनिया को यह संदेश पहुचेगा सम्राट अशोक ने पूरी दुनिया को जीत लिया लेकिन लेकर वो कुछ भी ना जा सका।
  2. इससे मुझे अपना बचपन याद आता है की मैं जब भी कक्षा में होता था शायद मुझे कुछ आता था या नही अगर टीचर ने कुछ पूछा तो मैं उसका झवाब नही दे पाता , अपना हाथ उठाकर ये नही बोल पाता था की मैडम जी मुझे ये आता है। साहस से हम आगे बढ़ सकते है
  3. इस खाली हाथ में कितनी ही लकीरे है यह इस बात को भी दर्शाता है की अंततः तुम्हे जाना ही है एक दिन तुम्हे सबको अलविदा कहना ही होगा।
  4. इस हाथ में पांच उंगलियां है और सब एक समान नही है , इसलिए यह अवश्य ध्यान रखे समय कभी एक समान नही होता।
  5. जीवन भर हम कितना भी इस हाथ को मुट्ठी बंद कर रखने की कोशिश करे अंत समय में यह खुलकर यही रह जाएगा , कुछ भी साथ नही जाएगा , रेत की तरह सब कुछ हाथ से छूट जाएगा।
  6. यह हाथ यह भी दर्शाता है की मैं तो अब अलविदा कह रहा हूं लेकिन एक वक़्त आएगा जब तुम्हे भी अलविदा कहना होगा, इसलिए तुम भी अभी से तैयारी करलो फिर शायद मौका मिले या नही।
  7. इस हाथ से हमारे बड़े बुजुर्ग, बाबा , ज्ञानी , महापुरुष लोग हमे आशिर्वाद देते है सदा सुखी रहो, फुलो फलों , हस्ते रहो, दीर्घायु हो आदि बहुत प्रकार के आशिर्वाद।
  8. यह हाथ ही है जो हमे सिखाता है की कर्म कर बस कर्म करता तू जा , यह जो हाथ में रेखाएं है वो आपके कर्मो के द्वारा ही बनती और बिगड़ती है इसलिए अपने कर्मो को बलवान कर एक इंसान यह जीवन इसलिए है मिला

ख्वाब यू तुम

ख्वाब यू तुम इतने मुझे दिखाते हो, इन ख्वाबों को क्यू मेरे मन दर्पण में सजाते हो , इन ख्वाबों से मैं बेचैन हो जाता हूँ बस याद भर तुम्हारी में मैं रहता हूँ, कुछ न कहता हूँ बस चुप यू ही रह जाता हूँ

क्यों इतने ख्वाबों को सजाते हो

मेरे ख्वाबों मे रोज चले आते हो

मुझे मदहोश कर चले जाते हो

मौत की आगोश में जाना चाहता हूं

जिंदगी से रूबरू कर चले जाते हो

क्यों इतना बेचैन कर तन्हाईयों का साथ करवाते हो

लूट जाता हूँ भरे बाजार मैं , अपनी ही जिंदगी लिए

बस तुम मेरे ख्यालों को अकेला छोड़ चले जाते हो !

ख्वाब यू तुम इतने मुझे दिखाते हो

यह भी पढे: ख्वाबों की डोर, ख्वाब इतने, ख्वाब, ख्वाबों को जोड़ता हूँ, वो ख्वाब मंजिलों सी,

उत्तम व्यवहार

उत्तम व्यवहार रहता हमेशा खुशियों पर सवार हर रिश्ते मजबूत करता एक बड़ी पहचान बनता , अच्छे व्यवहार से जीवन में सरलता आती है जीने का एक तरीका बताती है, खुल जाते खुशियों के द्वार है होने से अच्छे व्यवहार यही है आज का विचार रहे सदा उत्तम व्यवहार

उत्तम व्यवहार,
ख़ुशियों पे सवार …..
अच्छे रिश्ते के,
खुलते उससे द्वार ।

व्यवहार कुशलता,
जीवन में सरलता…..
जीवन ताले की चाभी,
सरलता ख़ुशियों की नाभि ॥

रुपए पैसे से बड़ा ?

रुपए पैसे से बड़ी लाइन याद की,
उससे भी बड़ी लाइन याद वाले व्यक्ति से
मुलाक़ात की ।
भीतर यादों को सजोय रखना महत्वपूर्ण….
रुपया पेसा इस कार्य में कभी नहीं सम्पूर्ण ।
यादे दिल का हिस्सा उससे वो होती जुड़ी…..
प्रेम प्यार की दिलकश वो बारीक हथकड़ी ।।

प्रकृति का सौन्दर्य

अनुपम सौन्दर्य प्रकृति का इसकी खूबसूरती जिसका नहीं कोई तोड़ है जीवन को मनमोहक करे ये प्रकृति चितचोर है। प्रकृति का सौन्दर्य

प्रकृति का अनुपम सौंदर्य….
क्या खूबसूरत झरने…
सूर्य की निराली छटा….
चंद्रमा एक प्यारा गोला …
निराले पेड़ निराले फूल…
निराले प्यारे पक्षी जानवर….
निराले दिन निराली रात…..
निराली हवायें निराली फ़िज़ाएं ….
निराली नादिया निराला समुंदर….
निराला मौसम सर्दी गर्मी बरसात ….
प्रकृति तू बहुत खूबसूरत ओर बहुत
खूबसूरत तेरे सारे व्यापार….

सच का सफर

सच का रास्ता आसान नहीं है मुश्किल है सच का सफर लेकिन सच बोलने के लिए कभी सोचना नहीं पड़ता लेकिन जब हम झूठ बोलते है तब हमे सोचना पड़ता है की दुबारा भी यही बोलना है इस झूठ को छुपाना भी है पड़ता इसलिए सच्चाई के रास्ते को हमे अपनाना इस राह से नहीं भटकना इसी पर आज का विचार “सच की सफर”

सच बोलने के लिए नहीं सोचना हे पड़ता…..
ये सच की क़ाबिलियत उसका तड़का ।
सच के नाम के झूठे नोट भी चल रहे……
इसी व्यवस्था में वो झूठे भी हे पल रहे ।

सच की राह मुश्किल पर रास्ता सीधा….
देखने की बात कितनी किसकी श्रद्धा ।
कुदरत का क़ानून सच उसका आधार ….
इसी आधार से दे मन विचारो को आकार ।

यह भी पढे: सच्चाई का करे, भीतर सच, विनम्रता ने भी नंबर, सुविधाये, सौदा फिर, दुख का होना,

एक दूसरे के दर्द

एक दूसरे के दर्द ख़ुशियाँ
समवेदना की समझ….
मनुष्यता के प्राण
उसके प्राणो का ध्वज ।

जब जीवन में प्रेम
तो दूसरे का ख़ुशियाँ
दुःख दर्द दिखता….

जब नही जाना प्रेम
नही गलती सिर्फ़ स्वयं
का दुःख दिखता
तो नही दूसरे का सुख
दुःख समझता ॥

जब दिल में दर्द उतर जाए,
तब गम की लहर आ जाए।
क्या करें जब ये छाती फट जाए,
वो दर्द जिसे बयां करने के लिए शब्द ना मिल पाए।

इस दर्द से जुड़े दोस्त का जब दिल दुखाए,
तो कैसे उसका दर्द कम कर पाए।
जब उसके आँसू बाहर ना निकले,
तो कैसे उसकी रूह से बातें कर पाए।

जीवन का हर मोड़ पर दर्द का एहसास होता है,
कोई अपना अपनों को खोता है, कोई प्यार को तरसता है।
दुखी होता है जब हमें अपने दोस्त का दर्द देख पाते हैं,
मगर उसे संभाल लेने की चाहत हमें हमेशा होती है।

हम दर्द को कम नहीं कर सकते,
लेकिन उस दर्द के साथ रह सकते हैं।
दोस्त के दर्द में शामिल होकर,
उसका साथ देकर, उसकी मुस्कुराहट लौटाने का हमें सौभाग्य मिल सकता है।

जब दोस्त का दर्द हमारा दर्द बन जाए,
तब हमें उसके साथ थाम जाना चाहिए।
दोस्ती का ये रिश्ता हमेशा सच्चा रहेगा,
जब तक हम एक दूसरे के दर्द को समझना नहीं सीखेंगे।

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मन यू ही भागता

मन यू ही भागता फिर रहा है कही, फिर रहा है कही, इस मन को कैसे संभालु , बस इस मन की व्यथा है , मन यू ही भागता रहा,
खुशियों की तलाश में थका हुआ।
कहीं न रुकता, न ठहरता,
हर समय खोजता रहा।

जीवन की दौड़ में पड़ा हुआ,
खुद को भुलाता जा रहा था।
सफलता की तलाश में जुटा हुआ,
मन खुशियों के सागर में बहता रहा था।

पर वो नहीं जानता था,
कि जो उसे खुश करता था,
वो उसी के अंदर ही मौजूद था।

बस वो एक दिन देख लिया,
खुशियों का सागर अपने अंदर ही था।
जो उसने ढूंढा था बाहर,
वो उसी के अंदर छुपा हुआ था।

अब वहीं बैठकर, खुशियों के साथ,
वहीं वो खुश होता जा रहा है।
मन नहीं भागता अब,
खुशियों का सागर अपने अंदर ही पाता है।

गलतफहमी से बचे

गलतफहमी क्या है? गलतफहमी से बचे गलतफहमी एक ऐसी स्थिति होती है जब व्यक्ति अधिकांश समय अपने विचारों, धारणाओं या ज्ञान में गलत तथ्यों को स्वीकार करता है। यह एक ऐसी स्थिति होती है जब व्यक्ति अपने आसपास के लोगों, वस्तुओं या घटनाओं के बारे में गलत धारणाएं बनाता है और इनके आधार पर निर्णय लेता है।

गलतफहमी क्यू होती है ? गलतफहमी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे अपनी सोच और मूल्यों की असंगति, अपने इतिहास, अनुभव या शिक्षा की सीमाओं से मुक्त न होना, अपने भावों या विचारों के पीछे छिपे हुए संदर्भों की अनदेखी करना और अन्य लोगों से बातचीत न करना।

गलतफहमी को कैसे दूर किया जाए ? गलतफहमी से बचने के लिए, व्यक्ति को सकारात्मक रूप से सोचना चाहिए, अपने विचारों और मूल्यों को समीक्षित करना चाहिए, और अपने सभी विचारों और धारणाओं को अवलोकन करना चाहिए। व्यक्ति को समय समय पर अपनी सोच और धारणाओं को आधार बनाने वाले संदर्भों की जांच करनी चाहिए, इससे उन्हें गलतफहमी से बचाया जा सकता है, और छोटी छोटी गलतफहमी से बचे

गलफहमी का मुख्य कारण क्या हो सकता है? गलतफहमी का मुख्य कारण व्यक्ति की असमझ, धारणा और समझोते की कमी हो सकती है। इस तरह की स्थिति अक्सर अलग-अलग परिस्थितियों में हो सकती है, जैसे कि भ्रम, घमासान या संदेह के समय। इसलिए, व्यक्ति को अपने विचारों को समीक्षित करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और उन्हें स्पष्ट करने के लिए अपने आसपास के लोगों से बातचीत करनी चाहिए और गलतफहमी से बचे।

किसी भी प्रकार की गलतफहमी से बचना चाहिए, और हमे अपनी सूझ बुझ के साथ ही कार्य को करना चाहिए, बहुत सारे रिश्ते सिर्फ गलतफहमी के कारण ही टूट जाते है ऐसी स्थिति बन ही ना पाए हमे उस तरह से अपने आपको तैयार करना चाहिए, जिससे की गलतफहमी पैदा ही न हो।

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