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अपने जीवन के लेखक

हम सभी हाथ की लकीरों को देखते है वो अक्सर बदलती है जब हम मेहनत करते है, अपने भविष्य का निर्माण करते है , अपने जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करते है, अपने जीवन को बफलने के लिए संभव कार्य करते है हमे अपने जीवन को एक नई दिशा , नई गति देने के लिए अपना जीवन को लिखना होगा जो हम चाहते है वही हम बन जाते है , इसी पर आज का शब्द है “अपने जीवन के लेखक” अपने जीवन के लेखक बने ……
अच्छे से स्वयं के मस्तिष्क पड़े ।
जितना जितना स्वयं को समझेंगे….
दूसरी से कम से कम हम उलझेंग़े ।

भीतर की बांते सतह पर आए…..
भीतर बनी गाँठे वो पिघल जाए ।
फिर ज़रूर बढ़ेगा समझ का दायरा….
मिलेगा अच्छी बांते लोगों का सहारा ॥