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खुद को संभालो

तुम ये जो- इश्क भर की- बातों में

तुम ये जो- इश्क भर की- बातों में

मिश्री के जैसे घुल जाओ

कही तुम गुम न हो जाओ

कही तुम न खो जाओ

बस जो तुम हो

वही होने को हो जाओ

खुद को संभालो

बस संभालो

खुद को

खुद को संभालो

कही तुम खुद से दूर ना जाओ 

कही तुम गुम ना जाओ

कही तुम ना खो जाओ

इस जिंदगी को संभालो

कही जिंदगी को भी ना खो डालो

खुद से इतना इश्क तुम कर डालो

हर एक गम जिंदगी का तुम भुलादों

तुम ये जो इश्क भर की बातों में

इश्क भर जिंदगी हो जाओ

तुम ये जो इश्क भर की बातों में

निकला हूँ

निकला हूँ उस ठिकाने को ढूँढने , जिसका पता भी नहीं मालूम मुझे

बस निकल चला हूँ, अपनी उन राहों की ओर जहां

मैं घूमता हूँ दिन भर , दिन भर ढूँढता भी हूँ मैं

खुद को ही ना जाने कहाँ कहाँ ढूँढता हूँ मैं

कहाँ मिलूँगा-कहाँ मिलूँगा यही एक सवाल है जो

मैं खुद से बार बार पूछता हूँ

क्या मैं खुद को ढूंढ पाऊँगा , निकला हूँ मैं

खुद के सवालों से ही मैं जूझ रहा हूँ ,

खुद से ही बस यही एक सवाल पूछ रहा हूँ मैं

ढूँडु खुद को कैसे यह एक सवाल कर रहा हूँ

कहाँ कहाँ ढूढू खुद को बस यही एक सवाल है

जवाब तो नहीं पता मुझे इसका कब मिलेगा

ये मुझको नहीं खबर है बस लापता हूं

निकला हूँ मैं उस ठिकाने को ढूँढने जिसका पता नहीं मालूम मुझे

मन यू हलचल

कभी कभी मन यू हलचल सी मचाए , कभी जिंदगी यह घबराए ,कभी ख्वाब खूब सजाए ,कभी गम भुलाये ,नज़रों की तारीफ़ों से मैं खुद को भगाऊ ,न उसकी सहमतों से ओर न मेरी अड़हतों , यह पंछी अब पिंजरों से न ठगे, इतनी शरारत करे ये मन

इन सदृश पन्नों पर

मन के इन सदृश पन्नों पर

मैं कुछ लिखना चाहू

मन भीतर की कल्पनाओ से

इस जीवन को जैसा चाहू वैसा मैं बनाऊ

इस मन को

इस मन को

जीवन की

उधेड़ बुन में

मैं ना उलझाऊ – मैं ना उलझाउ

मन अलग अलग राहों में उलझे

कैसे मैं इसको सुलझाऊ

मन भीतर

मन भीतर

मन भीतर करे राग द्वेष

तन बैरी हो जाए

इच्छाओ का लगाके मेला

इस तन को खूब नाच नचाए

जगत के इन दृश्यों में

यह मन अटक बार बार जाए

जगत जाल में यह तन फँसता जाए

अरे मेरा तन बैरी हो जाए

यह तन बैरी हो जाए

मन के इन सदृश पन्नों पर, मैं कुछ लिखना चाहू

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शब्दों के भीतर ही

शब्दों के भीतर ही हम अटक जाते है ,जब इनका मन करता है तब ही बाहर आते है ,इन शब्दों पर किसी का राज नहीं चलता ,ये तो अपना ही राज चलाते है , शब्द की चाबी, शब्द की डोर किसके हाथ में है ,यह किसीको नहीं पता, शब्द अलग कहानी बयान करते है ओर अपना जीवन स्वयं ही बनाते है  

शब्दों के भीतर ही एक जहाँ होता है,
जिसमें दर्द और सुख का समान होता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ अक्षर नजर आते हैं,
वे जीवन के संघर्षों की झलक दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर ही एक समंदर होता है,
जिसमें खुशियों की लहरें भी तैरती हैं।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ विचार नजर आते हैं,
वे नये सपनों की उमंग दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर ही एक आग होती है,
जो उत्साह और जोश से जलती है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ उत्साह नजर आते हैं,
वे नए सपनों के आगार में जलते हैं।

शब्दों के भीतर एक ख्वाब होता है,
जिसमें असंभव भी संभव लगता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ ख्वाब नजर आते हैं,
वे नये सपनों की दुनिया बसाते हैं।

शब्दों के भीतर एक महफ़ूज़ होता है,
जहाँ अनजान भी अपना होता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ भाव नजर आते हैं,
वे नए संबंधों की उमंग दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर एक अजीब सा दर्द होता है,
जिसमें अक्सर अपनों का दर्द छिपता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ दर्द नजर आते हैं,
वे अपनों के दर्द के एहसास दिलाते हैं।

शब्दों के भीतर एक असीम खामोशी होती है,
जिसमें खुशियों और दर्द का एक साथ अहसास होता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ आभास नजर आते हैं,
वे जीवन के रहस्यों कोसमझाते हैं और उन्हें व्यक्त करते हैं।

शब्दों के भीतर अनगिनत विचार होते हैं,
जो अक्सर स्वयं को ढूँढते हुए खो जाते हैं।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ विचार नजर आते हैं,
वे जीवन के रहस्यों को सुलझाते हैं।

शब्दों के भीतर एक अद्भुत शक्ति होती है,
जो संसार को बदलने की ताकत रखती है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ शक्ति नजर आती है,
वे संसार की बदलती तस्वीर दिखाते हैं।

शब्दों के भीतर ही एक अनंत संभावनाओं का समुंदर होता है,
जो नए और अनजान सपनों को जीवंत रखता है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ संभावनाएं नजर आती हैं,
वे सपनों की उमंगों को भरते हैं।

शब्दों के भीतर एक अद्भुत वास्तविकता होती है,
जो संसार को समझने की ताकत देती है।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ वास्तविकता नजर आती है,
वे संसार की सच्चाई को दर्शाते हैं।

शब्दों के भीतर एक ही अनंत दुनिया होती है,
जिसमें अनगिनत संभावनाएं बसती हैं।
वहाँ शब्द नहीं सिर्फ एक साथ सब कुछ नजर आता है,
वे जीवन की उमंगों से भरी दुनिया बनाते हैं।

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दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ

मैं घोषणा करता हूँ मुझे हुआ हे वो दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ
शर्मा जी वर्मा जी ने पूछा है क्या ज्ञान हुआ आपको श्रीमान ?
मैं बताऊँ मुझे हुआ हे दिव्य सत्य ज्ञान पत्नी देवी ही शुद्ध भगवान।
घर में बैठा हे भगवान….
ऐ शेतान् इस परम ज्ञान को नहीं रहा जान ।
क्या बुद्धि तेरी जल गई बुझ गई ओ अहंकारी ओ बुद्धि नुक़सान।
मेरा ज्ञान व्यावहारिक टन टनाटन….
यह समझ का गेम मुझे हुआ परम ज्ञान।

इस ज्ञान हम 24×7 करते प्रचार….
खाओ गोलगप्पे और खट मीठिया आचार।

जय श्री पत्नी सर्व देवाये नमों नमः
संकट कटे कटे सब पीड़ा ओम फट।

दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ

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सफलता का सफर

लगातार प्रयास जीवन में सफलता का सूचक है। सफलता का सफर किसी भी व्यक्ति के जीवन में सीधे नहीं होता है। लगातार प्रयास करने से हम अपनी क्षमताओं को बढ़ाते हैं और अपने लक्ष्य की ओर अधिक निरंतरता से बढ़ते हैं, तभी मंजिल पर पहुचते है, अपने लक्ष्य की जितना केंद्रित होते है, उतनी ही सफलता हमारे नजदीक होती है।

हम लगातार कार्य करते रहे बस हमारा यही एक विचार होना चाहिए, हम सफल होंगे या नहीं ये हमारे प्रयासों पर ही निर्भर करता है, इसलिए अपने कार्यों से पीछे नहीं हटे बस उन्हे लगातार करे, ओर नए नए विचारों का समावेश उन्मे कीजिए ताकि आप खुद अपने कार्यों के साथ बेहतर होता हुए देख सके, आप जीतने बेहतर होते है उतने ही अच्छे परिणाम आपको मिलते है।

लगातार प्रयास करने से न केवल हमारी क्षमताएं बढ़ती हैं, बल्कि हमारे इरादों को प्राप्त करने की प्रतिक्षा भी कम होती है। सीधे शब्दों में, सफलता का सफर लगातार प्रयास न होने से बहुत दूर रह जाता है, जिसकी वजह से हम अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर पाते, कई बार हम मंजिल के बहुत करीब होते है जहां हमे सिर्फ थोड़ा स प्रयास देना होता है लेकिन वही हम रुक जाते है, जिसका कारण हम अपनी असफलता के रूप में देखते है।

जीवन में सफलता पाने के लिए, हमें अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखकर निरंतरता से काम करना होगा। लगातार प्रयास करने के साथ हमें अपनी गलतियों से सीखना और अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इन्हें दुरुस्त करना भी अति आवश्यक होता है, गलतिया तो सभी से होती है लेकिन उन गलतियों से सिख कर आगे बढ़ना बहुत जरूरी है, उन गलतियों के होने हमे वही नहीं रुक जाना, हमे अपनी हिम्मत नहीं हारनी, बस हमे आगे बढ़ते रहना है।

इसलिए, लगातार प्रयास करना जीवन में सफलता प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। अगर हम निरंतरता से काम करेंगे तो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का संभावना बढ़ जाएगा और जीवन में सफलता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ना संभव होगा।

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जिंदगी की नई बाते

कभी कबार ठहाके मार हसाती है जिंदगी कभी अपनी सुनाती है, तो कभी रुलाती भी है जिंदगी, बस यू ही हँसते-रोते गुजर जाती है यह जिंदगी

जिंदगी की नई बाते हैं,
हर दिन लाती हैं कुछ नयी रातें।
नए संगीत, नए सपने,
नए अरमान, नए जज़्बातें।

जिंदगी की नई नई बाते हैं,
हर पल लाती हैं कुछ नयी ज़िन्दगियां।
नए रिश्ते, नए मुकाम,
नए सपनों से भरी ये जिंदगी हैं।

जिंदगी की नई बातें हैं,
हमें नए उड़ानों में उड़ने की तैयार करती हैं।
नए संघर्ष, नई चुनौतियाँ,
नए सफ़रों में हमें रोमांचित करती हैं।

जिंदगी की नई नई बातें हैं,
हमें नए सफ़रों में ले जाती हैं।
नए दोस्त, नए रास्ते,
नए सपनों से भरी ये जिंदगी हैं।

जिंदगी की नई नई बातें हैं,
हमेशा बदलती रहती हैं ये दुनिया।
पर हमें हमेशा आगे बढ़ना हैं,
नयी ऊंचाइयों को हमेशा हासिल करना हैं।

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यौवन शरीर या मन

यौवन शरीर या मन से या ज़्यादा मन की स्थिति….
हो सोच का हिस्सा मन में हो उपस्थिति ।
समय अब तो भीतर के यौवन को सँवारो….
समझ से कार्य लो ताकि हम बने हीरो।

यौवन एक सोच ये समाप्त तो फिर बेसाख़ी वाला जीवन…
नहीं मरने देना इसको दो क़ीमती एक बचपन और एक यौवन ।
अभी आपने बहुत क़िले हे फ़तहे करने….
दुश्मन भिड़े तो उसे चबाने पड़े लोहे के चने ।

राम ललवानी के विचार

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डिस्ट्रैक्शन से कैसे बचे

बहुत सारे बच्चे यह भी एक सवाल करते है की  डिस्ट्रैक्शन से कैसे बचे , हम बार बार डिस्ट्रैक्ट हो जाते हो जाते है , जब भी पढ़ाई करने के लिए बैठते दिमाग कही ओर चला जाता है , इसका उपाय क्या है ?

डिस्ट्रैक्शन को दूर करने के लिए बहुत जरूरी बाते है, जो हमे करनी है जीतने समय की हानी हम कर रहे है उस समय को बराबर कारणए के लिए वही काम देर तक करो उसे उस लेवल पर ओर उस लेवल से ज्यादा करो ताकि डिस्ट्रैक्शन की वजह से जिसे कम किया था।

क्युकी इसके विपरीत ओर इलाज नहीं है आप डिस्ट्रैक्शन से हट नहीं सकते डिस्ट्रैक्शन कितनी देर तक रहेगी , आप अपने गोल से कितनी ही दूर रह पाओगे क्या आपके गोल के बीच कोई आ रहा है यदि आ रहा है तो वह आपका गोल नहीं है या आप उस गोल से दूर भाग रहो हो।

डिस्ट्रैक्शन को कैसे कम करे व डिस्ट्रैक्शन से कैसे बचे

अपने काम की प्लैनिंग करे।

अपने फोन में जीतने भी सर्च है उनको सिर्फ अपने काम के हो ऐसा  सुनिश्चित करे।

लगातार फोन न देखे, मोबाईल फोन से दूरी बनाकर रखे, अपने मोबाईल में notification को बंद करके रखे ।

मानसिक तौर से आपको शांत होना चाहिए लेकिन उसको टुकड़ों में नहीं बाटना , एक समय पर एक ही काम करे पढ़ाई करते समय गाने नहीं सुने।

जब भी आप पढ़ाई करने बैठते हो आपको नींद आने लगती है , उसके लिए ठंड पानी पिए जिससे नींद टूट जाएगी , नींद आ रही तो चाय ना पिए , चाय आपको इन्स्टेन्ट रीलीव देती है लेकिन कुछ समय बाद चाय ही आपको एक आलसी व्यक्ति बना देती है , नींद कब तक आएगी यह भी एक सवाल ही है एक दिन नींद खुद ही टूट जाएगी ओर फिर नहीं आएगी।

आलस भी नहीं आएगा बॉडी को स्ट्रेच करे

40 मिनट पढ़ने के बाद 20 मिनट टहले बिना मोबाईल ओर दोस्त के साथ ही टहले अकेले जिससे जो आपने अभी पढ़ पढ़ वह दिमाग में ठहर जाए

पढ़ने ओर सीखने की आदत को लगातार बढ़ाए

अपने आसपास की चीजों से सीखे ओर जाने उनके बारे में

खाने पर नियंत्रण रखे , बार बार खाने के बारे नहीं सोचे

यदि आप एक स्टूडेंट है तो आपके लिए बहुत जरूरी ऐफर्मैशन तैयार की गई उनको ध्यान से पढे ओर बार दोहराए जो मैं नीचे लिख रहा हूँ , इन कुछ ऐफर्मैशन से आप पाएंगे की आपकी जिंदगी में यही घटना सही क्रम में होने लग गई है ओर आप पढ़ाई में या किसी में कार्य में बेहतर हो रहे है

1) मैं पढ़ रहा हूँ
2) मुझे पढ़ना अच्छा लगता है
3) मुझे पढ़ते समय नींद नहीं आती
4) मुझे पढ़ते समय आलस नहीं आता
5) मुझे पढ़ने में मज़ा आता है
6) जब मैं पढ़ता हूँ तो फिर  मेरा ध्यान कही नहीं जाता बस पढ़ाई में ही मेरा ध्यान है रहता
7) मुझे बहुत अच्छी तरह से समझ आता है एक बार पढ़ने पर
8) मैं जब भी पढ़ता हूँ तो मुझे ओर भी सारी बाते जानने की इच्छा होती है
9) मुझे सबकुछ जल्दी याद हो जाता है
10) मैं इनको विस्तारपूर्वक समझ लेता हूँ 
11) मैं पढ़ाई से बोर नहीं होता
12) मेरा ग्रुप भी पढ़ाई वाला है
13) मेरे सभी दोस्त पढ़ाई में मेरी मदद करते है ओर मैं भी उनकी

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