समझ अपनी अपनी
कई बार ठोकरें पड़ने के बावजूद
यात्री न संभले यह उसकी क़िस्मत ….
पत्थरों ने तो नहीं कमी उन्होंने तो अपना कार्य किया पूरा रहकर तटस्थ ।
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खूबसूरत चेहरा बूढ़ा
खूबसूरत चेहरा बुढ़ा जाता हे….
मज़बूत शरीर समय अनुसार पड़ता कमजोर
पद भी एक दिन वो होता समाप्त
लेकिन एक अच्छा व्यक्ति हमेशा अच्छा व्यक्ति रहता हे ।
अच्छे बने अच्छाई की आयु हमेशा होती
बड़ी ….
पद चेहरा हो शरीर समय रहते हो जाते जैसे दीमक लगी लकड़ी ।
अच्छाई अंदर स्वय को होती वो ढके ….
जैसे प्याज़ या बंद गोभी की भीतरी परते ।
क्या कहती है दिवारे
क्या कहती है दिवारे
क्या कुछ बताती है, ये दीवारे
कुछ तो बताती है
कुछ सुनकर भी आती है, ये दिवारे
इन दीवारों से क्यों घबराते हो
इन दीवारों से क्यू घबराते हो
यह बहुरंगी सपने सजाती है, दिवारे
इन दीवारों की सुनो ये हर रोज एक नई कहानी सुनाती है
चार दीवारी में
चार दीवारी में क्या तुमको
घुटन होती है
क्या तुम अकेलेपन से घबराते हो
इन दीवारों संग कुछ बाते करो
ये दिवारे है, जो बहुत कुछ बताती है
क्युकी ये दिवारे है जो बहुत सारी बातों को सुनकर आती है
इन दीवारों के कान होते है इन दीवारों के कान होते है,
ये दिवारे कुछ किस्से तो कुछ कहानी सुनकर आती है
अपने भीतर न जाने कितने राज छिपाती है, ये दिवारे
इन दीवारों संग, इन दीवारों संग
बात करना तुम, न घबराना तुम
बस जब अकेले बैठे हो, तब बतियाना तुम इन दीवारों संग
दिवारे क्या कुछ कहती है
इन दीवारों की सुनो ये कुछ बताती है
इनके भीतर छिपा राज है गहरा
इन दीवारों पर न कोई पहरा
बस ये बाते बताती है
ये दिवारे
तुमको कुछ बाते सुनाती है
तुमको अकेलेपन से दूर भगाती है, यह दिवारे यह दिवारे
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कभी पुराना नहीं होता
लिखना कभी भी पुराना नहीं होता यदि आपको भी लगता है की जो मैंने कई साल पहले लिखा था आज वो कुछ हल्का हो गया है या काफी पुराना हो गया, या यह बचपन में लिख दिया था अब इसका कोई मूल्य नहीं है तो यह बात सही नहीं है क्युकी यदि आप कल बच्चे थे तो आज कोई ओर बच्चा है, जो इस बात को पढ़ेगा ओर अपनी जिंदगी से मेल करेगा अब यह शब्द उनके लिए है।
बहुत काम आएगी क्युकी अब आपकी सोच विकसित हो गई है, लेकिन जब आप लिख रहे थे तब वह सोच उस लेवल पर थी इसलिए उन शब्दों को हमेशा पढ़ते रहे, और कुछ ना कुछ लिखते रहे सीखते रहे अपने ही शब्दों से बहुत कुछ मिल जाता है, क्युकी लिखा हुआ कभी पुराना नहीं होता वह एक खजाने के रूप में है उसका प्रयोग करे।
हम जो भी लिखते है वह उस समय के अनुसार का अनुभव होता है अब वह अनुभव किसी ओर काम आता है।
जिंदगी के मुसाफिर
कभी मकान बदल रहे है तो कभी दुकान बस यू ही जिंदगी के मुसाफिर हो गए है, कुछ को लगता है की यह ठीक किया ओर कुछ को गलत बस जो हो रहा है उस पर किसी का जोर नहीं होता यह सब होता ही चला जाता है
यह जिंदगी है साहब यहाँ हर किसी का वक्त बदल जाता है, समय की चाल के साथ जीवन भी नए नए रंग दिखाता है कभी सपना सजाता है तो कभी सपनों को तोड़ता चला जाता है
यह वक्त हर मोड पर करवटे बदल नजर आता है , कभी नई उम्मीद की किरण दिखाता है तो कभी अंधेरे में छोड़ उजाले का इंतजार कराता है, जिंदगी के मुसाफिर है कभी यहाँ तो कभी कही ओर चले जाते है।
इतवार वाला दिन
इतवार वाला दिन , आज इतवार है आज का दिन बहुत खास होता है यह दिन ओर खास इसलिए होता है क्युकी आज हम बहुत फुरसत में घर पर बैठे होते है यह छुट्टी वाला दिन है इस दिन मजे खाना, पीना ओर घूमना ही होता है इसके अलावा कुछ ऑफिस और दुकान की सारी टेंशन भूलकर घर पर अपने परिवार के साथ होना यही बहुत खास है
इस इतवार को आप कैसे स्पेशल बनाते है ओर क्या करते है?
मोह से दूर
मैंने कुछ छोड़ा नहीं है ये तो खुद ही छूट गया है क्युकी जो पीछे छूटा है वो मेरा नही था आगे मिलेगा वो भी मेरा नही होगा क्युकी जब और आगे बढूंगा तो वो भी पीछे ही छूट जायेगा , इसलिए किसी भी चीज से बांधना क्यों खुद को जब वो आपकी नही है
“मोह से दूर”
फैसला
कई बार हम जो फैसला सोच कर करते है उस पर अडिग नहीं हो पाते ओर उस फैसले से हट जाते है हमे लगता है की यह फैसला हमने गलत ले लिया है ओर उस पर पछताते है, किसी भी निर्णय पर आने के लिए हमे काम से काम 2-3 बार सोचना चाहिए की हम सही है या गलत
इसलिए अपने किसी भी निर्णय को लेने के लिए उसके बारे में कई बार सोचना चाहिए की यह निर्णय सही है या नहीं बिना सोचे समझे हमे कुछ नहीं करना चाहिए क्युकी आगे जो चुनोती आती है, ओर भी बड़ी हो सकती है इसलिए फैसले जल्दबाजी में नहीं हो वह शांत दिमाग से लिए जाए तो बेहतर है!
फैसला सोच समझकर कर लिया जाए, फैसला लेने से पहले हमे यह सोचना चाहिए की हमारे पीछे कई ओर जिंदगी भी है। सिर्फ हम ही नहीं है उस निर्णय के पीछे, उसके पीछे बहुत सारे लोग होते है जिनका आपसे कोई संबंध है।
क्या हार भी अच्छी
क्या हार भी अच्छी होती है
हार में शिक्षा अपरंपार….
वही बने जीतने का आधार ।
हारे हम हिसाब से न हरे बेहिसाब….
खुल के खेलने वाले नहीं है हम जनाब ।
वो लोग हटकें अलग होते है जो लुटा देते
समस्त…
उसमें अथाह हानि लाभ की संभावना भी ज़बरदस्त ।
हारने के बाद जीतने वाला होता वो बाज़ीगर ..
ये उस शख़्सियत का असर उसका हुनर ।
दिखावा करना
दुनिया में दिखावा करना ….
कोई नहीं हमसाया ।
कही न कही यह स्वय का दोष …
जो चाहता तो हे स्वय के लिए मिले
ऐसा व्यक्तित्व लेकिन नहीं किसी के लिए मैं इस शिद्दत से जी पाया ।
बाहर तो हम कह सकते है आसान हे यह सही नहीं वो कितना ग़लत…..
प्रश्न स्वय से किया कभी मैंने किसके लिये क्या किया ? क्यूँ में माँग रहा कितनी मेरी हे समझ ।
स्वय को कम आंकना नहीं मेरा मक़सद….
बस उम्मीदों के कारवाँ से बचना ही सही मायने की स्वय की सही अर्थों में मदद।