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स्वयं को समय दे

स्वयं को समय दे …
जीवन क्षण क्षण हो रहा हे व्यय ।
जो जो करना हे उसका करे चिंतन …
उसपर फिर करे कर्मों से मनन ॥

स्वयं पे भी दे ध्यान….
स्वयं आप धुरी ले संज्ञान
आप प्रसन्न जो जग प्रसन्न …
ये अर्जित कमाई आपका धन ॥

स्वयं से करे संवाद…
पहचाने मन के विवाद ।
जीवन को मिले सही अर्थ …
बने हम इतने समर्थ ॥

स्वयं की करे सुरक्षा …
आपके चाहने वालों की यही मंशा ।
आपके चाहने वाले चाहते रहे सुरक्षित….
ये विचार मेरे मित्रों को समर्पित ॥

स्वयं को भी दे समय,
जीवन क्षण-क्षण हो रहा है व्यय।
जो-जो करना है, उसका करे चिंतन,
मन की ऊर्जा को जगाएं जगमगाते किनारे।

आओ, निर्णय का सागर तैरें,
ख्वाबों की उड़ान को पकड़ें,
आपातित्व की धारा में हर क्षण निकालें,
अपने अस्तित्व को नयी राह दिखाएं।

चिंता के बादलों को रोके,
आनंद की बूंदें बहाएं,
खुशियों के गीत गाएं,
भाग्य की रोशनी के साथ चले जाएं।

समय की पालकी में बैठें,
चरणों में जीवन की गाथा लिखें,
प्रतिभा के पंखों से ऊंचाई छू जाएं,
अपने सपनों को साकार करें और मनोरंजन करें।

जीवन क्षण क्षण हो रहा है व्यय,
इसे महत्वपूर्ण बनाएं और समय का सम्मान करें।
स्वयं को भी दे समय,
और खुद को नयी ऊंचाइयों तक ले जाएं।

योग्यता पे अविश्वास

कोई करे आपकी योग्यता पे अविश्वास ….
बुरा न मानना, खुश होना लेना गहरा श्वास ।
स्वयं पे करे गर्व नहीं होना हे तनिक सा भी परेशान…
क्यूँकि कसोटी पे कसा जाता सोना न कि लोहा श्रीमान ॥

कोई करे अविश्वास नहीं बुराई ,
ये उसके सोचने का हे तरीक़ा ….
आपने उसे लेना सदा सकारात्मक,
दिखना चाहिए आपका भी सलीका ॥

कोई करे आपकी योग्यता पे अविश्वास …
बुरा ना मानना, खुश होना लेना गहरा श्वास।
स्वयं पे करे गर्व नहीं होना है तनिक सा भी परेशान…
क्यूंकि कसोटी पे कसा जाता सोना न कि लोहा श्रीमान।

जब दूसरों की आँखों में आता है शक,
तब भी आप बने रहें सच्चाई का अभियांत्रण।
क्योंकि योग्यता की चमक सदैव चमकती रहेगी,
आपके अंतर्निहित सामर्थ्य को कभी नहीं छेड़ेगी कोई बादबाकी अविश्वास का आँच।

जीवन का प्रत्येक क्षण एक मुकाबला है,
जहाँ आपको अपनी क्षमताओं को साबित करना होता है।
जब बाधाएं आपके रास्ते में आती हैं,
तो आपको मजबूती से खड़े होना होता है, ना कि भयभीत होना आँखों में अविश्वास की लकीर।

आपकी योग्यता, आपकी मेहनत का अंश है,
जो आपको अद्वितीय बनाता है और उच्चताओं की ओर ले जाता है।
इसलिए ना चिंता करें बाहरी आवाजों से,
आपकी अंतर्निहित कमजोरियों के बावजूद भी, आप लोहे की तरह दृढ़ रहें, श्रीमान।

जब आपकी योग्यता को कोई अवगुण कहता है,
तो याद रखें, वह अवगुण उसकी जानकारी का प्रतिफल है।
क्योंकि जो अस्थिर होता है वह अद्यावधिक ढंग से तैरता है,
जबकि आपकी योग्यता अटूट है, जैसे सोना, श्रीमान, न कि लोहा।

तो ना करें आप योग्यता पर संदेह व अविश्वास

स्वयं की झोपड़ी

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज ओर महल ग़ुलामी परोसे ।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी….
महल प्रतीक हाथ पेरो पे लगी हथकड़ी ॥

मौज में रहना हे छोड़नी पड़ेगी ग़ुलामी…
ग़ुलामी का जीवन एक मानसिक ख़ामी ।
जो भी मिला ओर कोशिश करते रहे सुधार ..
स्वयं की मेहनत से उपजे वही सही आधार ॥

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज और महल गुलामी परोसे।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी…
महल प्रतीक हाथ पे रो पे लगी हथकड़ी।

ये झोपड़ी छोटी, दीन-हीन, अपनी सी,
इसमें रहती है गरीबी, अधीनता की भी।
पर इसकी दीवारों में है आत्म-सम्मान,
जो कभी नहीं झुकता, न ये हार मान।

महलों की चमक, क्रीड़ाभूमि की खुशियां,
सब यहां हैं पर भाग्य की कर्मभूमि यहां।
ये झोपड़ी सदा देती है हमें शक्ति,
क्योंकि जीवन में इसकी है अद्वितीय महत्त्विता।

महलों की उच्चाई, झोपड़ी की सरलता,
होती है अंतरंग और व्यापारिकता।
पर अच्छाई, सादगी, स्नेह और सौहार्द,
सब यहां हैं, जो नहीं मिलता महलों में बार-बार।

झोपड़ी है स्वर्ग, उसका अभिमान है शान्ति,
महल तो बस भटकने वालों की हैं मंत्रिति।
हमारी झोपड़ी, हमारी पहचान है ये,
महलों के सामर्थ को हम करें नहीं मान।

तो चाहे अन्याय हो, या गरीबी की लाचारी,
झोपड़ी हमेशा रहेगी निर्मलता की भूमि।
यहां प्यार है, सम्मान है, जीने का हौसला,
झोपड़ी है अपनी, ऐसी है हमारी आशा।

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साहस को जोड़ों

साहस को जोड़ों
आपकी शक्ति ।
साहस
हो वो परिचय ।
साहस
आपकी आवश्यकता ।
साहस
विकास की सीड़ी ।
साहस
हो आपका उद्घोष ।
साहस
एक जोड़ ।
साहस
संग नम्रता ।
साहस
संग कुशलता ।
साहस
आपकी भाषा ।
साहस
हो अभिलाषा ।
साहस
संग समानता ।
साहस
निरंतरता ।
साहस
संवेदना ।
साहस
मन मस्तिष्क शरीर ।
साहस
संतुलन ।
साहस
ही संघर्ष ।
साहस
आंदोलन ।
साहस
ऊर्जा ।
साहस
ही लक्ष्य ॥
साहस
संगठन ।
साहस
योजना ।
साहस
कल्पना ।
साहस
सृष्टि ।
साहस
दर्शन ।
साहस
ही सुदर्शन ॥
साहस
भगवान।

साहस को जोड़ों , आपकी शक्ति,
अस्तित्व के मंदिर में, गर्व से विकास की प्रतीति।
जब डर के आवाले, आपके सामर्थ्य से टकराएं,
तब साहस बन जाए, आपकी दृढ़ता की पहचान।

साहस, मुक्ति की कुंजी, परिचय बनाता,
जीवन की उच्चाईयों पर, आपकी उड़ान भराता।
आपकी आवश्यकता, साहस के रूप में व्यक्त होती,
दुःखों को दूर करती, जीवन की महानता प्रकट होती।

साहस, विकास की सीड़ी, भरता है जीवन में उमंग,
विपणन के बादलों को छिड़कता, खुशहाली का अंग।
जब विपरीत परिस्थितियों में, आप अपना उद्घोष करें,
तब साहस खड़ा होकर, विजय की ओर बढ़ता नजर आएँ।

वीरता की आग से जलता, साहस का प्रकाश,
आपकी खुदरा करता, दुःखों का परिहार आश।
इस आधार पर आप चढ़ें, ऊँचाईयों की सीमा पर,
साहस बनें आपका संगीत, वीरता के संग बहर।

सम्पूर्ण विश्वास

विश्वास केसे होता सम्पूर्ण विश्वास…
जब मन वचन कर्म करते हार्दिक प्रयास ।

फिर चमत्कार एक मामूली घटना….
जो दूसरो के लिए मुश्किल सपना ।

विश्वास में चाहिए हृदय का समर्पण….
करता कोई ओर आप मात्र एक दर्पण ।

हृदय भूमि मे रोपे विश्वास का वृक्ष….
समर्पण से उसे सींचे हो इतने दक्ष॥

विश्वास क्या है, वह ज्ञान का आधार है,
जब मन, वचन, कर्म सभी हों सत्य और विश्वासपूर्ण तू,
तभी सम्पूर्ण विश्वास बढ़ता है मन में तेरे,
विश्वास की आग से जलता है जीवन का प्रश्न-मंदिर।

जब मन स्वाधीन हो, मन की ओर विचार राख,
वचनों में सत्यता का आभास बना ले तू।
कर्मों का निर्माण कर एकाग्रता से,
तभी विश्वास बढ़ेगा, तू अपने मन का द्वार।

हार्दिक प्रयास कर, सत्यता का पालन कर,
विश्वास की आड़ में जीवन को समर्पित कर।
जब प्रेम से भरी आंखों से देखेगा तू विश्व को,
विश्वास की शक्ति तभी बहेगी तेरे हृदय से बाहर।

विश्वास का आधार है सत्य के संग,
विश्वास का वृक्ष है प्रेम और समर्पण का रंग।
विश्वास का उपहार है आत्मविश्वास और धैर्य,
विश्वास की प्रेरणा है नैतिकता और ईमानदारी।

तो, चल मन, वचन, कर्म से बना विश्वास का मंदिर,
सम्पूर्ण विश्वास को जीवन में बसा ले तू।
जब मन वचन कर्म हों सत्य और विश्वासपूर्ण,
तभी तू अपने अंतर्मन का साथी बना ले गगन के पार।

जब हृदय हो निर्मल

जब हृदय हो निर्मल ….
मन मस्तिष्क न हो चंचल …
तो सुखद स्वस्थ जीवन हर पल…
हमेशा बनेगी सुखद स्थिति सबल ।

मन मस्तिष्क हृदय रहे निर्मल….
स्थिति फिर रहती वो संभल ….
वर्तमान ओर भविष्य आए नज़र…
पकड़ लूँगा जो कही दूर अम्बर।।

हृदय में प्रेम की धारा बहे,
क्रोध और द्वेष से दूर रहे,
प्रेम की मिठास जीवन में छाए,
सुखद रहे जीवन की यात्रा बनाए।

मन को शांति से भर दे,
अविचलित बनाए खुद को रखे,
चिन्ता और चिंता से दूर रहे,
मस्तिष्क को स्वच्छ रखने का ध्यान दें।

स्वस्थ जीवन का आधार है योग,
ध्यान और आत्म-संयम के रोग,
योग से शरीर और मन को बल मिले,
सुखद जीवन की ओर अग्रसर हो जिले।

संतुलित आहार और नियमित व्यायाम,
शरीर को रखे स्वस्थ और निराम,
विश्राम और पर्याप्त नींद का ध्यान रखे,
सुखद जीवन के लिए नवीनतम राह चुने।

हृदय और मन की समृद्धि जब हो,
स्वस्थता और सुख का संगम हो,
तो हर पल खुशहाली से भर जाए,
सुखद स्वस्थ जीवन की उमंग हो जाए।

जब हृदय हो निर्मल,
मन मस्तिष्क न हो चंचल,
तो सुखद स्वस्थ जीवन हर पल,
हमेशा बनेगी सुखद स्थिति सबल।

समय की नब्ज

समय की नब्ज पहचानना ….
हे मौक़े की नज़ाकत जानना ।

मिले हुए अवसर को सम्भालना….
उसके उपयोग से जीवन को संवारना ।

ये दो कदम ले आते सफलता….
जीवन खूब फलता फूलता ।

समय की नब्ज पहचानना,
हे मौके की नज़ाकत जानना।

ज़िंदगी की धारा में बहता समय,
हमेशा बदलता, नए रूप लेता है।
उसकी लहरों को समझना है कल्पना,
ज़रा सी गलती, तो जाए वो बहता है।

कभी तेज़, कभी धीमा, चलता जाता है,
हर लम्हा नया रंग लेता है।
मौके की नज़ाकत जानना है कल्पना,
वक्त के मोड़ पर अपना किस्सा बनाता है।

जब भी मिले एक नया संध्याकाल,
समय के गहरे रहस्यों को सुनना है।
हर क्षण की ध्वनि को समझना है कल्पना,
अनुभवों की लहरों में गहराई जानना है।

समय की नब्ज पहचानना,
हे मौके की नज़ाकत जानना।
जीवन के रंगों को पिए जाना,
अपनी कहानी को गगन में छाना।

जीने का आनंद बस यहीं है,
मोमेंट्स को गले लगाना है।
ज़िन्दगी की खुशियों को चुनना है कल्पना,
समय की गति में खुद को समाना है।

अभिव्यक्ति हमेशा

अभिव्यक्ति हमेशा
बनाती सुदृढ़ सम्बंध….
ध्यान रखे मिले जिससे
हृदय से जाए वो बंध ।

वाणी में कोमलत
ओर विचार निर्मल …
हृदय में होते विराजित
सम्बंध होते सबल ॥

जो हृदय में
वही हो वाणी ..
बनाओ जीवन
की आसान कहानी ।

अभिव्यक्ति हमेशा बनाती
सुदृढ़ सम्बंध, नये रंग बिखेरती।
विचारों की वह धारा, जो बहती,
मन की भावनाओं को आकर्षित करती।

ध्यान रखे, जो मिले उससे,
संवाद करें वो हर वक्त सही।
स्वतंत्रता से बढ़े उसके रास्ते,
भावों को व्यक्त करे नवीनता के रंग में।

अभिव्यक्ति की कविता लिखते हैं,
शब्दों की सामर्थ्य से जुड़ते हैं।
विविधता के रंगों में रंगते हैं,
भाषा के सिरे से बहते हैं।

संवाद का महत्व समझे हमेशा,
अभिव्यक्ति को खुद में विश्वास दें।
अपने विचारों को आज़ादी से बांधें,
कविता के माध्यम से जग को सम्बोधित करें।

बड़ों का आशीर्वाद

बड़ों का आशीर्वाद
उनकी दी हुई शुभकामनाएँ,
वो कोई रंग लिए नही होती……..
समझने की बात,
आशीर्वाद के फूल खिलते,
शुभकामनाये उन्नति लाती,
दसो दिशाओं में सतरंगी छटा छा जाती ॥

बड़ों का आशीर्वाद, है सर्वोच्च वरदान,
जीवन को सुन्दरता और खुशियों का अद्भुत विस्तार।
उनकी दी हुई शुभकामनाएँ, अनमोल हैं सदैव,
मार्गदर्शन करती हैं, जीवन की आगे की यात्रा।

वो कोई रंग लिए नहीं होती, यह विशेष विशेषण है,
बल्कि प्रेम और समझ का गहना, जो सदैव है साथ।
उनके वचन अमृत समान हैं, जीवन को आनंदित करते,
बड़ों की माधुर्य पूरे जीवन को गुलज़ार बनाते।

समझने की बात, ज्ञान की अपार देन है,
बड़े जनों का आशीर्वाद सर्वोपरि शिक्षा है।
जीवन में अभिशाप को बदलते, आशीर्वाद की बौछार,
खुशहाली और सफलता के रास्ते हैं ज्योतिषार।

आशीर्वाद के फूल खिलते, प्रेम और आदर की बरसात,
जीवन का आधार, उनकी ममता के साथ।
बड़े जनों का आशीर्वाद अनमोल वरदान है,
जीवन को समृद्धि और सुख से भर देता निधान।

अलग अलग आभा

हर व्यक्ति की अलग अलग आभा,
कोई चंदन समान कोई नीम समान…..
ये रंग जीवन के स्वाद प्रयोग अलग,
ज़रूरते अलग , न बन तू अनजान ।

कोई व्यक्ति किसी कार्य में निपुण
सबका अपना अपना कार्य क्षेत्र….
जेसे भिन्न भिन्न होते सातों स्वर
ध्वनि ओर भिन्न होते सबके नेत्र ।

जहां सृजनशीलता की धूम होती है,
वहां कोई व्यक्ति निपुणता का अभियान चलाता है।
हर क्षेत्र में वो अपनी पहचान बनाता है,
कर्मठता से सबको प्रभावित करता है।

किसान खेतों में अपनी खेती करता है,
उन्हें अन्न के अभाव से बचाता है।
प्राणों की रक्षा करता है वन रक्षक,
उसका कार्यक्षेत्र वन और प्राणी सजात रखता है।

शिक्षक ज्ञान की झील बहाते हैं,
छात्रों के मन को रोशनी से भराते हैं।
वैज्ञानिक नए अविष्कार करते हैं,
प्रगति के मार्ग पर सबको ले जाते हैं।

चिकित्सक रोगी को स्वस्थ बनाते हैं,
सेवा का परमेश्वर रूप धारण करते हैं।
शिल्पी रंगों की दुनिया बनाते हैं,
सौंदर्य को स्वर्णिम रूप देते हैं।

वकील न्याय की प्रणाली संभालते हैं,
सत्य की जीत का उपहार देते हैं।
सैनिक देश की सुरक्षा में लगे रहते हैं,
वीरता का प्रतीक बने रहते हैं।

प्रतिभा के चमकते तारे व्यक्ति के काम में होते हैं,
हर क्षेत्र में वह निपुणता की सत्ता बनते हैं।
कोई भी कार्य पूर्ण बनाने में यथार्थता होती है,
सबका अपना-अपना कार्य क्षेत्र अद्वितीयता होती है।

हर व्यक्ति की अलग अलग आभा,
कोई चंदन समान कोई नीम समान…..