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सोचना बहुत पसंद है

वैसे मुझे सोचना बहुत पसंद है लेकिन इस रिमझिम रिमझिम सी बारिश में तो बस खो जाऊ यही करने का मन आज मन है , धीमी धीमी सी बारिश आज सुबह से ही रही है , इस मौसम को देख बस बाहर घूमने का मन का करता है, खुद को घर में कैद तो किसी को भी अच्छी नहीं लगती , लेकिन मैंने खुद को घर में रोक रखा है, अभी फिलहाल कुछ समय के लिए घर पर ही हूँ , ताकि मैं कुछ तेजी से काम करता रहु जितनी गति मेरे काम को चाहिए, लगभग 6 घंटे तो मुझे लिखना ही है इसके अलावा भी कुछ थोड़ा बहुत नया करने के लिए समय निकालना होता है, ओर जो पुराना लिखा हुआ उसको भी एडिट करता हूँ मैं, इसके साथ साथ अपने विचारों पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। ताकि जो नए विचार मन भीतर आते है उन पर कार्य करता रहु।

क्युकी यह विचार ही है जो मुझे नए कार्य की ओर प्रेरित करते है। नया नया सोचकर कुछ लिख लेता हूँ।

क्या आपको सोचना पसंद है? यदि हाँ तो क्यों ? ओर यदि नहीं तो क्यों नहीं

मुझे सोचना बहुत पसंद है , ओर जो सोचता हूँ उन विचारों को मैं लिख लेता हूँ , ताकि उन सभी विचारों को ओर आगे बढ़ा सकु , उन पर कुछ कार्य कर सकु , क्युकी यह जो मेरे मस्तिष्क में विचार आ रहे है ये एक प्रकार के सुझाव होते है , यदि आप सकारात्मक है ओर आपके विचार भी सकारात्मक रूप से आ रहे है, तो आपके विचार आपको बहुत सारे सुझाव हर रोज मिल रहे है।

क्या आप भी उन सुझावों पर कुछ कार्य करते है, या फिर उन्हे कम से कम लिख लेते है, क्या आपने अपने विचारों को जानने की कोशिश की है, मैं करता हूँ अपने विचारों को जानने की कोशिश की यह विचार कैसे ओर क्यों आते है, मैं अपने मस्तिष्क में आने वाले ज्यादातर विचारों को देखता ओर समझता हूँ, जिसकी वजह से मुझे अपने जीवन को एक नई दिशा देने में मदद मिलती है , ओर स्वयं में लगातार सुधार की जो आवश्यकता होती है, वो भी इन्ही विचारों के कारण होती है , यह विचार मेरे जीवन को लगातार बेहतर बनाने में मदद करते है।

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बारिश की उन बूंदों

एक प्यारी सी कविता जिसमे मेरा बचपन कही छूट गया है, बारिश की उन बूंदों ने इस बात आज मुझे एहसास दिलाया है।

फिर से आज एहसास हुआ है मुझको
की मेरा बचपन कही छूट गया है

उन छोटी छोटी खुशियों से
शायद मेरा रिश्ता अब टूट गया

बारिश की उन बूंदों ने आज एहसास दिलाया है
बहुत दूर निकल आया हूं बचपन के
उन नन्हे नन्हे हाथो से , उन नन्हे नन्हे कदमो से
जो थका कभी नही करते थे
घंटो खेलने के बाद भी कुछ देर और खेल लू क्या? बस यही कहा करते थे

वो बचपन की बाते बड़ी अजीब सी होती थी, जो खुद को तो समझ आती थी लेकिन औरो को पागल बहुत बनाती थी

उसी के चलते आज एहसास हुआ की मेरा बचपन
कही पीछे छूट गया है

जिंदगी से जिंदगी का नाता
थोड़ा कम और थोड़ा ज्यादा
बस छूट गया है

सवाल बहुत किये अपने आपसे
जवाब यही था
की मेरा बचपन कही पीछे छूट गया है

आज फिर बारिश की बूंदों ने यह एहसास दिला दिया है
प्यार से भरा और प्यारा था मेरा बचपन जिसमे गम ना था , ये हर रोज की आपाधापी ना थी वो लड़कपन और कुछ शरारते थी , बतमीजी थी बहुत लेकिन दिल में मैल नही था

आज एहसास हुआ मुझे की मेरा
बचपन जो कही छूट गया है

बारिश में भीग जाने का डर नही था,
बारिश में भीगने से घमोरियां ठीक हो जाएगी
इसलिए बारिश में भीग जाया हम करते थे,
आज मोबाइल रखा है जेब में इस बात से डरा हम करते है

आज आधुनिक तकनीको ने छीन लिए वो सारे खेल
जिनकी वजह से ही होते थे हम बच्चो के दिल के मेल

घंटो मिट्टी में खेला हम करते थे,
कपड़े गंदे होंगे इस बात से घबराया नही करते थे
आज हल्की सी शर्ट की क्रीज खराब न हो जाए,
इस बात से भी चीड़ हम जाते है

तब लड़ाई सिर्फ ताकत बढ़ाने के लिए होती थी
आज ताकत दिखाने के लिए लड़ा हम करते है।

उन छोटे छोटे कदम और
नंगे पांव से मिलो का सफर
तय हम कर लेते थे

कांटे चुभ रहे है या नही
इस बात पर भी सोचा हम नही करते थे

खेलते थे खूब
जब तक मन करता था
घर जाना है
हम इस बात पर भी सोचा नही करते थे
आज एक मिनट देर हो जाए
फ़ोन पर फ़ोन बज जाया करते है

थक जाने के बाद हम यह नही देखते थे
फर्श है या गद्दे वाला पिलंग बस जहा
जगह मिली सो जाया हम करते थे

एक टिफिन में चार लोग खा लेते थे
एक पिलंग पर चार लोग सो जाते थे
एक बल्ले से 10 लोग खेल लेते थे
3 दोस्त
3 रुपये के प्लास्टिक वाले अंडे में
1-1 रुपया मिलाकर ले आते थे।
हॉफ प्लेट चाऊमीन में 3 दोस्त घपड घपड खा लेते थे,
गली में जगह नही खेलने की तो गली को अपने तरीके से मोड़ हम लेते थे

एक किराये की साईकल लेकर
उस पर तीन लोग सवार हो जाते थे

लेकिन

आज मत भेदों ने इस तरह से घेर रखा है
की हम कहने लगे है यह तेरा है यह मेरा है

आज एहसास हुआ है कि
मेरा बचपन कही छूट गया है

मेरा बचपन

आज एहसास हुआ है मुझको
की मेरा बचपन कही छूट गया है

जिंदगी से जिंदगी का नाता
थोड़ा और ज्यादा बस छूट गया है

सवाल बहुत किये अपने आपसे
जवाब यही था मेरा बचपन छूट गया है

आज फिर बारिश की बूंदों ने यह एहसास दिल दिया है
प्यार से भरा और प्यारा था बचपन जो कही छूट गया है

बिना डर के भीग जाने के लिए भाग जाया हम करते थे
आज मोबाइल रखा है जेब में इस बात से डरा हम करते है

घंटो मिट्टी में खेला हम करते थे घर जाना है
हम इस बात पर भी सोचा नही करते थे।

मेरा बचपन कही छूट गया मानो आज
जिंदगी से जिंदगी का नाता टूट गया

बचपन में बीमार होने में भी अच्छा लगता था
आज बीमार हो जाये तो तकलीफ सी लगती है

नंगे पांव मिलो चल आया करते थे तकलीफ नही थी
आज घर में चप्पल नही उतरती ये तकलीफ सी है।

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