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म्यूजिक

म्यूजिक आज कल सभी को बहुत पसंद है, हर किसी की जुबान पर गाने ही होते है, लोग सफर में भी गाने सुनकर मनोरंजन करते है कुछ लोग गुनगुनाकर उनको म्यूजिक बहुत पसंद है, लेकिन ये गाने आपके दिमाग में लगातार चलते ही रहते है, जिसकी वजह से दिमाग में शोर बना ही रहता है। कभी भी हमारा दिमाग शांत नहीं होता, इसी वजह से हम ध्यान ओर पूजा में अपना मन नहीं लगा पाते, ओर मन अशांत सा बना ही रहता है, इस मन में फिर शांति आना मुश्किल सा लगता है जब संगीत किसी ना किसी प्रकार की ध्वनि दिमाग में बनी रहती है।  

कोई मेट्रो में गाना सुनता हुआ जा रहा है, तो कोई गाड़ी में तेज आवाज में गाना सुनता हुआ लेकिन हर जगह म्यूजिक चल रहा है, इतना शोर हो रहा है, जिससे हमारा दिमाग शांत नहीं बैठ पा रहा है। इतना शोर जब चलेगा हर जगह तो कैसे ही मन शांत हो पाएगा, इस शोर में कैसे इंसान अपने मन की बात सुन पाएगा।

अब बच्चे यदि पढ़ते है तो उनको किसी विषय को ज्यादा समय तक याद रखना मुश्किल हो जाता है, यदि बच्चे अधिक गाने सुनते है, इस तरह से उनकी यादस्त कमजोर होने लगती है, उनको किसी विषय को लंबे समय तक याद रखने में कठिनाई भी होती है। जिसका कारण म्यूजिक है, हम आज शास्त्रीय संगीत नहीं सुनते जो संगीत उनकी बुद्धि का विकास करते है, हम उन शोर गुल वाले गानों को सुनते है जिनकी वजह से दिमाग शांत नहीं बल्कि अशांत होता है।

इसलिए बचहो व बड़ों हम सभी को उसी तरह का संगीत सुनना चाहिए जो हमारे मन को शांत करता हो, नाकी उस संगीत को जो हमारे मन मस्तिष्क में शोर गुल पैदा करे, उस शोरगुल से हमारे सोचने ओर समझने की शक्ति पर बहुत असर पड़ता है इसके साथ ही हमारी भावनाए भी बदल भी जाती है, हमारे भीतर उन शब्दों का प्रवाह किया जाता है आजकल के संगीत से जिसकी आवश्यकता नहीं है। जिसमे जीवन के प्रति सजगता नहीं है उस प्रकार के संगीत को सुनने का कोई लाभ नहीं है।

ख्वाब

ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दीजिए, ख्वाब हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, जो हमें जीवन की दिशा तय करने में मदद करते हैं। यदि आप अपने जीवन में अपने ख्वाबों को शामिल करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:

1. ख्वाबों को लिखें: अगर आप अपने ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो उन्हें लिखें। अपने ख्वाबों को नोटबुक में या अपने मोबाइल फोन में लिखें। इससे आपके ख्वाब स्पष्ट होगें और आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।

2. एक कार्यात्मक योजना तैयार करें: जब आप अपने ख्वाबों को स्पष्ट कर लेते हैं, तो आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए एक कार्यात्मक योजना तैयार कर सकते हैं। आप अपने ख्वाबों के लिए लक्ष्य तय कर सकते हैं और एक योजना बना सकते हैं जो आपको उन्हें पूरा करने में मदद करेगी।

3. संगठित रहें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको संगठित रहना होगा। आपको अपने ख्वाबों के लिए समय निकालना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए उचित योजना बनाने की जरूरत होगी।

4. निरंतर मेहनत करें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको निरंतर मेहनत करनी होगी। आपको अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना होगा और सफलताप्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना होगा।

5. आपसे सहयोग मांगें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आप दूसरों से सहयोग मांग सकते हैं। आप उनकी सलाह और मार्गदर्शन ले सकते हैं जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

6. सकारात्मक सोच रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको सकारात्मक सोच रखना होगा। नकारात्मकता आपको अपने लक्ष्यों के प्रति निराश कर सकती है, इसलिए आपको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।

7. धैर्य रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको धैर्य रखना होगा। सफलता का मार्ग अनिश्चित हो सकता है और इसलिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना होगा। धैर्य रखना आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए आवश्यक जानकारी, कौशल और अनुभव जुटाने में मदद करेगा।

इन सुझावों का पालन करते हुए आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल कर सकते हैं और अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

सोचना बहुत पसंद है

वैसे मुझे सोचना बहुत पसंद है लेकिन इस रिमझिम रिमझिम सी बारिश में तो बस खो जाऊ यही करने का मन आज मन है , धीमी धीमी सी बारिश आज सुबह से ही रही है , इस मौसम को देख बस बाहर घूमने का मन का करता है, खुद को घर में कैद तो किसी को भी अच्छी नहीं लगती , लेकिन मैंने खुद को घर में रोक रखा है, अभी फिलहाल कुछ समय के लिए घर पर ही हूँ , ताकि मैं कुछ तेजी से काम करता रहु जितनी गति मेरे काम को चाहिए, लगभग 6 घंटे तो मुझे लिखना ही है इसके अलावा भी कुछ थोड़ा बहुत नया करने के लिए समय निकालना होता है, ओर जो पुराना लिखा हुआ उसको भी एडिट करता हूँ मैं, इसके साथ साथ अपने विचारों पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। ताकि जो नए विचार मन भीतर आते है उन पर कार्य करता रहु।

क्युकी यह विचार ही है जो मुझे नए कार्य की ओर प्रेरित करते है। नया नया सोचकर कुछ लिख लेता हूँ।

क्या आपको सोचना पसंद है? यदि हाँ तो क्यों ? ओर यदि नहीं तो क्यों नहीं

मुझे सोचना बहुत पसंद है , ओर जो सोचता हूँ उन विचारों को मैं लिख लेता हूँ , ताकि उन सभी विचारों को ओर आगे बढ़ा सकु , उन पर कुछ कार्य कर सकु , क्युकी यह जो मेरे मस्तिष्क में विचार आ रहे है ये एक प्रकार के सुझाव होते है , यदि आप सकारात्मक है ओर आपके विचार भी सकारात्मक रूप से आ रहे है, तो आपके विचार आपको बहुत सारे सुझाव हर रोज मिल रहे है।

क्या आप भी उन सुझावों पर कुछ कार्य करते है, या फिर उन्हे कम से कम लिख लेते है, क्या आपने अपने विचारों को जानने की कोशिश की है, मैं करता हूँ अपने विचारों को जानने की कोशिश की यह विचार कैसे ओर क्यों आते है, मैं अपने मस्तिष्क में आने वाले ज्यादातर विचारों को देखता ओर समझता हूँ, जिसकी वजह से मुझे अपने जीवन को एक नई दिशा देने में मदद मिलती है , ओर स्वयं में लगातार सुधार की जो आवश्यकता होती है, वो भी इन्ही विचारों के कारण होती है , यह विचार मेरे जीवन को लगातार बेहतर बनाने में मदद करते है।

Pata Nahi Mujhe

pata nahi mujhe kyun galat samajhne laga hai tujhse dosti karne ki saza hai ….Mere likhe hue sher (bhag-2)

21. har dost ab mujhpar shaq karne laga hai..
pata nahi mujhe kyun galat samajhne laga hai…
tujhse dosti karne ki saza hai…
par is saza main bhi ata ek alag hi maza hai… pata nahi mujhe

22. KYUN…
ye shabd mujhe har waqt satata hai kyun…
har baat ke ant main bach jata hai kyun…
iska jawab nahin dhoondh pata main kyun..
khud-b-khud jawaab nahin mil jata hai kyun…
jiska jawaab nahin uska sawaal hai kyun…
kisi sawaal ka jawaab bhi hai kyun…
khud sawaal ban gaya hoon main kyun…
ye har sitam mujhe hi ata hai kyun…
sabse bada dukh mera hi lagta hai kyun..
doosron ko bhi dard hai kyun…
dard bhi jaroori hai kyun…
dard ke baad hi dawa hai kyun…
har dard mere liye hi hai kyun…
har dard ko chupata hoon main kyun…
har gum main hansta hoon main kyun…
jane kis kis se darta hoon main kyun..
ye darr sa hai kyun…
ye andhera hai hai kyun…
koi roshni nazar ati nahin hai kyun…
is roshni ka intezaar hai kyun…
intezaar ke khatam hone ka intezaar hai kyun…
jo mil nahin sakta uski ichcha hai kyun…
jo mil jata hai uski, nahin hai kadr kyun..
tere liye kuch chaoon main kyun..
apna banana chahoon main kyun…
tujhe har baar, har raaj bata na chahoon main kyun…
tu meri nahin hai kyun..
mujhe chahti nahin hai kyun…
nahin theherta hai waqt kabhi mere liye kyun..
nahin kar pata har kaam waqt par main kyun…
tune mujhe thukraya hai kyun …
tujhe samajh nahin paya main kyun…
koi mere liye bhi hai is duniya main, ye sooch ta hoon kyun…
jeene ki tammna nahin hai kyun…
marna main chahata hoon kyun…
jeene ki mazboori hai kyun…
jeena main chahat hoon sukh se kyun…
dard main jeena mushkil hai kyun….

23. jo milta hai tera hi pata pooch ta hai..
ab apna pata bhi yaad nahin.. jane wo kya pooch ta hai…
par fir bhi tera pata bata deta hoon …
jaane  wo yaad kaise rehta hai…

24. tere jane ke baad teri yadoon ke galiyare main gumm sa ho gaya hoon…
jane kyun jindagi ki seedhi sadak par bhool bhulayya sa bhatak gaya hoon…
registaan si jindagi main pani ka miraaz sa hota hai… har jagah ruk kar tere pyar ki boond dhoondhta hoon…
mujhe to har rah main tere hone ka miraz hota hai… har waqt tere jaisa pyar karne waala dhoondhta hoon…

25. shama main aag to hoti hai par… parwane ke milne ke baad… parwane ki wo aakhri raat hoti hai
jane kis gum main shama jalti hai ke us aag main parwana bhi jal uthta hai..

26. muskurahat bane aisi kismat nahin.. ashk bankar bahe aisi hesiyat nahin…
tum jaisa dost mil gaya .. ab aur koi chahat bhi nahin…

27. teri pyar ke kabil hoon ye to pata nahin…par teri nafrat ka haqdaar to main nahin…
tu mera pyar kabul kare ya na kare par… main tujhse pyar karna chor dun… kabhi nahin…

28. mat rok mere dost mujhe rone se…
ke meri yadoon ke jungle ka har patta mere aansuon ki nadi ke kinare jinda hai…
mat soch meri aankhon ke baare main ki…
inke band hone par hi unka deedar hota hai…

29. bahot din hue roya nahin hoon…
kuch dino se kuch khoya nahin…
ye bhi tera hi suroor lagta hai…
ki jaam to hai par kai dino se piya hi nahin hoon…

30. sawan sa tera pyar…
garmiyon si teri takraar…
patjhad si teri judai…
basant si teri saadgi…
sardiyoun sa tera saath…
hai aisa kaunsa mausan…
jo na dilaye teri yaad…
hain sabhi mausam teri hi yaden…

31. kabhi soochta hoon shayad…
jab akela tha tab khush tha shayad…
par tere ane ke baad… wo sabse achcha waqt tha shayad…
ab tu nahin hai…par jee lunga shayad…

32. har dard  se sambhal jata hoon jab tu ati hai..
har gum se ubar jata hoon jab tu nazar ati hai…
par tere jane ke baad…
issi gum or dard se bhari tanhaiyan reh jati hai…
jo fir se tere ane ke intezaar main lag jati hain…

33. tere jehen main ate hue khayal main jiska saya hai…
us saye main bhi mera aks dhoondhta hoon…
jane kyun itni si ummeeden hai…
ki us kali parchayi main hi apne pyar ke rang dhoondhta hoon…

34. is bhagti daudti bheed mai main bhi duadta hoon…
fir kahin bhi ruk kar… kabhi kabhi sochta hoon…
kya ye sadak meri manjil ki aur jati hai…
har kisi ki manjil par ruk kar apni manjil ka pata poochta hoon…
har kisi ki manjil dekha kar.. apne ashiyane ko ek naya roop deta hoon…
fir kisi mod pe jake fir kuch naya sochta hoon…

35. har saans main teri khushbu ho… har dhakan main teri aawaaj…
har soch main tera khayal hai… har ant teri judai… har milan tera aagaaj…

36. khudi ki julfon ke saaye se usnaim humko yun dekha…
ki dil ki har hasrat poori ho gai…
bas ek hasrat unka chehra dekhne ki….
in aankhon ki manzil ban kar reh gayi…

37. bahot kosa duniya ne… par ek apno ka sahara tha…
ab kisko sahara samjun… jab apno ne hi nakara samjha…

38. har kisi ko pyar miljata to pyar hi kadr nahin hoti…
jinhe pyar ki kadr hai unki tanhaiyan bhi tanha nahi  hoti…
ke milne ka maza bhi tab hi hai jab beech main ek lambi judai hogi…

39. bada nakara tha tere milne se pehle…
tujhse mila to to ek kaam milgaya…
kaise sukriya karon tera…
ki tune mujhme ek shayar jaga diya…
tere jaane ke baad bhi khali nahin hoon…
tune jate jate mai khane ka rasta dikha diya…

40. kal tak besabri se us ek pal ka intezaar tha…
jis pal,  kuch akhri lamhon main tere saath rahunga…
par aaj ye darr hai ki wo lamha ek din aur kareeb hoga…
itni choti mulakat ke baad unse mulakaton ka ant hoga…
abhi intezar ke sahare to jee raha hoon…
un lamho ke guzar jaane par ye aasra bhi nahin hoga…

vaibhav agarwal

सुस्ती भरा दिन

एक सुस्ती भरा दिन यूं ही बीत चला गया जिसका पता भी नही चला, आज पूरे दिन रजाई में लेटा और बैठा रहा फिर क्या था बस मैं अपने ही ख्यालों में कही गुम रहा कुछ विचार आए और कुछ नही

सुस्ती शारीरिक थी लेकिन दिमागी कतई भी नही कभी उठ बैठ जाता और अपनी स्पाइरल वाली नोटबुक में लिख देता बस आज यही किया क्युकी आज कही जाना तो नही था सप्ताह के आखिरी दो दिन दिल्ली बंद है

कुछ विचारो पर कार्य किया और कुछ नही
कुछ विचार बहुत जरूरी थे और कुछ का कोई मतलब नहीं था , कुछ ऐसे विचार थे जिनसे 2022 को प्लान करना था और कुछ ऐसे जिनको दिमाग से हटाना था

लगातार विचारो से खेलना मेरी आदत बन गई है हां मुझे व्यायाम करना कोई खास पसंद नही है लेकिन अपने विचारो को देखने में नही संकुचता तनिक भी

यह आज सुस्ती भरा दिन आज ऐसे ही खतम होने लगा था तो सोचा कुछ लिख देता हूँ वैसे कुछ खास नहीं था बस यही की विचारो को देखना , पढ़ना , समझना , जानना अत्यंत है जरूरी क्युकी इन्ही से बनती जिंदगी पूरी

अपने विचारो को यूं ही मत बिगाड़े इन्हे बस सवारे

यही था आज का विचार चलता हूं सुस्ताता हूं फिर आता रहूंगा बार बार मिलूंगा आपसे यही हर बार

शब्द क्या है?

शब्द क्या है? 
हम लोग सुबह से शाम तक सारा दिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, परंतु फिर भी बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जो शब्दों का महत्व जान पाते हैं। हमें अपनी सभी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों की आवश्यकता होती है। परंतु देखा जाए तो असल में शब्द है क्या?         
अधिकांश है हमारा सोचना होता है कि शब्द केवल ध्वनियों के मिलाने से बनते हैं। परंतु केवल ध्वनियों के योग से ही शब्द नहीं बनते शब्दों में भावनाएं अभिव्यक्त होती हैं। यह सारा संसार ही शब्दों के पीछे ही चल रहा है।                                     

शब्द क्या है?
शब्द

चाहे आप संसार के किसी भी विषय का अध्ययन करें आपको शब्दों की आवश्यकता जरूर होगी।      
हर शब्द मूल के है क्या?        
हमारे द्वारा बोला गया कोई भी शब्द या कोई भी ध्वनि कभी खत्म नहीं होती। वह ध्वनि इस अनंत ब्रह्मांड में गूंजती रहती है। इस ब्रह्मांड का कोई आदि व अंत नहीं है। और इसी अनंत ब्रह्मांड में हमारे द्वारा बोले गए शब्द व ध्वनियां गूंजती रहती हैं । 
      
 शब्दों के कई प्रकार के प्रभाव भी होते हैं।                                   

हमने ध्वनि चिकित्सा के बारे में भी पड़ा है। कई प्रकार के अलग-अलग संगीत की ध्वनि मनुष्य के इलाज के लिए फायदेमंद होती है। यहां तक कि हम जो विभिन्न भाषाओं में गीत संगीत सुनते हैं। चाहे वह आधुनिक संगीत हो या फिर शास्त्रीय संगीत या फिर किसी भी भाषा का संगीत सब शब्दों के योग से ही तो बने हैं। इसी संगीत से मनुष्य सदियों से अपना मनोरंजन करते आए हैं।
     
इसके अलावा मनुष्य के संपूर्ण जीवन के क्रियाकलापों में भी अलग-अलग प्रकार के संगीत का वर्णन मिलता है।

जैसे हम देखते हैं यदि कोई मनुष्य बहुत खुश है तो वह अलग प्रकार से गुनगुनाने लगता है। अगर कोई मनुष्य किसी बहुत ही व्यथा में है पीड़ित है तो वह आंसुओं के साथ कुछ ना कुछ गुनगुनाने लगता है। रोता हुआ मनुष्य भी अपनी भावनाओं के साथ कुछ शब्दों को व्यक्त करता है मनुष्य के जीवन सभी भावनाओं में मनुष्य संगीत का इस्तेमाल करता है।


  इन्हीं शब्दों के योग से ज्योतिष, खगोल शास्त्र, मंत्र शास्त्र आदि अनेकानेक विषय बनते हैं,जब हम किसी भी शब्द का उच्चारण करते हैं, तो उस शब्द के साथ कुछ ध्वनि तरंगे निकलती हैं वे ध्वनि तरंगे इस ब्रह्मांड में गूंजती हैं, और अलग-अलग ध्वनि तरंगों का अलग-अलग प्रभाव भी होता है।

जिस प्रकार हिंदू धर्म में ओम शब्द का वर्णन है, उसी प्रकार बौद्ध व जैन धर्मों में भी ओम शब्द का वर्णन है, भले ही यह अपने मतों को लेकर अलग-अलग हो परंतु इस एक शब्द पर यह सभी धर्म एकमत हैं,  अगर हम पाश्चात्य धर्मों को देखें जैसे कि इस्लाम व ईसाई धर्म में भी आमीन शब्द का प्रचलन है, हिंदी शब्दों में कुछ ध्वनि तरंगे उत्पन्न होती हैं, जो कि मनुष्य के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

हम सनातन धर्म में भी ओम, ऐऺ , क्लीम, श्री आदि बीज अक्षरों का वर्णन है। यह सभी कुछ सकारात्मक ध्वनि तरंगों को पैदा करके मनुष्य के जीवन में आश्चर्यजनक बदलाव लाने में सक्षम है।

हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों में न जाने कितने ही अच्छे और बुरे शब्दों का इस्तेमाल पूरा दिन होता है, परंतु हमें अपने द्वारा इस्तेमाल की जाने वाले शब्दों को ध्यान से इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि मुख से निकले हुए शब्द वापस नहीं आते, और अगर कोई व्यक्ति शब्दों का अच्छे से इस्तेमाल करने में सक्षम है, शब्दों के द्वारा मनुष्य के मन पर घाव भी किया जा सकता है।

हम आज के समय में देखते हैं कि इतने लोग मनोचिकित्सक के पास जाते हैं, जबकि वह केवल मनोरोगी से बात करता है, वह केवल सामने बैठे मनोरोगी के विचारों को उसके शब्दों के रूप में सुनता है, और अपने विचारों को अपने शब्दों के रूप में उसके मस्तिष्क की ओर प्रवाहित करता है, यह सभी खेल केवल शब्दों का ही है।

हम अपने मुंह से न जाने कितने ही अपशब्द निकालते हैं, और शब्दों के ही द्वारा हम परमात्मा का स्मरण भी करते हैं। हम सोचते हैं कि जिस समय हम परमात्मा का स्मरण कर रहे हैं, और शब्द निकाल रहे हैं, उस समय हमें परमात्मा देखता है और अपने मुखमंडल से  अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए यह नहीं सोच पाते।

अगर हमें शब्दों की असली महत्व को जानना है तो कुछ समय हमें निशब्द होकर रहना चाहिए, अर्थात मौन धारण भी करना चाहिए। अगर हमें अपने शब्दों में प्रभाव लाना है तो हमें शब्दों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम दिन रात व्यर्थ के शब्द ही बोलते रहेंगे तो हमारे शब्दों की अहमियत नहीं रह जाएगी और हमारे शब्दों का प्रभाव भी कम हो जाएगा।

इसलिए हमें प्रत्येक शब्द को बहुत ही सोच समझ के इस्तेमाल करना चाहिए, संत कबीर दास जी ने भी अपने दोहे में कहा है, कि हर एक शब्द को हमें तराजू में तोल कर तब मुख से निकालना चाहिए।  
                                                
“भर सकता है घाव तलवार का बोली का घाव भरे ना”

Written by Pritam Mundotiya

शब्द का घाव न भरे कभी
शब्द के घाव ना भर पाए

परिवर्तन काल जीवन

परिवर्तन काल जीवन
एक बार यह प्रश्न पूछा मुझसे किसी ने चलिए आज इस प्रश्न को मै एक ओर तरीके से समझाता हूं।
हमारा जीवन इस समय किस काल में चल रहा है , यह जो जीवन है वो वर्तमान काल है, और हम सभी भविष्य की रचना कर रहे है एक एसा समय जिसकी हम सभी रचना करने में सहायक तत्व है, वो किस प्रकार है यह आप स्वयं की हर एक प्रकार कि गतिविधि से समझ सकते है।

भूतकाल
भूतकाल जिसमे परिवर्तन नहीं किया जा सकता और हम सभी बहुत लंबी अवधि तय कर चुके इससे पूर्व भी हमारे अनेकानेक जन्म हो चुके है। यह समय का बहुत बड़ा हिस्सा है, लगभग 14 करोड़ साल हो चुके है, एक खोज के अनुसार जिसमे हस्तक्षेप करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

वर्तमान काल
वर्तमान काल जिसे हम जी रहे है जिसका धागा भूतकाल से जुड़ा हुआ है जो कार्य हो रहा है हम भूतकाल में अधूरा छोड़ आए या फिर किसी कारण वश अधूरा रह जाता है और साथ साथ हम अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह वर्तमान काल जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु यह समय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। जो भूतकाल में हमारी इच्छाएं, मिलना , घटना , स्तिथि , परिस्थिति बाकी थी वह वर्तमान में पूरी हो रही है जैसा की हमें लगता है इसके पहले भी यह घटना हो चुकी है , हम यहां आ चुके है , हम इसे मिल चुके है इसी प्रकार जो इच्छाएं हमारी अभी नहीं पूरी हो रही वह सभी भविष्य काल में जा रही है और हम सारी अधूरी इच्छाओं को भविष्य में पूरा करेंगे, परिवर्तन काल जीवन का चक्र चलता रहेगा।

भविष्य काल
भविष्य काल  आज हम अपनी अनेकानेक इच्छाएं छोड़ रहे है कि वो सभी इच्छाएं आगे पूरी करेंगे इसी तरह से भविष्य काल लगातार असीमित हो रहा है यह एक अनंत समय अवधि में फैला हुआ है।
भविष्य काल पूर्ण रूप है जैसी हमारी इच्छाएं वर्तमान काल के समय में थी वह सभी भविष्य काल में बनी हुई होती है हमें उसी प्रकार का संसार भविष्य काल में मिलता है।

हम जिस पृथ्वी पर है उसे हम वर्तमान ग्रह कहते है उसके अलावा तो समानंतर ग्रह है, भूतकाल ग्रह और भविष्य काल जिसमे समय कही से कही तक नही है।
क्या यह हमें ज्ञात है? कि समय कितनी दूरी तय कर चुका है, या नहीं यह भी हमे नही पता की भविष्य कितनी दूरी तय कर चुका होगा और अभी तक हमे यह भी नही ज्ञात की भूतकाल कितनी दूर तय करके आया है, सिर्फ अनुमानित दृष्टिकोण है।

जिस ग्रह पर आज हम है यह एक सीधी रेखा की भांति है, जो बार बार भूतकाल और भविष्य काल की घटनाओ से टकरा रहा है, हम वर्तमान काल के जिस हिस्से में है, जिसमें कुछ भी आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है, परंतु दूसरे कालो में नहीं जैसे भूतकाल में कुछ भी संशोधन नही किया जा सकता  और वही दूसरी ओर भविष्य काल में बहुत सारी संभावनाएं पैदा की सकती है, परंतु वर्तमान काल में  करने वाली एक कोशिश है, आप वर्तमान काल में हो जो की बहुत छोटा हिस्सा है जो हम और आप शायद सोच भी ना सकते यह वो हिस्सा है।

जो कि एक पल का भी 100000 वा हिस्सा हो सकता है, और शायद उससे भी कई गुना छोटा हिस्सा जिसमे कुछ भी छोड़ा जा सकता है, जिसमे किसी का प्रवेश संभव है।

परंतु भूतकाल में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जा सकता क्युकी वह हो चुका है और जो हो चुका है, उस घटना क्रम को बदलना असम्भव है जिस तरह वाणी से निकला वचन वापस नहीं लिया जा सकता , मृतक को जीवित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार भूतकाल में वापस नहीं जाया हा सकता है।

लेकिन ये वर्तमान काल ऐसा काल जिसमे आप बार बार एक घटना को कई बार देख सकते हो एवम कर सकते हो यहाँ पर आपके द्वारा की कोई भी गलती या घटना पुनः ठीक की जा सकती है, आप अपनी भूल को सुधार करने के लिए बहुत सारे प्रयत्न कर सकते हो।

परंतु भूतकाल में जो गलतियां हो चुकी है, उन्हें ठीक नही किया जा सकता या फिर उनसे कोई भी और किसी भी प्रकार की छेड़खानी नही की जा सकती वो ज्यो की त्यों ही रहेगी परंतु भविष्य के लिए उनमें संभावनाएं पैदा की जा  सकती है, जिनसे वो ठीक हो सके हम उस काल में है, जो इन सभी घटनाओ को ठीक कर रहा है, और हमारे भविष्य में होने वाले कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सके उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है, हम उस एक पल में है जहा पर छेड़खानी की, संशोधन की असीम संभावना है, लेकिन यह एक बहुत छोटी और सीधी रेखा है जिसमे किसी का प्रवेश होना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं।
 
 क्युकी  यह दोनो कालो के मध्य में रगड़ होने पर कोई मिलाप रेखा है जिसे हम युग परिवर्तन रेखा भी कह सकते  है इस काल को शायद इसलिए यह भी कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है हो सकता है यह इसी आधार पर कहा गया हो।  यह घटना हमारे हिसाब से बहुत बड़ी है परंतु यह घटना एक बहुत छोटी घटना का रूप है।

Pareller universe concept ( Theory )
We are living in the present universe which is a straight line in btw past and future universe and this present universe is just a millionth second which can’t be seen by past and future both of them are enjoying the unlimited time and period where there is no time , no boundaries , no discussion about time.
{ future }—-{present }—{past } these are parrler to each other when ever they come in connection we call it yug parivartan.

In our present universe we can make multiple change for the future but in past universe this can not be change
And in the future universe there are million of possibilities even we can call it perfect universe for all of us who thinking about to be there who all are working and giving effort for the better future —  “A perfect future”

जिस ब्रह्मंड के बारे में हम सभी सोच रहे है, यदि उसके बारे में अंदाज लगाया जाए तो वह बहुत आगे की सभ्यता हो चुकी है, क्योंकि यदि हम समझें तो हमारा जीवन हमारी गणना के अनुसार 14 करोड़ साल पुराना है।

उसके हिसाब से हम जितने तकनीकी हो चुके है, उसके हि्साब से हमारी भविष्य की सभ्यता बहुत उन्नत होगी, जो सभी आराम दायक और सभी प्रकार के औजारों से समृद्ध हो चुकी हो शायद टेक्नॉलजी से भरपूर सभी कुछ होगा और जिसे और बेहतर होने से कोई नही रोक पा रहा है।

उन्होंने अपने खाने पीने कमाने के सभी साधनों को पूरा कर लिया होगा अथवा यह भी हो सकता है, उन्होंने अपने खाने को त्याग ही दिया हो यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता हो चुकी होगी, अब शायद वे परिवर्तन काल जीवन के बंधन से छूटने की और हो।

दुख क्या है ?

दुख क्या है ? दुख क्यों पैदा होता है ? दुख के पैदा होने का  कारण क्या है?
जीवन में जब हम विषम परिस्थिति देखते है तब हम चिंता यानी दुःख को आमंत्रण देने लग जाते है, जिसकी वजह से हमारे मन और मस्तिष्क में नकरात्मक विचारो का संग्रह होना शुरू हो जाता है,
वैसे तो दुख जैसा कुछ भी नही है, बस एक विचार है जिसको हमने बहुत बड़ा बनने का मौका दिया है, इस दुख शब्द को हमने थोड़े भाव क्या दे दिए ,ये दुख तो हमारे सिर पर ही चढ़ने लग गया है।

और हमारे सिर पर ही मंडरा रहा है तथा इस दुख शब्द ने हमारे मस्तिष्क को जकड़ कर रखा हुआ है जिसके कारण हम शुभ विचारों का चिंतन नहीं कर पाते , यदि हम हम अच्छे विचारों का लगातार चिंतन करे ओर नकारात्मक विचारों का चिंतन लगातार करते रहे तो दुख हमारे जीवन में कभी आए ही नहीं।

ताकि हम इससे छूट ही ना सके दुख मात्र एक शब्द है एक विचार है एक ऐसी नकरात्मक सोच है जो हमारे मस्तिष्क पर लगातार हावी हो रही है जिसकी वजह से हमारे भीतर डर भी बढ़ता है
अपने जीवन पर हावी होने मौका दिया है और यह बस बढ़ता ही जाता है और सुख का आनंद क्षणभंगुर होता जाता है।

अब सुख का जो समय है वो छोटा हो गया क्योंकि हमने दुख को अधिक महत्व दे दिया है दुख को हम पाल पोष रहे है लेकिन सुख को बस एक पल का समझ कर जिये जा रहे है सोचते है यही कुछ पल है जी लो सुख के लेकिन यह कुछ पल हमने ही सीमित किये है इनको हमने ही सिकोड़ कर रख दिया है दुख अपना विस्तार कर रहा है और सुख सिकुड़ता ही जा रहा है।

दुख एक विचार है और यह विचारो का एक समूह बना लेता है इस मस्तिष्क में जिसके कारण दुख बढ़ता जाता है जो बार बार अलग तरीको से हमारे मन के द्वारा बुद्धि को बार बार नकारात्मक बिचारो की और बल दिलवाता है जिसके कारण है हम सिर्फ अपने भीतर उन विचारो का समावेश कर लेते है जिनसे हम अपना मानसिक संतुलन खो देते है।

जब दुख को आमंत्रण दिया है तो इस दुख को भी हँसना सिखाओ उसके साथ भी खेलो दुख ही एक ऐसा रिश्तेदार है जिसकी खातिरदारी करने पर वो भाग जाता है यदि इन दुखो को देखकर ओर दुखी होने लग जाओगे, तो फिर यह दुख भी ओर समय तक रुक जाता है और चिंताएं बढ़ाता है, तथा आप जितना दुख का चिंतन करते है यह उतना ही और बढ़ता जाता है,

इसलिए दुख का चिंतन नहीं करे इसे स्वीकार ले और यह दुख स्वत ही दूर हो जाएगा , दुख आपके पास कभी भी रुकने , ठहरने के लिए नहीं आता यह दुख सिर्फ आपको यह बताने आता है की अब तुम्हारा वक्त बदलने वाला है।

इसलिए दुख जैसा रिश्तेदार कहा मिलेगा? जिसकी खातिरदारी करने से वो जल्दी चला जाए ऐसे रिश्तेदारों को तो गले से लगाना चाहिए।

दुख को अपनेे जीवन से कैसे निकाले?
दुख मात्र एक विचार है जिसको आप बढ़ावा दे रहे है मात्र कुछ भी नहीं है, अनेकानेक सम्भवनाओ के साथ जो वास्तव में कुछ भी ना थी।

दुख और सुख समानांतर ही बात है, लेकिन हम दुख का चिंतन ज्यादा लंबे समय तक करते है इसलिए दुख हमारे साथ चिपक जाता है और सुख बहुत कम समय के लिए हमारे साथ रह पाता है क्युकी सुख का जो चिंतन है उसे हम बहुत जल्दी हटा देते है हमारे मन में डर रहता है यही कारण है हमारा जीवन ज्यादातर दुख से घिरा रहता है, और सुख से अछूता होता जा रहा है।