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ख्वाबों की तरह

तुम मेरे ख्वाबों की तरह ही हो, कभी भी तुम आ जाती हो कभी भी चली जाती हो , ना जाने क्या समझ लिया है तुमने मेरे दिल कभी हरा भरा तो कभी बेजान कर चली जाती हो, बड़ी उलफ़त है इस दिल के साथ ये भी बहुत धोखा देता है, कभी तुम्हें अपना लेता है कभी छोड़ देता है।

तुम मेरे ख्वाबों की तरह ही हो,
जगमगाते हो मेरे हर अंधकार को।
कभी भी तुम आ जाती हो, सपनों की रानी,
कभी भी चली जाती हो, छोड़ के मेरे अभिमानी।

ना जाने क्या समझ लिया है, ये दिल का हाल,
तुम्हारी मुस्कान के जादू में, खो जाता हूँ पूरा।
तुम मेरे सपनों की रौशनी, मेरे अंदर की आग,
मेरी रूह को संवारती हो, तुम मेरी ज़िंदगी की आधारशिला और आवाज़ हो।

तुमसे मिलने की आस में, रातें बीताता हूँ,
तुम्हारी ख्वाहिशों के समुन्द्र में, खुद को भिगोता हूँ।
तुम मेरे ख्वाबों की तरह ही हो, अद्वितीय और अनमोल,
मेरी रूह को सुरीला बनाती हो, तुम मेरे जीवन की रागिनी और मंत्रवादिनी हो।

हृदय पे विश्वास

हृदय पे विश्वास
यही सच्चा अहसास ।
जो हृदय कहता…..
वही सत्य का रास्ता ।

सुने सबकी करे जो हो हृदय ….
यह संसार बहुत ही क्रूर निर्दय ।
हृदय सच्चा रास्ता हे चुनता…..
विश्वास से सब काम काज बनता

हृदय में बसती हैं आंधीयाँ अनगिनत,
जब भीड़ में खो जाएं, हृदय ही है सहारा।
कितनी भी दूरी हो, रास्ता कितना भी कठिन,
हृदय के विश्वास पर हमेशा है आधारा।

हृदय की आवाज़ सुनो, वह जानता है सच्चाई,
जब रास्ते खो जाएं, वह दिखाएगा दिशा।
कितनी भी अंधकार हो, कितना भी अस्पष्ट हो,
हृदय का विश्वास ही दिलाएगा उजियाला।

हृदय की छंद पढ़ो, वह गाता है अनुभवों की कहानी,
सबको जोड़ता है, छू जाता है दिलों की सरहद।
कितनी भी भाषा हो, कितनी भी अल्फ़ाज़ हों,
हृदय का विश्वास ही धरती पर बनता है सर्वोत्तम गीत।

हृदय पे विश्वास
यही सच्चा अहसास।
जो हृदय कहता…
वही सत्य का रास्ता।

सबकी अपनी रुचि

सबकी अपनी रुचि होती है अलग अलग विषयों में और अलग अलग तरह से परंतु यह जरुरी नहीं है, कि हम सभी को जीवन में हमारी रूचि के अनुसार ही कार्य मिले और जिस विषय में हमारी रुचि है, उसमें हमे सफलता मिले इसलिए हम जो भी कार्य करते है, उसे ओर उत्साह से करे यही एक बेहतर विकल्प है।

बहुत सारे छात्रों की रूचि गणित में होती है, परंतु उससे ज्यादा छात्रों को गणित समझ में ही नहीं आती और कुछ छात्र गणित में रूचि तो रखते है, परंतु उसमे सफल नहीं हो पाते। बहुत सारे छात्र यह निर्णय लेते है 10वीं कक्षा के बाद #Science के विषय लेंगे परंतु उतने अंक ही नहीं प्राप्त कर पाते की वो विज्ञानं ले पाए या फिर उन्हें ये लगने लगता कि क्या आगे वो कर पाएंगे या नहीं ? क्योंकि जरुरी नहीं है आपको विज्ञानं के सभी विषय पसंद हो।

उसमे #physics #chemistry #biology होती है जरुरी नहीं है आपको यह तीनों विषय पसंद हो समय के साथ साथ आपको अपनी रुचियों के बारे में पता लगता है फिर आप उसी और अग्रसर होते है क्योंकि जरुरी नहीं है जिसमे आपकी रुचि आज है उसीमे आपकी रुचि कल भी हो।

हमारे जीवन में हर पड़ाव पर बहुत सारे ऐसे कार्य सामने आते है  जो हमे अपनी रूचि के अनुसार नहीं मिलते लेकिन हमें वो सभी कार्यो को करना हमारे जीवन की आवश्यकता में आ जाते है चाहे हम उस कार्य को करना चाहते है अथवा नहीं परंतु कार्य तो करना ही होता है क्यों ना  हम उन सभी कार्यो को उत्साह पूर्वक  करे।

जिस तरह से हम पुस्तक पढ़ते है अथवा जो बिषय हमारी पसंद का नहीं है फिर भी हमे उस विषय को भी पढ़ना पड़ता है क्योंकि हमें परीक्षा में सफल होना होता है, हम में से ज्यादातर छात्रों को #सामाजिक विज्ञान पढ़ने में अरुचि होती है लेकिन हमें परीक्षा में सफल होने के लिए वो विषय पढ़ना अनिवार्य होता है जबकि सामाजिक विज्ञान ही सबसे महत्वपूर्ण विषय निकल कर बाहर आता है जब आप IAS,IS आदि की परीक्षाओ की तैयारी करते है तो सबसे ज्यादा आपको सामाजिक अध्यन आदि के विषयों में ही सबसे अधिक जानकारी लेनी होती है चाहे वो विषय हमे पसंद था या नहीं परंतु जानकारी लेने के लिए उस विषय में हमे रूचि बनानी पढ़ी तथा उत्साह से के साथ पढ़ना भी पढ़ा।

इसलिए सफल व्यक्तित्व के लिए हमे सभी कार्यो को उत्साह के साथ करना चाहिए किसी भी कार्य को करते समय हमको बोरियत ना महसूस हो पूर्ण ध्यान और समग्र एकाग्रता के साथ हमे अपने कार्य को लगातार करना चाहिए तथा उस कार्य में जब तक सफलता ना प्राप्त करले तब तक हमे उस कार्य को  करना चाहिए क्योंकि वही कार्य आपको आपकी #मंजिल की और ले जाने में सहायक है।

फिर हमें परीक्षा हेतु के लिए पढ़ने होते है ताकि हम परीक्षा में सफल हो सके यदि हम वही विषय उत्साह से पढ़े तो हम सफल तो होंगे ही अपितु उस विषय में अच्छे अंक भी प्राप्त कर पाएंगे।

या फिर एक ही काम को बार बार करते हुए हम बोर हो जाते है परंतु वो कार्य करना हमारी मज़बूरी होता है यदि हम वही कार्य रूचि के साथ करे तो हम उस कार्य को अच्छे ढंगसे तथा अच्छे परिणाम की स्तिथि तक करते है क्युकी सबकी अपनी रुचि होती है अलग अलग विषयों में इसलिए हमे हमेशा इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

एक निर्धारित समय

एक निर्धारित समय यह ऐसा समय हो जब आप कुछ जरूरी कार्य करना चाहते हो हर रोज उसी समय, वही एक ऐसा समय हो जिस समय आप वही काम करो जिसकी आदत आप बनाना चाहते हो, वो जरूरी कार्य आपकी उन आदतों से जुड़ा होना चाहिए जिसे किसी ओर समय नहीं कर पा रहे हो, लेकिन उस निर्धारित किए हुए समय में आप वही कार्य करो, ओर लगातार करते रहो चाहे उसमे आपको सफलता नहीं मिली हो कभी, लेकिन उस कार्य में कभी तो सफलता मिलेगी इसलिए उस कार्य के प्रति लगातार बने रहे ओर उसी समय पर उस कार्य को करते रहे, एक वो दिन जरूर आएगा जब आपको सफलता मिलेगी आपके मनचाहे कार्य में।

पूरे दिन में एक निश्चित समय हो जब आप अपने दूसरे सारे कार्यों को छोड़कर उस कार्य को करे, उस कार्य को समय दे जिसमे आप सफल होना चाहते है, जो आपको बेहद पसंद है, कभी कभी उस बेहद पसंद आने वाले काम में भी मन नहीं लगता लेकिन कुछ दिन यदि मन नहीं लगता तो कोई बात नहीं लेकिन उस कार्य में मन लौटकर वापस आ जाता है, दूसरों कार्यों की तुलना में यह अधिक अच्छा कार्य है ऐसा आप जानते है इसलिए आपका मन लौटकर आ जाता है इसलिए अपना समय अपने मनपसंद के  कार्य को ओर अधिक दे, जैसे आप लिखना पसंद करते है किसी किसी दिन आपका लिखने का मन नहीं करता लेकिन लिखना आपका शोक है, आज मन नहीं है लेकिन कल फिर लिखने का ही करेगा इसलिए अपने लिखने वाले कार्य को एक निश्चित समय पर करे। मेरा एक निर्धारित समय है, जब मैं अपने लैपटॉप को लेकर बैठ जाता हूँ चाहे मैं काम कर पाउ या नहीं चाहे कुछ लिख पाउ या नहीं, मेरा काम करने का मन हो या नहीं, चाहे मैं कुछ ना करू बस बैठ ही रहु 

लेकिन उस समय मैं बैठ जाता हूँ अपने लैपटॉप के साथ बहुत बार ऐसा होता है जब हमारा किसी कार्य को करने का मन नहीं होता तब हम कुछ नहीं करना चाहते, लेकिन जब मेरा मन नहीं होता तो भी उस काम करने के लिए बैठ जाता हूँ अपना लैपटॉप लेकर चाहे मैं कुछ नहीं लिखू लेकिन उस समय बैठने की वो आदत बनी रहती है, फिर वो आदत टूटती नहीं है, चाहे आप उस समय अपने काम के साथ कुछ ओर भी कर रहे हो लेकिन उस आदत को चालू रखिए ताकि आपकी आदत बनी रहे ओर आप धीरे धीरे अपने कार्य के प्रति प्रेम करने लग जाते है, उस कार्य के आदि हो जाते, फिर आपका मन खुद ही उस कार्य में लगने लग जाता है, फिर आप उन सभी दूसरे कार्यों को छोड़ते चले जाते है जो आपके लिए जरूरी नहीं है, अब आप सिर्फ अपने मनपसंद के कार्य पर ही ध्यान लगाने लग जाते हो।

फिर उस समय आपके मन के भीतर विचार भी उस कार्य के लिए आने लग जाते है, फिर आपकी सराउन्ड वैसी ही बन जाती है उस समय में इसलिए एक निर्धारित समय पर अपनी आदत को बना लीजिए जब आप हो ओर आपका मनपसंद काम हो आपके साथ ओर कुछ नहीं हो।

एक निर्धारित समय पर किया गया कार्य आपकी आदत बन जाता है, जिससे आप उस कार्य में लगातार बने रहते है, ओर किसी भी कार्य को लगातार करने से आप उस कार्य में कुशल हो जाते है।

इसलिए एक निर्धारित को चुनिये ओर अपने मनपसंद के कार्य को हर रोज निर्धारित समय पर ही करिए, एक निर्धारित समय पर किया गया कार्य आपकी आदत बन जाती है, इसलिए उसी समय पर हर रोज उस कार्य को करे।

जीवन के नियम

जीवन के नियम ….
सत्य सदा परम ….
मैत्री की सरगम ….
शांति और संयम….
जीवन एक सपना
जो पूर्ण छदम ….
विकास चरम….
हँसना खिलखिलाना
सब भूल के नई शुरुआत
ही शुद्ध धर्म ।

जीवन के नियम, अनमोल विचार,
एक सत्य की दृष्टि, जीवन का आदार।

सत्य सदा परम, ज्ञान का प्रकाश,
हृदय में शुद्धता, छाती में निर्मल आस्था।

मैत्री की सरगम, विश्वास की पंख,
दूसरों का सम्मान, अपार गुणवंश।

शांति और संयम, मन को शुद्ध रखें,
चंचल बालवती मन, वश में हम सब रखें।

जीवन एक सपना, स्वप्नों की उड़ान,
सपनों को पूरा करें, जीवन का मकसद जान।

इस जीवन के नियमों को स्वीकारें,
आचरण करें, अपने आपको संयम दें।

प्रेम और सम्मान से बनाएं यह सृष्टि,
हर लम्हे को सुंदर, जीवन को सुरम्य बनाएं विस्तृत।

समय का चक्र

समय का चक्र ऐसा है जो किसी को समझ नहीं आता , समय का आना ओर जाना भी पता नहीं चलता, यह अच्छा समय कब आता है ओर कब चल जाता है किसी को नहीं पता चलता बस जब तक सही समय नहीं आता तब तक कुछ भी संभव नहीं होता,  ओर जब जैसे ही समय आता है सभी चीज़े पूरी होती है, सभी अधूरे ओर बिगड़े हुए काम सब पूरे होने लगते है, फिर आपको वो सभी चीज़े पूरी करने की आवश्यकता नहीं होती, वह खुद ही पूरी हो जाती है, जो उस समय के लिए ही जरूरी होती है, उस समय से पहले कुछ भी संभव नहीं है। लेकिन फिर हमे प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए क्युकी उसी प्रयास करने से वह उस समय पर बिल्कुल सही होती है, जैसी उस समय की मांग ओर आवश्यकता होती है।

समय का चक्र

हम बहुत सारे चीजों के लिए बहुत जल्दी कर देते है, ओर उस जल्दबाजी में बहुत कुछ खराब भी हो जाता है। कुछ चीजों के लिए लेकिन वह सही नहीं होता कई बार ओर कई बार हमे पता नहीं होता की यह समय सही है या नहीं, तो वह समय खुद सब कुछ खुद ही सब ठीक कर कर देता है हम बस उस समय का हिस्सा बन जाते है। अब कोशिश करते रहे, उस चीज के बारे में सोचे ताकि आप उस चीज को पाने के लिए कार्य करते रहे।

जिस तरह से मैं भी इंतजार ही कर रहा हूँ की मैं कुछ बेहतर लिख सकु ऐसा नहीं है की मैं प्रयास नहीं कर रहा परंतु मैं कुछ कर नहीं पा रहा हूँ, समय का चक्र ही ऐसा जिसमे फंसा हुआ हर इंसान, मैँ बार बार विचार करता हूँ लेकिन वह विचार मेरे मस्तिष्क से ही निकल जाते है ओर मैं कुछ उन पर नहीं पाता बस इसी तरह से मेरा समय निकल रहा है। एक उचीत समय पर ही वो कार्य पूरा होगा जिसका मैं इंतजार कर रहा हूँ।

लिखने का मन

कभी कभी लिखने का भी मन नहीं करता बल्कि यही मेरा एक मनपसंद कार्य है जिसे मैं पूरी जिंदगी करना चाहता हूँ, इसके अलावा कुछ नहीं करना चाहता लेकिन कई बार एस होता की बस बहुत लिख चुका हूँ अब ओर नहीं लिखना चाहता।

लेकिन आज मुझे जुखाम हो रहा है जिसकी वजह से लिखने में ध्यान नहीं लग रहा बार बार एस लग रहा है बस सो जाऊ या आराम कर लू, लेकिन किसी ने एक बात काही है जब आप किसी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते है तो उसमे बहुत सारी बाधाये आती है, वह मानसिक ओर शारीरिक बाधा कैसी भी हो सकती है।

कई बार हमारा ऑफिस या दुकान जाने का मन नहीं करता लेकिन हमे करना पड़ता है क्युकी जाना जरूरी होता है। इसी प्रकार मेरा कभी लिखने का मन हो या नहीं हो लेकिन मैं लिखता हूँ, क्युकी जिंदगी किसी लक्ष्य को हासिल करना है, तो आपको उस कार्य के प्रति लगातार होना ही पड़ेगा, आपको उस कार्य से अवकाश नहीं लेना।

वैसे मेरी एक आदत है जब मुझे लगता है की आगे आने वाले कुछ दिनों तक किसी दूसरे कार्य में व्यस्त हूँ, या फिर मैं कुछ ओर काम करना चाहता हूँ, तब मैं अपने कार्य को अड्वान्स में ही कर लेता हूँ, ताकि मुझे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, ओर मुझे कभी ऐसा नहीं लगे की आज मैंने कुछ काम ही नहीं किया।

मैं पहले से ड्राफ्ट में सेव कर लेता हूँ ओर उस दिन दिन तारीख पर सेट करके पोस्ट कर देता हूँ, लेकिन यह सुविधा आपको ओर किसी कार्य में नहीं मिलती इसलिए आपको लगातार तैयार रहना होता है।

इसलिए यदि आपका मन है तो भी कार्य को करे ओर नहीं है तो भी उस कार्य को करे, वह कार्य तभी पूरा होगा ओर इससे आप लगातार कार्य के प्रति बने रहेंगे, आपकी मंजिल आपके करीब आती है।

दुनिया एक किताब

दुनिया एक किताब ….
दिलचस्प उसका हिसाब ।
मुश्किल दुनिया का हिसाब….
जो भी समझ आये करते जाये जनाब ।

इस किताब के अनेक अध्याय….
समझ के कदम दर कदम चलते जाये ।
इसके अध्याय हमे बांचते शिक्षा…
होती तय समय पे निरंतर परीक्षा ।

परीक्षा में सदा बनाये रखे समता…..
ख़ुशियों का संवर्धन बढ़े क्षमता ।
दुनिया एक किताब…..
इसका रखिए सही हिसाब ।

दुनिया एक किताब है हकीकत का,
हर पन्ना छिपा है रहस्य से भरा।
जीवन की कहानियाँ इसमें बसी हैं,
हर अक्षर एक अनमोल उपहार से भरा।

मुश्किल दुनिया का हिसाब नहीं आसान,
हर कठिनाई देती है सबका सामर्थ्य परीक्षण।
पर जो भी समझ आये, वही आगे बढ़ता है,
जनहित का मार्ग धुंधला नहीं होता संघर्ष से भरा।

हर चरित्र, हर विचार इसमें लिपटे हैं,
सबका अपना अद्भुत प्रकट हिस्सा है।
समय की लहरों में यहाँ उभरते हैं कविताएं,
जो जीवन को स्पर्श करती हैं सुंदरता से भरा।

इस किताब के पन्नों पर जगत की छवि दिखती है,
जीवन की अद्भुत कहानियाँ इसे रंगी हैं।
हर प्रश्न का उत्तर यहाँ छिपा है,
समझने की इच्छा से जीवन में उड़ान भरा।

अपनी आंखों से इसे पढ़ो जनाब,
जीवन की सच्चाई यहाँ लिपटी है।
ज्ञान की अमर पुस्तक यही है,
जो सबको प्रेरित करती है, विचारों से भरा।

परिस्थितियां

जीवन का परिस्थितियों के साथ बड़ा गहरा संबंध है जीवन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार की परिस्थितियां आती- जाती है और यह सब परिस्थितियां हमारे द्वारा किये गए कर्मो के अनुसार ही आती है।

अच्छा और बुरा समय तो सबके साथ आता- जाता है सब अपने अपने तरीके से  अपनी परिस्थितियां निकालते है, कुछ लोग बुरा समय देखकर टूट जाते है तो कुछ निखर जाते है।
आप टूटना चाहते है या निखरना अब यह आप पर निर्भर करता है।

कुछ लोग किसी तरह से जीते है तो कुछ लोग किसी तरह से कौन बेहतर ढंग से जीता है ? यह निर्भर करता है उस समय पर तथा आपके मस्तिष्क के विचारो पर निर्भर करता है।
परिस्थितिया कैसी भी हो परंतु इंसान को हारना नही चाहिए हर एक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्रकार की परिस्थितिया आती है।

सभी को अपनी परेशानिया और परिस्थितियां ज्यादा मुश्किल लगती है।
वह व्यक्ति किस प्रकार के निर्णय लेता है किस तरह से चलता है क्या संभल पाता है या नही यह उसका अनुभव ही तय करता है।

उसको संभल कर कदम बढ़ाना चाहिए और उस समय को बहुत सजगता से जीना चाहिए।
यह कहना हमारे लिए आसान है परंतु उस समय हर एक व्यक्ति की मानसिकता भिन्न होती है।
आप किस प्रकार के इंसान हो ? और आप अपने समय और परिस्थितितयो से किस प्रकार से सामना करते हो ?

यह आप पर ही निर्भर करता है कोई और आपको संभालने के लिए नही आता सिर्फ एक दिलासे के रूप में आपके साथ दिखाई तो देते है परन्तु वो साथ नही होते अक्सर परिस्थितियां देख कर लोग मुह मोड़ लेते है। लेकिन कुछ साथ भी होते है।
बुरा समय ही आपको आपके जीवन में सबसे बेहतर लोगो से मिलवाता है।

कुछ लोग खराब समय को देख कर भाग जाते है और
कुछ लोग समय को तब तक देखते है। जब तक वो समय निकल नही जाता।
जब तक वो ठीक ना हो जाए उस पर पूरी तरह से निगरानी रखते है की समय अब कोई हरकत तो नही कर रहा वह हर प्रकार का मौका ढूंढते है की समय या परिस्थितियां एक मौका दे, और हम फिर से करवट ले अपनी परिस्थितयो को बदले वह लोग डर कर भागते नही है सामना करते है और हिम्मत से खड़े रहते है। आख़िरी वक़्त तक जब तक समय बदलता नही है।
कुछ लोग समय के साथ समझौता कर लेते है की हमारा तो समय खराब है, हम कुछ नही कर सकते है और हार कर बैठ जाते है।

फिर आगे वो उसी जगह खुद को एडजस्ट कर देते है जिसकी वजह से वे लोग अपने सपने , अपनी इच्छाये मार डालते है। तथा वे
कुछ लोग समय और परिस्थितियों को दोष देते है बस और कुछ भी नही करते ,  ना वो कुछ कर पाते है।

समय बलवान है ऐसा सोचकर लोग हार मान लेते है,समय के साथ जो दुख और अनेको चीज़ आती है उसको  भी साथ पकड़ लेते है और इंसान कमजोर पड़ जाता है हार मान लेता है तथा डरने लग जाता है जिसके कारण ना जाने वो क्या क्या कर बैठता है इस बात की समझ नही आती ओर वक़्त गुजर जाता है। परिस्थितियां उनको अपने साथ बहा कर ले जाती है।

मन

मन क्या है ? क्या चाहता है ? मन शरीर का एक अंग नही है यह शरीर से अलग है जो हमारे शरीर को चलायमान रखता है स्वयं नित कार्यों में मग्न रहता है और शरीर को भी वहीं आदेश देना चाहता है।

मन की गति बहुत तेज़ है, शरीर की वह गति नहीं है, शरीर धीमा है, यदि शरीर में मन आवागमन की गति आए तो शरीर इस ब्रह्माण्ड में कहीं विचर सकता है परन्तु यह करने के लिए बहुत तपस्या करनी होगी।

हमेसा हम नए नए कार्यो उलझता है मन सिर्फ नए कार्य ही करने चाहता है, यह स्वभाव है यह की पृकृति है की यह सिर्फ नए की खोज में लगातार लगा रहे यह पुराने को भूल जाता है छोड़ देता है हर दूसरे पल में कुछ ना कुछ नया करने की इच्छा इस मन में रहती है जिसकी वजह से हम कुछ ना कुछ अलग अथवा नए कार्यों की तलाश में रहते है और उन्हीं कार्यो को करना चाहते है खाली बैठ नही पाते जिसकी वजह से  मन तो कभी इस दिमाग को व्यस्त रखता है खाने, घूमने, खेलने, आदि कार्य करने या कुछ भी सोचने आदि के कार्यो में हमेसा उलझाए रखता है।

हम क्यों खाली खाली महसूस कर रहे है या करते है ? क्या हमारे पास कुछ नही है करने को ? या हम कुछ अलग कुछ नया हम करना चाहते है हम क्यों अपने आपको खाली खाली देखते हैै?
 
क्यों हमारा मस्तिष्क खाली खाली सा महसूस कर रहा है हमारा मन हमेसा नए कार्यो में नई चीज़ों की तरफ आकर्षित होता है तथा शरीर पुराने की मांग करता है जो पिछले दिन किया था उसी कार्य को करना चाहता है यदि हम पिछले दिन दिन में 2-4 के बीच सोए थे आज फिर शरीर उसी की मांग करता है परन्तु मन के साथ एसा नहीं है बिल्कुल भी नहीं है, नए कार्यो में लगाना चाहता है ये सिर्फ कुछ स्थानों पर शांति चाहता है जैसे बीते हुए दिन में क्या हुआ था वही दुबारा चाहता है उसी को बार बार दोहराना चाहता है शरीर आलसी है।

मन नित नए कार्यो की अग्रसर होता है अर्थात नया चाहता है इसलिए हमेसा हम एक छोर को छोड़ते है तो दूसरे छोर की और भागते है एक कार्य पूरा नही होता बस दूसरेे कार्य में लग जाना चाहते है एक मिनट भी हमें यह हमारा मन हमे खाली बैठने नही देता बस किसी ना किसी कार्य में लगातार लगाए रखता है।

और इस मन को जिसने जीत लिया वहीं जीत जाता है और जो इससे हार गया वहीं हारा हुआ कहलाता है।