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विज्ञापन

सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

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फोकस रखना खुद को

अपने दिमाग को एक ही तरफ फोकस रखना खुद को, इधर उधर दिमाग को नहीं दौड़ने देना, ये दिमाग जितना इधर उधर भागेगा उतना ही आपका काम से मन हटेगा, यदि आप एक स्टूडेंट है तो आपका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा। इसलिए अपने काम की और ध्यान लगाकर रखिए उससे ना हटे चाहे आपका मन लग रहा है या नहीं बस आपको लगातार उस कार्य में बने रहना है, ओर प्रयास करते रहना है, क्युकी हमारा दिमाग तो इधर उधर भागते ही रहता है, लेकिन उस दिमाग को बार बार उस कार्य में लगाना है जिस कार्य को आप करना चाहते लेकिन जब आपका मन नहीं करता तो आप छोड़कर उठ जाते है।

हर बार यही याद रखना की हमे बार बार नहीं भटकना जिस चीज को हम चाहते है, सिर्फ उसीके लिए जी जान लगाकर हमे है भागना नहीं पीछे मुड़कर देखना, जब तक उसमे सफलता हासिल ना करले हम तब तक हमे उसे नहीं है छोड़ना , हर एक परिस्थिति का डटकर मुकाबला करना है।

खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है, यदि आपको स्वयं पर विश्वास है की आप कुछ कर सकते है, ओर बीच रास्ते से वापस नहीं आएंगे तो आप वो सभी चीज़े हासिल कर सकते है, जो आप अपनी जिंदगी में हासिल करना चाहते है।

फोकस रखना खुद को, खुद के लक्ष्य की ओर ये बहुत जरूरी है, आपका ध्यान हमेशा आपके लक्ष्य की ओर ही रहना चाहिए उससे कही ओर नहीं भटकना चाहिए, जो आप हासिल करने के लिए निकले है उसको पाकर ही लौटना है, चाहे कितनी ही अड़चने आए रास्ते में लेकिन अपने लक्ष्य को पाना है।

अपने फोकस को बरकरार रखने के लिए हमे स्वयं को बार बार Analysis करना चाहिए, जिससे की हम कही भटक रहे हो, तो दुबारा खुद को फोकस कर सके, ओर उस के ऊपर पूरी तरह से ध्यान लगा सके।

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क्रिकेट

क्रिकेट पूरी दुनिया में इतना लोकप्रिय क्यू है ? यह खेल सिर्फ खेल नहीं है, इस खेल को देखने में रुचि तो बढ़ती ही है साथ ही यह खेल आपको बहुत कुछ सिखाता है, आपके जीने के नजरिया को बदल देता है, आपके भीतर कुछ कर गुजरने की इच्छा को प्रबल करता है, आपको हिम्मत देता है।

कभी न हार मानने जैसी सोची बढ़ावा देता है।

जैसा की कहा जाता है क्रिकेट अनिश्चित घटनाओ का खेल है कब हो जिंदगी में ओर क्रिकेट ये किसी को नहीं पता इसलिए आखरी बाल तक मैच का रुख बादल सकता है, किसकी जीत किसकी हार ये कोई नहीं कह सकता बाजी कभी भी पलट सकती है। यही आपकी जिंदगी भी आपको सिखाती है।

इस खेल पूरी टीम एक तालमेल के साथ चलती है अकेला कोई नहीं जीत नहीं सकता उसने इतने रन बना दिए जिसकी वजह से हम जीत गए , परंतु बोलर ने गेंद भी डाली है तभी उतने रन बने है, फील्ड का योगदान, जो आपके साथ रन लेने के लिए दौड़ रहा है उसका योगदान हर किसी का योगदान होता है आपकी सफलता के पीछे आप अकेले भी बहुत अच्छे है लेकिन उन सभी के साथ आप बहुत अच्छे बन गए है तभी आप यहाँ तक पहुच पा रहे है, ओर इस बात को आप ना भूले

जो खेल में सफल नहीं हो पाते ओर आपकी टीम के साथ होते है आपको योगदान देते है लेकिन उनका साथ भी बहुत जरूरी होता है। सबका साथ ही आपकी सफलता है।

इस खेल में आप की हार के साथ ओर भी बहुत लोग हारते है सिर्फ आप नहीं हारते आप एक टीम होकर हारते है, आपको पूरा देश समर्थन करता है, बहुत सारे को तो हम लोग जानते भी नहीं है, ओर उन खेलों को हम लोग तवज्जो भी नहीं देते है जिस खेल को हम आदर सम्मान दे रहे है लोगों की भावना इस खेल के साथ जुड़ी हुई है।

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टहलने निकल गया

ज्यादातर मैं यूट्यूब पर जाता हूं वहा पर बुक समरी और काफी कुछ नया सीखने के लिए वीडियो देखता हूं लेकिन आज मैं कुछ ऐसे ही टहलने निकल गया फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम पर जाने पर अच्छा अच्छा लग रहा था क्युकी गया काफी दिनों बाद था।

बस फिर क्या था मैं टहलता ही रहा शाम हो गई और पता चला की मैं अपना दिन यूं ही व्यर्थ कर बैठा बिन मतलब की कुछ बाते पढ़ी और कुछ वीडियो को देखता रहा जिनका ना कुछ ज्यादा सर पैर था। लेकिन इन सभी विडिओ में आज कुछ सीखने को नहीं मिला इसलिए कम अच्छा लगा

पूरा दिन व्यस्त भी खुद में दिखने लगा अंत में जब सोने के बारे में ख्याल आया तो एक विचार आया कि आज किया क्या ?

फिर पूरे दिन को टटोला और समझ आया कि मैं तू आज खाली झोला जिसमे सुबह से लेकर शाम होने तक कुछ भरकर ना लाया।

तो मुझे बताए आपने कुछ भरा अपने झोले में या यूं मेरी तरह खाली झोला करते हुए वापस चले आए।

फिर मिलेंगे शुभ रात्रि

मोबाइल फोन

 
मोबाइल फोन भी टेलीफोन का ही एक दूसरा रूप है। टेलीफोन का अर्थ होता है दूरभाष यंत्र और मोबाइल शब्द का अर्थ होता है चलता फिरता हुआ, तो इस प्रकार मोबाइल फोन का अर्थ हुआ चलता फिरता हुआ दूरभाष यंत्र। प्राचीन समय में हमारे ऋषि मुनि अनंत समय तक साधनाएं किया करते थे और अपने विचार सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति तक आदान प्रदान किया करते थे। जैसे कि आज के युग में हम टेलीपैथी के नाम से भी जानते हैं।

परंतु आज हमें इस कार्य के लिए कोई मेहनत करने की, कोई साधना करने की तथा समय व्यर्थ करने की जरूरत नहीं है। हमारे पास एक छोटा सा यंत्र जिसे हम  मोबाइल फोन कहते है वह ऐसा यंत्र है जिससे कि हम पूरे विश्व में कहीं भी किसी से भी कभी भी बात कर सकते हैं अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। और जैसा कि हमने पौराणिक कथाओं में पड़ा है कि ऋषि मुनि लोग ध्यान लगाकर दूर बैठे व्यक्ति के बारे में भी देख लिया करते थे। आज इस कार्य के लिए हमें कोई ध्यान लगाने की जरूरत नहीं है। हमारे मोबाइल फोन में ही इस तरह के कार्य आसानी से हो सकते हैं। हम लोग वीडियो कॉलिंग या छायाचित्र के द्वारा किसी भी व्यक्ति से उसे देखते हुए बात कर सकते हैं। केवल एक छोटे से मोबाइल फोन की सहायता से , बस केवल हमें आवश्यकता है तो उसमें इंटरनेट सुविधा डलवाने की

           एक लंबे समय से हमारी सभ्यता में घड़ियां बांधने का प्रचलन चल रहा था। जब भी हमें समय देखना होता था तो घड़ी की ओर इशारा जाता था घड़ी की और हमारी नजर जाती थी परंतु आज के समय में इस मोबाइल फोन ने हमसे कलाई घड़ियों का प्रचलन भी बहुत ही कम कर दिया है।आज के समय में जब भी हमें समय देखना होता है हम मोबाइल फोन की तरफ एकदम से जाते हैं। यहां तक कि आजकल तो मौसम विभाग की खबरें भी मोबाइल फोन पर देख लिया करते हैं। छोटी बड़ी घटनाओं के लिए हम लोग केलकुलेटर यूज किया करते थे परंतु इस मोबाइल फोन ने  हीं उस कैलकुलेट का भी अब काम खत्म कर दिया है।
          
हमें डायरी लिखने के लिए एक डायरी नोटपैड और कलम की आवश्यकता होती थी परंतु आज के समय में डायरी के सभी फीचर्स हमें इस मोबाइल फोन में आसानी से उपलब्ध है, हमें अपने साथ में कोई डायरी लेकर घूमने की आवश्यकता नहीं है। याद कीजिए वह पुराने दिन जब लोगों के फोन नंबर हम डायरी में लिखा करते थे और वह टेलीफोन डायरेक्टरी आया करती थी जिसमें किस शहर के सभी जरूरी फोन नंबर लिखे होते थे, परंतु आज न जाने वह डायरेक्टरी कहां खो गई है। दुनिया भर की जानकारी हम पल भर में केवल एक इंटरनेट कनेक्शन की सहायता से हमारे फोन में ही देख सकते हैं।

इसमें मनोरंजन के लिए भी बहुत कुछ है। हां आज के समय में टेलीविजन का प्रचलन भी इसने काफी कम कर दिया है। हमें जो भी देखना होता है सीधा यूट्यूब ऑन किया और देख लिया,  चाहे आप को कुछ भी सीखना हो आप इस मोबाइल फोन की सहायता से बहुत आसानी से सीख सकते हैं।
अगर आप बेहतरीन खाना खाने के शौकीन है या खाना बनाने के तो आप आसानी से खाना बनाना भी इस पर सीख सकते हैं। आज के समय में आप दुनिया में कहीं भी जाएं आपको किसी से रास्ता पूछने की आवश्यकता नहीं है इस मोबाइल फोन ने आपको एक मैप की सहायता दी है जिससे कि आप आसानी से पूरी दुनिया के रास्ते की जानकारी पल भर में प्राप्त कर सकते हैं।

छोटे बच्चे हो या बड़े सभी के लिए मनोरंजन के साधन मोबाइल फोन पर उपलब्ध है।                                            परंतु इस मोबाइल फोन में कुछ अच्छाइयां है तो कई बुराइयां भी है। हमारे समाज कि काफी चीजें आज हमें देखने को नहीं मिलती। जब मोबाइल फोन नहीं था तो सभी बच्चे एक-दूसरे के साथ मैदान में खेला करते थे हस्ट पुष्ट  भी रहते थे और उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहता था, जबकि आज के समय में सभी बच्चे सिर्फ मोबाइल फोन गेम्स में लगे रहते हैं जिससे उनकी आंखें भी कमजोर होती है और और शरीर भी कमजोर होता है। एक ही घर में रहते हुए हम एक दूसरे से बात नहीं कर पाते केवल इस मोबाइल फोन की वजह से।

इस मोबाइल फोन की वजह से हम आज इतने व्यस्त हो गए हैं कि बस पूछिए मत क्युकी इस बात आकलन करना अब बहुत मुश्किल हो चुका है।

कोई भी कभी भी आपको फोन कर देता है। चाहे सामने वाला किस भी  परिस्थिति में है इस से कोई मतलब नहीं। आप चाहे बाथरूम में हो या बेडरूम में यह कभी भी बज जाता है। कभी-कभी तो आधी रात में फोन बजता है तो इतना गुस्सा आता है कि बस क्या कहें। क्युकी दूरियां घत गई है कभी भी किसी को आपकी याद आती या कोई काम होता है तो बस बटन दबाए ओर आपसे बात करना शुरू आप व्यस्त है या नहीं इस बात का उन्हें क्या पता ??

सच्ची मित्रता इस फोन की वजह से खो गई है। वह सच्चे मित्र जो साथ रहा करते थे खेला खुदा करते थे आज न जाने कहां गुम हो गए हैं। आज इस मोबाइल फोन की सहायता से सोशल साइट्स पर हम चाहे हजारों मित्र बना ले परंतु एक सच्चा मित्र हमें देखने को नहीं मिलता है आज के समय के बच्चों में शायद इसी वजह से आज के समय के बच्चों में काफी सारी मानसिक बीमारियां भी पनप रही है। परीक्षाएं पहले भी होती थी बच्चे पहले भी पढ़ा करते थे, परंतु इस तरह के मानसिक विकार केवल आज के बच्चों में ही देखने को मिलते हैं।  

अंत में अपने शब्दों को विराम देते हुए केवल यही कहना चाहूंगा कि विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को तो आसान किया है लेकिन कई सारी बुराइयां भी दी है।

किसी भी चीज में कुछ अच्छाइयां होती है तो कुछ बुराइयां भी होती है, यह केवल हम पर निर्भर करता है कि हम किसी भी वस्तु का या किसी भी चीज का कितने अच्छे से इस्तेमाल करना जानते हैं यह कितने अच्छे से इस्तेमाल कर रहे हैं। कोई भी वस्तु उसके लिए पात्र व्यक्ति के हाथ में ही शोभा देती है अपात्र व्यक्ति के हाथ में तो गलत ही होगा। आज के समय में हम छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल दे देते हैं जो कि मुझे लगता है ठीक नहीं है। मुझे तो अपना स्कूल खत्म होने के बाद में मोबाइल मिला था और मेरा यही कहना है कि कम से कम विद्यालय जीवन में तो बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जाए।         

  धन्यवाद

Written by Pritam Mundotiya

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