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लिखता हूँ

लिखता हूँ लेकिन कभी कभी तो लिखने का मन नहीं होता ओर कभी कभी तो यह सोचने में समय निकल जाता है, की क्या लिखू किसके बारे में लिखू जब लिखने बैठता हूँ तो फिर कई बार तो मैं लिख भी नहीं पाता या दो चार लाइन लिख कर बस वही रुक जाता हूँ, उस लिखे हुए को बीच में अधूरा छोड़ फिर किसी ओर विषय पर लिखने बैठ जाता हूँ, एस बहुत बार होता है मेरे साथ जब मैं लैपटॉप पर लिखता हूँ इसलिए पेन ओर कॉपी उठाकर ही लिखता हूँ जिससे मुझे एक ही विषय पर लिखने का जोर रहे।

मन में अब कोई दर्द भी नहीं है जिसको लिखू, जिसको कुरेद कर लिख दू अपने शब्दों में, कोई जिले, शिकवा व शिकायत नहीं किसी से जो मैं दुखी होकर लिखू , सुन है दुख में इंसान ज्यादा लिख लेता है, खुश होता है तो उसके पास शब्द नहीं होते या शब्दों में अपनी भावनए व्यक्त नहीं कर पाता।

मेरे साथ भी कुछ इसी तरह का लगता है, मेरा जीवन एक सीधी रेखा की तरह सीधा ही है जिसमे कोई हलचल नहीं है, ना शोर शराबा है, बस चुप शांत लहर है भीतर गहरी शांति ओर सन्नटा है, ना बहुत सारी इच्छाए जितना है उसमे संतुष्ट हूँ, ओर जीवन में यही उम्मीद भी करता हूँ सब अच्छा ओर शांति से ही चलता रहे सब खुश रहे सदेव शांति बनी रहे।

लेकिन जब हृदय टूट हुआ होता है, छिन्न भिन्न होता है, कुछ गीले शिकवे, शिकायते बहुत होती है किसी से तो हमारे मस्तिष्क में विचारों जमावड़ा सा लग जाता है, भीतर क्रोध भी भर जाता है, बुद्धि खुद में ही बड़बड़ाने लगती है, विचार अपनी कहानिया बना लेते है, ओर बहुत सारे ऐसे विचारों को जोड़ लेते है जो पहले से थे नहीं उनको आमंत्रण दे देते है, वही समय होता है जब व्यक्ति बहुत अधिक लिखने लगता है।

उस समय सबकुछ शब्दों के माध्यम से बाहर आने लगता है, इसके विपरीत जब मन ओर मस्तिष्क, हृदय शांत होता है तब कोई राग द्वेष नहीं होता भीतर ना इच्छाए बहुत उच्चल मार रही होती तब विचार भी शांत मुद्रा में बैठ जाते है फिर वो भी बाहर नहीं आना चाहते विचार भी गहरी शांति का अनुभव लेना चाहते है, ओर शांत जीवन के साथ बस ज्यों के त्यो ही चलते है, फिर कुछ लिखना या नहीं लिखना बहुत जरूरी नहीं लगता, भीतर ही ठहराव बना रहे यह ज्यादा जरूरी सा लगता है।

लिखने का मन है तो कभी लिखना नहीं छोड़ना जो राग द्वेष के बुलबुले उठते है उनको शब्दों के द्वारा बाहर निकालते रहो, उन्हे लिखो ओर अपने शब्दों को जन जन तक पहुचाओ, जिसने सुधार हो , जीवन बेहतर हो ओर अच्छे रास्ते पर अग्रसर रहे, यही आशा करता हूँ

वीरवार

दिन वीरवार जब मैं अपने बैंक के काम के लिए निकला मुझे अपनी मम्मी के अकाउंट को उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था, जिसके लिए मुझे अपने पुराने वाले घर की ओर जाना था हम अब द्वारका रहते है ओर पहले हरिजन बस्ती में रहते थे, घर के पास ही हमारे बैंक की ब्रांच है सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जिसको अब उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था जिसके लिए मैं कल वह गया, मैं वीरवार को मेट्रो से नहीं गया मैं बस में गया ओर मैंने 50 रुपये वाला रोजाना का एक पास बनवा लिया, जिसमे आप जितना मर्जी सफर कर सकते है, पूरे दिन ओर कितनी ही बार आप बस बदल सकते है, ये एक बेहतर विकल्प है यदि आपको बहुत सारी जगह जाना हो, ओर यदि आपको सिर्फ एक ही जगह जाना आना है तो आप मेट्रो को लीजिए वो एक अच्छा साधन है।

मैं वीरवार को बैंक गया वहाँ मैंने अपने पेपर जमा किए ओर मैं वहाँ से निकल चल उसके बाद मैं अपने दूसरे बैंक चल निकल जो शक्ति नगर में है, वह एक सोसाइटी का बैंक है, वहाँ मैं पहले पैसे निकालने के लिए फॉर्म करके आया था, वह एक दिन बाद दुबारा बुलाते है चैक देने के लिए, उन्होंने मेरा चैक बनाकर रखा हुआ था, मैंने अपना चैक लिया ओर मैं वहाँ से भी निकल चल पड़ा आज वीरवार था आज उनका बैंक बंद नहीं था यह बैंक सोमवार को बंद होता है, अब मैं सोच रहा था की किधर जाऊ अब मैं जा रहा था, आजाद मार्केट उधर टॉफी की मार्केट देखने के लिए चल निकला,

मैं अब आजाद मार्केट की टॉफी मार्केट में पहुच गया ओर उसके साथ साथ मैंने क्राकरी मार्केट भी देखी वहाँ बहुत सस्ती क्रॉकरी थी ओर बहुत अलग अलग तरह की क्राकरी में आइटम उपलब्ध थी, जो घर में इस्तेमाल करने के मतलब की थी ओर आप रेस्तरा खोलने की सोच रहे हो तो इधर आपको सस्ता क्राकरी का सामान मिल जाएगा।

थोड़ी देर पैदल चलते चलते में आजाद मार्केट के चौक तक पहुँचा उधर पूरा बाजार मेवे का है हर तरह के मसाले ओर मेवा यही मिल जाता है जो सही दाम में मिलता यदि आप बाजार से मेवा खरीद तो एक बार आपको इधर भी कोशिश करनी चाहिए इधर आपको सस्ते दामों पर मसाले, डाल, व मेवे की सभी किस्म मिल जाती है। ओर वो उचित दाम में आपको मिल जाते है। कुछ देर घूमने के बाद मैं निकल चल पड़ा चाँदनी चौक की तरफ अब मैं जा रहा था क्लॉथ मार्केट इस मार्केट में आपको कपड़ों के थान ही थान मिलते है चाहे आप किसी भी प्रकार के कपड़े लेना चाहते हो आपको इस बाजार में मिल जाएंगे, इधर परदे, कामिट ओर पैंट आदि कुछ भी आपको चाहिए हो उसका पूरा थान मिल जाएगा, इधर से चलने के बाद अब मैं काफी थक चुका था क्युकी मैं काफी देर से मैं पैदल ही चल रहा था अब मेरा मन घर जाने को कर रहा था, लेकिन उसके बाद खारी बाओली की मार्केट में पहुच गया ओर मैंने कुछ देर फिर से टॉफी की दुकाने देखी इधर बहुत तरह की टॉफी थी, खरी बाओली सभी तरह का सामान मिलता है यहाँ भी आपको किराने में रखने वाला सामान व जैसे दाल, चावल चीनी, मेवा, मसाले आदि सभी समान थोक में मिलता है यहाँ , यदि आपको इधर खुला साबुन ओर किलो के भाव में साबुन चाहिए हो इस मार्केट में कई दुकाने है जिनके पास खुला साबुन किलो के भाव में मिलता है।

काफी देर इधर भी घूम लिया अब मैं ओर भी थक चुका था लेकिन मेरा रास्ता अब सादर से होते हुए मुझे राजीव चौक या आर के आश्रम मेट्रो स्टेशन पर पहुचना क्युकी बस से जाने की अब मेरी हिम्मत नहीं थी, क्युकी बहुत समय लग जाता मुझे बस से जाने में इसलिए मैंने सोचा की मैं मेट्रो से चलता हूँ सादर बाजार में चलते हुए काफी भीड़ थी जैसे तैसे मैं सादर चौक पहुचा ओर मैंने वहाँ से बैटरी वाला रिकसा पकड़ जिसने मुझे नई दिल्ली पर छोड़ दिया इधर से मैंने शंकर मार्केट की बस पकड़ी ओर अब जब मैं राजीव चौक उतार ही गया हूँ तो मैंने शंकर मार्केट के राजमा चावल खाने की सोची लेकिन मुझे ज्यादा नहीं खाने थे इसलिए मैंने उनसे हाफ प्लेट राजमा चावल की बोली लेकिन वो हाफ प्लेट नहीं देते इतना ज्यादा मैं खाना नहीं चाहता था ओर बर्बाद करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए मैं वहाँ से चल पड़ा ओर एक patty खाई मैंने थोड़ी दूर जाकर फेर मैं मेट्रो स्टेशन पहुच गया अब मैं राजीव चौक से मेट्रो लेने के खड़ा हो गयालेकिन सभी मेट्रो इतनी भारी आ रही थी बैठने क्या खड़े होने की भी जगह नहीं दिख रही थी, इसलिए कुछ मेट्रो छोड़ दी, कुछ देर बाद जब मेट्रो थोड़ी खाली आई तो मैं उसमे चल निकल बैठने के लिए सीट तो नहीं मिली बस खड़े खड़े ही घर तक सफर पूरा करना पड़ा।

घर पहुंचा काफी थक गया था जाते ही मैं कुछ देर आराम कर मैंने अपना रात का खाना खाया ओर सो गया कुछ देर काम करने के लिए मैंने लैपटॉप शुरू तो किया लेकिन थकावट की वजह से काम नहीं कर पा रहा था, इसलिए ऐन जल्दी ही लैपटॉप बंद करके सो गया ओर लेटने के तुरंत बाद ही मुझे नींद भी आ गई।

बस यह वीरवार वाला दिन कुछ इसी तरह से ही बीता

शब्द

शब्द क्या है ? यह कैसे कार्य करते है ? यह कितने प्रकार के होते है, शब्द भाषा की मूल इकाई हैं जो वाक्य और भाषा को रचनात्मक ढंग से व्यवस्थित करते हैं। शब्द एक ऐसा स्थायी या अस्थायी ध्वनि या ध्वनियाँ होती हैं जो किसी विशिष्ट वस्तु, व्यक्ति, स्थान, भावना या विचार का व्यक्त करती हैं।

शब्दों का उपयोग भाषा के संरचनात्मक इकाई जैसे वाक्यों, वाक्यांशों और वर्णों को संभव बनाते हैं। वे भाषा के व्याकरण तत्वों में विभिन्न भूमिकाओं का निर्धारण करते हैं, जैसे कि कारक, विशेषण, संज्ञा, क्रिया, अव्यय आदि।

व्याकरण में, शब्द वर्णों का एक समूह होता है। हर भाषा में शब्दों की संख्या अलग-अलग होती है, लेकिन वे सभी एक विशिष्ट भाषा के संरचना में उपयोग किए जाते हैं। शब्दों का उपयोग भाषा की विभिन्न विधाओं में जैसे कि बोली, लेखन, पढ़ना, सुनना आदि करने में किया जाता है।

शब्दों को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि संज्ञा, क्रिया, विशेषण, सर्वनाम, अव्यय आदि। इन प्रकारों के अलावा, शब्दों को बहुत से अन्य वर्गों में भी वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि स्वर, व्यंजन, संयुक्त वर्ण, समास आदि।

शब्दों का उपयोग हमारी संवाद क्षमता को बढ़ाता है और हमें अपने विचारों, भावनाओं और ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करने में मदद करता है। शब्दों का उपयोग हमें संवाद करने, समझने, लेखन करने, सुनने और पढ़ने के लिए आवश्यक होता है। अधिक संवेदनशील भाषाओं में, शब्दों के साथ भावनाओं और भावों को व्यक्त करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

आगे भी हम शब्दों को समझेंगे, उन पहचानेंगे ओर इन शब्दों के अर्थ को समझेंगे, शब्द किस प्रकार से कार्य करते है? तथा इन शब्दों का हमारे जीवन में क्या महत्व है, इसी तरह के मैंने कुछ और भी लेख लिखे हुए जिनकी सहायता से आप शब्दों के बारे में और भी गहराई से जान सकते है।

यह भी पढे: शब्द किसे कहते है? शब्द हूँ मैं, शब्द क्या है?, शब्द जो चोटिल करदे,

ख्वाब

ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दीजिए, ख्वाब हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, जो हमें जीवन की दिशा तय करने में मदद करते हैं। यदि आप अपने जीवन में अपने ख्वाबों को शामिल करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:

1. ख्वाबों को लिखें: अगर आप अपने ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो उन्हें लिखें। अपने ख्वाबों को नोटबुक में या अपने मोबाइल फोन में लिखें। इससे आपके ख्वाब स्पष्ट होगें और आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।

2. एक कार्यात्मक योजना तैयार करें: जब आप अपने ख्वाबों को स्पष्ट कर लेते हैं, तो आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए एक कार्यात्मक योजना तैयार कर सकते हैं। आप अपने ख्वाबों के लिए लक्ष्य तय कर सकते हैं और एक योजना बना सकते हैं जो आपको उन्हें पूरा करने में मदद करेगी।

3. संगठित रहें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको संगठित रहना होगा। आपको अपने ख्वाबों के लिए समय निकालना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए उचित योजना बनाने की जरूरत होगी।

4. निरंतर मेहनत करें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको निरंतर मेहनत करनी होगी। आपको अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना होगा और सफलताप्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना होगा।

5. आपसे सहयोग मांगें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आप दूसरों से सहयोग मांग सकते हैं। आप उनकी सलाह और मार्गदर्शन ले सकते हैं जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

6. सकारात्मक सोच रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको सकारात्मक सोच रखना होगा। नकारात्मकता आपको अपने लक्ष्यों के प्रति निराश कर सकती है, इसलिए आपको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।

7. धैर्य रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको धैर्य रखना होगा। सफलता का मार्ग अनिश्चित हो सकता है और इसलिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना होगा। धैर्य रखना आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए आवश्यक जानकारी, कौशल और अनुभव जुटाने में मदद करेगा।

इन सुझावों का पालन करते हुए आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल कर सकते हैं और अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

टालना

कुछ बच्चे अपनी पढ़ाई को बहुत देर से शुरू करते है ओर कुछ बहुत जल्दी यह जो बहुत देर वाले बच्चे है न कुछ ज्यादा ही पीछे रह जाते है कुछ जल्दी वाले कुछ ज्यादा ही आगे भी निकल जाते है , इतने लटक लटक कर यह बच्चे चलते है की इनको पकड़ कर चलना पड़ता है यदि इनको कोई काम दिया जाए तो यह बच्चे उस काम को टालते रहते है समय पर कोई काम नहीं करते बस टालते रहते है आखरी समय में इनको याद आता है की कुछ काम करना है इनका काम पूरा नहीं होता

आखरी समय में कुछ बच्चे पढ़ते है पूरा साल पढ़ाई को स्किप करते है वह सिर्फ बहाने लगते रहते है की मैं पढ़ाई को कल शुरू करूंगा लेकिन शुरुआत होती नहीं दिखती है

किसी भी कार्य को टालना कोई अच्छी आदत नहीं है, टालने से समय की हानी होती है ओर समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए इसका भरपूर तरीके से प्रयोग करना चाहिए

कुछ बच्चे लगातार यही बोलते है की अभी तो पूरा साल बच हुआ है पढ़ लेंगे आराम से लेकिन वो कल नहीं आता वो किसी का नहीं आया तो आपका कैसे आएगा इसलिए शुरुआत आज से करे चाहे थोड़ा थोड़ा पढे लेकिन पढ़ना शुरू कीजिए जिससे की आपका कोर्स जल्द से जल्द खतम हो ओर आखिरी में आपको बोझ ना लगे

365 दिनों को अच्छे से प्लान करे की आपको किस तरह से पढ़ाई करनी है सभी दिनों अच्छे से मैनेज करे क्युकी साल में लगभग 112 छुट्टिया होती है इसलिए इसमे भी पढ़ाई करे इनको टालना नहीं

पूरे साल में बहुत सारी छूटिया आती है उनको भी आपको मैनेज करना है उन छूटियों का सही उपयोग करना है

होली हो या दिवाली लेकिन आपको पढ़ना है, अपनी पढ़ाई से कोई समझोंता नहीं करना है

आजकल बच्चों के पास कुछ एक्स्ट्रा सब्जेक्ट भी होते है जिन वह ध्यान नहीं देते ओर न ही उनको पढ़ते है लेकिन वह सब्जेक्ट उनकी प्रतिशत की मात्र को बढ़ाने के लिए काम आते है इसलिए इन सब्जेक्ट को भी अच्छे से पढ़ना चाहिए।

टालना अर्थात लक्ष्य में रुकावट
टालना नहीं

जो एक्स्ट्रा सब्जेक्ट है वो आपके शारीरिक शिक्षा, भारतीय कला का इतिहास , हिन्दी , या कोई ओर भी हो सकता है लेकिन इन सब्जेक्ट को आप ध्यान से पढे जिससे की आपको आपकी परीक्षा में यदि किसी सब्जेक्ट में कम नंबर हो तो उसका संतुलन हो सके इन सब्जेक्ट को बाद के लिए ना टाले इन सब्जेक्ट पर भी पूरा ध्यान दीजिए

हममे से बहुत सारे बच्चे ट्यूइशन भी पढ़ते है लेकिन इन बच्चों को आखिरी के 15 दिन पहले याद आता है की अब पढ़ना भी है तो ट्यूइशन लगा लेते है यदि आपको लगता है की खुद ही तैयारी कर सकते है ओर आपको ट्यूइशन की आवश्यकता नहीं है तो यह कोई जरूरी अनही है लेकिन यदि आपको लगता है की मैं बिना ट्यूइशन के नहीं कर पाऊँगा तो आप देरी ना करे

यदि आप आज से शुरुआत कर रहे है तो आपको ज्यादा से ज्यादा पढ़ने का मौका मिलेगा ओर जो पढ़ा है वह याद भी रहेगा बस उसको एक बार रिवीसन ही करना पड़ेगा ओर वह पूरा याद हो जाएगा

पढ़ाई में कभी टालमटोल न करे क्युकी यह आपका भविष्य बना रही है, इसलिए बाकी सभी चीजों को टालना चाहिए परंतु पढ़ाई को नहीं।

यह भी पढे: मौका, टालने की आदत, बहाना और जवाब, विचारों से बदले जिंदगी,

युवा

“युवा साथीत्व के रंगमंच पर दिखाए अपार प्रतिभा और सहयोग” एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक नाटक का आयोजन रखा गया। इस नाटक के लिए गाँव के सभी लोग आए , जहां उन्हें एक रंगमंच तैयार करने के लिए आदेश दिया गया।

गांव के युवा समिति ने अपनी सोच और कला का प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित होकर रंगमंच की तैयारी शुरू कर दी। वे सभी अपनी कठिनाइयों के बावजूद मिलकर काम करने लगे।

कुछ लोग मोर्चे बनाने में लगे, कुछ लोग पैंटिंग का काम कर रहे थे, और कुछ लोग सेट डिजाइन और सीनरी के लिए जिम्मेदार थे। युवा सदस्यों ने आपस में सहयोग करते हुए एक सुंदर और आकर्षक रंगमंच तैयार किया।

नाटक का दिन आ गया और सभी गांववासी उत्सुकता से नाटक का आयोजन देखने के लिए आए। नाटक शुरू हुआ, और गांववासी नाटक के पात्रों की प्रतिभा, अभिनय और कथानक को देखकर प्रभावित हो उठे। रंगमंच पर उनकी रचनात्मकता और प्रतिभा की झलक दिखाई दी।

नाटक का समापन हो गया और सभी लोग आपस में गले मिले और बधाई देने लगे। यह नाटक और रंगमंच ने न सिर्फ एक कहानी को बयां किया, बल्कि गांव के युवाओं में आत्मविश्वास, सामर्थ्य और सहयोग की भावना को भी जगाया।

इस छोटी सी कहानी से स्पष्ट होता है कि रंगमंच हमें अपनी प्रतिभा का परिचय कराने के साथ-साथ समजबूत समाजी बंधन बनाने में भी मदद करता है। यह गांव के युवाओं को एक मंच प्रदान करता है जहां वे अपनी कला, संगठनशीलता, और सहयोग कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं। यह एक उदाहरण है कि जब लोग साथ मिलकर काम करते हैं और एक लक्ष्य के लिए मेहनत करते हैं, तो उनकी सामरिकता और समृद्धि बढ़ती है।

इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि सामूहिक योगदान और टीमवर्क अद्यतन करने की आवश्यकता होती है। छोटी से छोटी उपलब्धियों के लिए भी सहयोग और समर्पण की आवश्यकता होती है, क्योंकि इससे हमारे आसपास के लोगों को प्रेरित करने और उन्हें उदाहरण स्थापित करने में मदद मिलती है।

यह भी पढे: जादू की छड़ी, कलाकार का जीवन, सब संभव, जब कोई आपसे पूछे, ज्यादा योग्य,

जल्दी तो कभी देर

हम सभी समय को सोचकर कभी जल्दी तो कभी डर सोचकर भाग रहे है लेकिन समय कहीं नहीं है समय सिर्फ हमारे द्वारा तैयार किया गया एक विचार है

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सबकी अपनी रुचि

सबकी अपनी रुचि होती है अलग अलग विषयों में और अलग अलग तरह से परंतु यह जरुरी नहीं है, कि हम सभी को जीवन में हमारी रूचि के अनुसार ही कार्य मिले और जिस विषय में हमारी रुचि है, उसमें हमे सफलता मिले इसलिए हम जो भी कार्य करते है, उसे ओर उत्साह से करे यही एक बेहतर विकल्प है।

बहुत सारे छात्रों की रूचि गणित में होती है, परंतु उससे ज्यादा छात्रों को गणित समझ में ही नहीं आती और कुछ छात्र गणित में रूचि तो रखते है, परंतु उसमे सफल नहीं हो पाते। बहुत सारे छात्र यह निर्णय लेते है 10वीं कक्षा के बाद #Science के विषय लेंगे परंतु उतने अंक ही नहीं प्राप्त कर पाते की वो विज्ञानं ले पाए या फिर उन्हें ये लगने लगता कि क्या आगे वो कर पाएंगे या नहीं ? क्योंकि जरुरी नहीं है आपको विज्ञानं के सभी विषय पसंद हो।

उसमे #physics #chemistry #biology होती है जरुरी नहीं है आपको यह तीनों विषय पसंद हो समय के साथ साथ आपको अपनी रुचियों के बारे में पता लगता है फिर आप उसी और अग्रसर होते है क्योंकि जरुरी नहीं है जिसमे आपकी रुचि आज है उसीमे आपकी रुचि कल भी हो।

हमारे जीवन में हर पड़ाव पर बहुत सारे ऐसे कार्य सामने आते है  जो हमे अपनी रूचि के अनुसार नहीं मिलते लेकिन हमें वो सभी कार्यो को करना हमारे जीवन की आवश्यकता में आ जाते है चाहे हम उस कार्य को करना चाहते है अथवा नहीं परंतु कार्य तो करना ही होता है क्यों ना  हम उन सभी कार्यो को उत्साह पूर्वक  करे।

जिस तरह से हम पुस्तक पढ़ते है अथवा जो बिषय हमारी पसंद का नहीं है फिर भी हमे उस विषय को भी पढ़ना पड़ता है क्योंकि हमें परीक्षा में सफल होना होता है, हम में से ज्यादातर छात्रों को #सामाजिक विज्ञान पढ़ने में अरुचि होती है लेकिन हमें परीक्षा में सफल होने के लिए वो विषय पढ़ना अनिवार्य होता है जबकि सामाजिक विज्ञान ही सबसे महत्वपूर्ण विषय निकल कर बाहर आता है जब आप IAS,IS आदि की परीक्षाओ की तैयारी करते है तो सबसे ज्यादा आपको सामाजिक अध्यन आदि के विषयों में ही सबसे अधिक जानकारी लेनी होती है चाहे वो विषय हमे पसंद था या नहीं परंतु जानकारी लेने के लिए उस विषय में हमे रूचि बनानी पढ़ी तथा उत्साह से के साथ पढ़ना भी पढ़ा।

इसलिए सफल व्यक्तित्व के लिए हमे सभी कार्यो को उत्साह के साथ करना चाहिए किसी भी कार्य को करते समय हमको बोरियत ना महसूस हो पूर्ण ध्यान और समग्र एकाग्रता के साथ हमे अपने कार्य को लगातार करना चाहिए तथा उस कार्य में जब तक सफलता ना प्राप्त करले तब तक हमे उस कार्य को  करना चाहिए क्योंकि वही कार्य आपको आपकी #मंजिल की और ले जाने में सहायक है।

फिर हमें परीक्षा हेतु के लिए पढ़ने होते है ताकि हम परीक्षा में सफल हो सके यदि हम वही विषय उत्साह से पढ़े तो हम सफल तो होंगे ही अपितु उस विषय में अच्छे अंक भी प्राप्त कर पाएंगे।

या फिर एक ही काम को बार बार करते हुए हम बोर हो जाते है परंतु वो कार्य करना हमारी मज़बूरी होता है यदि हम वही कार्य रूचि के साथ करे तो हम उस कार्य को अच्छे ढंगसे तथा अच्छे परिणाम की स्तिथि तक करते है क्युकी सबकी अपनी रुचि होती है अलग अलग विषयों में इसलिए हमे हमेशा इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

जीवन का आनंद

बच्चों से लेनी चाहिए शिक्षा पहली बात खुश रहना अकारण…..
जीवन का आनंद आ जाएगा जीवन होगा उच्च नहीं रहेगा साधारण ।
दूसरी शिक्षा हमेशा कुछ न कुछ करते रहना , रहना व्यस्त ….
कर्म की शिक्षा मन रहेगा व्यस्त तो व्यक्ति भी रहेगा स्वस्थ ।
तीसरी शिक्षा अपनी छोटी छोटी माँगो को मनवाना बिना अहंकार …..
कितनी चाहत विश्वास और ध्यान माँग पे कि होगी इच्छा मेरी स्वीकार ।
आओ बच्चों से सीखे जीवन का अर्थ….
अभी भी समय न करे यह जीवन व्यर्थ ।

यह एक छोटी रचना है, जो बच्चों को समझाती है कि शिक्षा के माध्यम से हमें खुश रहना, कार्य में व्यस्त रहना और अहंकार के बिना अपनी छोटी-छोटी मांगों को पूरा करना चाहिए। यह शिक्षा हमें साधारण जीवन को ऊँचा बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है, ओर जीवन का आनंद देती है।

धूप और ठंड

धूप और ठंड का मज़ा घर से बाहर की यह खिलखिलाती धूप ओर भीतर कमरे की ठंड दोनों ही बहुत मजेदार है, जब बाहर जाते है तो मन नहीं करता धूप से घर वापस जाने का ओर जब भीतर होते है तब बाहर निकलने का मन नहीं होता बस लगता है कंबल में यू ही दुबककर बैठे रहे ओर आलस से भरे रहे।

उस आलस में भी जीवन का आनंद आने लगता है, लगता है कुछ काम नहीं हो बस आराम ही आराम हो, यही बैठ सारे सुख है बाहर क्यू जाना इस ठंड में लेकिन बाहर निकल देखो तो सूरज भी तुमसे कहता है की बैठ यह मैं तेरे शरीर के तापमान को ठीक कर दू, तू बस बैठ जा चाहे खड़ा हो जा कुछ देर यही, सर्दी की धूप भी ऐसी लगती मानो गर्मी में तुम ठंडी ठंडी आइसक्रीम खा रहे हो।

बाहर की उस खिलखिलाती धूप को देख ऐसा लगता है की बस इसी धूप के साथ वक्त गुजार लू, भीतर आकार तो सर्दी लगती है, समय अभी 11:45 का दोपहर होने लगी थी, सर्दी की धूप तो बहुत ही अच्छी लगने लगती है, धूप और ठंड का मज़ा यह दोनों एकसाथ सर्दी में ही मिलते है, गर्मी में इन दोनों का आनंद नहीं अछूता ही रहता है।

सर्दी में शरीर तो ठंडा ठंडा हो गया है, जैसे सर्दी में शरीर पूरी तरह अकड़ ही गया हो, घर में तो जैसे सीलन सी आई हुई हो, घर की चार दिवारे एकदम ठंडी बर्फ सी हो गई है, घर में जब होते है तो लगता है की रजाई औढकर बस बैठे रहो, ओर रजाई से बाहर ही नहीं निकलो लेकिन बाहर की धूप देख कर ऐसा लगता है की अब भीतर ना जाऊ यही खड़ा रहु या फिर बस चारपाई बिछा कर लेट जाऊ अब तो यही एक मन में चलता है।

शरीर भी गजब की चीज है बहुत आलस ओर आराम चाहता है, कभी कुछ खास मेहनत नहीं करना चाहता कठिन परिस्थितियों का सामना भी नहीं करना चाहता, बस यू ही आरामदायक जिंदगी को जीना चाहता है, लेकिन यदि इसी तरह से आराम चाहेगा तो कभी मजबूत नहीं बन पाएगा इसलिए जब सर्दी ओर गर्मी इन दोनों मौसम का आनंद लेना चाहिए, इस शरीर को ठंड की भी आदत हो ओर गर्मी की भी आदत होनी चाहिए।