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सकारात्मक प्रतीक्षा

सकारात्मक प्रतीक्षा की करते है बात, लिखने का कार्य कुछ देर रोकते है ओर चलते है उनसे करने के लिए मुलाकात, जब कोई इंतजार कराए उसमे बहुत होने को होता है, इंतजार में बहुत कुछ बाकी होता है उस इंतजार का स्वाद हर किसी से चखा नहीं जाता, कोई दुखी हो जाता है तो इंतजार कर ही खुश हो जाता है, बहुत सारे सपने इंतजार में ही बुन लेता है कुछ अधूरे रह जाते है तो कुछ पूरे हो जाते है।

सकारात्मक प्रतीक्षा की करेंगे बात….
लेखन से करने निकले उससे मुलाक़ात ।

इंतज़ार मतलब प्रतीक्षा….
कुछ अच्छा होने की आकांक्षा ।

प्रतीक्षा का आनंद….
पकने पे आती सुगंध ।

प्रतीक्षा बहुत भली…..
ज़बरदस्ती  से मुसीबतें पली  ।

ज़बरदस्ती…
बल प्रयोग बात सस्ती ।

प्रतीक्षा में आनंद….
सब्र सही समय की गंध ।

प्रतीक्षा एक आशा…
भीतर संतुलन की भाषा ।

प्रतीक्षा नहीं कामचोरी….
भीतर से पुकार ,नहीं कमजोरी ।

प्रतीक्षा बलवान…..
बने वो पहचान ।

सकारात्मक प्रतीक्षा की करेंगे बात,
लेखन से करने निकले उससे मुलाक़ात।

जीवन की उड़ान को बढ़ाते सपने,
आशा के पंखों पर पूरे करते अपने।

ख्वाबों की गुड़ियों को हम बनाते,
आगे बढ़ते रहते, ना होते थमाते।

हर दिन नए सपनों को लेकर आते,
मिटाते अंधकार, अपने आगे ज्योति प्रज्वलित करते।

निराशा की बादलों को छेड़कर,
सकारात्मकता के सूरज को उगलते।

मुश्किलों का सामना करते निडरता से,
हार न मानते, खुद को जीतते।

विचारों की उड़ान को लेते उच्चाईयों पर,
दृढ़ता के साथ आगे बढ़ते हैं हम।

हर दिन एक नयी प्रतीक्षा के साथ,
जीवन के सफर में आनंदित रहते हैं हम।

सकारात्मकता की किरणों से ज्योतित हैं हम,
उम्मीदों के प्रदीप से प्रज्वलित हैं हम।

जीवन के पथ पर चलते रहें सकारात्मकता के साथ,
आगे बढ़ते रहें, खुशियों को बांटते रहें हम।

ये सकारात्मक प्रतीक्षा का जीने का तरीका है,
खुशहाली के मार्ग पर चलने का रास्ता है।

सकारात्मक प्रतीक्षा की करेंगे बात,
आनंद और संतोष से भरी रहेगी यह रात।

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मैं सुनाता हूँ

मैं सुनाता हूँ तुम्हें जबान की कहानी….
यह मीठी तो फूल बरसते यही कड़वी तो उसकी क़ीमत पड़ती चुकानी।
ज़ुबान से दिल का निकलता महामार्ग …
बात अच्छी तो दिल होता गदगद लगती बुरी तो लगाता बंदा लार्ज।

जबान से निकला तीर नहीं होता वापस….
चूस जाता इस जीवन का पूरा मधुर रस ।
इसलिए ज़बान का/ को इस्तेमाल करे
सम्भाल के….
दे इज्जत और ले इज्जत इसके सही इस्तेमाल से..

मैं सुनाता हूँ तुम्हें जबान की कहानी,
यह मीठी तो फूल बरसते यही कड़वी तो उसकी क़ीमत पड़ती चुकानी।

ज़ुबान से दिल का निकलता महामार्ग,
वक्त के साथ बदलती कहानियों का विस्तार।

शब्दों की बातें जगातीं हैं भावनाएं,
ज़ुबान की बारीकी से उभरती हैं आदतें।

एक मुस्कान की ताकत होती है शब्दों में,
खुशियों का जादू छिपा होता है बोलों में।

प्यार की मिठास छिपी होती है वाक्यों में,
दिलों के मेल को जोड़ती हैं वाचाएं।

पर कभी-कभी कटुता भी होती है ज़ुबान में,
ठेस पहुंचाते हैं कुछ निर्बाध शब्द समयांतर में।

हमें समझना चाहिए क़ीमत शब्दों की,
नकारात्मकता से दूर रखें हम भाषाओं की।

ज़ुबान को उचित उपयोग में लाएं,
सद्य और शिष्टाचार से खुशहाली पाएं।

जबान की कहानी सुनने से पहले सोचें,
शब्दों की महत्वपूर्णता को समझें और महसूस करें।

ज़ुबान की ताकत से भर जाएं आप भरपूर,
कहें अच्छे शब्द, बनें अच्छे बहुत शानदार!

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ज्यादा योग्य

ज्यादा योग्य होना नहीं आवश्यक…
एक अच्छा मन आवश्यक बिना शक ।
व्यक्ति में योग्यता है या नहीं दिखता…
योग्य व्यक्ति देने के भाव भरा होता ।

अक्सर व्यक्ति योग्य होने का करता नाटक…
नक़ली तो नक़ली होता है देर सवेर खुलता उसका फाटक ।
हर व्यक्ति की कोशिश या जगा भाव हो कुछ न कुछ समाज को है देना….
वो योग्य व्यक्ति है अच्छे भावों से भरा मेरा  विचार है मेरा है कहना ।

व्यक्ति का मुकाबला होता है योग्यता से,
क्या सिर्फ योग्यता ही है जीवन के सबसे महत्वपूर्ण चरण?
नहीं, एक अच्छा मन भी होना अत्यंत आवश्यक,
विशेषता जो बनाती है व्यक्ति को महान।

योग्यता से काम तो होता है आसानी से,
पर मन की सुखी और स्थिरता बढ़ाती है मनोयोगी शक्ति।
व्यक्ति का ज्ञान और न्यूनता को ध्यान देता है,
उसे एक अच्छा मन ही बहुमुखी विकास का मार्ग देता है।

योग्यता तो जीवन की आपूर्ति होती है,
पर मन की सुख-शांति बनाती है व्यक्ति को आदर्श।
चाहे वह विद्या का साम्राज्य रखे या सामरिक हो,
अच्छा मन ही होता है उसका महत्वपूर्ण आधार।

व्यक्ति के ज्यादा योग्य होने से वह आगे बढ़ता है,
पर अच्छा मन ही दिखाता है उसका व्यक्तित्व कीमती।
योग्यता तो बस एक अंग होती है उसकी,
पर मन की गुहार बदलती है जीवन की दिशा।

तो अपना मन सदा प्रशांत और स्वस्थ रखो,
क्योंकि योग्यता से ज्यादा आवश्यक है अच्छा मन बिना शक।
जगाओ उसे सुगमता और समृद्धि की ऊंचाइयों पर,
जहां योग्यता और मन एक साथ निखारें सफलता की राह।

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लगन की चमक

लगन की चमक, लगन एक छोटा शब्द, परिभाषित करे विशेष,
हौसला और जोश की बहुत ही अनूठी भेष।

जब लगन लग जाती, जीवन देती है रंग,
बदल देती है सोच, बनाती है भाग्य को संग।

लगन वही चमत्कार है, जो बदल देती है ख्वाब,
रास्ते सजाती है मुश्किलों में उठा देती है कबाब।

जीवन की उड़ान को देती है पंख,
विफलता को पार कर, देती है सफलता की फुलवारी रंग।

हर कठिनाई को पार कर, चलती है आगे,
लगन की रोशनी जगाती है हर एक रिश्ते को साथ लेकर बढ़ती है आगे।

मेहनत की राहों में लगन बनी होती है साथी,
सपनों को साकार कर, जीने को मिलती है साथ रात-दिन।

लगन की शक्ति से जगता है कर्म,
संघर्षों को मिटा कर, देती है सफलता को आराम।

जब लगन जीवन की साथ बन जाती है इक राह,
चमकती है जीवन में बदलाव, बनाती है सफलता का महासागर अपार।

लगन की चमक, लगन एक छोटा लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द,
जो जीवन को देती है नई दिशा और उम्मीद की आभा।

लगन एक छोटा लेकिन बहुत सुंदर संदेश है इसमें , जब लगन लग जाती वही फिर चमत्कार दिखाती है जीवन को बदल देती है transform कर देती है ।
सफल जीवन में लगन अति आवश्यक ….
वही लगती बनाती बन्दे को लायक़ ।
ल से अर्थ बनता “लक्ष्य”….
बनेगे महान न हो कोई संशय ।
ग से अर्थ बनता “गंभीर”…
क़ुव्वत बदलता वो तक़दीर ।
न से अर्थ बनता “निरंतर”…
सिखाता खोजने से प्राप्त है सारे उत्तर।

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कल सिर्फ एक शब्द

कल सिर्फ एक शब्द
नहीं इसका अस्तित्व ।

कल एक कल्पना….
एक झूठा सपना ।

कल की सच्चाई….
हमेशा आज की शक्ल बनाई ।

कल सबसे बड़ा चोर…..
झूठ बोल के ख़ुद मचाता शोर ।

कल का कुख्यात भाई परसों…
कल नहीं क़ाबू वो तो दूर कोसो ।

कल का मृत पिता भूतकाल….
सूचना और याँदो को लेता सम्भाल ।

कल एक शब्द, नहीं उसका अस्तित्व….
कल का शरीर लगते कल्पना के तत्त्व ।

कल सिर्फ़ एक शब्द…
नहीं इसका अस्तित्व,
परन्तु अनगिनत ख्वाबों की एक उम्मीद,
जो दिल में समायी रहती है।

कल अनजान भविष्य की कथा,
जो अधूरी सी यादों में छिपी है।
कल की एक कहानी, एक सपना,
जिसे आज के आईने में देखी है।

कल गुजरी हुई वो पल,
जो अनुभवों में बसी है।
कल की मुस्कान, कल की आहटें,
जिन्हें आज यादों में सजायी है।

कल अभिलाषाओं की झलक,
जो आज को आराम देती है।
कल की आशा, कल की चाह,
जिन्हें आज के आसमान में पायी है।

कल सिर्फ एक शब्द
परन्तु इसकी अहमियत अनमोल है।
क्योंकि कल ही तो हमारा भविष्य है,
जिसे हम स्वयं निर्मित करते हैं।

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धन से योग्यता

धन से योग्यता का हुआ मुक़ाबला….
धन लूटता योग्यता नहीं वो कला ।
योग्यता की शक्ति से धन उपजता….
समझ योग्यता बड़ी ये साक्षात दिखता ।

योग्यता के विस्तारण में लगे ध्यान….
इसमें सब का भला सब का कल्याण ।
धन आवश्यक लेकिन योग्यता बड़ी….
धन ज़मीनी ,योग्यता आसमान में खड़ी ।

योग्यता की शक्ति से धन उपजता…
समझ योग्यता बड़ी ये साक्षात दिखता ।

धन की माला चमकती है व्यक्ति की आंखों में,
पर योग्यता से ही मिलता है सच्चा सम्मान।

वित्त की सत्ता तोड़े बन्धनों को,
योग्यता की ऊँचाईयों तक पहुँचो।

धन से केवल वस्त्र बदलते हैं लोग,
पर योग्यता से मिलती है विश्वास की नई झोली।

धन जीवन की साधना है केवल,
योग्यता ही है सफलता का मूलमंत्र।

ताकत की दौड़ में धन कहाँ पहुँचा सकता है,
पर योग्यता की उड़ान सबको सच्ची ख़ुशी दिखा सकती है।

धन जो कमाया जाता है उपार्जन से,
योग्यता से ही मिलता है आदर और मान।

धन तो सिर्फ जीवन की एक दौड़ है,
पर योग्यता ही है असली ख़ुशी और बंधन।

धन के पीछे न भागो, योग्यता की ओर बढ़ो,
जीवन को समृद्धि से भर दो।

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दृढ़ निश्चय

दृढ़ निश्चय पक्का  इरादा….
भीतर की इच्छा स्वय से वादा ।

प्रेरणा बाहर व्यक्तित्व से मिलती…
भीतर दृढ़ निश्चय की फसल उपजती ।

बहुत शख़्सियत करती वो प्रभावित….
भीतरी दृढ़ निश्चयता से सब  संभावित  ।

दृढ़ निश्चयता भीतर का बल….
होती गहरी सोच से वो प्रबल ।

दृढ़ निश्चय संकल्प से  नामुमकिन होता मुमकिन…
बस ध्यान योग्य  बात न हो दृढ़ निश्चय की नकारात्मक ज़मीन ।

संकल्प भीतर चलता फिरता बाहर भी रखता नज़र….
निरंतर लक्ष्य प्राप्ति उसकी इच्छा रहता कार्यशील अग्रसर ।

कार्य पूर्ण होने से बढ़ता आत्मविश्वास…
होता दृढ़ निश्चय में शक्ति का अहसास ।

दृढ़निश्चय व्यक्तित्व निर्माण करते सुदृढ़ समाज….
कोई नहीं दबा सकता जब एक हो सबकी आवाज़ ।

दृढ़ निश्चय, पक्का इरादा,
भीतर की इच्छा, स्वयं से वादा।

हृदय में ज्वाला, उमंग की आग,
सपनों का रंग, मन में छाग।

संकल्प का बल, निर्णय की शक्ति,
हर कठिनाई को मान लें विधित।

साहस और सामर्थ्य, अपार गहराई,
अटल विश्वास, नहीं हो सकती हार पाई।

आंधी आए चाहे, तूफान चले बिना रुके,
मैं अपने सपनों को जीने का वादा दूँगे।

चरम परिश्रम, तपस्या का तेज,
कभी नहीं मुझे टालेगा कोई रेज।

बढ़ते कदम, चलते जाएंगे हर दिन,
आगे बढ़ाने का है मेरा मनोविज्ञान।

प्रतिबद्धता से जीवन, चमके उजियालों से,
ख्वाहिशों को पाने की छालों से।

जीने का इरादा, प्रगति का नया संकल्प,
क्षितिज को छूने का वादा, हर संभव अनुभव।

दृढ़ निश्चय, पक्का इरादा,
भीतर की इच्छा, स्वयं से वादा।

दृढ़ सुंदर विचार को प्रणाम…
जो बदल सकती जीवन का अवाम ।

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अपने शब्दों पर जोर

अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।

न चाहते हुए शोर हो जाता…
बात की गरिमा पे मटिया मेट हो जाता ।

यह बात बहुत ही अच्छी….
मैं अपनाना चाहता हूँ सच्ची ।

किया है संकल्प न यह टूटे….
निरंतर ध्यान प्रयास न छूटे ।

मुद्दा शोर करने पे वो भटकाता….
रखे शब्दों पे ज़ोर व्यथा रख पाता ।

आवाज़ तेज तो नये नये मुद्दे जागते…
समस्या ज्यो की तयों रहती जानते ।

मैं कही पढ रहा था….
समस्याओं को समझ रहा था ।

बारिश बरसात से फ़ुल खिलते….
बिजलियों गड़गड़ाहट से नहीं वो पलते ।

अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।

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दयालु

मित्र हो दयालु
दुनिया नहीं कृपालु ।

काम का दयालु मित्र ….
क्योंकि उसका अच्छा चरित्र ।

दयालु मित्र होता कोमल हृदय….
परेशानी दिक़्क़त में देता वो समय ।

उसका व्यवहार आपकी संपत्ति….
ध्यान रखना उसपर आये जब विपत्ति ।

व्यवहार का नहीं लेना अनुचित लाभ …
उसके जीवन से दूर करना अभाव  ।

तुम भी निभाना मित्रता…
यही जीवन की पवित्रता ।

अच्छे मित्र का बने अच्छा मित्र….
सदा बसा ले हृदय में उसका चित्र ।

यही जीवन की शुभता….
हृदय से निभाना मित्रता ।

मित्र हो दयालु,
दुनिया नहीं कृपालु।

जब चले थे हम अकेले,
तब आया था तुम्हारा मेले।
बिना सोचे, बिना जाने,
तुमने बना दिया हमको तने।

जीवन के रस्ते थे अन्धेरे,
मगर तुमने फैलाई थी रोशनी।
सबके सामने रिश्ता,
बना दिया था जैसे खोयी।

जो दर्द छिपे थे आँखों में,
तुमने उन्हें पहचाना।
जब उदास था मन और दिल,
तुमने दिया था समझाना।

जीवन के हर मोड़ पर,
तुमने थामा हाथ हमारा।
जब हम थक जाते थे चलते,
तुमने दिखाई थी आशा की चमक हमारा।

तुम्हारी मित्रता है अनमोल,
दिल की गहराइयों में बसी है खुशियों की बोल।
विश्वास और सम्मान के संग,
तुमने बना दिया हमको अच्छे इंसान।

मित्र हो दयालु,
दुनिया नहीं कृपालु।
तुम्हारे साथ है सुख-दुःख की बातें,
तुम्हारे साथ है जीवन की राहें।

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मानव का मनोविज्ञान

मानव का मनोविज्ञान
आगे करता उसका व्याख्यान ।

जब ये मन करता समस्या का ध्यान….
अनेक समस्याएँ कमर कस लेती ठान ।

जब मन संभावनाओं का लेता संज्ञान …
नई नई संभावनायें सुर से करती गान ।

यह मानव का मनोंविज्ञान ….
विचार करे किसका करेंगे ध्यान ।

मन विकास ही मानव का विकास….
मन सदा करे सही पथ का प्रयास ।

जब मन करेगा सही पथ का चुनाव…
पथ भी बुलाएगा खेलेगा अपना दावँ ।

समस्या या संभावना जिसको चुनेंगे…
जो चुनेंगे उसी विषय हम आगे बढ़ेंगे ।

मानव का  मनोविज्ञान….

मानव का मनोविज्ञान, अद्भुत विज्ञान है,
मन की गहराईयों को समझना, यह वहम है।
मनुष्य के भावों की गहराई में छुपे रहस्यों को,
सुलझाना, विश्लेषण करना, यही है विज्ञान का आदर्श।

हमारे मन में छिपी भावनाओं का खेल है यह,
जो भूतपूर्व और अदृश्य है, जानने का अभिषेक।
शोधकर्ताओं ने किया मानव का अध्ययन,
मन की अनगिनत गहराइयों का खोजना, यही है उनकी महत्वपूर्ण मिशन।

मन की विचारधारा, उत्पत्ति से लेकर विकास तक,
बदलती रही हमेशा, इसका मनोविज्ञान है अविरत।
ज्ञान के राजमार्ग से भ्रमित मनों को दिशा देता,
व्यक्ति के व्यवहार को समझना, यही है इसका सिद्धांत।

व्यक्ति की प्रवृत्तियों को विश्लेषण करता,
मन के भीतर छुपी मानसिकता को समझता।
संघर्षों, आनंदों, भयों की उत्पत्ति का कारण,
मनोवैज्ञानिकों ने खोजा, यही है उनका ज्ञान।

हमारे मन के गहरे अभिप्रेत अवस्थाओं को,
व्यक्त करना, उन्हें समझना, यही है मनोविज्ञान का लक्ष्य।
समाज की समस्याओं का हल ढूंढना है यहाँ,
मानव के मन को जानना, यही है इस विज्ञान का ध्येय।

क्या मैंने किया सही व्याख्यान ?