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दृढ़ निश्चय

दृढ़ निश्चय पक्का  इरादा….
भीतर की इच्छा स्वय से वादा ।

प्रेरणा बाहर व्यक्तित्व से मिलती…
भीतर दृढ़ निश्चय की फसल उपजती ।

बहुत शख़्सियत करती वो प्रभावित….
भीतरी दृढ़ निश्चयता से सब  संभावित  ।

दृढ़ निश्चयता भीतर का बल….
होती गहरी सोच से वो प्रबल ।

दृढ़ निश्चय संकल्प से  नामुमकिन होता मुमकिन…
बस ध्यान योग्य  बात न हो दृढ़ निश्चय की नकारात्मक ज़मीन ।

संकल्प भीतर चलता फिरता बाहर भी रखता नज़र….
निरंतर लक्ष्य प्राप्ति उसकी इच्छा रहता कार्यशील अग्रसर ।

कार्य पूर्ण होने से बढ़ता आत्मविश्वास…
होता दृढ़ निश्चय में शक्ति का अहसास ।

दृढ़निश्चय व्यक्तित्व निर्माण करते सुदृढ़ समाज….
कोई नहीं दबा सकता जब एक हो सबकी आवाज़ ।

दृढ़ निश्चय, पक्का इरादा,
भीतर की इच्छा, स्वयं से वादा।

हृदय में ज्वाला, उमंग की आग,
सपनों का रंग, मन में छाग।

संकल्प का बल, निर्णय की शक्ति,
हर कठिनाई को मान लें विधित।

साहस और सामर्थ्य, अपार गहराई,
अटल विश्वास, नहीं हो सकती हार पाई।

आंधी आए चाहे, तूफान चले बिना रुके,
मैं अपने सपनों को जीने का वादा दूँगे।

चरम परिश्रम, तपस्या का तेज,
कभी नहीं मुझे टालेगा कोई रेज।

बढ़ते कदम, चलते जाएंगे हर दिन,
आगे बढ़ाने का है मेरा मनोविज्ञान।

प्रतिबद्धता से जीवन, चमके उजियालों से,
ख्वाहिशों को पाने की छालों से।

जीने का इरादा, प्रगति का नया संकल्प,
क्षितिज को छूने का वादा, हर संभव अनुभव।

दृढ़ निश्चय, पक्का इरादा,
भीतर की इच्छा, स्वयं से वादा।

दृढ़ सुंदर विचार को प्रणाम…
जो बदल सकती जीवन का अवाम ।

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अपने शब्दों पर जोर

अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।

न चाहते हुए शोर हो जाता…
बात की गरिमा पे मटिया मेट हो जाता ।

यह बात बहुत ही अच्छी….
मैं अपनाना चाहता हूँ सच्ची ।

किया है संकल्प न यह टूटे….
निरंतर ध्यान प्रयास न छूटे ।

मुद्दा शोर करने पे वो भटकाता….
रखे शब्दों पे ज़ोर व्यथा रख पाता ।

आवाज़ तेज तो नये नये मुद्दे जागते…
समस्या ज्यो की तयों रहती जानते ।

मैं कही पढ रहा था….
समस्याओं को समझ रहा था ।

बारिश बरसात से फ़ुल खिलते….
बिजलियों गड़गड़ाहट से नहीं वो पलते ।

अपने शब्दों पर जोर दे….
ख़याल न आवाज़ का शोर दे ।

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दयालु

मित्र हो दयालु
दुनिया नहीं कृपालु ।

काम का दयालु मित्र ….
क्योंकि उसका अच्छा चरित्र ।

दयालु मित्र होता कोमल हृदय….
परेशानी दिक़्क़त में देता वो समय ।

उसका व्यवहार आपकी संपत्ति….
ध्यान रखना उसपर आये जब विपत्ति ।

व्यवहार का नहीं लेना अनुचित लाभ …
उसके जीवन से दूर करना अभाव  ।

तुम भी निभाना मित्रता…
यही जीवन की पवित्रता ।

अच्छे मित्र का बने अच्छा मित्र….
सदा बसा ले हृदय में उसका चित्र ।

यही जीवन की शुभता….
हृदय से निभाना मित्रता ।

मित्र हो दयालु,
दुनिया नहीं कृपालु।

जब चले थे हम अकेले,
तब आया था तुम्हारा मेले।
बिना सोचे, बिना जाने,
तुमने बना दिया हमको तने।

जीवन के रस्ते थे अन्धेरे,
मगर तुमने फैलाई थी रोशनी।
सबके सामने रिश्ता,
बना दिया था जैसे खोयी।

जो दर्द छिपे थे आँखों में,
तुमने उन्हें पहचाना।
जब उदास था मन और दिल,
तुमने दिया था समझाना।

जीवन के हर मोड़ पर,
तुमने थामा हाथ हमारा।
जब हम थक जाते थे चलते,
तुमने दिखाई थी आशा की चमक हमारा।

तुम्हारी मित्रता है अनमोल,
दिल की गहराइयों में बसी है खुशियों की बोल।
विश्वास और सम्मान के संग,
तुमने बना दिया हमको अच्छे इंसान।

मित्र हो दयालु,
दुनिया नहीं कृपालु।
तुम्हारे साथ है सुख-दुःख की बातें,
तुम्हारे साथ है जीवन की राहें।

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मानव का मनोविज्ञान

मानव का मनोविज्ञान
आगे करता उसका व्याख्यान ।

जब ये मन करता समस्या का ध्यान….
अनेक समस्याएँ कमर कस लेती ठान ।

जब मन संभावनाओं का लेता संज्ञान …
नई नई संभावनायें सुर से करती गान ।

यह मानव का मनोंविज्ञान ….
विचार करे किसका करेंगे ध्यान ।

मन विकास ही मानव का विकास….
मन सदा करे सही पथ का प्रयास ।

जब मन करेगा सही पथ का चुनाव…
पथ भी बुलाएगा खेलेगा अपना दावँ ।

समस्या या संभावना जिसको चुनेंगे…
जो चुनेंगे उसी विषय हम आगे बढ़ेंगे ।

मानव का  मनोविज्ञान….

मानव का मनोविज्ञान, अद्भुत विज्ञान है,
मन की गहराईयों को समझना, यह वहम है।
मनुष्य के भावों की गहराई में छुपे रहस्यों को,
सुलझाना, विश्लेषण करना, यही है विज्ञान का आदर्श।

हमारे मन में छिपी भावनाओं का खेल है यह,
जो भूतपूर्व और अदृश्य है, जानने का अभिषेक।
शोधकर्ताओं ने किया मानव का अध्ययन,
मन की अनगिनत गहराइयों का खोजना, यही है उनकी महत्वपूर्ण मिशन।

मन की विचारधारा, उत्पत्ति से लेकर विकास तक,
बदलती रही हमेशा, इसका मनोविज्ञान है अविरत।
ज्ञान के राजमार्ग से भ्रमित मनों को दिशा देता,
व्यक्ति के व्यवहार को समझना, यही है इसका सिद्धांत।

व्यक्ति की प्रवृत्तियों को विश्लेषण करता,
मन के भीतर छुपी मानसिकता को समझता।
संघर्षों, आनंदों, भयों की उत्पत्ति का कारण,
मनोवैज्ञानिकों ने खोजा, यही है उनका ज्ञान।

हमारे मन के गहरे अभिप्रेत अवस्थाओं को,
व्यक्त करना, उन्हें समझना, यही है मनोविज्ञान का लक्ष्य।
समाज की समस्याओं का हल ढूंढना है यहाँ,
मानव के मन को जानना, यही है इस विज्ञान का ध्येय।

क्या मैंने किया सही व्याख्यान ?



गर्मी

आई गर्मी शुरू हुआ क़त्ले आम …..
काट कर मिलता ग़ुद्देदार मीठा इनाम ।

नाम आम लेकिन नहीं वो आम है….
फलों के राजा का अच्छा ख़ासा दाम है ।

एदशहरी लंगड़ा तोतापुरी चौसा हापुस….
आमरस खाओ चूसो दिन होवे ख़ुश  ।

हम लंगड़े को भी काट डालते….
बिना FIR के उसका रस निकलते ।

ये आम है बहुत ख़ास…..
भिन्न भिन्न किस्मों का इसका इतिहास ।

आम रस के साथ मिला दो दूध….
ठंडा करके पियो यह शक्ति का बारूद  ।

गर्मी का राजा फल आम….
इसको बारंबार मेरा दण्डवत प्रणाम ।

गर्मी की आई छुट्टी, खुशी दिलाए बच्चों को ये गुद्दे,
आम के रंगीन दरियाबंद, खिल उठा खुशहाली का जहां।

टपटपाते धूप के नीचे, फलों की विश्रामभूमि है यहाँ,
आम के रसीले गीले स्वाद से भरपूर है यह इनाम।

लाली-गुलाबी हो जाते हैं, ये खट्टे-मीठे फल कच्चे,
दिल जीतते हैं उनके स्वाद से, जिन्हें खाने का मौका मिले सबको सच्चे।

आम की आमदानी से, आम की होती है खुशियाँ बन जातीं,
गर्मी की तपिश से हमें, आम की मिठास मिल जातीं।

अंगूरी-आमली खट्टी-मीठी चटनी में, आम का जो जाम लगाते हैं,
मौसम ये जो खुशियों की बौछार लाते हैं।

गर्मी के दिनों में आम की बारिश होती है खुशियों की,
इस तरह से आम की खेती से हमें अन्न भी मिलती हैं प्यार की भरपूर खुशियों की।

आई गर्मी शुरू हुआ क़त्ले आम,
काट कर मिलता ग़ुद्देदार मीठा इनाम।



आम प्रभु सदा दर्शन देना….
क़त्लेआम कर देंगे मेरा कहना ।

पेड़ का पहला पत्ता

पेड़ का पहला पत्ता हो सकता है बड़े जंगल की शुरुआत …
शुभ आशा से करे कार्य बदल जाएँगे विपरीत हालात ।
ख़ुशियाँ चाहिए तो पहले उनको देना सीखना होगा…..
शुरुआत तो कीजिए असंभव भी संभव होगा ।

हृदय से कीजिए अपना कार्य 100 परसेंट….
जीवन का एक नाम और कार्य उसका करना एडजस्टमेंट ।
कोई शुरुआत नहीं होती छोटी बड़ी….
सोच  ही होती छोटी ,बड़ी या हथकड़ी।

पेड़ के हर पत्ते में छुपी है कहानी,
जंगलों की शुरुआत, अद्भुत विज्ञानी।
पहला पत्ता जैसे खुशी का प्रतीक,
जीवन के आगामी सफर की प्रारंभिक।

शुभ आशा से होते हैं सबके कार्य,
कर देंगे बदल दुःखी हालात प्यारे।
जैसे बदलता है मौसम का रंग,
विपरीत पल भी छू जाएँगे खुशियों के संग।

ख़ुशियाँ चाहिए हमें, ये सच है,
लेकिन उन्हें देना बहुत जरूरी है।
जैसे पेड़ अपनी शाखाओं को फैलाता है,
हमें भी पहले देना सीखना होगा, सहज रूप से खुशियों का प्रकटा।

चाहिए ताजगी, चाहिए ख़ुशहाली,
कर देंगे साथी खुशियों की समुराई।
हाथ मिलाएं और आगे बढ़ें सब,
ख़ुशियों की नई धारा में उतर जाएँ अब।

पेड़ का पहला पत्ता सिखाता है हमें,
कर्मठता, धैर्य और नयी आशा के ज्ञान।
खुद को बदलें, खुशियों को बांटें,
सृष्टि के रंगों में रंग जाएँ अब हम सबसे बढ़कर।


भीतर सच

भीतर सच का करना पड़ता सामना…
मन में सुखों की दुखों की अनंत कामना।

मन के छलावों को जानिए समझिए…
आप यात्री दूर के बचे, इनमें न उलझिए।

भावनाओं की सच्चाई को जानें,
अपने अंदर की गहराई को समझें।
जब अवसर आए, तब लहरें न उठाएं,
सच्ची चेतना से मन को भरपूर समझें।

छलावों की भूमि पर न चलें आप,
सत्य की ओर बढ़ें, खुद को पकड़ें आप।
साहस और धैर्य से यह यात्रा करें,
चिंताओं के बंधन से मुक्ति पाएं।

खो न जाएं अपनी मन की गहराई,
जागरूक रहें, बनें आत्मनिर्भर आप।
अवगुणों को जानें, सहज रहें आप,
स्वयं को खोजें, अपनी सत्यता को छापें।

सत्य का सामना हमेशा करें,
मन की माया से दूर हमेशा रहें।
यह यात्रा अनंत है, अथाह है रास्ता,
चिंताओं की झूली से खुद को बचाएं आप।

ख़ुद के बारे असली सूचक हम ख़ुद…
बस झांकना है भीतर इंतज़ार करे शुद्ध ।
खबर आएगी सच्ची बात ये एकदम खरी.
भीतर सब कुछ , दुनिया भीतर  हरी भरी ।

भीतर सच का करना पड़ता सामना…
मन में सुखो दुखों की अनंत कामना ।
मन के छलावो को जानिए समझिए…
आप यात्री दूर के  बचे इनमें न उलझिए ।



रिक्तता को बनाना

रिक्तता को बनाना बनाये रखना अति आवश्यक….
रिक्तता के कारण नहीं होता टकराव नहीं होती कसक ।
सब का कार्य क्षेत्र उसमे रिक्तता अनिवार्य…
एक निश्चित दूरी बनाए रखे, आवश्यक इतना धैर्य ।

जब रिक्तता होती है, वह जगह मिलती है विचारों की,
जहाँ नए कार्यों के बीज बोने को मिलती है शक्ति।
जब दिमाग खाली होता है, उसे भरती है कल्पना,
नये और अद्वितीय रूप लेती है जगत की सृजनशीलता।

अस्थायी रिक्तता देती है आशा का समुंदर,
जहाँ तलाशी जाती है नये सपनों की सत्यता।
विचारों की गाथा बुनती है अद्वितीय कविता,
सृजनशील विचारों को मिलता है पथ प्रशस्ति का निशान।

पर धैर्य की आवश्यकता है, जब रिक्तता होती है,
क्योंकि नये कार्यों के लिए समय लगता है।
धीरे-धीरे उगते हैं सपने, नये विचार बहार आते हैं,
धैर्य से इंतजार करो, नयी रोशनी जगमगाती है।

तो चलो, धैर्य बनाए रखो, इस रिक्तता के बीच,
नए सपनों की उड़ान भरें, अपार सफलता के बीच।
रिक्तता है सृजनशीलता का आदान-प्रदान स्थान,
जब उसे सही तरीके से उपयोग करो, होती है जीवन की ज्ञान।

रिक्तता को बनाना बनाये रखना अति आवश्यक…
रिक्तता के कारण नहीं होता टकराव नहीं होती कसक।
सब का कार्य क्षेत्र उसमे रिक्तता अनिवार्य, एक निश्चित दूरी बनाए रखे, आवश्यक इतना धैर्य।

जीने का अंदाज

हमे देखना है क्या है हमारे पास….
यही सही जीने का अंदाज ।
जो पास वही सच में असली…
उसी में ख़ुशियाँ मिलेगी तसल्ली ।

वर्तमान में जो भी है उसे सम्भाले….
ज़रूर खुलेंगे क़िस्मत के बंद ताले ।
यह सब जीवन की कहानी….
सुन लो तुम मेरी ज़ुबानी ।

जीवन का असली रंग,
है वही जो हमारे पास संग।
चाहे छोटी हो या बड़ी सी बात,
ख़ुशियों का मंच है यही इक़रार।

चाहे धन हो या न हो समृद्धि,
जीने का आनंद है सदैव सिद्धि।
हमारे अंतर में जो ख़ुशी हो,
वही है सच्ची जीवन की खोज।

दूसरों की नज़रों से आगे निकल,
खुद को पहचाने और अपनाए सबक।
जो हमारा है, वही सच और असली,
खुद को खो न दें, यही है तसल्ली।

जीवन की खोज में, आगे बढ़े हम,
जो खो गया, उसे छोड़ दें हम।
ख़ुशियों की खेलती दुनिया में,
हमारी जोड़ी हो, समृद्धि और सद्भावना से।

यही सही जीने का अंदाज है,
जो पास है, वही हमारी असली आज़।
ख़ुशियों के संग जीवन का मेल,
अपनी पहचान में हमें मिलेगी तसल्ली।



समय का सदुपयोग

यदि समय का सही सदुपयोग नहीं होता है तो अक्सर मेरा मूड खराब हो जाता है, मेरा मूड जो इस समय काफी खराब है वो ठीक ही नहीं हो रहा लगातार बिगड़ता ही चला जा रहा है, जैसे पहले हो रहा था जब मैं अपनी पुरानी दुकान पर था, तब भी मेरे साथ यही हो रहा था लेकिन मैं उधर फिर भी बीच बीच में खुश रहता था क्युकी वहाँ लोग मिलने के लिए आते रहते थे, जिनसे बाते करके शब्द हल्के हो जाते है, मन में जो बाते घर कर जाती थी वो निकल जाती थी बाहर, जिन बातों की वजह से भीतर घुटन महसूस होती थी वो भी हल्की हो जाती थी जब किसी बच्चे से बाते हो जाती थी, अच्छी बातों में समय बीत जाता था, लेकिन इस समय ऐसा कुछ नहीं हो रहा।

मेरा समय बिल्कुल खराब हो रहा है ऐसा मुझे लगता है, मैं अपने समय का भरपूर लाभ नहीं उठा पा रहा, समय व्यर्थ ज्यादा हो रहा है जिसकी वजह से मन अशांत हो रहा है, मुझे अपने जीवन में सबसे अमूल्य वस्तु मेरा समय ही मुझे लगती है जब कोई इसका हनन करता है तो मेरा क्रोध अधिक हो जाता है, मुझे एकांत में रहना ज्यादा पसंद है, शोर शराबे से मुझे चीड़ मचती है, वो एक तरह से ध्वनि प्रदूषण है, साफ सुथरे वातावरण को पूरी तरह से दूषित किया जा रहा है।

उन शब्दों से जिनका कोई महतव नहीं है, ओर जो बुरे विचारों को बढ़ावा देते है उस प्रकार के विचार हमारे वातावरण में छोड़े जा रहे है, जिसकी समझ आज के मानव को बिल्कुल भी नहीं रही, उन्हे लगता है आजकल हर कोई गाली बक रहा है तो क्या ही फर्क पड़ेगा यदि मैं भी दु तो, इसी तरह यह बाते जो हमारे वातावरण को दूषित कर रही है लेकिन इन सभी पर कोई नियंत्रण व कानून नहीं है।

समय का सदुपयोग करना ओर अच्छी वार्तालाप करना ही उचित है ओर उसी को समय का सदुपयोग कहा जाता है, भगवत चिंतन में समय को अधिक से अधिक लगाना ही मेरे जीवन का उद्देश्य है।

यदि मैं अपने समय को व्यर्थ के कार्यों में लगता हूँ तो मेरा मूड खराब होने लगता है, मैं छिन्न भिन्न होने लगता हूँ, मेरे भीतर क्रोध भर जाता है, इसलिए पिछले कुछ दिनों से मेरा मूड अधिक खराब हो रहा है।

इसके साथ साथ मैं कुछ भी बेहतर नहीं लिख पा रहा हूँ, सिर्फ मन मस्तिष्क में वही विचार घूम रहे है जिनकी वजह से लिखने में रुचि नहीं बन पा रही है। मन जब शांत स्थिर होता है तो लिखने में आनंद आता है।

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