कल सिर्फ एक शब्द
नहीं इसका अस्तित्व ।
कल एक कल्पना….
एक झूठा सपना ।
कल की सच्चाई….
हमेशा आज की शक्ल बनाई ।
कल सबसे बड़ा चोर…..
झूठ बोल के ख़ुद मचाता शोर ।
कल का कुख्यात भाई परसों…
कल नहीं क़ाबू वो तो दूर कोसो ।
कल का मृत पिता भूतकाल….
सूचना और याँदो को लेता सम्भाल ।
कल एक शब्द, नहीं उसका अस्तित्व….
कल का शरीर लगते कल्पना के तत्त्व ।
कल सिर्फ़ एक शब्द…
नहीं इसका अस्तित्व,
परन्तु अनगिनत ख्वाबों की एक उम्मीद,
जो दिल में समायी रहती है।
कल अनजान भविष्य की कथा,
जो अधूरी सी यादों में छिपी है।
कल की एक कहानी, एक सपना,
जिसे आज के आईने में देखी है।
कल गुजरी हुई वो पल,
जो अनुभवों में बसी है।
कल की मुस्कान, कल की आहटें,
जिन्हें आज यादों में सजायी है।
कल अभिलाषाओं की झलक,
जो आज को आराम देती है।
कल की आशा, कल की चाह,
जिन्हें आज के आसमान में पायी है।
कल सिर्फ एक शब्द
परन्तु इसकी अहमियत अनमोल है।
क्योंकि कल ही तो हमारा भविष्य है,
जिसे हम स्वयं निर्मित करते हैं।
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