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पेन ओर पेपर

पेन ओर पेपर का इस्तेमाल करना बेहद खास होता है, यह एक बेहतर अनुभव है, पन्नों पर लिखना भी खास है, इन पर लिखने का अपना ही मजा है।

विचार कही रुके रुके से है, जो कहना जो कहना तो बहुत कुछ चाहते है, लेकिन कह नहीं पाते, ना जाने क्यू ये विचार खुद में ही काही अटके से है, लगता है कही भटके से है, मैं इंतजार करता हूँ इन विचारों का की मैं इन विचारों को लिख लुँगा, इनकी बात कुछ कह दूंगा लेकिन यह तो मौन हो जाते है, अपनी ही बाते अपने भीतर ही दबा कर बैठ जाते है।

मेरे भीतर ही कही रुक जाते है, कोशिश करता हूँ इनको बाहर निकालने की लेकिन यह विचार तो बाहर ही नहीं आते, जब जब मैं पेन ओर पेपर लेकर बैठता हूँ तो मेरे विचार भी धीमे हो जाते है, लेकिन लैपटॉप पर यही विचार बहुत तेजी दौड़ने लगते है, भागते है तो फिर इन्ही विचारों में भटकाव भी आता है, लेकिन कागज पर लिखने से विचारों में स्थिरता, नियंत्रण रहती है, जो लिखना चाहते है उसे अच्छे से सोच समझकर बहाली भांति हम लिख पाते है, लिखने के लिए ठहराव की आवश्यकता होती है, अक्सर तुम लिखने बैठते हो, लेकिन लिख नहीं पाते हो, कभी तुम्हारे विचार कही दूर तुमसे चले जाते है, तो कभी ही अपने विचारों से भटक जाते हो।

उन विचारों को पकड़ पाना भी मुश्किल सा हो जाता है, क्युकी यह विचार ही है, जो तुम्हें अपने इशारों पर नचा रहे है, कभी कुछ विचार आ रहे है, तो कभी कुछ तुम्हारे विचार एक स्थान पर स्थिर नहीं हो पा रहे है, जिसकी वजह से तुम बेहतर नहीं लिख पाते हो, हो सकता है की अब तुम लिखना भी नहीं चाहते हो, सिर्फ कॉपी ओर पेस्ट करना ही तुम चाह रहे हो, यह भी हो सकता है की आलस तुम्हें पकड़ रहा हो, तुम्हारा मन अब लिखने का भी नहीं कर रहा हो, यह सब तुम्हारे विचारों का ही खेल है जिसे तुम समझ नहीं पा रहे हो, ओर यदि समझ रहे हो तो भी इसी विचार जाल में फँसते ही जा रहे हो।

इससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है, इसलिए सहूलियत मत ढूंढो पेन ओर पेपर उठाकर लिखना शुरू करो, ओर बेहतर लिखते चले जाओ।

साफ पानी की समस्या

दिल्ली में साफ पानी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, हमे पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा, नल में साफ पानी नहीं आता, इसलिए आर ओ की मशीन लगवानी पड़ती है जिससे हम साफ स्वच्छ पानी पी सके, यदि आर ओ नहीं लगवाते बाजार से पानी खरीद कर पिन पड़ता है, यह आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है।

दिल्ली की सरकार ने हर रोज 700 लीटर पानी मुफ़्त कर रखा है, लेकिन मुफ़्त होना बहुत जरूरी नहीं है यदि पानी साफ ओर स्वच्छ हो तो बेहतर है, आज के समय में पानी की वजह से ही बहुत सारी बीमारिया हो जाती है, पेट की समस्या तो इसमे आम है जो हर किसी को हो ही जाती है।यह साफ पानी की समस्या खत्म हो तो बहुत सारी बीमारी होने से रुक जाए, दिल्ली के 60-65 प्रतिशत इलाकों में पानी गंदा आता है।

पानी की बर्बादी: जबसे पानी मुफ़्त हुआ लोगों को पानी को बर्बाद करने का जैसे हक मिल गया है, अधिकतर लोग अपनी पानी की मोटर चलकर ही भूल जाते है ओर पानी बहता ही रहता है, यह आप किसी भी एरिया में देख सकते है, जो नल खराब है वो महीनों तक लोग ठीक नहीं कराते इसके साथ ही 200 यूनिट तक तो बिजली भी फ्री है जिसकी वजह से दिल्ली के लोग बहुत ही लापरवाह हो चुके है।

दिल्ली की सरकार: दिल्ली की सरकार मुफ़्त में बिजली ओर पानी देकर उनकी समस्या को घट नहीं बल्कि ओर बढ़ा रही है, इस वजह से भी कुछ आलसी हो रहे है, ओर बिजली व पानी की बर्बादी कर रहे है, आने वाले समय में यह समस्या ओर बढ़ती हुई दिख रही है, यदि पानी इसी तरह से मुफ़्त मिलता रहेगा लोग बहाते रहेंगे, जिस तरह से मानव ने अपनी नदियों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी यह मानव स्वयं का ही दुश्मन है एक दिन ऐसा आएगा जब हमे साफ पानी नहीं मिल पाएगा ओर शायद हम पानी के लिए भी तरसे क्युकी हम बर्बादी करने में माहिर हो चुके है, जिस तरह से राजनीतिक दल हमे मुफ़्त का लालच देते है ओर हम उस लालच में फंस जाते है, लेकिन हम यह नहीं समझ पाते की उस जाल में हम एक खुद ही शिकार हो जाते है ओर घुट घुट कर मार जाते है।

दिल्ली की बस

मैं लगभग 3 साल बाद आज दिल्ली की बस से सफर कर रहा था, लेकिन आज बस में भीड़ को देखकर ऐसा लगा की बस पुरुषों के लिए तो रह ही नहीं गई, इन बसों में सिर्फ महिलाये ही सफर कर रही है, वो भी ऑफिस जाने के लिए नहीं सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अपने रिश्तेदारों व बाजार के लिए बस में सफर हो रहा है लेकिन जो महिलाये ऑफिस जा रही है वह इस योजना का सही ढंग से लाभ भी नहीं उठा पाती वो तो मेट्रो में जा रही या ऑटो में ही आना जाना कर रही है।

दिल्ली की बस का सफर भी कुछ ऐसा है मानो खचाखच भीड़ बस ओर कुछ नहीं केजरिवाल सरकार ने महिलाओ की टिकट मुफ़्त में कर रखी है अब पुरुष तो बस में दिख ही नहीं रहा, पता नहीं कहाँ गायब हो गया है बेचारा पुरुष हर जगह महिलाये है बस, मुझे महिलाओ से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की सरकारी बसों में पुरुषों को कोई स्थान ही न दे, एक तो सफर मुफ़्त ऊपर से सीट की जगह पर लिखा होता है की यह सीट महिलाओ की है लेकिन पुरक्षों की सीट कही भी रिजर्व नहीं होती, अब बेचारा पुरुष करे भी तो क्या करे।

कहाँ जाए जो चल चल कर थक जाता है वो किसी से बोल भी नहीं पाता की आज मैं बहुत थका हुआ हूँ मुझे सीट दे दो, वो बेचारा पुरुष कुछ रुपये बचाने की वजह से हर समय ऑटो में नहीं जाता, गाड़ी नहीं बुक करता भीड़ भाड़ भरी बस में लटकर भी चल देता है उन सरकारी बसों का घंटों तक इंतजार भी कर लेता है की ऑटो के पैसे बच जाएंगे, ज्यादा बस बदल लेगा तो ज्यादा पैसे लग जाएंगे इसलिए सीधे अपने रूट वाली बस का ही इंतजार वो करता है।

लेकिन महिलाये कितनी ही बस बदलकर चली जाती है, महिलाये तो बिना सोचे समझे ऑटो ओर गाड़ी भी कर के चलती है, क्युकी वो अपनी सहूलियत ज्यादा देखी है, उनको रिजर्व सीट तो हर जगह मिल ही जाती है, फिर चाहे उनकी सीट पर कोई बुजुर्ग भी बैठा हो वो उनको उठाकर खुद बैठ जाती इनको इसमे भी कोई शर्म नहीं आती।

क्या इस समय सरकारी बसे मुनाफे में चल रही है? जहां तक हमे लगता है की सरकारी बस घाटे में ही चल रही है क्युकी ज्यादातर संख्या तो महिलाये की होती है बस में जिनका किराया माफ है दिल्ली की सरकार की ओर से, ओर जो व्यक्ति चढ़ते है उनके पास होते है फिर सरकारी बस मुनाफे में कैसे हो पाएगी।

वादा

जो वादा हम साल की शुरुआत में अपने आपसे बहुत सारे वादे करते है, लेकिन जैसे ही कुछ दिन बीत जाते है हमारे वादे जो हमने खुद से किए वो टूटने लग जाते है, आखिर ऐसा क्यू होता है?

यह सब इसलिए होता है की हम अपने वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर पाते, या फिर वो वादे बस इसी तरह के होते है रात गई बात ओर हम वो वादा भी उसी तरह से भूल जाते है।

लेकिन यदि आप चाहते है की जो वादे आपने अपने आपसे किए थे उनको पूरे साल तक निभाया जाए तो उन वादों की लिस्ट बनानी चाहिए।

उस लिस्ट को बनाने के बाद उसे अपने कमरे की दीवार पर लगा देना है ताकि आप हर रोज उन बातों पर हर रोज ध्यान दे सको।

आपको अपनी लिस्ट को हर रोज ट्रैक करना है की आप कुछ छोड़ तो नहीं रहे, ओर आपको कभी स्किप नहीं करना।

बाकी सारे कामों को छोड़कर अपनी लिस्ट के कार्यों को हर रोज जरूर पूरा करना है इससे आपको उन कार्यों की आदत बनने लगती है, ओर हर रोज इस कार्य को एक ही समय पर करना चाहिए अब उस कार्य का निश्चित समय आपको तय कर लेना है, ताकि आप उस कार्य को उसी समय पर करे जैसे की मैं भी अपने लिखने का कार्य एक ही समाए पर करता हूँ, चाहे मेरा मन हो या नहीं लेकिन उस समय मैं अपने लैपटॉप को लेकर बैठ जाता हूँ बिना मन के भी हमे उन कार्यों को करना चाहिए जब तक हमारी रुचि उन कार्यों में नहीं बढ़ जाती।

जैसे ही आपकी आदत उस कार्य के प्रति बन जाएगी आपकी रुचि भी अधिक हो जाएगी ओर फिर आपको उस कार्य को करने में मन लगने लगेगा ओर आप उस कार्य को कभी नहीं छोड़ना चाहेंगे, इसलिए हमे लगातार बने रहने की कोशिश रखनी चाहिए ताकि हम किसी भी दिन उस कार्य को छोड़े नहीं वो जो वादा हमने अपने आपसे किया था साल के पहले दिन उस वादे को साल के आखिरी दिन तक निभाते रहे ओर उसमे प्रगति करे, उस लक्ष्य को पूरा करे व सफलता हासिल करे।

शब्द

शब्द क्या है ? यह कैसे कार्य करते है ? यह कितने प्रकार के होते है, शब्द भाषा की मूल इकाई हैं जो वाक्य और भाषा को रचनात्मक ढंग से व्यवस्थित करते हैं। शब्द एक ऐसा स्थायी या अस्थायी ध्वनि या ध्वनियाँ होती हैं जो किसी विशिष्ट वस्तु, व्यक्ति, स्थान, भावना या विचार का व्यक्त करती हैं।

शब्दों का उपयोग भाषा के संरचनात्मक इकाई जैसे वाक्यों, वाक्यांशों और वर्णों को संभव बनाते हैं। वे भाषा के व्याकरण तत्वों में विभिन्न भूमिकाओं का निर्धारण करते हैं, जैसे कि कारक, विशेषण, संज्ञा, क्रिया, अव्यय आदि।

व्याकरण में, शब्द वर्णों का एक समूह होता है। हर भाषा में शब्दों की संख्या अलग-अलग होती है, लेकिन वे सभी एक विशिष्ट भाषा के संरचना में उपयोग किए जाते हैं। शब्दों का उपयोग भाषा की विभिन्न विधाओं में जैसे कि बोली, लेखन, पढ़ना, सुनना आदि करने में किया जाता है।

शब्दों को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि संज्ञा, क्रिया, विशेषण, सर्वनाम, अव्यय आदि। इन प्रकारों के अलावा, शब्दों को बहुत से अन्य वर्गों में भी वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि स्वर, व्यंजन, संयुक्त वर्ण, समास आदि।

शब्दों का उपयोग हमारी संवाद क्षमता को बढ़ाता है और हमें अपने विचारों, भावनाओं और ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करने में मदद करता है। शब्दों का उपयोग हमें संवाद करने, समझने, लेखन करने, सुनने और पढ़ने के लिए आवश्यक होता है। अधिक संवेदनशील भाषाओं में, शब्दों के साथ भावनाओं और भावों को व्यक्त करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

आगे भी हम शब्दों को समझेंगे, उन पहचानेंगे ओर इन शब्दों के अर्थ को समझेंगे, शब्द किस प्रकार से कार्य करते है? तथा इन शब्दों का हमारे जीवन में क्या महत्व है, इसी तरह के मैंने कुछ और भी लेख लिखे हुए जिनकी सहायता से आप शब्दों के बारे में और भी गहराई से जान सकते है।

यह भी पढे: शब्द किसे कहते है? शब्द हूँ मैं, शब्द क्या है?, शब्द जो चोटिल करदे,

ख्वाब

ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दीजिए, ख्वाब हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, जो हमें जीवन की दिशा तय करने में मदद करते हैं। यदि आप अपने जीवन में अपने ख्वाबों को शामिल करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:

1. ख्वाबों को लिखें: अगर आप अपने ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो उन्हें लिखें। अपने ख्वाबों को नोटबुक में या अपने मोबाइल फोन में लिखें। इससे आपके ख्वाब स्पष्ट होगें और आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।

2. एक कार्यात्मक योजना तैयार करें: जब आप अपने ख्वाबों को स्पष्ट कर लेते हैं, तो आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए एक कार्यात्मक योजना तैयार कर सकते हैं। आप अपने ख्वाबों के लिए लक्ष्य तय कर सकते हैं और एक योजना बना सकते हैं जो आपको उन्हें पूरा करने में मदद करेगी।

3. संगठित रहें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको संगठित रहना होगा। आपको अपने ख्वाबों के लिए समय निकालना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए उचित योजना बनाने की जरूरत होगी।

4. निरंतर मेहनत करें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको निरंतर मेहनत करनी होगी। आपको अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना होगा और सफलताप्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना होगा।

5. आपसे सहयोग मांगें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आप दूसरों से सहयोग मांग सकते हैं। आप उनकी सलाह और मार्गदर्शन ले सकते हैं जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

6. सकारात्मक सोच रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको सकारात्मक सोच रखना होगा। नकारात्मकता आपको अपने लक्ष्यों के प्रति निराश कर सकती है, इसलिए आपको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।

7. धैर्य रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको धैर्य रखना होगा। सफलता का मार्ग अनिश्चित हो सकता है और इसलिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना होगा। धैर्य रखना आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए आवश्यक जानकारी, कौशल और अनुभव जुटाने में मदद करेगा।

इन सुझावों का पालन करते हुए आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल कर सकते हैं और अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

युवा

“युवा साथीत्व के रंगमंच पर दिखाए अपार प्रतिभा और सहयोग” एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक नाटक का आयोजन रखा गया। इस नाटक के लिए गाँव के सभी लोग आए , जहां उन्हें एक रंगमंच तैयार करने के लिए आदेश दिया गया।

गांव के युवा समिति ने अपनी सोच और कला का प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित होकर रंगमंच की तैयारी शुरू कर दी। वे सभी अपनी कठिनाइयों के बावजूद मिलकर काम करने लगे।

कुछ लोग मोर्चे बनाने में लगे, कुछ लोग पैंटिंग का काम कर रहे थे, और कुछ लोग सेट डिजाइन और सीनरी के लिए जिम्मेदार थे। युवा सदस्यों ने आपस में सहयोग करते हुए एक सुंदर और आकर्षक रंगमंच तैयार किया।

नाटक का दिन आ गया और सभी गांववासी उत्सुकता से नाटक का आयोजन देखने के लिए आए। नाटक शुरू हुआ, और गांववासी नाटक के पात्रों की प्रतिभा, अभिनय और कथानक को देखकर प्रभावित हो उठे। रंगमंच पर उनकी रचनात्मकता और प्रतिभा की झलक दिखाई दी।

नाटक का समापन हो गया और सभी लोग आपस में गले मिले और बधाई देने लगे। यह नाटक और रंगमंच ने न सिर्फ एक कहानी को बयां किया, बल्कि गांव के युवाओं में आत्मविश्वास, सामर्थ्य और सहयोग की भावना को भी जगाया।

इस छोटी सी कहानी से स्पष्ट होता है कि रंगमंच हमें अपनी प्रतिभा का परिचय कराने के साथ-साथ समजबूत समाजी बंधन बनाने में भी मदद करता है। यह गांव के युवाओं को एक मंच प्रदान करता है जहां वे अपनी कला, संगठनशीलता, और सहयोग कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं। यह एक उदाहरण है कि जब लोग साथ मिलकर काम करते हैं और एक लक्ष्य के लिए मेहनत करते हैं, तो उनकी सामरिकता और समृद्धि बढ़ती है।

इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि सामूहिक योगदान और टीमवर्क अद्यतन करने की आवश्यकता होती है। छोटी से छोटी उपलब्धियों के लिए भी सहयोग और समर्पण की आवश्यकता होती है, क्योंकि इससे हमारे आसपास के लोगों को प्रेरित करने और उन्हें उदाहरण स्थापित करने में मदद मिलती है।

यह भी पढे: जादू की छड़ी, कलाकार का जीवन, सब संभव, जब कोई आपसे पूछे, ज्यादा योग्य,

मन का भटकाव

मन का भटकाव: मन के विचारों में इतना भटकाव क्यों है ? मन क्यों इधर उधर इतना भटक रहा है? यह विचार स्थिर क्यू नहीं होते ? क्या तरीका है इनको स्थिर करने का जानते है, धीरे धीरे कैसे अपने विचारों को स्थिर किया जा सकता है, ओर कैसे इन विचारों पर नियंत्रण लाया जा सकता है? यह मन का भटकाव कैसा है ?

मन ना जाने कितने ही विचारो को बुनने लगता है, ओर मन का भटकाव होता है , हमारे अंतिम लक्ष्य से हमको दूर करता है यह मन लगातार नए कार्यों को जोड़ना चाहता है ओर पुराने को छोड़ना

मन के भीतर तो अनेकों  विचारों का समूह है, जो लगातार बढ़ रहा है इन विचारों का कोई अंत नहीं दिखता ये तो बस लगातार ही बढ़ता ही जा रहा है, क्या ये विचार कभी रुकेंगे या फिर यू ही चलते रहेंगे।

इस विचार समूह को छोटा कैसे करे? और इस समूह को एक विचार पर लाकर कैसे रोके अथवा नियंत्रित करे? क्या एक विचार पर लाना सही होगा या फिर यू ही इसको बढ़ते रहने देना चाहिए।

किसी दृश्य को देखने पर उसके बारे में लगातार सोचना और ना जाने क्या क्या बुन  लेना , 
हमारे लक्ष्य की रुकावट का कारण बन जाती है और हम अपने लक्ष्य से दूर हो जाते है।

बाहरी दृश्य आपके अंतर के परिणाम में अनेक परिवर्तन कर रहे है, जिन्हे हम जानकर और अनजाने में अनदेखा कर रहे है और उसका परिणाम भटकाव है।

ये आंखे उन दृश्य को लगातार देख रही है, ओर उन सभी दृश्यों को विचार रूप में परिवर्तित कर रही है , इन विचारों पर कैसे नियान्तर्न लाए इनको कैसे स्थिर करे ?

अपने विचारो को एक जगह स्थिर करे और देखे उनको की वह किस और जाने की कोशिश कर रहे है।

मन भीतर अनेक विचार लगातार दौड़ रहे है कुछ विचार पुनः पुनः आ जाते है , अर्थात बार लौटकर वही विचार हमारे मन में दुबारा आ जाते है और हम उन कुछ ही विचारों के साथ अपना पूरा दिन व्यस्त कर बैठते है जबकि वो विचार किसी भी काम के नहीं होते उन बेकार के विचारों पर हम अपना समय बर्बाद किए जा रहे है इन विचारों को हटाकर हुमए कुछ ऐसे नए विचारों को अपने भीतेर लाना चाहिए जिनसे हम अपने आने वाले कल को और बेहतर बना सके।

कुछ नए है लेकिन जो दुबारा आ रहे है उनका क्या कारण क्या  है ?

अपने विचारो को एक सही दिशा में दौड़ाना और लक्ष्य की और अग्रसर करना ही बेहतर है
बहुत सारे विचारो का निचोड़ क्या है?

सिर्फ वही बात दुबारा – दुबारा सोचना जिसका परिणाम कुछ नही है, जिसका कोई परिणाम नहीं फिर भी  उसके बारे में इतना क्यों सोचना
चित ओर मन को शांत रख  कर ही तो इस जीवन को है जीना

मन क्यों इतना भाग रहा है? अलग-2 दृश्यों को देखकर

ब्रह्माण्ड आपके शब्दों  से इशारा दे रहा है
ब्रह्माण्ड आपके हर एक इशारे को किस  प्रकार से देख रहा है।
और उन पर किस  प्रकार से किस तरह से कार्य कर रहा है।

का हमार द्वारा भाते है? और हमारे पूछे गए सभी का तालमेल जवाब है? सवाल

हम ब्रह्मांड को सन्देश लगातार भेज रहे है, अपने दिमाग के द्वारा हमारे मन के विचार लगातार बाहर की ओर जा रहे है।

विचार और विचारो का जो समुह है वह कर रहा कितना इतना शोरगुल है, किस प्रकार से कार्य कर रहे है यह विचार?

हमारे पास भटकने के कई वास्ते बहुत मुश्किल है। नर्षित सम्भलने क परन्त की कोशिश सम्भलना ज्यादा से ज्यादी रहे अपने विचारों पर पान बदल और ज्यादात आपका बहुत रहा है। से यह किस Calm एक विचार आपके मस्तिष्क की पूरी संरचना वह विचार नकारात्म आप अपने भी हो सकता है जीवन आकर्षित करते है तो ही जिसके देखने को मिलते है और सकरात्मक जीवन सारे भाव नवरात्मक विचारो सम्भवत नकारात्मक परिणाम देखने को मिलते है और यदि आप स्कारात्मक जीवन की और ले जायेंगे जिसकी संभावना आपका जीवन बहुत ही अलग स्तिथि में होगा आपके विचार को नई दिशा मिलेगी जीवन खुशियों से भर उठेगा,

स्कारात्मक जीवन और उसकी सोच आपके जीवन को पूर्णतया एक नया रूप दे देती है

आपके लगातार सोचने की कोशिश करते रहना चाहिए।

स्वयं का आकलन

हमे स्वयं का आकलन करते रहना चाहिए, समय समय पर हमे स्वयं की जांच करनी जरूरी है जिससे की हमे पता चलता है हम सही रास्ते पर ओर सही दिशा में अग्रसर है। हमारे जीवन का लक्ष्य सफलता को हासिल करना हो ओर उसी ओर हमे लगातार प्रयास करते रहना चाहिए, साथ ही उन सभी चीजों का आकलन करना चाहिए जिसकी वजह से हम बीच बीच में रुक जाते है, यदि कोई परेशानी आती है उन बातों को भी समझना चाहिए लेकिन हमे रुकना नहीं है इस बात की गांठ बांधनी है हमे मंजिल तक पहुचना ही हमारा लक्ष्य है उसके लिए स्वयं का आकलन जरूरी है।

  1. जैसे जैसे तुम आगे बढ़ते हो, तुम मंजिल के ओर करीब होते जाते हो।

2. मंजिल तक पहुचना एक दिन का काम नहीं है, बहुत लंबे समय की मेहनत से मंजिल तक पहुचा जा सकता है, इसलिए लगातार मेहनत करते रहे एक दिन सफलता जरूर हासिल होगी।

3. स्वयं का आकलन करो, जब भी आपको लगे की आप सफलता के करीब नहीं पहुच रहे आपको स्वयं का आकलन करना चाहिए।

4. हमे अपनी गलतियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, उन गलतियों से सीखना चाहिए ओर आगे बढ़ना चाहिए, साथ इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए की वो गलतिया न दोहराई जाए।

5. स्वयं के बारे में ज्यादा से ज्यादा सोचे ओर सकारात्मक विचार को ही अपने जीवन का हिस्सा बनाए, नकारात्मक विचारों से दूरी बनाकर रखे।

6. जिस कार्य में आपकी अधिक रुचि हो उसी कार्य को करे, हो सकता है एक समय आने पर उस कार्य में भी बोरियत महसूस हो लेकिन वही कार्य यदि वह कार्य आपकी पहली पसंद था ओर अब भी है तो उसमे रुचि फिर बढ़ जाएगी बस नए तरीके से सोचने की जरूरत है।

7. अपनी रुचि के अनुसार ही व्यक्ति को कार्य करना चाहिए ओर उसी दिशा में लगातार आगे बढ़ना चाहिए।

मेरी दिनचर्या

हर रोज की मेरी एक नई कहानी है, मेरी दिनचर्या जिसमे मैं कभी लिखता हूँ तो कभी कुछ नहीं लिखता लेकिन सोचता बहुत हूँ मैं की क्या मुझे नया लिखना चाहिए, कैसे मैं अपने दिन को बेहतर बना सकु मेरा दिन तो तभी बेहतर होता है जब मेरे मन में अच्छे विचार आते है, ओर विचारों को पन्नों पर उतार देता हूँ बस फिर क्या वही दिन बेहतर, शानदार ओर जबरदस्त हो जाता है।

मैं सुबह 8:30 ओर 9 बजे के बीच में उठता हूँ, थोड़ा बहुत शरीर को स्ट्रेच करता हूँ जिससे की शरीर खुल जाए, फिर फ्रेश होता हूँ ओर नहाता हूँ समय 9:45 लगभग हो जाता है, सुबह का नाश्ता करके 11 बज जाते है, इस समय के दौरान भी लैपटॉप पर कुछ समय काम कर लेता हूँ ओर साथ ही स्टॉक मार्केट भी देख लेता हूँ, 11 बजे मैं अपना लैपटॉप उठाकर बिल्कुल तैयारी के साथ काम करने लग जाता हूँ, फिर मैं अपने विचारों को देखता हूँ ओर लिखता हूँ।

लगभग समय तो इसी तरह से ही निकल रहा है, कुछ अपने घर के छोटे मोटे काम में भी उलझ जाता हूँ, ओर फिर क्या बस घर का झाड़ू पोंछा भी मैं ही कर रहा हूँ जबसे मैं घर में रुकने लगा हूँ, यह काम करने लग गया हूँ जिससे मम्मी के काम में उनको मदद मिल जाती है थोड़ी बहुत उसके बाद मैं पापा की दुकान पर चला जाता हूँ, लगभग 2:30 घंटे दुकान पर बिता कर आता हूँ, दुकान पर भी मैं अपना काम करने के लिए लैपटॉप साथ लेकर जाता हूँ, कुछ समय अपना काम भी कर लेता हूँ। बस मेरी यही सोच रहती है की जितना ज्यादा से ज्यादा समय अपने लिखने के लिए निकाल सकु उतना निकाल लिया करू, नहीं तो लिखने की आदत भी कम हो जाएगी।

4.30 बजे लगभग घर पर आकार चाय पीता हूँ, ओर कुछ खाता हूँ, ओर साथ साथ कुछ देर टीवी चलाकर देखता हूँ समय तो फिर से भागा हुआ ही दिखता है कब 8 बजने को होते है पता ही नहीं चलता ओर फिर मेरा दुबारा दुकान पर जाने का समय हो जाता है। उससे पहले मैं 7:15 पर एक कप चाय ओर पी लेता हूँ।

8 बजे मैं फिर से दुकान पर चला जाता हूँ, फिर 1 घंटे के बाद आता हूँ समय लगभग 9 बज जाता है कुछ उआर भी हो जाता है कभी कभी, घर आकार हाथ मुँह धोने के बाद रात का भोजन करता हूँ ओर कुछ समय फिर टीवी देखते हुए जब समय दस ओर सवा दस का हो जाता है उसके बाद मैं अपने कमरे में जाकर काम करने लग जाता हूँ, दो से ढाई घंटे लगभग काम करता हूँ उसके बाद सोता हूँ।

यही एक तरह की मेरी दिनचर्या हो गई है, हर रोज मैं लगभग इसी तरह से अपने समय को व्यतीत कर रहा हूँ जिसमे मुझे कभी उत्पादक लगता है ओर कभी नहीं क्युकी कई बार मेरा समय अपने घर के कार्यों में भी बीत जाता है, ओर काफी बार दुकान पर भी पूरे ध्यान से अपना काम नहीं कर पाता हूँ, इसलिए इस दिनचर्या को ओर बेहतर बनाने की ओर कोशिश कर रहा हूँ, ओर हर बार आपको कुछ न कुछ बेहतर करने की कोशिश करते ही रहना चाहिए, कुछ अच्छा करने की कोशिश ओर चीजों में लगातार सुधार करने से रोजाना का जीवन बेहतर होता है।

इस समय को अनमोल बनाने के लिए मुझे बेहतर सोचना पड़ेगा तभी दिन बेहतर हो पाएगा, इस समय के अंदर ही मुझे ओर समय निकालना होगा जिससे की मैं ज्यादा काम कर सकु ओर बेहतर लिख सकु, मुझे लगभग 8 महीने हो गए है इसी तरह से मुझे मेरी दिनचर्या को अपनाते हुए, जिसमे मैं बहुत कुछ नया नहीं कर पा रहा हूँ, लेकिन जितना मुझे लगातार होना चाहिए था इस समय मैं उतना अपने काम के प्रति लगातार हूँ, जिसकी वजह से मैं अपनी काम करने की रफ्तार को बरकरार रख पा रहा हूँ, ओर बेहतर बना रहा हूँ।

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