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छत पर कूड़ा

समझदार लोग, पढे लिखे होने का क्या फायदा यदि आप इसी तरह की हरकते करेंगे जिससे की समाज को उसका परिणाम भुगतना पड़े, किसी दूसरे का नुकसान ओर खुद का फायदा हो क्या आप इसीको समझदारी कहते है, कुछ लोग कूड़ा कही भी डाल देते है, आजकल लोग फ्लैट, बिल्डिंग सोसाइटी में रहते है, ओर यह लोग ऊपर से ही कूड़ा फेकते रहते है कोई गली में कोई किसी की छत पर, तो कोई आसपास के किसी खाली प्लॉट में ही कूड़ा डाल देता है, लेकिन यह लोग कूड़े की गाड़ी में कूड़ा नहीं डालते है जबकी कूड़े की गाड़ी हर रोज आती है उसमे कूड़ा नहीं डालते, ना ही कूड़ा उठाने वाले को लगाते है कूड़ा उठाने के लिए, बस कुछ रुपये बचाने के लिए इस तरह की हरकते करते है।

इस तरह की हरकतों के लिए कौन जिम्मेदार है? आपकी शिक्षा या संस्कार क्या यही सीखा है आपने स्कूल में या घर में की आप अपने घर से कूड़ा फेक दे तो फिर चाहे वो गली में तारों पर लटके या या गली में बिखर जाए इस बात से आपको कोइ फर्क नहीं पड़ता क्यूकी कूड़ा आपके घर से तो निकल गया है अब इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता की किसका नुकसान होता है।

लोग कूड़ा फेक देते है और फिर मुकर जाते है की हमने नही फैंका , जब तक आप किसी को देखते नही हो तब तक आप यह नहीं कह सकते है की कूड़ा इन्होंने फैंका है इसलिए जब आप देखोगे तभी उनको कुछ बोल पाओगे लेकिन एक बार सबको बोल देना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अगली बार शर्म आए लेकिन कई लोगो को शर्म नही आती वह वही गलतियां बार बार करते है लेकिन उन्हें गलतियां नही कहते क्युकी कुछ लोग ऐसी हरकतें जान बूझकर करते है अपने कुछ 50 या 100 रुपए बचाने के चक्कर में दूसरो को परेशान करते है।

जो हमारे घर के पीछे वाले घर में रहते है उनकी छत पर कूड़ा हर दूसरे दिन पड़ा रहता है, हममें से ही कोई है जो इस तरह की हरकत कर रहा है अब यह बहुत निंदनीय कार्य है। और ऐसा कौन कर रहा है यह उनको नही पता चल रहा क्युकी उन्होंने किसी को भी कूड़ा फ़ैकते हुए नहीं देखा।

आलस

जब बहुत सारा आलस भर जाता है, इस आलस की वजह से लिखने का मन नहीं करता, तब आपको ज्यादातर समय सिर्फ सोने ओर लेटने का ही मन करता है। खुद को व्यस्त रखना बहुत जरूरी है यदि आलसी नहीं बनना तो, स्वयं को किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखना बहुत जरूरी है जिससे हमारा शरीर आलसी ना बने।

शरीर इतना आलसी होता है, खुद से कुछ काम करने को मन नहीं करता एसा लगता है, कोई हमारे लिए काम करदे, अक्सर हम यही चाहते है।

ये आलस ही है, जो हमे बार बार काम को टालने की आदत से भर देता है। जो हमे हमारे लक्ष्य से दूर करता है।

आलस को कैसे दूर करे? आलस को दूर करने के लिए कुछ तरीकों को अपनाये।  

हमे व्यायाम करना चाहिए, हर आधे घंटे बाद अपने शरीर को स्ट्रेच करना चाहिए, हमे अपने दिमाग की एक्सर्साइज़ करनी चाहिए।

किसी भी कार्य की शुरुआत करना जरूरी है जिससे आलसीपन खत्म हो।

आलस की वजह से कम्फर्ट ज़ोन में चले जाते है, ओर बार बार कार्य को टालते जाते है।

आलसी होने की आदत को बदलिए।

में नींद भी बहुत आती है, हाथ ओर पैर जाम से लगते है शरीर को हिलाने तक मन नहीं करता ये शरीर इतना आलसी हो जाता है।

ज्यादा से ज्यादा किताबे पढे जिससे आपका दिमाग लगातार अच्छा सोचे ओर शरीर बेहतर करे।

शरीर चुस्त रहना चाहिए, हर रोज व्यायाम करना चाहिए जिसकी वजह से हमारा शरीर खुलता है ओर आलसीपन दूर होता है।

सुकून की जिंदगी

मैं कभी काम के पीछे इतना नहीं भागा बस जो काम करना अच्छा लगता था वही किया ओर जितना करना चाहता था उतना ही करता था, समय के बाद काम को कभी महत्व नहीं दिया, घर आने के बाद फिर बस काम नहीं करता था, ओर ना ही काम की बाते क्युकी मझे हर समय काम की बाते करना पसंद नहीं था, मैं जो भी काम करता था घर से निकलने के बाद ही करता था, घर पर नहीं, दुकान का बचा हुआ काम भी घर नहीं लाता था, बस सुकून की जिंदगी हो ओर आराम से जीउ बहुत भागा दौड़ी भरी जिंदगी का मुझे कोई लाभ नहीं दिखता, हर समय काम के पीछे लगे रहने से भी क्या लाभ है।  

जितना भी कमा लो लेकिन एक दिन तो मौत की आगोश में सो ही जाना है, जब सब कुछ छूट ही जाएगा फिर क्यू इतना सब कमाना, क्यू इतनी मेहनत करनी उन कार्यों के लिए, क्यू इतना सब कुछ जोड़ना यही सब सोचकर मैं रुक जाता हूँ ओर आराम से बैठ जाता हूँ, यदि मुझे कुछ करना होगा तो मैं ध्यान, जप करूंगा स्वयं का जीवन शांति से व्यतीत करूंगा, इस सांसारिक जीवन की भागा दौड़ में नहीं व्यतीत करूंगा, कुछ बनकर भी क्या होगा? यदि कोई बड़ी पहचान नहीं होगी तो क्या जीवन अच्छा नहीं चलेगा, कितनी ही बड़ी पदवी पर बैठ जाओ लेकिन उसका कोई अर्थ नहीं होता जब तक आपके मन में शांति- सुकून नहीं है, यदि सुकून की जिंदगी नहीं फिर क्या अर्थ इस जीवन का

बहुत सारे लोग ऐसा भी कहते है की यह सोच उनकी होती है जो काम नहीं करना चाहते लेकिन उस सोच का क्या जो ये कहते है, की इंसान की औकात उनके जूतों से पता चलती है, यह बात भी किसी जूते बेचने वाले या बनाने वाले ने ही कही होगी, यह शब्द आज हर दिल को ठेस करते है

यदि कोई व्यक्ति देखता है की उसके जूते बेकार है, अब उसे जूते बदलने चाहिए, इसलिए आजकल जूतों पर लोग अधिक मूल्य खर्च करते है, ताकि उसे ऐसा न लगे की वह किसी से कम है, उसके हृदय पर चोट लगी उसे आहात कर गई यह बात की जूतों से उसकी पहचान होती है, इसलिए अब ज्यादातर लोग जूतों पर खर्च करने लगे है, लेकिन वही दूसरी तरफ लोगों ने किताबों पर पैसा खर्चना कम कर दिया की बार ऐसा लगता है की उन्होंने किताबों पर पैसा खर्चना अब बिल्कुल बंद ही कर दिया है।

किताब यदि 300 रुपये की है तो उसको बोलते है कितने की दोगे कम कार्लो, इसकी इतनी कीमत नहीं है, लेकिन यही बात जूतों के लिए नहीं बोलते लोग, जूते की कीमत चाहे 4000 रुपये हो वो लेकर चल देते है, क्युकी यह उनको जूतों में अपनी औकात दिखती है, लेकिन किताबों में बुद्धि, ज्ञान, स्वभाव में परिवर्तन, सफलता, जीने का तरीका, जिम्मेदारी, अनुभव, आदते, बहुत सारी बाते जो उसे सिर्फ कुछ रुपयों में सीखने को मिलती है।

लेकिन आज का व्यक्ति इन सब बातों को भूलकर जूतों की ओर आकर्षित हो जाता है, ओर किताबों को भूल जाता है, अब शोरूम में जूते दिखते है ओर पटरी पर किताबे दिखती है, जो लोगों को कोड़ियों के दाम में चाहिए। इससे यही स्पष्ट होता है की आप अपने अनुसार उन शब्दों को ढूंढ लेते हो जो आपके हित में हो। जिन शब्दों से आपको कोई लाभ होता है उस प्रकार के शब्दों को ढूँढना ही आपका कार्य है, आप अपने चातुर्य को बढ़ाना चाहते हो, आप किसी से हारना नहीं चाहते यह तुम्हारा अहंकार है, ओर कुछ नहीं।

यह भी पढे: सुकून मिलता है, बहुत सुकून, सुकून, सुख की अनुभूति है, तेरे होने से,

बिना कुछ कहे

बिना कुछ कहे, उन्होंने कुछ ज्यादा ही समझ लिया अक्सर यही कुछ होता है, जब हम कहते कुछ नहीं है लेकिन वो समझ ज्यादा लेते है, बात कुछ होती नहीं है, लेकिन बढ़ बहुत जाती है, अक्सर यही कुछ होने लगता है, नजदीकिया बहुत होती है लेकिन एकदम से ना जाने क्यू दूरिया होने लग जाती है, मेने कुछ कहा नहीं उन्होंने सुन ज्यादा लिया, मेने कुछ समझाया नहीं 

उन्होंने समझ ज्यादा लिया,मेने कुछ देखा भी नहीं,उन्होंने देख भी ज्यादा लिया 

मेने कुछ सोचा भी नहीं उन्होंने सोच भी ज्यादा लिया 

बस इतना हुआ उसके बाद ना जाने वो रिश्ता ही कही खो गया नासमझी और समझी हुई बातो के बीच जो भेद था, उनकी वजह से वर्षो का रिश्ता अब रिश्ता नहीं रहा बस कुछ था ही नहीं ऐसा  कुछ हो गया। मेरी भीगी हुई पलके भी ना समझा सकी उनको कुछ ना जाने जो बिताया था हिस्सा समझने के लिए वो कुछ लम्हो में सिमट कही खो गया। 

बिना कुछ कहे ना जाने कितनी कितनी बाते हो जाती है, उन बातों से दूरिया भी बढ़ जाती है, पता नहीं चलता सालों का रिश्ता कब खत्म हो जाता है,

लिखने का मन

कभी कभी लिखने का भी मन नहीं करता बल्कि यही मेरा एक मनपसंद कार्य है जिसे मैं पूरी जिंदगी करना चाहता हूँ, इसके अलावा कुछ नहीं करना चाहता लेकिन कई बार एस होता की बस बहुत लिख चुका हूँ अब ओर नहीं लिखना चाहता।

लेकिन आज मुझे जुखाम हो रहा है जिसकी वजह से लिखने में ध्यान नहीं लग रहा बार बार एस लग रहा है बस सो जाऊ या आराम कर लू, लेकिन किसी ने एक बात काही है जब आप किसी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते है तो उसमे बहुत सारी बाधाये आती है, वह मानसिक ओर शारीरिक बाधा कैसी भी हो सकती है।

कई बार हमारा ऑफिस या दुकान जाने का मन नहीं करता लेकिन हमे करना पड़ता है क्युकी जाना जरूरी होता है। इसी प्रकार मेरा कभी लिखने का मन हो या नहीं हो लेकिन मैं लिखता हूँ, क्युकी जिंदगी किसी लक्ष्य को हासिल करना है, तो आपको उस कार्य के प्रति लगातार होना ही पड़ेगा, आपको उस कार्य से अवकाश नहीं लेना।

वैसे मेरी एक आदत है जब मुझे लगता है की आगे आने वाले कुछ दिनों तक किसी दूसरे कार्य में व्यस्त हूँ, या फिर मैं कुछ ओर काम करना चाहता हूँ, तब मैं अपने कार्य को अड्वान्स में ही कर लेता हूँ, ताकि मुझे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, ओर मुझे कभी ऐसा नहीं लगे की आज मैंने कुछ काम ही नहीं किया।

मैं पहले से ड्राफ्ट में सेव कर लेता हूँ ओर उस दिन दिन तारीख पर सेट करके पोस्ट कर देता हूँ, लेकिन यह सुविधा आपको ओर किसी कार्य में नहीं मिलती इसलिए आपको लगातार तैयार रहना होता है।

इसलिए यदि आपका मन है तो भी कार्य को करे ओर नहीं है तो भी उस कार्य को करे, वह कार्य तभी पूरा होगा ओर इससे आप लगातार कार्य के प्रति बने रहेंगे, आपकी मंजिल आपके करीब आती है।

भविष्य के निर्माता

आप ही हो अपने भविष्य के निर्माता है इसलिए इसे समझे
बहुत सारे सवाल है जो प्रश्न मेरे मस्तिस्क में आते है,  किस से पूछे हम अपने इन सवाल को ? कौन बताएगा इन सवालो के जवाब ? यह ऐसे सवाल है जिनका उत्तर सिर्फ हम स्वयं ही जान सकते है और कोई आपको नहीं बता सकता।

क्या मेरा कोई अंतिम स्थान है?
क्या है मेरी मंजिल ?
मुझे किस ओर जाना है?
मुझे किस मंजिल की तलाश है?
मैं कहाँ से आया हूँ?
और कहाँ जा रहा हूँ ?
मैं अपनी मंजिल तक कैसे पहुँचूँ?
कैसे पहुँचूँगा?
क्या है मेरी मंजिल का साधन ?

मेरे विचार और मेरी खोज किस तरह से मेरी मंजिल तक पहुचने में मेरी मदद कर रही है?
   
बहुत सारे प्रश्नो का अम्बार हमारे इस मस्तिस्क में लगता जा रहा है।

ऐसा लगता है की हमारे पूछे ही सवालो का जवाब नहीं होता हमारे पास
मै बड़ा बेबस सा महसूस करता हूँ जब नहीं मिलता कोई जवाब लेकिन रुकता नहीं थकता नहीं हूँ आगे निकल चलता हूँ क्युकी मुझे ऐसा लगता है एक समय आता है जब सभी सवालों का जवाब सामने आता है जो पूछ रहा हूं आज उन सभी प्रश्नों का समधन कभी तो मिलेगा इसलिए आज सिर्फ मै सवाल पूछ रहा हूं।

क्या आप अपने बारे में जानने की इच्छा नही रखते ? क्या नहीं जानना चाहते इस जीवन के बारे में ?
क्यों आप अपनी मंजिल का रास्ता नहीं खोज रहे?
या आप इस रास्ते पर जाना नहीं चाहते ?
मंजिल आपको चुन रही है सही रास्ते
और सही दिशा के लिए

हम कैसे अपनी मंजिल की और पहुच रहे है? कौन सा रास्ता हमने चुन लिया है इस जीवन के लिए ?
क्या मंजिल तक पहुचना आसान है,
क्या मंजिल पास में ही है या बहुत दूर है ?
हम सभी को अपने जीवन के लक्ष्य की दिशा को निर्धारित करनी चाहिए  और आप पाओगे की आप सही मंजिल की ओर जा रहे है।

इस सफ़र का कोई अंत नहीं यह तो अनंत की यात्रा है यह सफ़र है स्वयं को जानने का, जीवन के कार्यो को समझने और उन्ह कार्यो को पूरा करने का , स्वयं का अनुभव पाने का स्वयं का अर्थ जानने का , स्वयं को महतवपूर्ण बनाने का , स्वयं से स्वयं की मंजिल तक पहुचने का
इस छोटे से जीवन में बहुत सारी घटनाओ का समावेश है। आपको अपने जीवनरूपी अर्थ को समझने का, बनाने का पहचानने के लिए यह घटनाये हमारे जीवन को महत्वपूर्ण बनाती है। और और अर्थपूर्ण बनाती है। हमे स्वयं में होने का एहसास दिलाती है। यह सभी घटनाये हमारे जीवन की विकासशील परिकिर्यायो से विकसित होने तक सहायता करती है।

यह सभी घटनाये हमारे जीवन में गति प्रदान करती है तथा हमे मृत्यु का भी बोध कराती है।
हम अपने जीवन बिंदु को किस प्रकार से जान सकते है, समझ सकते है? पहचान सकते है?
किस तरह से हम अपनी मंजिल की और बढ़ रहे है ? ऐसे कौनसे सहायक तत्व है जो हमारे जीवन में हमारी मदद करते है आगे बढ़ने के लिए एक सही दिशा की अवसर होने के लिए उन दिशा निर्देशों को हमें भली प्रकार से समझना चाहिए।

हम ही हमारे भविष्य के निर्माता है।

यह भी पढे: समय का नहीं अवरोध, अच्छा समय आएगा, भविष्य निर्माण, वर्तमान निपट खरा,

बुद्धि

बुद्धि – मस्तिष्क
1- हमारी बुद्धि मैं सोचने और समझने की क्षमता होती है
2 हमारा मस्तिस्क एक कुशल प्रबंधक है।
3 हमारा मस्तिस्क आदेश और निर्देश देता है। इस शरीर को
4 निर्देश करना

किसी भी ज्ञान को काफी लंबे समय तक रखने की क्षमता और योग्यता होती है जिसके कारण हम किसी भी समय पर इस ज्ञान का प्रयोग करते है। अपने कार्यो तथा उस स्तिथी में उसी प्रकार का निर्णय ले सकते है।
किसी भी अनिश्चित घटना पर हमारा मस्तिष्क सुचारू रूप से कार्य करता है, यदि हमारे पास उस स्तिथी के अनुरूप ज्ञान है।
संभालना, किसी भी कार्य में नयापन लाना तथा कार्यो को नए ढंग से करने की क्षमता
किसी भी दूर की स्तिथी को समझने, परखने और जानने की क्षमता होती है।
सीखने की योग्यता
इच्छा शक्ति
समन्वय
भाषा का रूपांतरण
उद्द्देश्य शक्ति

हमारे मस्तिस्क के अंदर अनंत शक्ति है जिसे हम जान नहीं पा रहे है परंतु हमे जानना है और वह सभी शक्तियां हम कैसे जान सकते है ? उन शक्तियों को कैसे अर्जित कर सकते है ? कहते है हमारे मस्तिष्क की जो संरचना है वह बिल्कुल अंतरिक्ष की संरचना से मेल खाती है जैसा हमारा मस्तिष्क है वैसा ही बाहरी अंतरिक्ष भी है इसलिए जो हम अपने भीतरी मस्तिष्क में कर रहे है वैसा ही हमारे अंतरिक्ष में हो रहा है। उसी की वजह से ब्रह्माण्ड की स्तिथि ओर परिस्थिति लगातार परिवर्तन कर रही है।

हमारे मस्तिस्क मैं सारे ज्ञान को अर्जित करने की तथा उस ज्ञान को किर्यान्वित करने की बहुत क्षमताएं है। हमारा मस्तिष्क किर्याशील होता है। हर समय हमारा मस्तिस्क कितने ही प्रकार किर्यायो से संलग्न रहता है। अपने मस्तिस्क की क्षमताओं को देखो और पहचानो, अपने मस्तिस्क किसी की बुद्धि मेधावी ना हो, बहुत कम सोच पाता हो हम उसे ना जाने कितने ही प्रकार की दवाइया खिलाते है परंतु हमारे मस्तिष्क को बढ़ने के लिए किसी चव्यांप्रश् की आव्यशकता नहीं है सिर्फ अपने मस्तिष्क को देखो, स्वयं को समझो, हम अपने जीवन मैं किसी भी स्तर पर हो अपने जीवन को बेहतर बनाने की अवस्था चाहते है। हम सभी बेहतर जीवन चाहते है । हमारा मस्तिष्क बहुत तीव्र होना चाहता है। हम चाहते है की हमारी बुद्धि भी बहुत तीष्ण हो

हमारा मस्तिस्क बहुत शक्तिशाली है शायद जितनी हम कल्पना भी नहीं कर सकते तथा हमारा शारीर भी बहुत शक्तिशाली तथा विभिन्न प्रकार की शक्तियो से भरा हुआ है। जिसका हम अनुमान भी नहीं लगा सकते परंतु इन सभी शक्तियो को हमे जानना है मानव मस्तिस्क की शक्तियो को हमे समझना है जिसके द्वारा हम अनेको राज समझ सकते है इस जीवन के तथा इस जीवन की सभी आव्यसक्ताओं को पूरा कर सकते है । इस मानव मस्तिष्क में इतने रहस्य छिपे है की मानव मस्तिष्क भी छोटा पढ़ जाये

परंतु हम अपने मस्तिस्क के विचार को नहीं देखते,  हम सिर्फ चाँद, तारे, सूरज और आदि दूसरे ग्रहो की स्तिथी, परिश्तिथि को जानने में लगे हुए है अपने आपको जानने की कोशिश ही नहीं कर रहे है , की हमारा जन्म किन कारणों से हुआ है , क्या रहस्य है हमारे जन्म का?

हमारा मानव मस्तिष्क इतनी विशाल शक्तियो से भरा हुआ है की ये ग्रह आदि सब इस मस्तिष्क की रचना का हिस्सा है। मेरा यह कहना गलत नहीं होगा की एक ब्रह्माण्ड बाहर है और एक मानव शारीर मैं जिसको हम बहार खोज रहे है इन आँखों के द्वारा उसे हम अपने भीतर भी झांक कर देख सकते है, जिसकी पूरी स्तिथी और परिस्तिथि को समझ सकते है।

इस ब्रह्माण्ड की स्तिथी के लिए हमे बाहरी आँखों की आव्यसक्ता नहीं है ये सब कुछ हमारे भीतर ही है मात्र हमे अपने भीतर होते जाना है, बाहर तो सिर्फ दर्पण है जो अंदर है वो बाहर है। इसलिए सिर्फ भीतर होते चले जाओ सबकुछ अपने आप होता चला जायेगा

Disney Hotstar

Match ke dauraan aaj disney hotstar par record tut gya views ka, Aaj 5 crore views aaye Disney+Hotstar par even when Virat Kohli century is going to complete even here Kohli 50th 100 was completing that time.

Virat Kohli ne aaj Sachin Tendulkar ke 49th centuries ka record break kar diya or 50th century aaj Virat kohli ne complete ki, jab unhone apni century bnai tab unhone Sachin Tendulkar ke saamne ser jhukakar abhivadan kiya or saath hi Anushka ko flying kiss jo unki dharm patni hai.

sachin ne unko tweet karke congratulate bhi kiya

Sachin Tweet:
The first time I met you in the Indian dressing room, you were pranked by other teammates into touching my feet. I couldn’t stop laughing that day. But soon, you touched my heart with your passion and skill. I am so happy that that young boy has grown into a ‘Virat’ player. I couldn’t be happier that an Indian broke my record. And to do it on the biggest stage – in the World Cup Semi-final – and at my home ground is the icing on the cake.

Aaj NZ and IND ka semi final match number 1 hai isme Virat kohli ki century aayi hai ye bahut memorable moment hai ham sabhi Indian fans ke liye or jiski wajah se Disney Hotstar par itne view aaye sabse jyada view on disney hotstar 5 crore in today INDvsNZ match.

यह भी पढे: Gautam gambhir, Irfan Pathan, Yusuf Pathan, Sachin Tendulkar,

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सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

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फोकस रखना खुद को

अपने दिमाग को एक ही तरफ फोकस रखना खुद को, इधर उधर दिमाग को नहीं दौड़ने देना, ये दिमाग जितना इधर उधर भागेगा उतना ही आपका काम से मन हटेगा, यदि आप एक स्टूडेंट है तो आपका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा। इसलिए अपने काम की और ध्यान लगाकर रखिए उससे ना हटे चाहे आपका मन लग रहा है या नहीं बस आपको लगातार उस कार्य में बने रहना है, ओर प्रयास करते रहना है, क्युकी हमारा दिमाग तो इधर उधर भागते ही रहता है, लेकिन उस दिमाग को बार बार उस कार्य में लगाना है जिस कार्य को आप करना चाहते लेकिन जब आपका मन नहीं करता तो आप छोड़कर उठ जाते है।

हर बार यही याद रखना की हमे बार बार नहीं भटकना जिस चीज को हम चाहते है, सिर्फ उसीके लिए जी जान लगाकर हमे है भागना नहीं पीछे मुड़कर देखना, जब तक उसमे सफलता हासिल ना करले हम तब तक हमे उसे नहीं है छोड़ना , हर एक परिस्थिति का डटकर मुकाबला करना है।

खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है, यदि आपको स्वयं पर विश्वास है की आप कुछ कर सकते है, ओर बीच रास्ते से वापस नहीं आएंगे तो आप वो सभी चीज़े हासिल कर सकते है, जो आप अपनी जिंदगी में हासिल करना चाहते है।

फोकस रखना खुद को, खुद के लक्ष्य की ओर ये बहुत जरूरी है, आपका ध्यान हमेशा आपके लक्ष्य की ओर ही रहना चाहिए उससे कही ओर नहीं भटकना चाहिए, जो आप हासिल करने के लिए निकले है उसको पाकर ही लौटना है, चाहे कितनी ही अड़चने आए रास्ते में लेकिन अपने लक्ष्य को पाना है।

अपने फोकस को बरकरार रखने के लिए हमे स्वयं को बार बार Analysis करना चाहिए, जिससे की हम कही भटक रहे हो, तो दुबारा खुद को फोकस कर सके, ओर उस के ऊपर पूरी तरह से ध्यान लगा सके।

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