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छत पर कूड़ा

समझदार लोग, पढे लिखे होने का क्या फायदा यदि आप इसी तरह की हरकते करेंगे जिससे की समाज को उसका परिणाम भुगतना पड़े, किसी दूसरे का नुकसान ओर खुद का फायदा हो क्या आप इसीको समझदारी कहते है, कुछ लोग कूड़ा कही भी डाल देते है, आजकल लोग फ्लैट, बिल्डिंग सोसाइटी में रहते है, ओर यह लोग ऊपर से ही कूड़ा फेकते रहते है कोई गली में कोई किसी की छत पर, तो कोई आसपास के किसी खाली प्लॉट में ही कूड़ा डाल देता है, लेकिन यह लोग कूड़े की गाड़ी में कूड़ा नहीं डालते है जबकी कूड़े की गाड़ी हर रोज आती है उसमे कूड़ा नहीं डालते, ना ही कूड़ा उठाने वाले को लगाते है कूड़ा उठाने के लिए, बस कुछ रुपये बचाने के लिए इस तरह की हरकते करते है।

इस तरह की हरकतों के लिए कौन जिम्मेदार है? आपकी शिक्षा या संस्कार क्या यही सीखा है आपने स्कूल में या घर में की आप अपने घर से कूड़ा फेक दे तो फिर चाहे वो गली में तारों पर लटके या या गली में बिखर जाए इस बात से आपको कोइ फर्क नहीं पड़ता क्यूकी कूड़ा आपके घर से तो निकल गया है अब इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता की किसका नुकसान होता है।

लोग कूड़ा फेक देते है और फिर मुकर जाते है की हमने नही फैंका , जब तक आप किसी को देखते नही हो तब तक आप यह नहीं कह सकते है की कूड़ा इन्होंने फैंका है इसलिए जब आप देखोगे तभी उनको कुछ बोल पाओगे लेकिन एक बार सबको बोल देना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अगली बार शर्म आए लेकिन कई लोगो को शर्म नही आती वह वही गलतियां बार बार करते है लेकिन उन्हें गलतियां नही कहते क्युकी कुछ लोग ऐसी हरकतें जान बूझकर करते है अपने कुछ 50 या 100 रुपए बचाने के चक्कर में दूसरो को परेशान करते है।

जो हमारे घर के पीछे वाले घर में रहते है उनकी छत पर कूड़ा हर दूसरे दिन पड़ा रहता है, हममें से ही कोई है जो इस तरह की हरकत कर रहा है अब यह बहुत निंदनीय कार्य है। और ऐसा कौन कर रहा है यह उनको नही पता चल रहा क्युकी उन्होंने किसी को भी कूड़ा फ़ैकते हुए नहीं देखा।

सुकून की जिंदगी

मैं कभी काम के पीछे इतना नहीं भागा बस जो काम करना अच्छा लगता था वही किया ओर जितना करना चाहता था उतना ही करता था, समय के बाद काम को कभी महत्व नहीं दिया, घर आने के बाद फिर बस काम नहीं करता था, ओर ना ही काम की बाते क्युकी मझे हर समय काम की बाते करना पसंद नहीं था, मैं जो भी काम करता था घर से निकलने के बाद ही करता था, घर पर नहीं, दुकान का बचा हुआ काम भी घर नहीं लाता था, बस सुकून की जिंदगी हो ओर आराम से जीउ बहुत भागा दौड़ी भरी जिंदगी का मुझे कोई लाभ नहीं दिखता, हर समय काम के पीछे लगे रहने से भी क्या लाभ है।  

जितना भी कमा लो लेकिन एक दिन तो मौत की आगोश में सो ही जाना है, जब सब कुछ छूट ही जाएगा फिर क्यू इतना सब कमाना, क्यू इतनी मेहनत करनी उन कार्यों के लिए, क्यू इतना सब कुछ जोड़ना यही सब सोचकर मैं रुक जाता हूँ ओर आराम से बैठ जाता हूँ, यदि मुझे कुछ करना होगा तो मैं ध्यान, जप करूंगा स्वयं का जीवन शांति से व्यतीत करूंगा, इस सांसारिक जीवन की भागा दौड़ में नहीं व्यतीत करूंगा, कुछ बनकर भी क्या होगा? यदि कोई बड़ी पहचान नहीं होगी तो क्या जीवन अच्छा नहीं चलेगा, कितनी ही बड़ी पदवी पर बैठ जाओ लेकिन उसका कोई अर्थ नहीं होता जब तक आपके मन में शांति- सुकून नहीं है, यदि सुकून की जिंदगी नहीं फिर क्या अर्थ इस जीवन का

बहुत सारे लोग ऐसा भी कहते है की यह सोच उनकी होती है जो काम नहीं करना चाहते लेकिन उस सोच का क्या जो ये कहते है, की इंसान की औकात उनके जूतों से पता चलती है, यह बात भी किसी जूते बेचने वाले या बनाने वाले ने ही कही होगी, यह शब्द आज हर दिल को ठेस करते है

यदि कोई व्यक्ति देखता है की उसके जूते बेकार है, अब उसे जूते बदलने चाहिए, इसलिए आजकल जूतों पर लोग अधिक मूल्य खर्च करते है, ताकि उसे ऐसा न लगे की वह किसी से कम है, उसके हृदय पर चोट लगी उसे आहात कर गई यह बात की जूतों से उसकी पहचान होती है, इसलिए अब ज्यादातर लोग जूतों पर खर्च करने लगे है, लेकिन वही दूसरी तरफ लोगों ने किताबों पर पैसा खर्चना कम कर दिया की बार ऐसा लगता है की उन्होंने किताबों पर पैसा खर्चना अब बिल्कुल बंद ही कर दिया है।

किताब यदि 300 रुपये की है तो उसको बोलते है कितने की दोगे कम कार्लो, इसकी इतनी कीमत नहीं है, लेकिन यही बात जूतों के लिए नहीं बोलते लोग, जूते की कीमत चाहे 4000 रुपये हो वो लेकर चल देते है, क्युकी यह उनको जूतों में अपनी औकात दिखती है, लेकिन किताबों में बुद्धि, ज्ञान, स्वभाव में परिवर्तन, सफलता, जीने का तरीका, जिम्मेदारी, अनुभव, आदते, बहुत सारी बाते जो उसे सिर्फ कुछ रुपयों में सीखने को मिलती है।

लेकिन आज का व्यक्ति इन सब बातों को भूलकर जूतों की ओर आकर्षित हो जाता है, ओर किताबों को भूल जाता है, अब शोरूम में जूते दिखते है ओर पटरी पर किताबे दिखती है, जो लोगों को कोड़ियों के दाम में चाहिए। इससे यही स्पष्ट होता है की आप अपने अनुसार उन शब्दों को ढूंढ लेते हो जो आपके हित में हो। जिन शब्दों से आपको कोई लाभ होता है उस प्रकार के शब्दों को ढूँढना ही आपका कार्य है, आप अपने चातुर्य को बढ़ाना चाहते हो, आप किसी से हारना नहीं चाहते यह तुम्हारा अहंकार है, ओर कुछ नहीं।

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उलझने

कुछ उलझने पैदा करती है ये जिंदगी, ना जाने कैसे इन उलझनों को सुलझा मैं पाऊँगा, या फिर उलझनों में फंस कर ही मैं मर जाऊंगा, अजीब सी उलझन का शिकार भी हूँ मैं इन उलझनों से कैसे निकल मैं पाऊँगा क्या यू ही घुट घुट कर मैं यू ही मार जाऊंगा, कोई तो सुलझाए ये किस्सा जिंदगी का, कैसे सुलझेगा ये कोई तो मुझे भी बताएगा।

मुझसे ही कैसे छुटकारा मिलेगा, या यू ही अपने ख्यालों, अपने सवालों के ढेर में राख हो जाऊ , अब मैं अपने ख्यालों से दूर भी तो कहां जाऊंगा, इन्ही सवालों में फंसा ही नजर आऊँगा, इन सवालों की उलझन बढ़ती ही रहती है कैसे इन सवालों से मैं बच पाऊँगा।

उलझने भी बहुत है इस जिंदगी में क्या मैं उन सभी उलझनों को कभी सुलझा पाऊंगा, या फिर बिना सुलझाए ही रह जाऊंगा।

उलझने
उलझने

हम सभी अपनी समस्याओ को सुलझाना चाहते है लेकिन सुलझा नहीं पाते बल्कि उसे ओर उलझा देते है, कुछ ना कुछ गड़बड़ कर देते है, उस गड़बड़ से बचने के लिए हमे हमेशा अपने दिमाग को शांत रखना चाहिए ओर जिंदगी की हर समस्या को ध्यान से देखना चाहिए जिससे की उन समस्याओ को समझने में हमे मदद मिले ओर हम उसे आसानी से सुलझा सके।


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बिना कुछ कहे

बिना कुछ कहे, उन्होंने कुछ ज्यादा ही समझ लिया अक्सर यही कुछ होता है, जब हम कहते कुछ नहीं है लेकिन वो समझ ज्यादा लेते है, बात कुछ होती नहीं है, लेकिन बढ़ बहुत जाती है, अक्सर यही कुछ होने लगता है, नजदीकिया बहुत होती है लेकिन एकदम से ना जाने क्यू दूरिया होने लग जाती है, मेने कुछ कहा नहीं उन्होंने सुन ज्यादा लिया, मेने कुछ समझाया नहीं 

उन्होंने समझ ज्यादा लिया,मेने कुछ देखा भी नहीं,उन्होंने देख भी ज्यादा लिया 

मेने कुछ सोचा भी नहीं उन्होंने सोच भी ज्यादा लिया 

बस इतना हुआ उसके बाद ना जाने वो रिश्ता ही कही खो गया नासमझी और समझी हुई बातो के बीच जो भेद था, उनकी वजह से वर्षो का रिश्ता अब रिश्ता नहीं रहा बस कुछ था ही नहीं ऐसा  कुछ हो गया। मेरी भीगी हुई पलके भी ना समझा सकी उनको कुछ ना जाने जो बिताया था हिस्सा समझने के लिए वो कुछ लम्हो में सिमट कही खो गया। 

बिना कुछ कहे ना जाने कितनी कितनी बाते हो जाती है, उन बातों से दूरिया भी बढ़ जाती है, पता नहीं चलता सालों का रिश्ता कब खत्म हो जाता है,

लिखने का मन

कभी कभी लिखने का भी मन नहीं करता बल्कि यही मेरा एक मनपसंद कार्य है जिसे मैं पूरी जिंदगी करना चाहता हूँ, इसके अलावा कुछ नहीं करना चाहता लेकिन कई बार एस होता की बस बहुत लिख चुका हूँ अब ओर नहीं लिखना चाहता।

लेकिन आज मुझे जुखाम हो रहा है जिसकी वजह से लिखने में ध्यान नहीं लग रहा बार बार एस लग रहा है बस सो जाऊ या आराम कर लू, लेकिन किसी ने एक बात काही है जब आप किसी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते है तो उसमे बहुत सारी बाधाये आती है, वह मानसिक ओर शारीरिक बाधा कैसी भी हो सकती है।

कई बार हमारा ऑफिस या दुकान जाने का मन नहीं करता लेकिन हमे करना पड़ता है क्युकी जाना जरूरी होता है। इसी प्रकार मेरा कभी लिखने का मन हो या नहीं हो लेकिन मैं लिखता हूँ, क्युकी जिंदगी किसी लक्ष्य को हासिल करना है, तो आपको उस कार्य के प्रति लगातार होना ही पड़ेगा, आपको उस कार्य से अवकाश नहीं लेना।

वैसे मेरी एक आदत है जब मुझे लगता है की आगे आने वाले कुछ दिनों तक किसी दूसरे कार्य में व्यस्त हूँ, या फिर मैं कुछ ओर काम करना चाहता हूँ, तब मैं अपने कार्य को अड्वान्स में ही कर लेता हूँ, ताकि मुझे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, ओर मुझे कभी ऐसा नहीं लगे की आज मैंने कुछ काम ही नहीं किया।

मैं पहले से ड्राफ्ट में सेव कर लेता हूँ ओर उस दिन दिन तारीख पर सेट करके पोस्ट कर देता हूँ, लेकिन यह सुविधा आपको ओर किसी कार्य में नहीं मिलती इसलिए आपको लगातार तैयार रहना होता है।

इसलिए यदि आपका मन है तो भी कार्य को करे ओर नहीं है तो भी उस कार्य को करे, वह कार्य तभी पूरा होगा ओर इससे आप लगातार कार्य के प्रति बने रहेंगे, आपकी मंजिल आपके करीब आती है।

भविष्य के निर्माता

आप ही हो अपने भविष्य के निर्माता है इसलिए इसे समझे
बहुत सारे सवाल है जो प्रश्न मेरे मस्तिस्क में आते है,  किस से पूछे हम अपने इन सवाल को ? कौन बताएगा इन सवालो के जवाब ? यह ऐसे सवाल है जिनका उत्तर सिर्फ हम स्वयं ही जान सकते है और कोई आपको नहीं बता सकता।

क्या मेरा कोई अंतिम स्थान है?
क्या है मेरी मंजिल ?
मुझे किस ओर जाना है?
मुझे किस मंजिल की तलाश है?
मैं कहाँ से आया हूँ?
और कहाँ जा रहा हूँ ?
मैं अपनी मंजिल तक कैसे पहुँचूँ?
कैसे पहुँचूँगा?
क्या है मेरी मंजिल का साधन ?

मेरे विचार और मेरी खोज किस तरह से मेरी मंजिल तक पहुचने में मेरी मदद कर रही है?
   
बहुत सारे प्रश्नो का अम्बार हमारे इस मस्तिस्क में लगता जा रहा है।

ऐसा लगता है की हमारे पूछे ही सवालो का जवाब नहीं होता हमारे पास
मै बड़ा बेबस सा महसूस करता हूँ जब नहीं मिलता कोई जवाब लेकिन रुकता नहीं थकता नहीं हूँ आगे निकल चलता हूँ क्युकी मुझे ऐसा लगता है एक समय आता है जब सभी सवालों का जवाब सामने आता है जो पूछ रहा हूं आज उन सभी प्रश्नों का समधन कभी तो मिलेगा इसलिए आज सिर्फ मै सवाल पूछ रहा हूं।

क्या आप अपने बारे में जानने की इच्छा नही रखते ? क्या नहीं जानना चाहते इस जीवन के बारे में ?
क्यों आप अपनी मंजिल का रास्ता नहीं खोज रहे?
या आप इस रास्ते पर जाना नहीं चाहते ?
मंजिल आपको चुन रही है सही रास्ते
और सही दिशा के लिए

हम कैसे अपनी मंजिल की और पहुच रहे है? कौन सा रास्ता हमने चुन लिया है इस जीवन के लिए ?
क्या मंजिल तक पहुचना आसान है,
क्या मंजिल पास में ही है या बहुत दूर है ?
हम सभी को अपने जीवन के लक्ष्य की दिशा को निर्धारित करनी चाहिए  और आप पाओगे की आप सही मंजिल की ओर जा रहे है।

इस सफ़र का कोई अंत नहीं यह तो अनंत की यात्रा है यह सफ़र है स्वयं को जानने का, जीवन के कार्यो को समझने और उन्ह कार्यो को पूरा करने का , स्वयं का अनुभव पाने का स्वयं का अर्थ जानने का , स्वयं को महतवपूर्ण बनाने का , स्वयं से स्वयं की मंजिल तक पहुचने का
इस छोटे से जीवन में बहुत सारी घटनाओ का समावेश है। आपको अपने जीवनरूपी अर्थ को समझने का, बनाने का पहचानने के लिए यह घटनाये हमारे जीवन को महत्वपूर्ण बनाती है। और और अर्थपूर्ण बनाती है। हमे स्वयं में होने का एहसास दिलाती है। यह सभी घटनाये हमारे जीवन की विकासशील परिकिर्यायो से विकसित होने तक सहायता करती है।

यह सभी घटनाये हमारे जीवन में गति प्रदान करती है तथा हमे मृत्यु का भी बोध कराती है।
हम अपने जीवन बिंदु को किस प्रकार से जान सकते है, समझ सकते है? पहचान सकते है?
किस तरह से हम अपनी मंजिल की और बढ़ रहे है ? ऐसे कौनसे सहायक तत्व है जो हमारे जीवन में हमारी मदद करते है आगे बढ़ने के लिए एक सही दिशा की अवसर होने के लिए उन दिशा निर्देशों को हमें भली प्रकार से समझना चाहिए।

हम ही हमारे भविष्य के निर्माता है।

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बुद्धि

बुद्धि – मस्तिष्क
1- हमारी बुद्धि मैं सोचने और समझने की क्षमता होती है
2 हमारा मस्तिस्क एक कुशल प्रबंधक है।
3 हमारा मस्तिस्क आदेश और निर्देश देता है। इस शरीर को
4 निर्देश करना

किसी भी ज्ञान को काफी लंबे समय तक रखने की क्षमता और योग्यता होती है जिसके कारण हम किसी भी समय पर इस ज्ञान का प्रयोग करते है। अपने कार्यो तथा उस स्तिथी में उसी प्रकार का निर्णय ले सकते है।
किसी भी अनिश्चित घटना पर हमारा मस्तिष्क सुचारू रूप से कार्य करता है, यदि हमारे पास उस स्तिथी के अनुरूप ज्ञान है।
संभालना, किसी भी कार्य में नयापन लाना तथा कार्यो को नए ढंग से करने की क्षमता
किसी भी दूर की स्तिथी को समझने, परखने और जानने की क्षमता होती है।
सीखने की योग्यता
इच्छा शक्ति
समन्वय
भाषा का रूपांतरण
उद्द्देश्य शक्ति

हमारे मस्तिस्क के अंदर अनंत शक्ति है जिसे हम जान नहीं पा रहे है परंतु हमे जानना है और वह सभी शक्तियां हम कैसे जान सकते है ? उन शक्तियों को कैसे अर्जित कर सकते है ? कहते है हमारे मस्तिष्क की जो संरचना है वह बिल्कुल अंतरिक्ष की संरचना से मेल खाती है जैसा हमारा मस्तिष्क है वैसा ही बाहरी अंतरिक्ष भी है इसलिए जो हम अपने भीतरी मस्तिष्क में कर रहे है वैसा ही हमारे अंतरिक्ष में हो रहा है। उसी की वजह से ब्रह्माण्ड की स्तिथि ओर परिस्थिति लगातार परिवर्तन कर रही है।

हमारे मस्तिस्क मैं सारे ज्ञान को अर्जित करने की तथा उस ज्ञान को किर्यान्वित करने की बहुत क्षमताएं है। हमारा मस्तिष्क किर्याशील होता है। हर समय हमारा मस्तिस्क कितने ही प्रकार किर्यायो से संलग्न रहता है। अपने मस्तिस्क की क्षमताओं को देखो और पहचानो, अपने मस्तिस्क किसी की बुद्धि मेधावी ना हो, बहुत कम सोच पाता हो हम उसे ना जाने कितने ही प्रकार की दवाइया खिलाते है परंतु हमारे मस्तिष्क को बढ़ने के लिए किसी चव्यांप्रश् की आव्यशकता नहीं है सिर्फ अपने मस्तिष्क को देखो, स्वयं को समझो, हम अपने जीवन मैं किसी भी स्तर पर हो अपने जीवन को बेहतर बनाने की अवस्था चाहते है। हम सभी बेहतर जीवन चाहते है । हमारा मस्तिष्क बहुत तीव्र होना चाहता है। हम चाहते है की हमारी बुद्धि भी बहुत तीष्ण हो

हमारा मस्तिस्क बहुत शक्तिशाली है शायद जितनी हम कल्पना भी नहीं कर सकते तथा हमारा शारीर भी बहुत शक्तिशाली तथा विभिन्न प्रकार की शक्तियो से भरा हुआ है। जिसका हम अनुमान भी नहीं लगा सकते परंतु इन सभी शक्तियो को हमे जानना है मानव मस्तिस्क की शक्तियो को हमे समझना है जिसके द्वारा हम अनेको राज समझ सकते है इस जीवन के तथा इस जीवन की सभी आव्यसक्ताओं को पूरा कर सकते है । इस मानव मस्तिष्क में इतने रहस्य छिपे है की मानव मस्तिष्क भी छोटा पढ़ जाये

परंतु हम अपने मस्तिस्क के विचार को नहीं देखते,  हम सिर्फ चाँद, तारे, सूरज और आदि दूसरे ग्रहो की स्तिथी, परिश्तिथि को जानने में लगे हुए है अपने आपको जानने की कोशिश ही नहीं कर रहे है , की हमारा जन्म किन कारणों से हुआ है , क्या रहस्य है हमारे जन्म का?

हमारा मानव मस्तिष्क इतनी विशाल शक्तियो से भरा हुआ है की ये ग्रह आदि सब इस मस्तिष्क की रचना का हिस्सा है। मेरा यह कहना गलत नहीं होगा की एक ब्रह्माण्ड बाहर है और एक मानव शारीर मैं जिसको हम बहार खोज रहे है इन आँखों के द्वारा उसे हम अपने भीतर भी झांक कर देख सकते है, जिसकी पूरी स्तिथी और परिस्तिथि को समझ सकते है।

इस ब्रह्माण्ड की स्तिथी के लिए हमे बाहरी आँखों की आव्यसक्ता नहीं है ये सब कुछ हमारे भीतर ही है मात्र हमे अपने भीतर होते जाना है, बाहर तो सिर्फ दर्पण है जो अंदर है वो बाहर है। इसलिए सिर्फ भीतर होते चले जाओ सबकुछ अपने आप होता चला जायेगा

मन

मन क्या है? क्या चाहता है ? मन शरीर का एक अंग नही है यह शरीर से अलग है जो हमारे शरीर को चलायमान रखता है स्वयं नित कार्यों में मग्न रहता है और शरीर को भी वहीं आदेश देना चाहता है।

मन की गति बहुत तेज़ है, शरीर की वह गति नहीं है, शरीर धीमा है, यदि शरीर में मन आवागमन की गति आए तो शरीर इस ब्रह्माण्ड में कहीं विचर सकता है परन्तु यह करने के लिए बहुत तपस्या करनी होगी।

हमेसा हम नए नए कार्यो उलझता है मन सिर्फ नए कार्य ही करने चाहता है, यह स्वभाव है यह की पृकृति है की यह सिर्फ नए की खोज में लगातार लगा रहे यह पुराने को भूल जाता है छोड़ देता है हर दूसरे पल में कुछ ना कुछ नया करने की इच्छा इस मन में रहती है जिसकी वजह से हम कुछ ना कुछ अलग अथवा नए कार्यों की तलाश में रहते है और उन्हीं कार्यो को करना चाहते है खाली बैठ नही पाते जिसकी वजह से  मन तो कभी इस दिमाग को व्यस्त रखता है खाने, घूमने, खेलने, आदि कार्य करने या कुछ भी सोचने आदि के कार्यो में हमेसा उलझाए रखता है।

हम क्यों खाली खाली महसूस कर रहे है या करते है ? क्या हमारे पास कुछ नही है करने को ? या हम कुछ अलग कुछ नया हम करना चाहते है हम क्यों अपने आपको खाली खाली देखते हैै?
 
क्यों हमारा मस्तिष्क खाली खाली सा महसूस कर रहा है हमारा मन हमेसा नए कार्यो में नई चीज़ों की तरफ आकर्षित होता है तथा शरीर पुराने की मांग करता है जो पिछले दिन किया था उसी कार्य को करना चाहता है यदि हम पिछले दिन दिन में 2-4 के बीच सोए थे आज फिर शरीर उसी की मांग करता है परन्तु मन के साथ एसा नहीं है बिल्कुल भी नहीं है, नए कार्यो में लगाना चाहता है ये सिर्फ कुछ स्थानों पर शांति चाहता है जैसे बीते हुए दिन में क्या हुआ था वही दुबारा चाहता है उसी को बार बार दोहराना चाहता है शरीर आलसी है।

मन नित नए कार्यो की अग्रसर होता है अर्थात नया चाहता है इसलिए हमेसा हम एक छोर को छोड़ते है तो दूसरे छोर की और भागते है एक कार्य पूरा नही होता बस दूसरेे कार्य में लग जाना चाहते है एक मिनट भी हमें यह हमारा मन हमे खाली बैठने नही देता बस किसी ना किसी कार्य में लगातार लगाए रखता है।

और इस मन को जिसने जीत लिया वहीं जीत जाता है और जो इससे हार गया वहीं हारा हुआ कहलाता है।

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जीत की उम्मीद

हम जीत की उम्मीद छोड़ रहे है धीरे धीरे, लेकिन हमारे चेहरे पर दुख झलकने लगा है तभी मुझे याद आई केन विलियमसन की वो मुसकुराता है, वो बेचारा हर बार हार रहा है ओर उसे पता है की शायद वो अगला वर्ल्ड कप नहीं खेल पाएगा वो उस टीम का शायद हिस्सा भी ना हो लेकिन वो मुसकुराता हुआ चला गया, सेमी फाइनल में, ओर हम दुखी है, इतनी दूर तक आए है ओर फिर हार गए बहुत दुखद है ये हम विश्व विजेता नहीं बन पाए तीसरी बार, और ऑस्ट्रेलिया छठी बार विश्व विजेता बनने की तैयारी कर रहा था।

बीच में ही टीवी बंद कर दिया, बीच में ही लोग स्टेडियम से बाहर चले गए जैसे जैसे हम हार की ओर बढ़ रहे थे, हमसे हार बर्दास्त नहीं हो रही थी, हम हारना नहीं चाहते, हम दूसरे की जीत को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे, क्युकी हम बेहतर खेलते हुए आ रहे थे, ओर हम इस बार भी उतना बेहतर खेल दिखाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन हमारे सारे प्रयास विफल हो रहे थे, आज हम हार की ओर बढ़ रहे थे, मैदान में उत्साह कम हो रहा था, हौसला टूट चुका था, अब कुछ समझ नहीं आ रहा था।  दिल ओर दिमाग यह मानने को तैयार नहीं था की हम हार रहे है। हम इस हार को स्वीकार ही कर पा रहे थे, क्युकी निकट आकार इतना दूर हम विश्व कप से दूर खुद को पा रहे थे। 

हम सभी भारतीयों के दिल टूटने लगे है कंधे झुकने लगे है, लेकिन जब तक हार नहीं होती हम हार नहीं मानते, लेकिन उन्होंने जल्द ही हमे हार का एहसास कर दिया जहां से वापस लौटना बेहद मुश्किल था, ओर जीत की उम्मीद बिल्कुल खत्म हो चुकी थी।

ऑस्ट्रेलिया ने वास्तव में हमसे बेहतर खेल खेला आज का दिन उनका था ओर जीत का सेहरा इसलिए उनके सिर पर बंध गया, लेकिन सिर्फ मैच हारने से हम बेकार खेले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था हम बेहद शानदार खेले इसलिए भारतीय टीम को बहुत प्यार ओर हमारा समर्थन उनके अद्भुत पर्दशन के लिए ओर ऑस्ट्रेलिया को बधाई उनकी जीत के लिए।

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काल

परिवर्तन काल क्या है?

एक बार यह प्रश्न पूछा मुझसे किसी ने चलिए आज इस प्रश्न को मै एक ओर तरीके से समझाता हूं।
हमारा जीवन इस समय किस काल में चल रहा है, यह जो जीवन है वो वर्तमान काल है और हम सभी भविष्य की रचना कर रहे है एक एसा समय जिसकी हम सभी रचना करने में सहायक तत्व है वो किस प्रकार है यह आप स्वयं की हर एक प्रकार कि गतिविधि से समझ सकते है।

भूतकाल:
भूतकाल जिसे बदला नहीं जा सकता और हम सभी बहुत लंबी अवधि तय कर चुके इससे पूर्व भी हमारे अनेकानेक जन्म हो चुके है। यह समय का बहुत बड़ा हिस्सा है लगभग 14 करोड़ साल हो चुके है एक खोज के अनुसार जिसमे हस्तक्षेप करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

वर्तमान काल:
वर्तमान काल जिसे हम जी रहे है जिसका धागा भूतकाल से जुड़ा हुआ है जो कार्य हो रहा है हम भूतकाल में अधूरा छोड़ आए या फिर किसी कारण वश अधूरा रह जाता है और साथ साथ हम अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह वर्तमान काल जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु यह समय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। जो भूतकाल में हमारी इच्छाएं, मिलना , घटना , स्तिथि , परिस्थिति बाकी थी वह वर्तमान में पूरी हो रही है जैसा की हमें लगता है इसके पहले भी यह घटना हो चुकी है , हम यहां आ चुके है , हम इसे मिल चुके है इसी प्रकार जो इच्छाएं हमारी अभी नहीं पूरी हो रही वह सभी भविष्य काल में जा रही है और हम सारी अधूरी इच्छाओं को भविष्य में पूरा करेंगे।

भविष्य काल:
भविष्य काल  आज हम अपनी अनेकानेक इच्छाएं छोड़ रहे है कि वो सभी इच्छाएं आगे पूरी करेंगे इसी तरह से भविष्य काल लगातार असीमित हो रहा है यह एक अनंत समय अवधि में फैला हुआ है।
भविष्य काल पूर्ण रूप है जैसी हमारी इच्छाएं वर्तमान काल के समय में थी वह सभी भविष्य काल में बनी हुई होती है हमें उसी प्रकार का संसार भविष्य काल में मिलता है।

हम जिस पृथ्वी पर है उसे वर्तमान ग्रह कहते है उसके अलावा तो समानंतर ग्रह है भूतकाल ग्रह और भविष्य काल जिसमे समय कही से कही तक नही है।
क्या यह हमें ज्ञात है ? कि समय कितनी दूरी तय कर चुका नहीं हमे नही पता की भविष्य कितनी दूरी तय कर चुका होगा और अभी तक हमे यह भी नही ज्ञात की भूतकाल कितनी दूर तय करके आया है सिर्फ अनुमानित दृष्टिकोण है।

जिस ग्रह पर आज हम है यह एक सीधी रेखा की भांति है जो बार बार भूतकाल और भविष्य काल की घटनाओ से टकरा रहा है हम वर्तमान काल के जिस हिस्से में है जिसमें
कुछ भी आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है परंतु दूसरे कालो में नहीं जैसे भूतकाल में कुछ भी संशोधन नही किया जा सकता  और वही दूसरी ओर भविष्य काल में बहुत सारी संभावनाएं पैदा की सकती है परंतु वर्तमान काल में  करने वाली एक कोशिश है आप वर्तमान काल में हो जो की बहुत छोटा हिस्सा है जो हम और आप शायद सोच भी ना सकते यह वो हिस्सा है

जो कि एक पल का भी एक लाखवा हिस्सा हो हो सकता है और शायद उससे भी कई गुना छोटा हिस्सा जिसमे कुछ भी छोड़ा जा सकता है जिसमे किसी का प्रवेश संभव है

परंतु भूतकाल में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जा सकता क्युकी वह हो चुका है और जो हो चुका है उस घटना क्रम को बदलना असम्भव है जिस तरह वाणी से निकला वचन वापस नहीं लिया जा सकता , मृतक को जीवित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार भूतकाल में
वापस नहीं जाया हा सकता है।

लेकिन ये वर्तमान काल ऐसा काल जिसमे आप बार बार एक घटना को कई बार देख सकते हो एवम कर सकते हो यहाँ पर आपके द्वारा की कोई भी गलती या घटना पुनः ठीक की जा सकती है आप अपनी भूल को सुधार करने के लिए बहुत सारे प्रयत्न कर सकते हो।

  परंतु भूतकाल में जो गलतियां हो चुकी है उन्हें ठीक नही किया जा सकता या फिर उनसे कोई भी और किसी भी प्रकार की छेड़खानी नही की जा सकती वो ज्यो की त्यों ही रहेगी परंतु भविष्य के लिए उनमें संभावनाएं पैदा की जा  सकती है जिनसे वो ठीक हो सके हम उस काल में है जो इन सभी घटनाओ को ठीक कर रहा है और हमारे भविष्य में होने वाले कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सके उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है हम उस एक पल में है जहा पर छेड़खानी की, संशोधन की असीम संभावना है लेकिन यह एक बहुत छोटी और सीधी रेखा है जिसमे किसी का प्रवेश होना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं।
 
  क्युकी  यह दोनो कालो के मध्य में रगड़ होने पर कोई मिलाप रेखा है जिसे हम युग परिवर्तन रेखा भी कह सकते  है इस काल को शायद इसलिए यह भी कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है हो सकता है यह इसी आधार पर कहा गया हो।  यह घटना हमारे हिसाब से बहुत बड़ी है परंतु यह घटना एक बहुत छोटी घटना का रूप है

Pareller universe concept ( Theory )
We are living in the present universe which is a straight line in btw past and future universe and this present universe is just a millionth second which can’t be seen by past and future both of them are enjoying the unlimited time and period where there is no time , no boundaries , no discussion about time
{ future }—-{present }—{past } these are Parller to each other when ever they come in connection we call it Yug Parivartan
In our present universe we can make multiple change for the future but in past universe this can not be change
And in the future universe there are million of possibilities even we can call it perfect universe for all of us who thinking about to be there who all are working and giving effort for the better future —  “A perfect future”

जिस ब्रह्मंड के बारे में हम सभी सोच रहे है यदि उसके बारे में अंदाज लगाया जाए तो वह बहुत आगे की सभ्यता हो चुकी है, क्योंकि यदि हम समझें तो हमारा जीवन हमारी गणना के अनुसार 14 करोड़ साल पुराना है।

उसके हिसाब से हम जितने तकनीकी हो चुके है, उसके हि्साब से हमारी भविष्य की सभ्यता बहुत उन्नत होगी जो सभी आराम दायक और सभी प्रकार के औजारों से समृद्ध हो चुकी हो शायद टेक्नॉलजीसे भरपूर सभी कुछ होगा और जिसे और बेहतर होने से कोई नही रोक पा रहा है,
उन्होंने अपने खाने पीने कमाने के सभी साधनों को पूरा कर लिया होगा अथवा यह भी हो सकता है उन्होंने अपने खाने को त्याग ही दिया हो, यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता हो चुकी होगी।

यह भी पढे: वर्तमान निपट खरा, परिवर्तन काल जीवन, कर्म से भाग्य, परिस्थितिया,