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आलस

जब बहुत सारा आलस भर जाता है, इस आलस की वजह से लिखने का मन नहीं करता, तब आपको ज्यादातर समय सिर्फ सोने ओर लेटने का ही मन करता है। खुद को व्यस्त रखना बहुत जरूरी है यदि आलसी नहीं बनना तो, स्वयं को किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखना बहुत जरूरी है जिससे हमारा शरीर आलसी ना बने।

शरीर इतना आलसी होता है, खुद से कुछ काम करने को मन नहीं करता एसा लगता है, कोई हमारे लिए काम करदे, अक्सर हम यही चाहते है।

ये आलस ही है, जो हमे बार बार काम को टालने की आदत से भर देता है। जो हमे हमारे लक्ष्य से दूर करता है।

आलस को कैसे दूर करे? आलस को दूर करने के लिए कुछ तरीकों को अपनाये।  

हमे व्यायाम करना चाहिए, हर आधे घंटे बाद अपने शरीर को स्ट्रेच करना चाहिए, हमे अपने दिमाग की एक्सर्साइज़ करनी चाहिए।

किसी भी कार्य की शुरुआत करना जरूरी है जिससे आलसीपन खत्म हो।

आलस की वजह से कम्फर्ट ज़ोन में चले जाते है, ओर बार बार कार्य को टालते जाते है।

आलसी होने की आदत को बदलिए।

में नींद भी बहुत आती है, हाथ ओर पैर जाम से लगते है शरीर को हिलाने तक मन नहीं करता ये शरीर इतना आलसी हो जाता है।

ज्यादा से ज्यादा किताबे पढे जिससे आपका दिमाग लगातार अच्छा सोचे ओर शरीर बेहतर करे।

शरीर चुस्त रहना चाहिए, हर रोज व्यायाम करना चाहिए जिसकी वजह से हमारा शरीर खुलता है ओर आलसीपन दूर होता है।

बिना कुछ कहे

बिना कुछ कहे, उन्होंने कुछ ज्यादा ही समझ लिया अक्सर यही कुछ होता है, जब हम कहते कुछ नहीं है लेकिन वो समझ ज्यादा लेते है, बात कुछ होती नहीं है, लेकिन बढ़ बहुत जाती है, अक्सर यही कुछ होने लगता है, नजदीकिया बहुत होती है लेकिन एकदम से ना जाने क्यू दूरिया होने लग जाती है, मेने कुछ कहा नहीं उन्होंने सुन ज्यादा लिया, मेने कुछ समझाया नहीं 

उन्होंने समझ ज्यादा लिया,मेने कुछ देखा भी नहीं,उन्होंने देख भी ज्यादा लिया 

मेने कुछ सोचा भी नहीं उन्होंने सोच भी ज्यादा लिया 

बस इतना हुआ उसके बाद ना जाने वो रिश्ता ही कही खो गया नासमझी और समझी हुई बातो के बीच जो भेद था, उनकी वजह से वर्षो का रिश्ता अब रिश्ता नहीं रहा बस कुछ था ही नहीं ऐसा  कुछ हो गया। मेरी भीगी हुई पलके भी ना समझा सकी उनको कुछ ना जाने जो बिताया था हिस्सा समझने के लिए वो कुछ लम्हो में सिमट कही खो गया। 

बिना कुछ कहे ना जाने कितनी कितनी बाते हो जाती है, उन बातों से दूरिया भी बढ़ जाती है, पता नहीं चलता सालों का रिश्ता कब खत्म हो जाता है,

लिखने का मन

कभी कभी लिखने का भी मन नहीं करता बल्कि यही मेरा एक मनपसंद कार्य है जिसे मैं पूरी जिंदगी करना चाहता हूँ, इसके अलावा कुछ नहीं करना चाहता लेकिन कई बार एस होता की बस बहुत लिख चुका हूँ अब ओर नहीं लिखना चाहता।

लेकिन आज मुझे जुखाम हो रहा है जिसकी वजह से लिखने में ध्यान नहीं लग रहा बार बार एस लग रहा है बस सो जाऊ या आराम कर लू, लेकिन किसी ने एक बात काही है जब आप किसी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते है तो उसमे बहुत सारी बाधाये आती है, वह मानसिक ओर शारीरिक बाधा कैसी भी हो सकती है।

कई बार हमारा ऑफिस या दुकान जाने का मन नहीं करता लेकिन हमे करना पड़ता है क्युकी जाना जरूरी होता है। इसी प्रकार मेरा कभी लिखने का मन हो या नहीं हो लेकिन मैं लिखता हूँ, क्युकी जिंदगी किसी लक्ष्य को हासिल करना है, तो आपको उस कार्य के प्रति लगातार होना ही पड़ेगा, आपको उस कार्य से अवकाश नहीं लेना।

वैसे मेरी एक आदत है जब मुझे लगता है की आगे आने वाले कुछ दिनों तक किसी दूसरे कार्य में व्यस्त हूँ, या फिर मैं कुछ ओर काम करना चाहता हूँ, तब मैं अपने कार्य को अड्वान्स में ही कर लेता हूँ, ताकि मुझे किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, ओर मुझे कभी ऐसा नहीं लगे की आज मैंने कुछ काम ही नहीं किया।

मैं पहले से ड्राफ्ट में सेव कर लेता हूँ ओर उस दिन दिन तारीख पर सेट करके पोस्ट कर देता हूँ, लेकिन यह सुविधा आपको ओर किसी कार्य में नहीं मिलती इसलिए आपको लगातार तैयार रहना होता है।

इसलिए यदि आपका मन है तो भी कार्य को करे ओर नहीं है तो भी उस कार्य को करे, वह कार्य तभी पूरा होगा ओर इससे आप लगातार कार्य के प्रति बने रहेंगे, आपकी मंजिल आपके करीब आती है।

भविष्य के निर्माता

आप ही हो अपने भविष्य के निर्माता है इसलिए इसे समझे
बहुत सारे सवाल है जो प्रश्न मेरे मस्तिस्क में आते है,  किस से पूछे हम अपने इन सवाल को ? कौन बताएगा इन सवालो के जवाब ? यह ऐसे सवाल है जिनका उत्तर सिर्फ हम स्वयं ही जान सकते है और कोई आपको नहीं बता सकता।

क्या मेरा कोई अंतिम स्थान है?
क्या है मेरी मंजिल ?
मुझे किस ओर जाना है?
मुझे किस मंजिल की तलाश है?
मैं कहाँ से आया हूँ?
और कहाँ जा रहा हूँ ?
मैं अपनी मंजिल तक कैसे पहुँचूँ?
कैसे पहुँचूँगा?
क्या है मेरी मंजिल का साधन ?

मेरे विचार और मेरी खोज किस तरह से मेरी मंजिल तक पहुचने में मेरी मदद कर रही है?
   
बहुत सारे प्रश्नो का अम्बार हमारे इस मस्तिस्क में लगता जा रहा है।

ऐसा लगता है की हमारे पूछे ही सवालो का जवाब नहीं होता हमारे पास
मै बड़ा बेबस सा महसूस करता हूँ जब नहीं मिलता कोई जवाब लेकिन रुकता नहीं थकता नहीं हूँ आगे निकल चलता हूँ क्युकी मुझे ऐसा लगता है एक समय आता है जब सभी सवालों का जवाब सामने आता है जो पूछ रहा हूं आज उन सभी प्रश्नों का समधन कभी तो मिलेगा इसलिए आज सिर्फ मै सवाल पूछ रहा हूं।

क्या आप अपने बारे में जानने की इच्छा नही रखते ? क्या नहीं जानना चाहते इस जीवन के बारे में ?
क्यों आप अपनी मंजिल का रास्ता नहीं खोज रहे?
या आप इस रास्ते पर जाना नहीं चाहते ?
मंजिल आपको चुन रही है सही रास्ते
और सही दिशा के लिए

हम कैसे अपनी मंजिल की और पहुच रहे है? कौन सा रास्ता हमने चुन लिया है इस जीवन के लिए ?
क्या मंजिल तक पहुचना आसान है,
क्या मंजिल पास में ही है या बहुत दूर है ?
हम सभी को अपने जीवन के लक्ष्य की दिशा को निर्धारित करनी चाहिए  और आप पाओगे की आप सही मंजिल की ओर जा रहे है।

इस सफ़र का कोई अंत नहीं यह तो अनंत की यात्रा है यह सफ़र है स्वयं को जानने का, जीवन के कार्यो को समझने और उन्ह कार्यो को पूरा करने का , स्वयं का अनुभव पाने का स्वयं का अर्थ जानने का , स्वयं को महतवपूर्ण बनाने का , स्वयं से स्वयं की मंजिल तक पहुचने का
इस छोटे से जीवन में बहुत सारी घटनाओ का समावेश है। आपको अपने जीवनरूपी अर्थ को समझने का, बनाने का पहचानने के लिए यह घटनाये हमारे जीवन को महत्वपूर्ण बनाती है। और और अर्थपूर्ण बनाती है। हमे स्वयं में होने का एहसास दिलाती है। यह सभी घटनाये हमारे जीवन की विकासशील परिकिर्यायो से विकसित होने तक सहायता करती है।

यह सभी घटनाये हमारे जीवन में गति प्रदान करती है तथा हमे मृत्यु का भी बोध कराती है।
हम अपने जीवन बिंदु को किस प्रकार से जान सकते है, समझ सकते है? पहचान सकते है?
किस तरह से हम अपनी मंजिल की और बढ़ रहे है ? ऐसे कौनसे सहायक तत्व है जो हमारे जीवन में हमारी मदद करते है आगे बढ़ने के लिए एक सही दिशा की अवसर होने के लिए उन दिशा निर्देशों को हमें भली प्रकार से समझना चाहिए।

हम ही हमारे भविष्य के निर्माता है।

यह भी पढे: समय का नहीं अवरोध, अच्छा समय आएगा, भविष्य निर्माण, वर्तमान निपट खरा,

बुद्धि

बुद्धि – मस्तिष्क
1- हमारी बुद्धि मैं सोचने और समझने की क्षमता होती है
2 हमारा मस्तिस्क एक कुशल प्रबंधक है।
3 हमारा मस्तिस्क आदेश और निर्देश देता है। इस शरीर को
4 निर्देश करना

किसी भी ज्ञान को काफी लंबे समय तक रखने की क्षमता और योग्यता होती है जिसके कारण हम किसी भी समय पर इस ज्ञान का प्रयोग करते है। अपने कार्यो तथा उस स्तिथी में उसी प्रकार का निर्णय ले सकते है।
किसी भी अनिश्चित घटना पर हमारा मस्तिष्क सुचारू रूप से कार्य करता है, यदि हमारे पास उस स्तिथी के अनुरूप ज्ञान है।
संभालना, किसी भी कार्य में नयापन लाना तथा कार्यो को नए ढंग से करने की क्षमता
किसी भी दूर की स्तिथी को समझने, परखने और जानने की क्षमता होती है।
सीखने की योग्यता
इच्छा शक्ति
समन्वय
भाषा का रूपांतरण
उद्द्देश्य शक्ति

हमारे मस्तिस्क के अंदर अनंत शक्ति है जिसे हम जान नहीं पा रहे है परंतु हमे जानना है और वह सभी शक्तियां हम कैसे जान सकते है ? उन शक्तियों को कैसे अर्जित कर सकते है ? कहते है हमारे मस्तिष्क की जो संरचना है वह बिल्कुल अंतरिक्ष की संरचना से मेल खाती है जैसा हमारा मस्तिष्क है वैसा ही बाहरी अंतरिक्ष भी है इसलिए जो हम अपने भीतरी मस्तिष्क में कर रहे है वैसा ही हमारे अंतरिक्ष में हो रहा है। उसी की वजह से ब्रह्माण्ड की स्तिथि ओर परिस्थिति लगातार परिवर्तन कर रही है।

हमारे मस्तिस्क मैं सारे ज्ञान को अर्जित करने की तथा उस ज्ञान को किर्यान्वित करने की बहुत क्षमताएं है। हमारा मस्तिष्क किर्याशील होता है। हर समय हमारा मस्तिस्क कितने ही प्रकार किर्यायो से संलग्न रहता है। अपने मस्तिस्क की क्षमताओं को देखो और पहचानो, अपने मस्तिस्क किसी की बुद्धि मेधावी ना हो, बहुत कम सोच पाता हो हम उसे ना जाने कितने ही प्रकार की दवाइया खिलाते है परंतु हमारे मस्तिष्क को बढ़ने के लिए किसी चव्यांप्रश् की आव्यशकता नहीं है सिर्फ अपने मस्तिष्क को देखो, स्वयं को समझो, हम अपने जीवन मैं किसी भी स्तर पर हो अपने जीवन को बेहतर बनाने की अवस्था चाहते है। हम सभी बेहतर जीवन चाहते है । हमारा मस्तिष्क बहुत तीव्र होना चाहता है। हम चाहते है की हमारी बुद्धि भी बहुत तीष्ण हो

हमारा मस्तिस्क बहुत शक्तिशाली है शायद जितनी हम कल्पना भी नहीं कर सकते तथा हमारा शारीर भी बहुत शक्तिशाली तथा विभिन्न प्रकार की शक्तियो से भरा हुआ है। जिसका हम अनुमान भी नहीं लगा सकते परंतु इन सभी शक्तियो को हमे जानना है मानव मस्तिस्क की शक्तियो को हमे समझना है जिसके द्वारा हम अनेको राज समझ सकते है इस जीवन के तथा इस जीवन की सभी आव्यसक्ताओं को पूरा कर सकते है । इस मानव मस्तिष्क में इतने रहस्य छिपे है की मानव मस्तिष्क भी छोटा पढ़ जाये

परंतु हम अपने मस्तिस्क के विचार को नहीं देखते,  हम सिर्फ चाँद, तारे, सूरज और आदि दूसरे ग्रहो की स्तिथी, परिश्तिथि को जानने में लगे हुए है अपने आपको जानने की कोशिश ही नहीं कर रहे है , की हमारा जन्म किन कारणों से हुआ है , क्या रहस्य है हमारे जन्म का?

हमारा मानव मस्तिष्क इतनी विशाल शक्तियो से भरा हुआ है की ये ग्रह आदि सब इस मस्तिष्क की रचना का हिस्सा है। मेरा यह कहना गलत नहीं होगा की एक ब्रह्माण्ड बाहर है और एक मानव शारीर मैं जिसको हम बहार खोज रहे है इन आँखों के द्वारा उसे हम अपने भीतर भी झांक कर देख सकते है, जिसकी पूरी स्तिथी और परिस्तिथि को समझ सकते है।

इस ब्रह्माण्ड की स्तिथी के लिए हमे बाहरी आँखों की आव्यसक्ता नहीं है ये सब कुछ हमारे भीतर ही है मात्र हमे अपने भीतर होते जाना है, बाहर तो सिर्फ दर्पण है जो अंदर है वो बाहर है। इसलिए सिर्फ भीतर होते चले जाओ सबकुछ अपने आप होता चला जायेगा

काल

परिवर्तन काल क्या है?

एक बार यह प्रश्न पूछा मुझसे किसी ने चलिए आज इस प्रश्न को मै एक ओर तरीके से समझाता हूं।
हमारा जीवन इस समय किस काल में चल रहा है, यह जो जीवन है वो वर्तमान काल है और हम सभी भविष्य की रचना कर रहे है एक एसा समय जिसकी हम सभी रचना करने में सहायक तत्व है वो किस प्रकार है यह आप स्वयं की हर एक प्रकार कि गतिविधि से समझ सकते है।

भूतकाल:
भूतकाल जिसे बदला नहीं जा सकता और हम सभी बहुत लंबी अवधि तय कर चुके इससे पूर्व भी हमारे अनेकानेक जन्म हो चुके है। यह समय का बहुत बड़ा हिस्सा है लगभग 14 करोड़ साल हो चुके है एक खोज के अनुसार जिसमे हस्तक्षेप करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

वर्तमान काल:
वर्तमान काल जिसे हम जी रहे है जिसका धागा भूतकाल से जुड़ा हुआ है जो कार्य हो रहा है हम भूतकाल में अधूरा छोड़ आए या फिर किसी कारण वश अधूरा रह जाता है और साथ साथ हम अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह वर्तमान काल जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु यह समय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। जो भूतकाल में हमारी इच्छाएं, मिलना , घटना , स्तिथि , परिस्थिति बाकी थी वह वर्तमान में पूरी हो रही है जैसा की हमें लगता है इसके पहले भी यह घटना हो चुकी है , हम यहां आ चुके है , हम इसे मिल चुके है इसी प्रकार जो इच्छाएं हमारी अभी नहीं पूरी हो रही वह सभी भविष्य काल में जा रही है और हम सारी अधूरी इच्छाओं को भविष्य में पूरा करेंगे।

भविष्य काल:
भविष्य काल  आज हम अपनी अनेकानेक इच्छाएं छोड़ रहे है कि वो सभी इच्छाएं आगे पूरी करेंगे इसी तरह से भविष्य काल लगातार असीमित हो रहा है यह एक अनंत समय अवधि में फैला हुआ है।
भविष्य काल पूर्ण रूप है जैसी हमारी इच्छाएं वर्तमान काल के समय में थी वह सभी भविष्य काल में बनी हुई होती है हमें उसी प्रकार का संसार भविष्य काल में मिलता है।

हम जिस पृथ्वी पर है उसे वर्तमान ग्रह कहते है उसके अलावा तो समानंतर ग्रह है भूतकाल ग्रह और भविष्य काल जिसमे समय कही से कही तक नही है।
क्या यह हमें ज्ञात है ? कि समय कितनी दूरी तय कर चुका नहीं हमे नही पता की भविष्य कितनी दूरी तय कर चुका होगा और अभी तक हमे यह भी नही ज्ञात की भूतकाल कितनी दूर तय करके आया है सिर्फ अनुमानित दृष्टिकोण है।

जिस ग्रह पर आज हम है यह एक सीधी रेखा की भांति है जो बार बार भूतकाल और भविष्य काल की घटनाओ से टकरा रहा है हम वर्तमान काल के जिस हिस्से में है जिसमें
कुछ भी आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है परंतु दूसरे कालो में नहीं जैसे भूतकाल में कुछ भी संशोधन नही किया जा सकता  और वही दूसरी ओर भविष्य काल में बहुत सारी संभावनाएं पैदा की सकती है परंतु वर्तमान काल में  करने वाली एक कोशिश है आप वर्तमान काल में हो जो की बहुत छोटा हिस्सा है जो हम और आप शायद सोच भी ना सकते यह वो हिस्सा है

जो कि एक पल का भी एक लाखवा हिस्सा हो हो सकता है और शायद उससे भी कई गुना छोटा हिस्सा जिसमे कुछ भी छोड़ा जा सकता है जिसमे किसी का प्रवेश संभव है

परंतु भूतकाल में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जा सकता क्युकी वह हो चुका है और जो हो चुका है उस घटना क्रम को बदलना असम्भव है जिस तरह वाणी से निकला वचन वापस नहीं लिया जा सकता , मृतक को जीवित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार भूतकाल में
वापस नहीं जाया हा सकता है।

लेकिन ये वर्तमान काल ऐसा काल जिसमे आप बार बार एक घटना को कई बार देख सकते हो एवम कर सकते हो यहाँ पर आपके द्वारा की कोई भी गलती या घटना पुनः ठीक की जा सकती है आप अपनी भूल को सुधार करने के लिए बहुत सारे प्रयत्न कर सकते हो।

  परंतु भूतकाल में जो गलतियां हो चुकी है उन्हें ठीक नही किया जा सकता या फिर उनसे कोई भी और किसी भी प्रकार की छेड़खानी नही की जा सकती वो ज्यो की त्यों ही रहेगी परंतु भविष्य के लिए उनमें संभावनाएं पैदा की जा  सकती है जिनसे वो ठीक हो सके हम उस काल में है जो इन सभी घटनाओ को ठीक कर रहा है और हमारे भविष्य में होने वाले कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सके उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है हम उस एक पल में है जहा पर छेड़खानी की, संशोधन की असीम संभावना है लेकिन यह एक बहुत छोटी और सीधी रेखा है जिसमे किसी का प्रवेश होना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं।
 
  क्युकी  यह दोनो कालो के मध्य में रगड़ होने पर कोई मिलाप रेखा है जिसे हम युग परिवर्तन रेखा भी कह सकते  है इस काल को शायद इसलिए यह भी कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है हो सकता है यह इसी आधार पर कहा गया हो।  यह घटना हमारे हिसाब से बहुत बड़ी है परंतु यह घटना एक बहुत छोटी घटना का रूप है

Pareller universe concept ( Theory )
We are living in the present universe which is a straight line in btw past and future universe and this present universe is just a millionth second which can’t be seen by past and future both of them are enjoying the unlimited time and period where there is no time , no boundaries , no discussion about time
{ future }—-{present }—{past } these are Parller to each other when ever they come in connection we call it Yug Parivartan
In our present universe we can make multiple change for the future but in past universe this can not be change
And in the future universe there are million of possibilities even we can call it perfect universe for all of us who thinking about to be there who all are working and giving effort for the better future —  “A perfect future”

जिस ब्रह्मंड के बारे में हम सभी सोच रहे है यदि उसके बारे में अंदाज लगाया जाए तो वह बहुत आगे की सभ्यता हो चुकी है, क्योंकि यदि हम समझें तो हमारा जीवन हमारी गणना के अनुसार 14 करोड़ साल पुराना है।

उसके हिसाब से हम जितने तकनीकी हो चुके है, उसके हि्साब से हमारी भविष्य की सभ्यता बहुत उन्नत होगी जो सभी आराम दायक और सभी प्रकार के औजारों से समृद्ध हो चुकी हो शायद टेक्नॉलजीसे भरपूर सभी कुछ होगा और जिसे और बेहतर होने से कोई नही रोक पा रहा है,
उन्होंने अपने खाने पीने कमाने के सभी साधनों को पूरा कर लिया होगा अथवा यह भी हो सकता है उन्होंने अपने खाने को त्याग ही दिया हो, यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता हो चुकी होगी।

यह भी पढे: वर्तमान निपट खरा, परिवर्तन काल जीवन, कर्म से भाग्य, परिस्थितिया,

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सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

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सवाल उठ रहे है

हमारे मन मस्तिष्क में जो सवाल उठ रहे है, क्या आपको उन सवालों के जवाब मिल रहे है, या आप उन सवालों के लिए इधर उधर भटक रहे है, क्या आपके भीतर उन सवालों के प्रति उतनी भूख नहीं है अपने ही सवालों के जवाब के लिए, आपके भीतर कौनसे ऐसे सवाल उठ रहे है।

मन भीतर चल रहे है बहुत सारे सवाल जिनका जवाब मिलन बहुत मुश्किल हो जाता है, कुछ सवालों के जवाब मिल जाते है तो कुछ के अधूरे रह जाते है, बस उनही अधूरे जवाबों को ढूँढने में ना जाने कितने दिन बीत जाते है।

जिनका जवाब आपको नहीं मिल रहा है, ओर उन सवालों का जवाब नहीं मिला तो क्या आपने उन प्रश्नों के उत्तर को खोजना छोड़ दिया है।

इन सवालों के उठने का सिलसिला यू ही चलता रहे, ओर हर सवाल का जवाब आपको मिलता रहे, सवालों का उठना ओर बैठ जाना कुछ खुद से बात करना ओर कभी खुद से दूर हो जाना।

बहुत सारे सवालों के जवाब जो हमे नहीं पता लेकिन बस तुम दौड़ जाओ उस तरफ जहां तुम्हें तुम्हारे सवालों के जवाब मिल सके, तुम्हें फिर रुकना नहीं है जब तक तुम उन सभी सवालों के हल ना खोज लो, तुम्हें तुम्हारे सभी सवालों के जवाब मिलेंगे बस तुम्हें उस ओर दौड़ना है, तुम्हें खुद से बार बार वही सवाल पूछने है जिनका जवाब तुम्हें नहीं पता, तुम्हें जवाब मिलेगा, तुम्हारे आसपास की घटनाए वो जवाब देगी, ये ब्रह्मांड तुम्हें तुम्हारे सवालों का जवाब देने के लिए ही यहाँ है, पूछो अपने सवाल इस आकाश से अपनी आवाज को बुलंद करो इतनी की आकाश में वो गूंज उठे। ओर तुम्हें तुम्हारे सवालों के जवाब मिल सके।

तुम्हारी आवाज पूरे आकाश में गूंज उठनी चाहिए।

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किताबे

किताबे जिससे कि हमें ज्ञान प्राप्त होता है। आखिरकार सभी प्रकार की जानकारी व ज्ञान का मूलभूत स्रोत यह किताबें ही है। किताबों में ही सभी प्रकार की जानकारी को एकत्र करके रखा जा सकता है। हमारे पूर्वजों ने भी नाना प्रकार के विषयों के ऊपर जानकारी इकट्ठी करके किसी न किसी ग्रंथ या किताब में उसे संजोकर रखा तभी तो हम आज उस ज्ञान को प्राप्त कर पाए हैं।

प्राचीन समय में कागज का आविष्कार होने से पहले हमारे पूर्वज लिखने के लिए भोज पत्रों का इस्तेमाल किया करते थे। इन भुज पत्रों के आगे और पीछे दोनों तरफ लिखावट होती थी और इन्हीं से किताबें बनाई जाती थी। उस समय लिखावट के लिए भी पेड़ों की टहनियों की कलम बनाकर इस्तेमाल की जाती थी। जब फूलों को पीसकर स्याही तैयार की जाती थी। समय के साथ साथ कागज और फिर आधुनिक कागज का आविष्कार होता गया और भोज पत्रों के स्थान आधुनिक कागज पत्रों ने ले ली और कागज के बाद भी आज कंप्यूटर ने उन कागजों का स्थान ले लिया।

सर्वप्रथम कागज का आविष्कार चीन में हुआ था।और कागजी मुद्रा का आविष्कार भी सर्वप्रथम चीन में ही हुआ था। आज से 200 साल पहले राजा रवि वर्मा के द्वारा हमारे देश में प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की गई वह कई किताबों की छपाई की गई। प्रिंटिंग प्रेस के आने से पहले राजाओं के दरबार में कई ज्ञानि व्यक्तियों की आवश्यकता होती थी, जो कि किसी एक किताब को अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करते थे। इसके अलावा एक ही किताब को लिखने के लिए काफी समय लग जाता था परंतु आज के समय में आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस के आने से एक साथ लाखों किताबे बहुत ही कम कम समय में छापी जा सकती हैं।

आज जो हम अपने इतिहास के बारे में जानते हैं वह सिर्फ इन किताबों की वजह से ही तो जानते हैं। जो कुछ हमारे पूर्वज हमारे लिए किताबों में लिख गए उसी को पढ़कर हम प्राचीन समय के समाज के बारे में जानकारी एकत्र कर पाते हैं।

यह किताबे ही है जो ज्ञान का असीम भंडार हैं। प्रत्येक देश में प्रत्येक भाषा में प्रत्येक विषय पर लिखी गई किताबों से ही हम उस विषय के बारे में उस भाषा के बारे में उस देश के बारे में जानकारी एकत्र कर पाते हैं और किताब किसी न किसी भाषा में होती है परंतु जिस समय में भाषाओं का अविष्कार नहीं हुआ था चित्रों द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त करते थे वह जानकारी एकत्र करते थे , फिर धीरे-धीरे भाषाओं का विकास होने लगा, कुछ प्राचीन भाषाओं में पाली प्राकृत वह संस्कृत भाषाएं भी आती है। कई बौद्ध व जैन धर्म ग्रंथ जो कि आज से 5000 वर्ष पूर्व लिखे गए उनमें पाली भाषा व प्राकृत भाषा मिलती है। इससे हमें ज्ञात होता है कि उस समय पाली में प्राकृत भाषाओं का काफी प्रचलन था। सनातन धर्म की प्राचीन पुस्तकें जैसे के महाभारत, श्रीमद् भागवत गीता वह वेद व पुराण आदि संस्कृत भाषाओं में लिखे गए हैं। इससे हमें ज्ञात होता है कि उस समय के कालखंड में संस्कृत भाषा का काफी प्रचार था।

चाहे हम गूगल इंटरनेट व कंप्यूटर पर कितना ही समय क्यों ना बिता लें परंतु ज्ञान का असीम सोर्स दो किताबें ही है हमें किताबों के साथ भी कुछ समय बिताना चाहिए। इससे हमारा ज्ञान वर्धन भी होगा।

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ट्रेंडिंग कीवर्ड

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