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मनपसंद जगह

आज फिर मैं अपनी मनपसंद जगह पर गया जहां मैंने पहली किताब लिखी थी, फिर से एक नई शुरुआत के लिए उसी समय जैसे में पहले जाता था, कॉफी होम सुबह 11 बजे खुलता है 2013 – 2014 में में सुबह 10.30 बजे लगभग पहुंच जाता था और बाहर ही गेट खुलने का इंतजार करता था, उस समय बस कुछ ही लोग आते थे।

मनपसंद जगह कॉफी होम
मनपसंद जगह कॉफी होम

लेकिन आज जब मैं 11.20 पहुंचा तब बहुत सारे लोग पहले से वहाँ पहुंचे हुए थे, एक समय था जब वह भीड़ बहुत कम होती थी इस समय और जब दोपहर लंच का समय होता था तब भीड़ बढ़ जाती थी बस उसी समय ही भीड़ ज्यादा होती थी और लोग आते और जाते रहते थे, लेकिन अब ज्यादातर लोग ठहरे रहते है, पहले बहुत ज्यादा संख्या में बुजुर्ग लोग आते थे।

लेकिन अब यंग क्राउड बहुत आता है, जिसकी वजह से भीड़ ज्यादा होती है, व्यक्ति अकेला होता था वो अपने साथियों का इंतजार करते  थे, और धीरे धीरे लोग इक्कठे होने लगते है कभी कोई किसी समय आता तो कोई किसी समय धीरे धीरे लोग जमा हो जाते थे, और अपने एक समय पर सब चले जाते थे उनमें से अधिकतर लोग रिटायर्ड होते थे।

आजकल सोशल मीडिया पर बहुत तेज़ी से कोई भी जगह प्रचलित हो जाती है, और लोग वहां पहुंचने लग जाते है, एक समय पर ये जगह बहुत ज्यादा लोगो को नही पता थी लेकिन आज इस जगह को हर कोई जानता है। क्युकी सभी लोगों को सोशल मीडिया पर इस जगह का पता चल रहा है, ओर वैसे भी यह जगह बहुत ही सुंदर है पेड़ के नीचे बैठकर बाते करना ओर समय बिताना तो हमेशा से ही अच्छा लगता है, यहाँ तो चाय, कॉफी व नाश्ता भी कर लेते है बैठकर ओर खूब बाते भी इसलिए यह जगह ओर भी खास हो जाती है।

यह मेरी मनपसंद जगहों में से एक है जहां मैं अक्सर जाना पसंद करता हूं, यहां बैठने के लिए जगह मिल जाती है और कोई रोक टोक नही होती की आप कितनी भी देर बैठो लेकिन आप अपने ऑफिस का काम लेकर नही जाए लैपटॉप का प्रयोग करना वर्जित है , इसलिए उसका उपयोग नही करे।  

आप यहां बैठकर लोगो के साथ मीटिंग कर सकते है अपने दोस्तो के संग घंटो बाते कर सकते है और स्पेशली साउथ इंडियन फूड आपको यहां मिलता है जिसको आप खा सकते है। 

पहाड़ गंज

पहाड़ गंज एरिया की कृष्णा गली घी मंडी चौक की तारे बहुत सारे लोगो के लिए एक ऐसा स्पॉट बना हुआ

जिसे देख कर बहुत सारे लोग स्तब्ध हो जाते है, कभी सिर झुक कर चलते है तो कभी ऐसे देखते है, जैसे उन्होंने पहले कभी तारे देखि ही नहीं।

इन बिजली, केबल , वाईफाई, टेलीफोन की तारों देखने के बाद लोगो के पास शब्द नही होते और उन तारो को देखकर फ़ोटो खिंचने लग जाते है।

जब विदेशी पर्यटक इस गली से गुजरते है तो वह इन तारो की फोटोज लेते है, और इनकी ड्राइंग भी बनाते है, आज से थोड़े टाइम पहले मेरी मुलाकात साशा बेजुरोव से हुई थी जो बहुत ही मशहूर फोटोग्राफर है उन्होंने भी इन तारो की बहुत सारी फोटोज ली एवं चित्र भी बनाया था।

कहने का तात्पर्य यह है, कि यह तारे सभी को अचंभित करती है क्युकी यह बहुत नीचे है, तथा आने जाने वालो को परेशानी भी होती है यह पूरी तरह से एक झुंड बनाए हुए है।

इनको यह नीचे लटकी हुई तारे बड़ी अदभुत सी लगती है, मानो उन्होंने ऐसे तारो को नीचे की और कभी देखा ना हो, यह नजारा कभी देखा ही ना हो इसलिए यह तारे उन्हें आकर्षित करती है, परंतु यह तारे खतरनाक तारे है, यदि किसी दिन कोई हादसा हो गया तो कौन कैसे बच पायेगा एक तो पहाड़ गंज की गालियां इतनी संकरी और उसके बाद यह नीचे लटकी हुए तारे जिनका कोई समाधान नही मिल रहा है।

क्या इनका कोई समाधान है ? क्या सरकार इन लटकी हुई तारो के बारे में कुछ सोच रही है , यह तारे सिर्फ पहाड़ गंज में ही नही है। दिल्ली की काफी जगह ऐसी जहाँ इस प्रकार से तारे लटकी हुई है , नई सड़क, चावड़ी बाजार , चांदनी चौक आदि जगहों पर भी इसी तरह से तारे नीचे की और लटकी हुई है, तथा इससे भी बदतर हालात में है, और इनका कोई समाधान होता हुआ नही दिख रहा है।

दिल्ली की काफी जगह ऐसी जहाँ इस प्रकार से तारे लटकी हुई है , नई सड़क, चावड़ी बाजार , चांदनी चौक, आदि जगहों पर भी इसी तरह से तारे नीचे की और लटकी हुई है, तथा इससे भी बदतर हालात में है, और इनका कोई समाधान होता हुआ नही दिख रहा है।