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तुम हो समुद्र

तुम हो समुद्र तुम्हारा दुख तेज धूप तुम्हारी सहन शक्ति के आगे नतमस्तक हम , तुम्हारा बल अद्भुत तुम्हारी गाथा तुम हो अनेकों विचारों एक दाता तुम हो समुद्र दुःख तेज धूप…
धूप विकट समुद्र विराट स्वरूप ।
तेज से तेज धूप समुद्र का बाल भी
बाँका नही कर सकती …..
समुद्र चुप शांत कभी क्रुद्ध धूप की
तो एक नियत शक्ति ।

तुम हो समुद्र तुम्हारे दुःख तेज धूप….
धूप शक्ति नही बदल सकती समुद्र रूप
कोई कुछ बोले करे मनन रहे सदा शांत….
इस बात में हित लाभ मन भी होगा प्रशांत ॥

जीवन का गणित

जीवन का गणित एसा है जो किसी को समझ ना आए इस गणित सब उलझे हुए नजर आए , इस गणित को जो समझे वो इस भवर से बाहर निकल जाए।

जीवन का गणित
जीवन में आशीर्वादों को जमा कीजिए
दुःख तकलीफ़ों को घटा दीजिए
भलाई को गुणा कीजिए
इच्छाओं को भाग दीजिए
जीवन के विकास में जहां जहां
जो ज़रूरी हे कही घटा कही जोड़
कही भाग तो कही गुणा निरंतर कीजिये

दुःख तकलीफ़ों को घटा दीजिए, दर्द को मिटा दीजिए,
खुशियों को बांटिए, सबको हंसा दीजिए।

भलाई को गुणा कीजिए, अच्छाई को फैलाइए,
सद्गुरु की ओर से मंगलकामनाएं लेंगे आपको बहुत सारी।

दूसरों की मदद कीजिए, सदैव नेकी में लग जाइए,
प्रेम और समझ से बनाइए, जीवन को अपारी।

सफलता की राह पर चलिए, मेहनत और समर्पण से,
आपकी कठिनाइयाँ घटाएंगे, सफलता की उच्चाईयाँ पाएंगे।

खुश रहिए, मुस्कराइए, दूसरों को खुश रखिए,
यह जीवन का गणित है, जिसे हमेशा आप सुलझाइए।

यह थी प्रेम, शांति और समृद्धि की कविता,
जीवन के साथी बनकर, खुशहाली की पथ पर चलिए सदा।

यह भी पढे: रूठना नहीं है, क्या है जिंदगी, जिंदगी क्या है,

जीवन का आधार

पढ़ाई जीवन का आधार है
क्या यह कथन सही हे ?
किसी को सही से सुनना
भी क्या पढ़ाई हे?

क्या सही व्यवहार में पढ़ाई
का योगदान हे ?
क्या अच्छी नौकरी ओर धन
कमाना ही पढ़ाई हे ?

क्या पढ़ाई मस्तिष्क की
खुराक की हृदय का
भी इसमें कुछ योग हे ?
क्या पढ़ाई एक व्यवस्था

एक विशेष क़ार्य में आगे
बढ़ने की कसौटी ॥

पढ़ाई जीवन का आधार है ,
जो नहीं करता उसे है डर है।

ज्ञान की धरा से जब बहता है,
तब समझ में आता है जीवन का सत्य है।

जीवन की इस यात्रा में,
ज्ञान ही है सफलता का मंत्र है।

पुस्तकों का समुद्र है ये जगत,
जिसमें डूबकर ज्ञान करो जगमगाता है अपना मतलब है।

ज्ञान की इस धरती पर हर व्यक्ति,
अपनी अलग पहचान बना सकता है।

पढ़ाई से सीखो नए नए ज्ञान को,
जीवन के हर पहलू में उसे लागू करो।

इससे नहीं मिलती सिर्फ सफलता,
बल्कि आत्मविश्वास भी मिलता है जीवन का अर्थ होता है पढ़ाई का।

जब तक हम पढ़ाई नहीं करते हैं,
हम अपने जीवन को समझने में असमर्थ होते हैं।

पढ़ाई करने से हम सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं,
और अपनी अलग पहचान बना सकते हैं।

पढ़ाई जीवन का आधार है,
जो नहीं करता उसे है डर है।

यह भी पढे: छात्रों के लिए, शिक्षा ही जीवन, पढ़ाई क्यों जरूरी है, परीक्षा,

शरीर ओर पानी

शरीर ओर पानी सम्बंध ओर शरीर सदा रहे बहते ओर उन्हें सदा रखे चलाते…..
क्यूँ क्यूँकि नियम पानी स्वास्थ्य सम्बंध जब
बहते पारदर्शी स्वच्छ वो दिख पाते ।

पानी चलता बहता अच्छा….
कर्म करना हे उसकी शिक्षा ।
शरीर चलता तो वो स्वस्थ…
कुछ करते रहे सही , रहना व्यस्त ।
रिश्ते में भी होता रहे आदान प्रदान….
रिश्तों को तभी मिलता उचित सम्मान ॥

दयालुपन जीवन

दयालुपन जीवन को दे हवा उसका क्षेत्र करे अधिक से अधिक विस्तृत….
तभी जीवन भी होगा सुगंधित सम्पूर्ण पूर्ण होगा जीवन वृत ।

दयालुता हृदय का वो व्यवहार व्यापार…..
ख़रीद लेते दिल जिसकी क़ीमत बेशुमार ।

दे सबको दयालुता की शिक्षा ओर समझ …..
सफल जीवन , सदा ऊँचा रहेगा ख़ुशी ध्वज ।

इस भाव की आज से ही शुरुआत कीजिए ….
जीवन एक उल्लास खूब खूब मज़े लीजिए ॥

बेइंतहा मोहब्बत

बेइंतहा मोहब्बत ,गिला-शिकवा ,
दर्द ए सितम,
ना मरहम कोई उन्होंने लगाया
बस
वक़्त बेवक्त
जख्म को नासूर बनाया
क्या क्या ना उन्होंने – क्या क्या ना उन्होंने
मुझ पर आजमाया
देखो तो सही अरे देखो तो सही
कमाल उनका था ये
उन्होंने हथियार भी ना उठाया
ओर
खून खंजर बिन मेरा कर दिया
और अब उन पर
इस जुल्म इल्जाम भी नहीं आया।

बेइंतहा मोहब्बत
जख्म

मिट्टी का घरौंदा

मिट्टी का घरौंदा अक्सर टूट जाता है
मिट्टी का घरौंदा ही तो है, जो मै बनता हूं बार बार ,
फिर क्यों मैं ? यहाँ पर अपना
दिल और दिमाग इतना मै लगाता हूं
टूट जाता है, यह मिट्टी का घरौंदा जिसे

मैं इतनी मेहनत से बनाता हूं
एक दिन तो छोड़ जाना है सबकुछ, कुछ साथ नहीं मुझे अपने लेकर जाना है
फिर क्यों मैं?
दिल इस दुनिया से लगाता हूं, जो अक्सर टूट हुआ दिल ही नजर आता है, यह शरीर मिट्टी का घरौंदा ही है जो अक्सर टूट जाता है।

मिट्टी का घरौंदा ही तो है अक्सर टूट जाता है
मिट्टी का घरौंदा




थोड़ी बेखबरी थी

मेरी जिंदगी में
बस थोड़ी बेखबरी थी
कुछ सहमी
कुछ अकड़ी थी
एक आहट थी
दबे पाँव की सरसराहट थी
तभी मेरी एक बाह ने
दूसरी बाह पकड़ी थी जो
इस कदर जकड़ी थी मानो
लिपटी आग से एक लकड़ी थी
जिसमे मेरी जिंदगी अटकी थी
कोई एक राह सी भटकी थी

थोड़ी बेखबरी थी
मेरी जिंदगी

वो सहम गए

वो सहम गए , वो सहम रहे है
जो वहा रह रहे है ,
जो अब भी है वहां ,ना चैन से सो रहे
और ना चैन से जाग रहे है

वो डर गए , वो सहम गए , वो कांप गए
जिनके घर वाले मारे गए
कौन कसूरवार था ? कौन बेकसूर था ?
क्यों वो इतनी हैवानियत से मारे गए
क्युकी उस भीड़ का कोई नाम नहीं
भीड़ का कोई नाम नहीं था।

उनका कोई धर्म – मजहब नहीं
रात को पहरा अब भी घर के बाहर
लगाकर लोग बैठे है सप्ताह हो गया
दिन भर बैठ कर दिन कट रहा है,
रात की नींद दहसत में उड़ गई है

लगता है घर के बाहर आग लगा गया कोई
क्या मेरा फिर से घर जला गया कोई ?
देहसत तुमने फैला दी

मेरे दिल में नफ़रत की आग लगा दी
तुम्हे अपना भाई कैसे कहूं ?
जो तुमने इतनी हैवानियत दिखा दी
मै डरता हूं , मै डरती हूं अब तुम्हारे पास आने से
मै घबरा गया हूं , मै घबरा गई हूं
तुम्हे अपना भाई बनाने से।

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तेरी यादे

तेरी यादे बन बैठा हूँ मैं तेरी मोहब्बत में,

ख्वाबो का पुतला सा

मैं कुछ कह ना पाऊ

कुछ सुन ना पाऊ

बस बेसुध सा नजर आउ मैं

ये जो तुझसे मोहब्बत हुईं

ना पाकर घबराऊँ मैं….