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सामान्य दृष्टि

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है…..
समाज में अधिकता से वही बिकता है ।
बाहय दृष्टि के यंत्र मिले दो नेत्र….
सहायक सुंदर सटीक इनका क्षेत्र।

जानवरों मनुष्यों में समानता से दो नेत्र..
दृष्टि से दृष्टिकोण समृद्धि का रणक्षेत्र ।

सामान्य दृष्टि को जो दिखता है…..
समाज में अधिकता से वही बिकता है ।

अक्सर दृष्टि वाले व्यक्ति दृष्टिवहीन….
विकसित नहीं दृष्टिकोण भावना हीन ।

स्वागत विविधता से रचे हो दृष्टिकोण….
दृष्टिवहीन लालच अधीन उनका कोण ।

भिन्न भिन्न दृष्टिकोणों का स्वागत….
सच्चाइयों से करते वो सामना अवगत  ।

अक्सर अपने दृष्टिकोण को मानते सही..
सत्य नहीं इतना सस्ता यह पहचाने नहीं ।

दृष्टिकोण को करते रहे निरंतर सुमृद्ध….
दूसरे दृष्टिकोण को समझने की हो ज़िद।

मेरी दृष्टि से में उकेरता छह….
सामने की दृष्टि से वही दिखता नौ
बात समझे ।

काहे मोक्ष ध्यान दे स्मृद्ध हो दृष्टिकोण…
स्वय उन्नति हो गाएगी जब होंगे बेहतर ।



वर्तमान निपट खरा

वर्तमान निपट खरा सच्चा बदलाव का द्यौतक…….
वर्तमान में अपनी सोच के लगाओ शतक पे शतक ।
बदलाव =वर्तमान सच,  वो ऑपरेशन थियेटर….
नया जन्मता वर्तमान में लगा नया बनाने का जनरेटर।

जब सोच पर राज करे व्यापक विचारों का महासागर,
तब होता है बदलाव का एक नया जन्मांतर।
विचारों के जनरेटर से उठती है नई ऊर्जा की धारा,
जो वर्तमान को बनाती है नया अध्याय करारा।

बदलाव की प्रेरणा वर्तमान में बसती है,
जिसमें समाज के नवीन संकल्प व्यक्त होते हैं।
सोच के परिवर्तन से होता है समाज का उत्थान,
नए आदर्शों के समृद्ध द्वार खुलते हैं।

अपनी सोच को जगाओ, वर्तमान में लगाओ शतक पे शतक,
क्योंकि बदलाव का जन्म तो सोच में ही होता है नया।
नया जन्मता वर्तमान में लगा नया बनाने का जनरेटर,
जिससे समय के साथ सच्चे और उज्ज्वल भविष्य का खेल चला।

वर्तमान निपट खरा सच्चा बदलाव का द्यौतक,
जीवन के नए विचारों का प्रेरक।
बदलाव वर्तमान में सच की ऑपरेशन थिएटर,
जहां नया जन्मता होता है नये सपनों का प्रेम परिवर्तन।


मुस्कुराहट छुआ छूत

जरा देखिए दिखे कोई चेहरा जो नहीं रहा हो मुस्कुरा….
दीजिए उसको मुस्कुराहट उसका भी चेहरा खिले ये ख़ुशी का इशारा ।
मुस्कुराहट छुआ छूत की बीमारी…..
इच्छा ये लगे सबको, है इतनी प्यारी ।

जरा मुस्कराइए….
ख़ुशी के महामार्ग पे चढ़ जाइए ।
जीवन के प्रति कृतघ्न भाव अपनाइए….
जीवन भी पूरी क्षमता से ख़ुद को लुटाइए।

जगमगाते रंगों के बीच एक चेहरा है,
जो नहीं रहा हो मुस्कुरा।
उसकी आँखों में छुपी दर्द की बूंदें,
जीवन की गहराईयों में घिरा।

पर उसे चाहिए था एक मुस्कान का इशारा,
जिससे उसका भी चेहरा खिले।
वो खुशी का संकेत जो भर दे उसके दिल को,
और हर गम को दूर कर दे मिटाए।

मुस्कुराहट छुआ छूत की बीमारी है,
जो देती है दिल को आराम।
वो बतलाती है कि जीने का असली मजा,
खुशियों को बांटने में है समाया।

जब चेहरे पर लगी मुस्कान की छांव हो,
दिल की धड़कनें भी जगमगाए।
हर दर्द को दूर कर दे वो प्यारी मुस्कान,
और खुशियों से सजाए।

तो जरा देखिए, दिखेगा वह चेहरा है,
जो नहीं रहा हो मुस्कुरा।
उसे दीजिए वो मुस्कुराहट का तोहफा,
जिससे उसका जीवन बन जाए सुहाना।

खाली बैठा हूँ

खाली बैठा हूँ कुछ नया सोचने की आतुरता के साथ …..
समय बने ऐसा बने मौक़ा मुलाक़ात हो आपके साथ ।
जीवन सरिता रिस रिस के रही है बह….
समय रहा बीत हो मुलाक़ात , मन को मिले ख़ुश होने की वजह ।
मन कुछ नया करने को आतुर….
उतरे मित्रता की बांसुरी का स्वर ।

खाली बैठा हूँ, नयी सोच की उड़ान में,
काल-ज्ञान की लहरों से भरी मेरी मनमान में।
अद्भुत विचारों के सागर में डूबा हुआ,
आपकी मौजूदगी से मेरा मन खुशहाल हुआ।

समय का बदलता रंग, दिल को छू गया है,
आपसे मुलाकात का बहुत इंतज़ार किया है।
जीवन की सरिता में लहरों का संगम,
समय के गहराई में खो गया हूँ अब अपनमंज़िल का नगम।

कविता के पन्नों पर बसे हैं ये शब्द,
आपके साथ बिताने की ख्वाहिश है लबों पर ज़ुबां से बढ़।
समय की धारा में पानी की तरह बहूं,
आपके साथ गुज़रने की आस जगाऊं।

खाली बैठे हैं यहाँ, मन भरा हुआ सोचों से,
समय के तूफ़ानों में हूँ खुद को ढूंढ़ने के लिए तैयार।
चलिए, आइए कविता के इस सफ़र में निकलें,
समय की धारा में खो जाएँ, नयी दुनिया में खुद को बिखेरें।

घेरने को बीमारी तैयार

घेरने को बीमारी तैयार ….
होके घोड़े पे सवार ।
बीमारी दबी भीतर…..
कमजोर पड़ते आ जाएगी ऊपर ।
घेरने को बीमारी तैयार….
सज के घोड़े पे सवार ।

बीमारी और स्वास्थ्य में लकीर लकीर का फ़र्क़….
जिसकी लकीर हो जाती बड़ी चलता उसका तर्क ।
घेरने को बीमारी तैयार ….
तर्क के घोड़े पे सवार।

घेरने को बीमारी तैयार,
होके घोड़े पे सवार।
बीमारी दबी भीतर,
कमजोर पड़ते आ जाएगी ऊपर।

बस्तियों की चौकीदारी,
आँखों में है चिंता सदैव।
जगह छोटी, जनसंख्या बढ़ी,
स्वास्थ्य की बातें हो गईं परेशानी आविर्भाव।

प्रदूषण ने घेरा दूरियाँ,
धूल के ढेरों ने छिन ली धड़कनें।
जहां स्वच्छता की बातें थी सुनी,
वहां कचरे की बढ़ गई बरसातें।

धुएं में उड़ रहा खुदरा जीवन,
दानों की जगह पाएंगे अनुशासन।
बीमारी की लहरें बढ़ रहीं गहराई,
स्वास्थ्य की चिंता बढ़ी तनाव की वजह।

उच्च रक्तचाप, मधुमेह और दिल की बीमारियाँ,
बढ़ती उम्र के साथ हो रहीं जमावटें।
घबराहट हर घर में घुस रही है,
स्वास्थ्य का मामला हुआ नाराजगी का वजह।

व्यस्तताओं ने छीन ली सुख की नींव,
प्राकृतिक आहार की बढ़ी है कमी।
जीवन में खुद को समझाने की जरूरत है,
स्वस्थ रहेगा तो होगी कामयाबी।

योग और ध्यान का अभ्यास करें,
रोज़ाना व्यायाम को महत्व दें।
प्रकृति से संबंध बनाए रखें,
स्वास्थ्य की रक्षा में आगे बढ़ें।

घेरने को बीमारी से बचें,
उत्साह और संयम से रहें सजग।
स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ें,
खुशहाली की राह पर आगे बढ़ें।

यह संदेश देता है संकेत,
स्वास्थ्य का रखें हमेशा ध्यान।
बीमारियों को दूर रखें दूर,
जीवन को बनाएँ स्वस्थ और पुरूर।

अच्छे आहार का सेवन करें,
फलों और सब्जियों से भरें थाली।
विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर,
स्वस्थ शरीर को पाएँ मजबूत और स्वस्थ बाली।

व्यायाम को न भूलें, नियमित बनाएँ,
शारीरिक कठिनाइयों को दूर भगाएँ।
स्वस्थ मनोवृत्ति का ध्यान रखें,
खुशहाल और सकारात्मक जीवन बिताएँ।

धूल, धुएं, प्रदूषण से बचें,
पर्यावरण की रक्षा करें सबके साथ।
स्वच्छता को महत्व दें हम सभी,
स्वस्थ भारत की ओर करें प्रगति का साथ।

इस प्रकार से स्वस्थ रहें हम सब,
बीमारियों से दूर रखें हम खुद को।
स्वस्थ देश का सपना साकार करें,
आपदाओं के खिलाफ मजबूत खड़े हों।

स्वस्थ्य जीवन का ध्यान रखें,
खुशहाली की ओर बढ़ते जाएँ।
घेरने को बीमारी ना तैयार करें,
आपदाओं के साथ निरंतर लड़ते जाएँ।

जीवन आप रहे

जो जीवन आप रहे जी वो लाखों लोगो का सपना…..
अपनी ख़ुशियाँ बनाये रखे, बस नहीं चाहिए दिल किसी का दुखना ।
बहुत सी ख्वाहिशें अभी होनी है पूरी….
ख़्वाहिशों अनगिनत रह जाती अधूरी ।

लाखों लोगो का सपना हमारा जैसा जीवन…..
जो मिला है रहे इसमें खुश ,स्वस्थ रहे तन मन ।
दिल न दुखे मेरे किसी कृत्य से किसी का…..
यह कमाए कर्म ही हमारे मित्र और सखा।

जो जीवन आप रहे जी वो लाखों लोगों का सपना…
अपनी ख़ुशियाँ बनाये रखे, बस नहीं चाहिए दिल किसी का दुखना।

बहुत सी ख्वाहिशें अभी होनी हैं पूरी…
ख़्वाहिशों अनगिनत रह जाती अधूरी।

जीवन की दौड़ में हम भटकते रहते हैं,
ख्वाहिशों की लहरों में उलझते रहते हैं।

हर एक सपना हमारा बनना चाहता है,
पर समय और परिस्थितियों की बाधाएं आतीं हैं।

मगर हम निरंतर चलते रहते हैं,
ख्वाहिशों के साथ अपना जीवन बिताते हैं।

हर एक सपना हमारा एक उम्मीद है,
जो हमें जीने का मार्ग दिखाती है।

बस नहीं चाहिए दिल किसी का दुखना,
अपनी ख़ुशियाँ बनाए रखें, यही है अपना कामना।

ख्वाहिशों की सीमाएं अधूरी न रहें,
हमेशा आगे बढ़ते रहें, ख्वाहिशों को पूरा करते रहें।

जीवन का सफर है यह अनंत और अद्वितीय,
ख्वाहिशों के संग बिताएं यह अद्वितीय समय।

सपनों की दुनिया में हम बस रहें,
ख्वाहिशों की परछाईयों में खो रहें।

हमारे दिल के सपने हमेशा जीवित रहें,
ख्वाहिशों के संग चलते रहें, पूरी करते रहें।

पुराने पत्ते

पुराने पत्ते गिरते प्रकृति नये पत्ते से होती सुशोभित….
पुराने पत्ते होते धरती माँ की गोद में समाहित ।
यह जीवन चक्र है स्वीकारता का नियम…
नया आ और पुराना जा रहा है ,आनंद का आदित्य संगम ।
प्रकृति का बदलाव में विश्वास ….
सब सतत घटता सब कुछ अनायास ।
पुराने पत्ते गिरते धरती की गोद में…
छोटी बढ़ी घटनाये हो रही विचित्र संयोग से ।

पवित्र धरा पर फूलों की चादर बिछाई है,
नये पत्तों ने रंगों का मेल दिखाई है।
वृक्षों की छाया में बचपन की यादें चमकती हैं,
पुराने पत्तों की आहट में मन हर्षित हो जाता है।

जैसे जीवन का नियम है स्वीकारता का,
पुराना जाता है, नया आता है बिना ठहरता।
पत्ते गिरते हैं वृक्षों से एक नयी उम्मीद के साथ,
नये पत्ते आते हैं खुशियों की लहरों के साथ।

हर रंग पुराने पत्तों की कहानी सुनाता है,
हर नया पत्ता नयी उम्मीदों को जगाता है।
धरती माँ की गोद में पत्तों की छाया रहती है,
वो अनन्त सृष्टि की गाथा सुनाती है।

यह जीवन चक्र है सुंदरता की कहानी,
पुराना जाता है, नया आता है सदैव जवानी।
प्रकृति की गोद में हर रोज़ उत्थित होते हैं,
नये पत्ते जीवन को नवीनता से भरते हैं।

चलो, आओ इस खेल में सम्मिलित हो जाएँ,
पुराने पत्तों की यात्रा में संगीत खिलाएँ।
हर एक पत्ता अनमोल है, चमकता है यह संसार,
धरती माँ की गोद में हम सब समाहित हैं प्यार।

यह जीवन चक्र है स्वीकारता का नियम,
पुराना जाता है, नया आता है सदैव निरंतर।
चलो, इस आदित्य संगम में खो जाएँ हम,
नयी उम्मीदों के साथ जीवन को समर्पित करें।

दरिया और झरने

दरिया और झरने का हुआ संवाद….
दरिया बोला जानते हो सुमंद्र का स्वाद ।
झरना बोला सुमंद्र विशाल पानी खारा ….
दिखता नहीं किनारा जल की अथा धारा।
दरिया बोला झरने बनोगे तुम समुंद्र…
झरना बोला छोटा हूँ मेरा पानी मीठा
नहीं होना खारा रुद्र और रहूँ सदा क्रुद्ध ।

दरिया और झरने के बीच हुआ एक संवाद,
बोला दरिया, “जानते हो सुमंद्र का स्वाद।”
झरना बोला, “सुमंद्र विशाल पानी खारा,
दिखता नहीं किनारा, जल की अथा धारा।”

फिर दरिया ने कहा, “झरने बनोगे तुम समुंद्र,
महासागर की तरह बहोगे नदियों की वंदर।”
झरना बोला, “मैं छोटा हूँ, मेरा पानी मीठा,
झरने के रूप में जनता हूँ अपनी महिमा।”

समय बिता, दिन बिता, संवाद रहा चलता,
दरिया और झरना, एक-दूजे से बहुत प्यार करता।
दरिया बड़ा, विशाल होता गया,
झरना छोटा, मधुर होता बना रहा।

फिर एक दिन आया, बादलों का तांडव,
बरसने लगी जल धाराएं ऊँची-ऊँची आवाज़।
दरिया और झरना, एक-दूजे को देखा,
हंस पड़े दोनों, आपस में बोले एक साथ।

दरिया बोला, “झरना, तू बहुत मीठा है,
तेरी धाराएं जैसे अमृत की वंदना है।”
झरना बोला, “दरिया, तू नदी का राजा है,
तेरी महिमा को देखकर हर कोई चाहे ताजा है।”

दरिया और झरना, एक-दूजे को गले लगाएं,
प्यार और सम्मान से एक-दूजे को भर जाएं।
वे हमेशा आपस में मिलकर बहते रहें,
सुंदरता और एकता की दुनिया बनाएं।

जिसने दुख दिया

जिसने दुख दिया उसे दे क्षमा का दान ….
अगली बार न कर सके रखे ध्यान ।
क्षमा दान नम्र व्यवहार का निर्माणदाता…
जो सब जीवनों का बनेगा सुखदाता ।

भूल चूक ग़लतियाँ कभी किसी से भी होती रहती…..
क्षमा ही चिकित्सा होवे इस सच्चाई की अनुभूति ।
जिसने दिया दुख उसे दे क्षमादान….
यह व्यवहार होवे हमारी पहचान।

जिसने दुख दिया उसे दे क्षमा का दान,
अगली बार न कर सके रखे ध्यान।

क्षमा दान नम्र व्यवहार का निर्माणदाता,
जो सब जीवनों का बनेगा सुखदाता।

दृढ़ संकल्प से करें इसकी प्रार्थना,
बढ़ाएं प्रेम का गहरा अभिमान।

अहंकार को त्यागें, दया का पाठ पढ़ें,
सबको समझें, सम्मान से व्यवहार करें।

स्वीकारें जीवन की अनिश्चितता को,
बढ़ाएं सबका अपार सम्मान।

बिना शर्तों के दें दया का वरदान,
हर कार्य में भरें प्रेम का अभियान।

बिना इच्छा के हों सेवा में लगे,
जीवन को सुखी और शांति से भरे।

हर अवसर पर रखें खुशहाली की दृष्टि,
हस्ती हुई अन्याय को उजागर करें।

क्षमा का दान अपनाएं व्यापार में,
विश्वासपूर्वक चलें सबसे साथ।

सभी को आदर और प्रेम से देखें,
जीवन को बनाएं आनंदमय और साथ।

जिसने दुख दिया उसे दे क्षमा का दान,
अगली बार न कर सके रखे ध्यान।

क्षमा दान नम्र व्यवहार का निर्माणदाता,
जो सब जीवनों का बनेगा सुखदाता।

किसी को लूटा के

किसी को लूट के मज़ा आता किसी को लूटा के,
समझ समझ का खेल है भइया काम न करना किसी का दिल दुखा के ।
परोपकार की महिमा अपरंपार….
समझने वाले का बेड़ा ही पार ।

बात यह की ज़रूरतमंद की ज़रूरत को सही से समझना …..
सच्ची ज़रूरत को महत्व देकर सामर्थ्य यथाशक्ति से पूरा करना।

किसी को लूट के मज़ा आता, किसी को लूटा के,
समझ-समझ का खेल है भइया, काम न करना किसी के दिल दुखा के।
परोपकार की महिमा अपरंपार, इस दुनिया में बहुत अलग है विचार।
कर्मठ और उदार लोग, जीवन में चमकते हैं जो होंठ।

दूसरों की मदद करना एक कला है, त्याग और दया से हृदय बना है।
दरिद्रता और दुःख से दूरी बना है, स्वार्थ की जगह परोपकार की चमका है।

दिन-रात मेहनत करते लोग, दूसरों के दुःखों को हरते लोग।
अनजानों को राह दिखाते लोग, खुद को भी भूल जाते लोग।

आँखों में चमक, हंसी का रंग, खुशियों का बांधन बांधा है।
मन में शांति, आदर्शों का ताज, अपने सुखों में खुश रहा है।

दुखी को दिया, रोगी को दवा, दिलों में आराम का विश्राम।
परोपकार की महिमा अपरंपार, जीवन का सच्चा धर्म है यह।

चलो आओ मिलकर बदलें दुनिया, दूसरों के सुखों का राग गाएं।
परोपकार की अद्भुत शक्ति से, हम सब मिलकर जीवन को सजाएं।