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जिंदगी की राह

जिंदगी की राह जहाँ जुदाई हो सम्भव,
उससे भी हम संवाद बनाते रहे अपरिहार्य तरीक़ा।
मयूसी ना आने दे हमें, ये ज़िंदगी की ठोकरें,
संवाद में धीरे-धीरे हम खो जाएँ स्वर्गीय स्वाद।

जिंदगी की राह में भले ही किसी से न तुम मिल पाओ लेकिन उससे करते रहे संवाद…..
यह जीवन की सच्चाई उसकी संरचना तरीक़ा
सच्चा जीवन का स्वाद।
जीवन के सफ़र में बीते जा रहे हे क़ीमती पल वो कभी नहीं आयेंगे वापिस….
ज़िंदगी का अन्दाज़ कुछ इस तरह का हे कभी भी ज़िंदगी कर सकती ख़ुदा हाफिज ।

किसी को न तुम मिल पाओ, ये भाग्य तो है अजनबी,
लेकिन उसके संग चर्चा करें, ये अवसर है अनमोल प्रभी।
विचारों का विलिन होकर, मन की बातें बोलें,
संवाद में दिल की राह पाएं, जीवन का सुंदर स्वाद।

हर एक व्यक्ति से झलकता है ईश्वर का छाया,
संवाद के माध्यम से मिले हम उस अद्भुत विचारधारा।
जीवन का सार व्यक्त हो, जगमगाए अपार विज्ञान,
संवाद रूपी आधार से छू लें सच्चा जीवन का स्वाद।

जो भी हो तेरी मन्दिर में जाकर जोड़ें हाथ,
संवाद की रूपवती दुनिया में खो जाएं वो संग्राम।
सच्चाई और मित्रता के फूल खिलाएं अपार,
संवाद में हम धीरे-धीरे पाएं जीवन का स्वाद।

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विचारों की बारिश

एक विचार, दूसरा विचार, तीसरा विचार ये सब मिलकर कर रहे है, एक दूसरे को बीमार जरा बचिए यह है मेरा विचार है, इन विचारों की बारिश है।

विचारों की बारिश है, मन की उछाल है,
इन विचारों का जादू, अनमोल विचार है।
एक विचार, दूसरा विचार, तीसरा विचार,
मन की उड़ान, ख्वाबों की सौगात है।

हर विचार एक अलग दुनिया का आईना है,
इनमें समाये हर रंग, हर चित्र चित्रित है।
पर कभी-कभी, ये विचार टकराते हैं,
एक दूसरे से टकराते हैं, आहत करते हैं।

मेरे विचार में एक यही समाजधारी है,
ये सोचों की बाधा, रुकावट की खड़ी है।
चिंता मत कीजिए, इस जंगल में जीने की,
विचारों की राह में खुद को बचाने की।

विचारों की बरसात से जगमगाती ये धरा,
उठती है, गिरती है, बदलती है सदा।
पर हम सब एक हैं, इस जगत के अंतर्यामी,
विचारों को बीमार करने की नहीं हमारी कामी।

यह सोचिए, विचार करिए, पर एक दूसरे को
आहत न कीजिए, प्रेम से रखिए हर दोस्ती को।
हम सब में एकता की शक्ति बसती है,
दूसरे के विचारों को तोड़ने मत हस्ती है।

सोचिए, समझिए, इस विचार की महिमा को,
एक दूसरे को सम्मान देकर जीने को।
विचारों का संगम, हमारी आदत बन जाए,
एकता और प्रेम से हमारा जीवन सज जाए।

विचारों की बारिश
विचारों की बारिश

किस्मत की लकीर

छोड़ दो किस्मत की लकीर पर यकीन करना , जब लोग बदल सकते है तो किस्मत क्या चीज है।

खुद पर विश्वास करो, सफलता जरूर मिलेगी,
जीवन के पथ पर आगे बढ़ो, मुसीबतें छिनेंगी।

किस्मत नहीं है, तेरे हाथों में ताकत है,
जो तू चाहे, वही तेरे आगे आएगी रात है।

जीवन की लड़ाई में हार नहीं मानना,
संघर्षों को गले लगाकर आगे बढ़ना।

खुद को परखें, अपने सपनों को पकड़ें,
जीवन की उचाईयों को छूने का जजबा रखें।

जब तू खुद को बदलेगा, दुनिया बदलेगी,
खुद पर विश्वास रख, अपनी ताकत बढ़ाएगी।

किस्मत तेरे कदमों की राह नहीं बनाती,
वह तो तू है, जो अपनी तक़दीर लिखाती।

हिम्मत की उड़ान पर तू चढ़, आकाश छू ले,
सबके दिलों में आग जगा, आशा जगमगा ले।

किस्मत की लकीर
किस्मत की लकीर

छोड़ दो उन हाथों की लकीरों पर विश्वास करना
तू खुद पर विश्वास कर, जीवन को जीना।

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सर्वाधिक आनंद

सर्वाधिक आनंद उन्हे प्राप्त होता है, जो अकेले रहने की कला सीख जाते है।

एकाकी जीवन की कला,
सर्वाधिक आनंद जो मिलता है।
जब अपने आप से मेल होता है,
खुद को आपमें खो जाते है।

अकेलापन को मित्र बना लिया है,
खुद के साथ संगीत गुनगुना लिया है।
मन की आवाज़ को सुनते हैं,
खोये हुए सपनों में जीने की अभिलाषा लिया है।

दिनभर की भीड़ में गहराई से सोचते हैं,
अपने मन की धड़कनों को सुनते हैं।
अपने विचारों को खुलकर खोलते हैं,
खुले आसमान में उड़ जाते हैं।

स्वतंत्रता की इच्छा जगाते हैं,
अपने आप को पहचानते हैं।
खुद को अपनी संगीत के रंग में रंगते हैं,
आनंद के नए स्वर गाते हैं।

सर्वाधिक आनंद
आनंद

खुद के साथ अकेले रहने की कला,
सुखद जीवन की धुन सी बन जाती है।
जब खुद की मिलती है साथी,
उस खुशियों का आनंद जीवन में बन जाती है।

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समय नहीं मिला

जिस जिस को समय नहीं मिला उन सभी के लिए समय की कोई कमी नहीं है। सोच तू
कितना सोच सकता है
लिख तू
कितना लिख सकता है
सो तू
कितना सो सकता है

नाच तू
कितना नाच सकता है
गा तू
कितना गा सकता है
खा तू
कितना खा सकता है

आराम कर तू कितना कर सकता है
पढ़ तू
कितना पढ़ सकता है
टीवी देख
तू कितनी देख सकता है

गेम खेल
तू कितना खेल सकता है
बात कर , गप्पे मार
तू कितनी कर सकता है
तू क्या ? और कितना कर सकता है

वो सब आजमा ले आज जो तू करना चाहता था अपनी जिंदगी में कभी करले अब अगर थक जाए तो छोड़ देना वो सब तू जो करना चाहता था नहीं थका वो सब करके , नहीं पका वो सब करके तो बाकी सब छोड़ देना ओर वहीं अपनी जिंदगी में अपना लेना जो तू बस करना चाहता है। फिर ये ना कहना हो की समय नहीं मिला

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जीवन का काम

जीवन का काम हे कुछ न कुछ देना……
ख़ुशियाँ या अनुभव आपका क्या कहना ?
अनुभव समय और नुक़सान से बचाता…..
जैसे बारिश में कार्य करता छाता ।

जीवन का काम हे वो कुछ न कुछ देता….
बदले में वो समय आयु को हर लेता ।
या तो ख़ुशियों या अनुभवों से भर देता ….

जीवन के पथ पर चलते-चलते,
अनुभवों का साम्राज्य बनाते।
हर एक सदीव पल में जीवन सिखाता,
नये रंग और चेहरे प्रकट करता।

खुशियाँ और दुःख, जीवन के बादल,
आते-जाते हर पल बनाते संगीत।
अनुभवों की बौछार में खेलता जीवन,
देता है नया आयाम, नया परिचय।

जैसे बारिश में कार्य करता छाता,
अनुभव जीवन को रंगीन बनाता।
हर एक बूंद में छिपी होती खुशियाँ,
प्रकट होतीं हैं जब बरसात की धारें।

जीवन का अनुभव, एक अमूल्य उपहार,
हर एक क्षण में छिपी होती ताक़त।
नुक़सानों से सीखता, आगे बढ़ता,
नये सपनों को पंख देता है बढ़त।

जीवन की बारिश में, आनंद बरसाता,
आपके अनुभव से रंग भराता।
जीवन का काम है कुछ न कुछ देना,
खुशियाँ या अनुभव, यही हैं कहना।

जीवन खिसका जाए जैसे मुट्ठी से रेता

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हृदय से प्रशंसा

हृदय से प्रशंसा …. सही हो मंशा ।
मस्तिष्क से हस्तक्षेप ….
आवश्यक बुद्धि से देखरेख ।
विवेक से समीक्षा….
ही सच्ची शिक्षा ।
अन्यथा मौन सर्वोत्तम….
मौन समाधान परम।

मस्तिष्क से हस्तक्षेप, आवश्यक बुद्धि से देखरेख,
विवेक से समीक्षा, नजरियों का निर्माण करें संघर्ष।

हृदय की मधुरता से भरी, प्रशंसा की धारा बहाएं,
सही और सुंदर शब्दों में, आपसी बंधुता जगाएं।

मस्तिष्क की तेजस्विता से, हस्तक्षेप करें समस्याओं का समाधान,
बुद्धि की सामर्थ्य से, ज्ञान के सागर में डूबे अभिमान।

विवेक की प्रकाशित दीप्ति से, समीक्षा करें अपने कर्मों को,
सही गलत का विचार करें, सत्य की ओर बढ़ें धृष्टता के धाम को।

हृदय, मस्तिष्क, बुद्धि और विवेक, ये चारों संग चलें,
प्रशंसा, हस्तक्षेप, समीक्षा करें, स्वयं को संयमित बनाएं।

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विषय हो वस्तु हो

हर विषय हो वस्तु हो , हो वो प्राणी चल रहे सब नियम अनुसार ….
बस समझना हे किसका कैसा हे आधार उसे कर सके स्वीकार ।

जीवन का रहस्य है यही, नियमों की अनुसार चलना,
हर कार्य में तालिका बनाकर, ज्ञान की धारा बहाना।

प्रकृति के नियमों का पालन, है जीवन का मूल सिद्धांत,
जिसका भीषण तालाबंध होगा, वह खोखला होगा बंधन।

सूरज करता है प्रकाशित, चांदनी देती है चमक,
जल बनाता है ताजगी, पेड़ों में भरता है जीवन की लम्बी रात।

जीवन के हर पहलू में, नियमों की ओर देखना है,
और समझना है, कैसे उनका उपयोग, सबके लिए करना है।

कर्मों की एक संगीता है, नियमों की सुरीली ध्वनि,
उन्हें समझने के बाद ही, जीवन मिलेगा तरंगों की ज्वालामुखी।

इसलिए समझिए संसार को, नियमों से जुड़ा हर विषय,
हर प्राणी का नियम अनुसार, बस यही है जीवन का आधार विषय।

हर विषय हो वस्तु हो , हो वो प्राणी चल रहे सब नियम अनुसार ….
बस समझना हे किसका कैसा हे आधार उसे कर सके स्वीकार ।

तेरा ख्याल

तेरा ख्याल मुझे तो हर बात में कमाल लगता है, तू आती है जब जब मेरे ख्यालों में तो मेरे दिल ,दिमाग बहुत धमाल मचता है।

तेरे ख्याल में खो जाऊं,
हर बात पे तेरा दिल रो जाए,
तेरे आने से सज उठती है दुनिया,
मेरे जीवन की हर रात सो जाए।

तेरा ख्याल मुझे तो हर बात में कमाल लगता है।
तेरा ख्याल

तू है ऐसा कमाल,
हर संगीत में बस तू ही ताल,
तेरा ज़िक्र हो जाए तो,
दिल और दिमाग मचाएं धमाल।

तेरी हर बात में छुपा है राज,
तू है मेरे जीवन का आधार,
तेरे आगे सब कुछ है फीका,
तू है मेरी दुनिया का मंज़र।

कभी तू दूर जाती है,
मेरे ख्यालों में बस तू होती है,
तेरे आवाज़ से ज़िंदगी मिलती है,
मेरे दिल में खुदा होती है।

हर बार तेरा आना,
मेरे जीवन में नयी उमंग लाता है,
तू है मेरे तारे चमकता हुआ,
मेरे हर ख्वाब को सच्चाई बनाता है।

तेरे साथ हर पल बिताना है अब,
तेरी मुस्कान में है ज़िंदगी की ख़ुशी,
तू है मेरी हर सांस का एहसास,
तू है मेरी कविता की मधुशाला की मुस्कानी।

यह मन अधीर

यह मन , यह मन
यह मन अधीर हुए जाए
ना समझ आए कुछ
यह मन कहना क्या चाहे

बस पहेली सी बुझाए
सवाल की झड़ी
दिमाग में लगाए
कभी घबराए
कभी साहस दिखाए

कभी चुप बैठ जाए
कभी शोर मचाए
कभी क्रोधित हो जाए
कभी शांत ही जाए

फिर सोच मन बार बार घबराए
आगे अब क्या हो ?
जो यह दिमाग भी समझ ना पाए

पुनः पुनः
बस इसी विषय में सोच कर
दिन रात बीत चली जाए
क्या करू अब मै?

यह मन
यह मन
यह मन अधीर हुआ जाए

यह मन, यह मन,
मन अधीर हुए जाए।
ना समझ आए कुछ,
जैसे धुंधली रात के अंधेरे में खो जाए।

खोये हुए ख़्वाबों के संसार में,
यह मन विचलित हो जाए।
चाहे तो खुद को ढूंढे,
पर कहीं ना पाए, अधीर हो जाए।

जब अँधेरा छाये,
और रास्ता दिखाई न दे।
कोई राह निकले दिल की,
मन खुद को तंग करे, चिढ़ाए।

पर फिर भी यह मन,
उम्मीद की किरण में जगमगाए।
चाहे हो जाए अधीर,
फिर भी खुशियों से अभिभूत हो जाए।

यह मन, यह मन,
जो अधीर हो जाए।
दूर जाए सभी चिंताएं,
और खुशियों से भर जाए।

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