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भगवांथ केसरी

भगवांथ केसरी में नंदमुरी बालाकृष्ण, श्रीलीला, काजल अग्रवाल और अर्जुन रामपाल जैसे सितारों वाली फिल्म अक्टूबर में रिलीज हुई थी और जैसे ही फिल्म रिलीज हुई हर तरफ इसी के चर्चे होने लगे. इसी का असर था कि कई बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म इस फिल्म को खरीदने की होड़ में थे. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर फिल्म किस ओटीटी प्लेटफॉर्म ने भगवंत केसरी के राइट्स खरीदे हैं तो आपको बता दें कि अमेजन प्राइम वीडियो पर ये फिल्म रिलीज हो गई है.

सिनेमाघरों में कुछ ऐसी फिल्में भी रिलीज होती हैं, जिन्हें देखने के लिए सिेमाघरों के बाहर दर्शकों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है. भले ही ये फिल्में कम बजट में बनी हों, लेकिन इनकी कहानी इतनी जबरदस्त होती है कि कोई भी खुद को ये फिल्में देखने से रोक नहीं पाता. पिछले महीने ऐसी ही एक फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, जिसे देखने वालों की सिनेमाघर में भीड़ लग गई. इस फिल्म की सफलता को देखते हुए अब फिल्म के मेकर्स इसे ओटीटी पर रिलीज करने की तैयारी में जुट गए हैं. ये फिल्म है ‘भगवंत केसरी’, जो ‘गणपत’ और ‘टाइगर नागेश्वर राव’ के साथ सिनेमाघरों में रिलीज हुई और दोनों ही फिल्मों को जबरदस्त पटखनी देते हुए कमाई के मामले में काफी आगे निकल गई.

भगवांथ केसरी फैंस लंबे समय से फिल्म के ओटीटी पर रिलीज होने का इंतजार कर रहे थे, जो अब खत्म हो गया है. नटसिंह्मा नंदमुरी बालकृष्ण और श्री लीला की फिल्म के राइट्स ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम ने खरीद लिए हैं. यानी अब आप ये फिल्म अमेजन प्राइम पर आसानी से देख सकेंगे. फिल्म 24 नवंबर को ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज की जा चुकी है, अब इसका हिन्दी वर्जन अमेज़न उपलब्ध है, फिल्म बहुत ही शानदार है। फिल्म की कहानी में दम है,

नंदा बालकृष्ण मूरी अपनी बेहतरीन ऐक्टिंग के लिया बहुत ही विख्यात है, इनका अपना ही एक अलग अंदाज है, इनके डाइअलॉग दर्शकों को बहुत लुभाते है, गुंडे तो कांपने लगते है इनको देखकर फिल्मों में जब ये बोलते है सब चुप हो जाते ओर जब मारते है तो बचते नहीं मार ही जाते है।

परिस्थितियां

हमारे जीवन की परिस्थितिया किस प्रकार की बन रही है, और हमारे जीवन से इन परिस्थितियों का क्या संबंध है। जीवन का परिस्थितियों के साथ बड़ा गहरा संबंध है जीवन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग प्रकार की परिस्थितियां आती- जाती है और यह सब परिस्थितियां हमारे द्वारा किये गए कर्मो के अनुसार ही आती है।

अच्छा और बुरा समय तो सबके साथ आता- जाता है सब अपने अपने तरीके से  अपनी परिस्थितियां निकालते है, कुछ लोग बुरा समय देखकर टूट जाते है तो कुछ निखर जाते है।
आप टूटना चाहते है या निखरना अब यह आप पर निर्भर करता है।

कुछ लोग किसी तरह से जीते है तो कुछ लोग किसी तरह से कौन बेहतर ढंग से जीता है ? यह निर्भर करता है उस समय पर तथा आपके मस्तिष्क के विचारो पर निर्भर करता है।
परिस्थितिया कैसी भी हो परंतु इंसान को हारना नही चाहिए हर एक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्रकार की परिस्थितिया आती है।

सभी को अपनी परेशानिया और परिस्थितियां ज्यादा मुश्किल लगती है।
वह व्यक्ति किस प्रकार के निर्णय लेता है किस तरह से चलता है क्या संभल पाता है या नही यह उसका अनुभव ही तय करता है।

उसको संभल कर कदम बढ़ाना चाहिए और उस समय को बहुत सजगता से जीना चाहिए।
यह कहना हमारे लिए आसान है परंतु उस समय हर एक व्यक्ति की मानसिकता भिन्न होती है।
आप किस प्रकार के इंसान हो ? और आप अपने समय और परिस्थितितयो से किस प्रकार से सामना करते हो ?

यह आप पर ही निर्भर करता है कोई और आपको संभालने के लिए नही आता सिर्फ एक दिलासे के रूप में आपके साथ दिखाई तो देते है परन्तु वो साथ नही होते अक्सर परिस्थितियां देख कर लोग मुह मोड़ लेते है। लेकिन कुछ साथ भी होते है।
बुरा समय ही आपको आपके जीवन में सबसे बेहतर लोगो से मिलवाता है।

कुछ लोग खराब समय को देख कर भाग जाते है और
कुछ लोग समय को तब तक देखते है। जब तक वो समय निकल नही जाता।
जब तक वो ठीक ना हो जाए उस पर पूरी तरह से निगरानी रखते है की समय अब कोई हरकत तो नही कर रहा वह हर प्रकार का मौका ढूंढते है की समय या परिस्थितियां एक मौका दे, और हम फिर से करवट ले अपनी परिस्थितयो को बदले वह लोग डर कर भागते नही है सामना करते है और हिम्मत से खड़े रहते है। आख़िरी वक़्त तक जब तक समय बदलता नही है।
कुछ लोग समय के साथ समझौता कर लेते है की हमारा तो समय खराब है, हम कुछ नही कर सकते है और हार कर बैठ जाते है।

फिर आगे वो उसी जगह खुद को एडजस्ट कर देते है जिसकी वजह से वे लोग अपने सपने , अपनी इच्छाये मार डालते है। तथा वे
कुछ लोग समय और परिस्थितियों को दोष देते है बस और कुछ भी नही करते ,  ना वो कुछ कर पाते है।

समय बलवान है ऐसा सोचकर लोग हार मान लेते है,समय के साथ जो दुख और अनेको चीज़ आती है उसको  भी साथ पकड़ लेते है और इंसान कमजोर पड़ जाता है हार मान लेता है तथा डरने लग जाता है जिसके कारण ना जाने वो क्या क्या कर बैठता है इस बात की समझ नही आती ओर वक़्त गुजर जाता है। परिस्थितियां उनको अपने साथ बहा कर ले जाती है।

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क्लब महिंद्रा

Club Mahindra का विज्ञापन देखा क्या आपने जिसमे एक बच्चा बोलता है अपनी टीचर से की मेरे पापा क्लब महिंद्रा के मेम्बर है,

इस विज्ञापन में उस बच्चे के अंदर इतना attitude दिखता है ओर घमंड भी दिखता है जो बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है, इस प्रकार के विज्ञापन को बनाना भी ठीक नहीं है जो समाज की दृष्टि व सोच में नकारात्मक परिवर्तन पैदा करे।

इसी प्रकार से इस कंपनी के ओर भी विज्ञापन आता है, जिसमे एक व्यक्ति बताता है की आपको बेस्ट पापा बनने के लिए एक क्लब महिंद्रा की मेम्बर्शिप ले लीजिए तो आप भी दुनिया के बेस्ट पापा बन जाओगे, अब यहाँ आप बताए की बेस्ट पापा बनने के लिए क्लब महिंद्रा की मेम्बर्शिप लेनी जरूरी है ? या पापा पहले से ही बेस्ट है, एक बड़ी उम्र के बच्चे को यह बात समझ आती है लेकिन क्या उन छोटी उम्र के बच्चों को यह बात समझ आएगी बिल्कुल नहीं, व तो इस प्रकार के विज्ञापनों को बिल्कुल नकारात्मक रूप से लेना शुरू कर देंगे ओर आजकल के बच्चों में इस तरह के विचार डालना कहाँ तक उचीत है।

इस प्रकार के विज्ञापनों पर रोक लगाई जाए ओर उचीत से उचीत कदम उठाए जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार के विज्ञापन ना बने जिससे समाज में नकारात्मकता ओर हीनता नहीं फैले।

आपकी क्या राय है? क्या कंपनी को इस प्रकार के विज्ञापन बनाने चाहिए, या नहीं क्या करना चाहिए? इस तरह के विज्ञापन हमे हमारी जरूरतों से बाहर निकलने को ललचाते है, ओर हमे अपनी जिम्मेदारियों से दूर करते है, इस प्रकार के विज्ञापन हमे नीचा दिखते है की हम किसी भी तरह से अच्छे पिता नहीं है, अच्छे इंसान नहीं है जो अपने परिवार की इच्छाओ को पूरा नहीं कर रहे, यदि हम बच्चों को क्लब महिंद्रा का कूपन न ले तो हम अच्छे इंसान नहीं है, ले ले तो हम बहुत अच्छे इंसान ये कैसा दोगलापन है, यह बात विचारणीय है।

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जीत की उम्मीद

हम जीत की उम्मीद छोड़ रहे है धीरे धीरे, लेकिन हमारे चेहरे पर दुख झलकने लगा है तभी मुझे याद आई केन विलियमसन की वो मुसकुराता है, वो बेचारा हर बार हार रहा है ओर उसे पता है की शायद वो अगला वर्ल्ड कप नहीं खेल पाएगा वो उस टीम का शायद हिस्सा भी ना हो लेकिन वो मुसकुराता हुआ चला गया, सेमी फाइनल में, ओर हम दुखी है, इतनी दूर तक आए है ओर फिर हार गए बहुत दुखद है ये हम विश्व विजेता नहीं बन पाए तीसरी बार, और ऑस्ट्रेलिया छठी बार विश्व विजेता बनने की तैयारी कर रहा था।

बीच में ही टीवी बंद कर दिया, बीच में ही लोग स्टेडियम से बाहर चले गए जैसे जैसे हम हार की ओर बढ़ रहे थे, हमसे हार बर्दास्त नहीं हो रही थी, हम हारना नहीं चाहते, हम दूसरे की जीत को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे, क्युकी हम बेहतर खेलते हुए आ रहे थे, ओर हम इस बार भी उतना बेहतर खेल दिखाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन हमारे सारे प्रयास विफल हो रहे थे, आज हम हार की ओर बढ़ रहे थे, मैदान में उत्साह कम हो रहा था, हौसला टूट चुका था, अब कुछ समझ नहीं आ रहा था।  दिल ओर दिमाग यह मानने को तैयार नहीं था की हम हार रहे है। हम इस हार को स्वीकार ही कर पा रहे थे, क्युकी निकट आकार इतना दूर हम विश्व कप से दूर खुद को पा रहे थे। 

हम सभी भारतीयों के दिल टूटने लगे है कंधे झुकने लगे है, लेकिन जब तक हार नहीं होती हम हार नहीं मानते, लेकिन उन्होंने जल्द ही हमे हार का एहसास कर दिया जहां से वापस लौटना बेहद मुश्किल था, ओर जीत की उम्मीद बिल्कुल खत्म हो चुकी थी।

ऑस्ट्रेलिया ने वास्तव में हमसे बेहतर खेल खेला आज का दिन उनका था ओर जीत का सेहरा इसलिए उनके सिर पर बंध गया, लेकिन सिर्फ मैच हारने से हम बेकार खेले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था हम बेहद शानदार खेले इसलिए भारतीय टीम को बहुत प्यार ओर हमारा समर्थन उनके अद्भुत पर्दशन के लिए ओर ऑस्ट्रेलिया को बधाई उनकी जीत के लिए।

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काल

परिवर्तन काल क्या है?

एक बार यह प्रश्न पूछा मुझसे किसी ने चलिए आज इस प्रश्न को मै एक ओर तरीके से समझाता हूं।
हमारा जीवन इस समय किस काल में चल रहा है, यह जो जीवन है वो वर्तमान काल है और हम सभी भविष्य की रचना कर रहे है एक एसा समय जिसकी हम सभी रचना करने में सहायक तत्व है वो किस प्रकार है यह आप स्वयं की हर एक प्रकार कि गतिविधि से समझ सकते है।

भूतकाल:
भूतकाल जिसे बदला नहीं जा सकता और हम सभी बहुत लंबी अवधि तय कर चुके इससे पूर्व भी हमारे अनेकानेक जन्म हो चुके है। यह समय का बहुत बड़ा हिस्सा है लगभग 14 करोड़ साल हो चुके है एक खोज के अनुसार जिसमे हस्तक्षेप करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

वर्तमान काल:
वर्तमान काल जिसे हम जी रहे है जिसका धागा भूतकाल से जुड़ा हुआ है जो कार्य हो रहा है हम भूतकाल में अधूरा छोड़ आए या फिर किसी कारण वश अधूरा रह जाता है और साथ साथ हम अपने भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए यह वर्तमान काल जीवन व्यतीत कर रहे है परन्तु यह समय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। जो भूतकाल में हमारी इच्छाएं, मिलना , घटना , स्तिथि , परिस्थिति बाकी थी वह वर्तमान में पूरी हो रही है जैसा की हमें लगता है इसके पहले भी यह घटना हो चुकी है , हम यहां आ चुके है , हम इसे मिल चुके है इसी प्रकार जो इच्छाएं हमारी अभी नहीं पूरी हो रही वह सभी भविष्य काल में जा रही है और हम सारी अधूरी इच्छाओं को भविष्य में पूरा करेंगे।

भविष्य काल:
भविष्य काल  आज हम अपनी अनेकानेक इच्छाएं छोड़ रहे है कि वो सभी इच्छाएं आगे पूरी करेंगे इसी तरह से भविष्य काल लगातार असीमित हो रहा है यह एक अनंत समय अवधि में फैला हुआ है।
भविष्य काल पूर्ण रूप है जैसी हमारी इच्छाएं वर्तमान काल के समय में थी वह सभी भविष्य काल में बनी हुई होती है हमें उसी प्रकार का संसार भविष्य काल में मिलता है।

हम जिस पृथ्वी पर है उसे वर्तमान ग्रह कहते है उसके अलावा तो समानंतर ग्रह है भूतकाल ग्रह और भविष्य काल जिसमे समय कही से कही तक नही है।
क्या यह हमें ज्ञात है ? कि समय कितनी दूरी तय कर चुका नहीं हमे नही पता की भविष्य कितनी दूरी तय कर चुका होगा और अभी तक हमे यह भी नही ज्ञात की भूतकाल कितनी दूर तय करके आया है सिर्फ अनुमानित दृष्टिकोण है।

जिस ग्रह पर आज हम है यह एक सीधी रेखा की भांति है जो बार बार भूतकाल और भविष्य काल की घटनाओ से टकरा रहा है हम वर्तमान काल के जिस हिस्से में है जिसमें
कुछ भी आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है परंतु दूसरे कालो में नहीं जैसे भूतकाल में कुछ भी संशोधन नही किया जा सकता  और वही दूसरी ओर भविष्य काल में बहुत सारी संभावनाएं पैदा की सकती है परंतु वर्तमान काल में  करने वाली एक कोशिश है आप वर्तमान काल में हो जो की बहुत छोटा हिस्सा है जो हम और आप शायद सोच भी ना सकते यह वो हिस्सा है

जो कि एक पल का भी एक लाखवा हिस्सा हो हो सकता है और शायद उससे भी कई गुना छोटा हिस्सा जिसमे कुछ भी छोड़ा जा सकता है जिसमे किसी का प्रवेश संभव है

परंतु भूतकाल में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जा सकता क्युकी वह हो चुका है और जो हो चुका है उस घटना क्रम को बदलना असम्भव है जिस तरह वाणी से निकला वचन वापस नहीं लिया जा सकता , मृतक को जीवित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार भूतकाल में
वापस नहीं जाया हा सकता है।

लेकिन ये वर्तमान काल ऐसा काल जिसमे आप बार बार एक घटना को कई बार देख सकते हो एवम कर सकते हो यहाँ पर आपके द्वारा की कोई भी गलती या घटना पुनः ठीक की जा सकती है आप अपनी भूल को सुधार करने के लिए बहुत सारे प्रयत्न कर सकते हो।

  परंतु भूतकाल में जो गलतियां हो चुकी है उन्हें ठीक नही किया जा सकता या फिर उनसे कोई भी और किसी भी प्रकार की छेड़खानी नही की जा सकती वो ज्यो की त्यों ही रहेगी परंतु भविष्य के लिए उनमें संभावनाएं पैदा की जा  सकती है जिनसे वो ठीक हो सके हम उस काल में है जो इन सभी घटनाओ को ठीक कर रहा है और हमारे भविष्य में होने वाले कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सके उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा रहा है हम उस एक पल में है जहा पर छेड़खानी की, संशोधन की असीम संभावना है लेकिन यह एक बहुत छोटी और सीधी रेखा है जिसमे किसी का प्रवेश होना मुश्किल है परन्तु असम्भव नहीं।
 
  क्युकी  यह दोनो कालो के मध्य में रगड़ होने पर कोई मिलाप रेखा है जिसे हम युग परिवर्तन रेखा भी कह सकते  है इस काल को शायद इसलिए यह भी कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है हो सकता है यह इसी आधार पर कहा गया हो।  यह घटना हमारे हिसाब से बहुत बड़ी है परंतु यह घटना एक बहुत छोटी घटना का रूप है

Pareller universe concept ( Theory )
We are living in the present universe which is a straight line in btw past and future universe and this present universe is just a millionth second which can’t be seen by past and future both of them are enjoying the unlimited time and period where there is no time , no boundaries , no discussion about time
{ future }—-{present }—{past } these are Parller to each other when ever they come in connection we call it Yug Parivartan
In our present universe we can make multiple change for the future but in past universe this can not be change
And in the future universe there are million of possibilities even we can call it perfect universe for all of us who thinking about to be there who all are working and giving effort for the better future —  “A perfect future”

जिस ब्रह्मंड के बारे में हम सभी सोच रहे है यदि उसके बारे में अंदाज लगाया जाए तो वह बहुत आगे की सभ्यता हो चुकी है, क्योंकि यदि हम समझें तो हमारा जीवन हमारी गणना के अनुसार 14 करोड़ साल पुराना है।

उसके हिसाब से हम जितने तकनीकी हो चुके है, उसके हि्साब से हमारी भविष्य की सभ्यता बहुत उन्नत होगी जो सभी आराम दायक और सभी प्रकार के औजारों से समृद्ध हो चुकी हो शायद टेक्नॉलजीसे भरपूर सभी कुछ होगा और जिसे और बेहतर होने से कोई नही रोक पा रहा है,
उन्होंने अपने खाने पीने कमाने के सभी साधनों को पूरा कर लिया होगा अथवा यह भी हो सकता है उन्होंने अपने खाने को त्याग ही दिया हो, यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता हो चुकी होगी।

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Disney Hotstar

Match ke dauraan aaj disney hotstar par record tut gya views ka, Aaj 5 crore views aaye Disney+Hotstar par even when Virat Kohli century is going to complete even here Kohli 50th 100 was completing that time.

Virat Kohli ne aaj Sachin Tendulkar ke 49th centuries ka record break kar diya or 50th century aaj Virat kohli ne complete ki, jab unhone apni century bnai tab unhone Sachin Tendulkar ke saamne ser jhukakar abhivadan kiya or saath hi Anushka ko flying kiss jo unki dharm patni hai.

sachin ne unko tweet karke congratulate bhi kiya

Sachin Tweet:
The first time I met you in the Indian dressing room, you were pranked by other teammates into touching my feet. I couldn’t stop laughing that day. But soon, you touched my heart with your passion and skill. I am so happy that that young boy has grown into a ‘Virat’ player. I couldn’t be happier that an Indian broke my record. And to do it on the biggest stage – in the World Cup Semi-final – and at my home ground is the icing on the cake.

Aaj NZ and IND ka semi final match number 1 hai isme Virat kohli ki century aayi hai ye bahut memorable moment hai ham sabhi Indian fans ke liye or jiski wajah se Disney Hotstar par itne view aaye sabse jyada view on disney hotstar 5 crore in today INDvsNZ match.

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मूड को जरा संभाल

क्या होता है ना की आप अपने मूड के साथ ही लड़ते रहते हो, कब किस तरह का मूड बन जाए आपको पता ही नहीं चलता, इसलिए अपने मूड को जरा संभाल कर रखिए क्युकी इसको बिगड़ने में समय नहीं लगता बस संभालने में वक्त बहुत है लगता, इसलिए इस मूड को क्यों ही बिगड़ने दे हम, इस मूड को हमेशा सकारात्मक विचारों से भरना बहुत जरूरी है, जब हमारे मन मस्तिष्क में नकारात्मक विचार बहुत ज्यादा हो जाते है, तभी हमारा मूड बहुत जल्दी जल्दी खराब होने लगता है, इसलिए सकारात्मक बने रहे।

बार बार अपने मूड को मत खराब करो, इस मूड को देखो की ये बार बार क्यू खराब हो जाता है, इसका क्या इलाज है की बस ठीक रहे यह क्युकी यह मूड तो हर छोटी छोटी सी चीज पर खराब हो जाता है।

“इस मूड को जरा संभाल कही ये हो न जाए बिगड़ेल”

जैसे ही हमारा मूड खराब होता है हम चिड़चिड़े हो जाते है, ओर फिर हमे कोई पसंद नहीं आता हम सभी से लड़ाई झगड़ा करने लग जाते है, कुछ भी पसंद नहीं आता, ये हमारे मूड खराब होने का नतीजा निकलता है।

इस मूड को ठीक रखने के लिए हमे क्या क्या करना चाहिए, इस मूड के बार बार खराब होने से हमारा पूरा दिन ही खराब हो जाता है, हम चिड़चिड़े हो जाते है, इसलिए इस मूड को ठीक रखने की आवश्यकता होती है, इस मूड का कुछ पता ही नहीं चलता, कभी ठीक रहता है तो कभी खराब हो जाता है, बहुत बार हमे पता ही नहीं चलता की हमारा मूड क्यों खराब हो जाता है।

जब हम अपनी मर्जी का कोई कार्य नहीं करते तब हमारा मूड ज्यादा खराब हो जाता है, या तो आप उस कार्य को करे जो आपको ज्यादा पसंद है या फिर अपनी सोच को बदलिए की कोई भी काम बेकार नहीं होता बस उसमे मन लगाना आना चाहिए, और मन लगाकर ही किसी भी कार्य को करना चाहिए।

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विज्ञापन

सहवाग कहने को तो स्कूल चलाते है, लेकिन विज्ञापन गुटखे का देते है, क्या वो यही बात अपने स्कूल में भी सिखाते है, क्या जो बच्चे उनके स्कूल में पढ़ते है उनको भी वो यही शिक्षा देते है, उनके स्कूल के बच्चे भी शायद गुटखा खाते होंगे, इसलिए बाकी जिन्ह लोगों ने अपने बच्चों का दाखिला नहीं करवाया है, तो वो लोग जरा सोच समझ कर कराए। इनके साथ साथ सुनील गावस्कर भी जो दूसरों को बहुत सलाह देते है। लेकिन खुद किसी भी सलाह पर काम नहीं करते ऐसे फालतू के लोगों को अपना रोल मॉडल नहीं बनाना चाहिए।

सौरव गांगुली जिन्हे हम सभी दादा कहते है ये भी इसी तरह के कार्यों में लगे हुए है, समझ नहीं आ रहा है, इतना पैसा कमा कर ये लोग क्या कर रहे है, यदि इन्हे गुटखा, तंबाकू, ओर सट्टा खेलना ही सिखाना था, तो किसी ओर काम में चले जाते क्यों ये इस तरह पैसा कमा चाह रहे है? ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी बर्बाद कर देना चाहते है, इस तरह के लोगों से वयं को दूर रखे।

इसी दौड़ में सचिन जिनको क्रिकेट का भगवान कहा जाता है , इनको भारत रत्न दिया जाता है, ओर एक सांसद के रूप में नियुक्त किया गया है क्या यह सही है? अब यही सचिन तेंदुलकर Paytm के गेम का विज्ञापन कर रहे है, पहले मैं भी बहुत आदर सम्मान करता था, लेकिन अब कोई आदर नहीं ऐसे लोगों जो कुछ रुपयों के लिए बिक जाते है, इतना धन होने के बाद भी इन लोगों की धन के प्रति हवस कम नहीं होती ये लोग ओर कमाना चाहते चाहे पैसा कही से भी आ रहा हो, इस बात से शायद इन लोगों को कोई फरक नहीं पड़ता, इन्होंने गुटखे का विज्ञापन नहीं दिया क्युकी इनके पिता जी ने कहा था, लेकिन जुआ खेलों ओर खिलाओ ये बात भी इनके पिता जी ने कही थी इसलिए सचिन तेंदुलकर अपने देश को बेचने पर भी आतुर हो जाते है, सिर्फ कुछ रुपयों के लिए हो सकता है, कुछ ज्यादा भारी रकम इस काम के लिए मिली हो तभी तो सचिन पैसों के नीचे दब गए ओर ये काम शुरू कर दिया।

इसके साथ ही कुछ ऐसे फिल्मी सितारे है, जो गुटखे का विज्ञापन कर रहे है, अब लिस्ट इन लोगों की लंबी होती जा रही है, जैसे की अक्षय कुमार , शाहरुख खान , ओर अजय देवगन ये अजय देवगन तो है ही पैदाईशी नसेड़ी, हृतिक रोशन, कपिल शर्मा जो हरभजन सिंह के साथ गेमिंग एप का विज्ञापन करते है, यह लोग बहुत सारे पैसों के लिए बिक रहे है। बस किसी भी तरह से पैसा आ जाए ये लोग अपने देश को बेच देंगे।

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दिल ओर दिमाग

दिल ओर दिमाग के बीच में जो आंदोलन होता है, उस आंदोलन को क्या नाम देना चाहिए, वो जो दिमाग है उस समय कुछ कहता है ओर दिल कुछ कहता है, मन कहता है दिल की सुनो लेकिन कभी कभी दिल धोखा दे देता है इसलिए दिमाग की सुननी चाहिए।

आप दिल की सुनते है या दिमाग या फिर आप दोनों की बातों पर गौर करते है, आपका दिल आपको ज्यादा प्रभावित करता है या दिमाग, दिमाग तो बहुत कठोर निर्णय लेता है लेकिन हमारा दिल बहुत हल्के क्युकी दिल बहुत जल्दी भावुक हो जाता है, इसी भावुकता में कई बार फैसले जो नहीं लेने चाहिए वो भी लिए जाए है।

फिर मन कहता है दिमाग की सुनी तो दिल टूट जाएगा, ये बहुत अजीब सी एक कशमकश होती है, इन दोनों के बीच में इसमे कौन जीतेगा, ये बात किसी को नहीं पता लेकिन फिर ये हमारे दिल तो कभी दिमाग की बात है न बहुत जबरदस्त होती है। क्युकी इसमे मसक्कत बहुत होती है, जद्दोजहत भी बहुत है किसी बात पर निर्णय लेने के लिए वक्त भी बहुत लगता है।

कौन गलती करेगा ओर कौन उस गलती का भुगतान करेगा, यह कहना बहुत मुश्किल हो जाता है जब इन दोनों के बीच कोई फैसला बड़ा हो जाता है, बस इस दुविधा को कैसे खतम किया जाए ये नहीं समझ आता है इसमे दिमाग ओर दिल दोनों फंसे हुए नजर आते है।

क्या आप वो कर पाते है जो आपका दिल कहता है, या फिर दिमाग के कहने पर ही आप चलते है? किसकी सुने ओर किसकी नहीं बस इसीमे हम फंस जाते है, कई बार फैसले भी गलत हो जाते है, ओर हम अपनी राहों से भटक जाते है, कई बार तो वापस अपनी राह पर आना भी बहुत मुश्किल हो जाता है, खुद को संभालना भी मुश्किल हो जाता है, हमारी राहे काही गुम हो जाती है, क्युकी दिल ओर दिमाग की दुविधा बहुत बढ़ जाती है।

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समस्या ओर समाधान

समस्या ओर समाधान कि बात की जाए तो बेहतर है, यदि सिर्फ समस्या ही गिनते रहेंगे तो आप एक दिन समस्यायों को इतना बड़ा कर लेंगे की फिर उभर नहीं पाएंगे, उन समस्याओ का समाधान ढूँढने के लिए लगातार प्रयास करते रहे, क्युकी समस्या को बड़ा नहीं होने दे, एक बार जब समस्या बड़ी हो जाती है तो उससे निकलना मुश्किल हो जाता है।

इसलिए जब भी कोई समस्या आती है उसको वही पर खतम करे, उसे देख लेंगे, या छोड़ो ना कहकर ना खतम करे, उसका हिसाब वही पर चुकता करे यही एक बेहतर समाधान है, क्युकी जब हम समाधान ढूँढने के लिए जाते है तो उसका समाधान नहीं मिलता, बस समस्या बड़ी हो जाती है ओर हम उसमे फंस जाते है।

समस्या का समाधान अवश्य मिलता है, लेकिन उसमे तकलीफ को बड़ा ना होने दे, कैसी भी समस्या हो आपको उसका हल मिल ही जाता है, बस आप समस्या को रबड़ की तरह ना खींचे यही आपकी जिम्मेदारी है।

इसलिए यदि समस्या है तो उसका समाधान भी अवश्य है, इसलिए साथ साथ उसको भी बताए सुझावों की सूची बनाएं।

सुझाव दीजिए तभी आप सशक्त होंगे तभी हम बेहतर बन पाएंगे।