फिज़िक्स वालाह कौन है अलख पांडे इस पूरी सीरीज अलख पांडे के किरदार को दिखाया जाता है, जिनको देखकर यह प्रेरणा मिलती है की परिस्थितिया ओर चुनौतिया कितनी ही आए लेकिन अपने रास्ते से पीछे नहीं हटना , जिस तरह का स्वभाव इस सीरीज में दिखाया गया है, क्या उसी तरह का स्वभाव था उनका उस समय भी , बहुत ही उग्र ओर काफी नासमझ किरदार रहा है उनकी जिंदगी जिन्हे अपनी जिंदगी के बारे कुछ नहीं पता बस पढ़ाना अच्छा आता है बाकी किरदार में कुछ खास नही।
कुछ विशेष क्या है, अलख पांडे उर्फ फिज़िक्स वालाह में जो इस सीरीज में दिखाया जा रहा है। अभी तक मैंने इनके 4 एपिसोड देखे है जिनमे उनकी खुद्दारी दिखती है की वो बच्चों से ज्यादा पैसे नहीं लेंगे, ओर किसी दूसरे के साथ इसलिए नहीं जुड़ना की वो पैसे ज्यादा दे रहा है क्युकी फिज़िक्स वालाह बिकाऊ नहीं है, उन्होंने 75 लाख रुपये हर महीने के ऑफर को भी ठुकरा दिया क्युकी वह सिर्फ एक बिकाऊ टीचर नहीं बनना चाहते थे , वह कुछ बच्चों को पढ़ना भी चाहते है।
इस सीरीज में दिखाया है, की वह प्रेम करके पछता रहे है, एक मुस्लिम वर्ग की महिला ओर अलख हिन्दू परिवार से है परंतु अड़चने सानिया के परिवार से वह अपने परिवार में ये बात बता नहीं पाती ओर इन दोनों का रिश्ता उसी बीच में रुक जाता है यही से अलख पांडे की जिंदगी में मोड दिखाई देता है, वह कुछ दिनों के लिए घर छोड़ निकल पड़ते है खुद की तलाश में इन्ही सवालों में वे भी कूद जाते यही ओर जिंदगी ओर खुद की राह को समझने के लिए अकेले ही निकल जाते है , यहाँ उनका दिमाग कुछ ओर चीजों को सोचने में लग जाता है यही से उनके विचार खुलने लगते है , एक अंग्रेजी ग्रुप से मिलने के बाद
सिर्फ पढ़ाने की भूख दिखती है , कुछ अपना करने की चाहत जो इनको आगे बढ़ने से कभी रोक नहीं पाएगी , किसी भी व्यक्ति को जब कुछ करने की चाहत होती है तो फिर कितनी ही अड़चने आए वो उनका सामना कर ही लेता है,
एक सीरीज आई है फिज़िक्स वाला के सफर की उन्होंने कैसे अपना सफर तय किया,
हम लीडर है हमे lead करना है भाग 5 में जब फिज़िक्स वालाह अपने लिए एक एप बनवाते है तब प्रतीक कहता है हम लीडर है हमे lead करना है, यही सोच इसी तरह के शब्द हमे पुश करते है हमारे जीवन में जो हमे स्टेप फॉरवर्ड ओर बड़े कदम उठाने के लिए साहस देते है।
भाग 6: जब आप किसी मुकाम को हासिल कर लेते हो ओर फिर लोग उसे तोड़ने के लिए हर मुकिम कोशिश करते है, और उन मुश्किलों के सामने डटकर खड़े हो जाते हो, हार नहीं मानते , आप टूटे जरूर हो लेकिन बिखर नहीं गए बस खुद आप इतना संभाल कर खड़े हो जाते हो , की आपको हटा नहीं सकता बस यही पूरी कोशिश रहती है इस पूरे भाग में इस समय दिमाग कुछ काम नहीं कर पाता की जब आप देखते हो , आप अपने काम पर ध्यान दे या फिर अपने दुश्मनों से लड़े बस यही दिमाग में चलता है इसीको भाग 6 में दिखाया किस तरह से अलख पांडे जूझते है उन सभी परेशानियों से जब उनके टीचर उनको छोड़ कर जाने लग जाते।