क्या है जिंदगी ? यह एक बहुत बड़ा विषय है और जिंदगी को आसानी से समझ पाया है। जिसने समझने की कोशिश की है वो खुद ही उलझा हुआ नजर आया है।
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जीवन की परिस्थितिया
हम सभी के जीवन की परिस्थितिया जीवन का परिस्थितियों के साथ बड़ा गहरा संबंध है, जीवन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग परिस्थितियां आती- जाती है, और यह सब परिस्थितियां हमारे द्वारा किये गए कर्मो के अनुसार ही आती है।
अच्छा और बुरा समय तो सबके साथ आता- जाता है, सब अपने अपने तरीके से अपने जीवन की परिस्थितियां निकालते है, कुछ लोग बुरा समय देखकर टूट जाते है तो कुछ निखर जाते है।
कुछ लोग किसी तरह से जीते है, तो कुछ लोग किसी तरह से कौन बेहतर ढंग से जीता है ? यह निर्भर करता है उस समय आपके मस्तिष्क के विचारो पर
जीवन की परिस्थितिया कैसी भी हो परंतु इंसान को हारना नही चाहिए, हर एक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्रकार की परिस्थितिया आती है, सभी को अपनी परेशानिया और परिस्थितियां ज्यादा मुश्किल लगती है।
वह व्यक्ति किस प्रकार के निर्णय लेता है किस तरह से चलता है क्या संभल पाता है या नही यह उसका अनुभव ही तय करता है, उसको संभल कर कदम बढ़ाना चाहिए और उस समय को बहुत सजगता से जीना चाहिए।
यह कहना हमारे लिए आसान है, परंतु उस समय हर एक व्यक्ति की मानसिकता भिन्न होती है।आप किस प्रकार के इंसान हो ? और आप अपने समय और परिस्थितितयो से किस प्रकार से सामना करते हो ? यह आप पर ही निर्भर करता है, कोई और आपको संभालने के लिए नही आता सिर्फ एक दिलासे के रूप में आपके साथ दिखाई तो देते है, परन्तु वो साथ नही होते अक्सर परिस्थितियां देख कर लोग मुह मोड़ लेते है। लेकिन कुछ साथ भी होते है।
बुरा समय ही आपको आपके जीवन में सबसे बेहतर लोगो से मिलवाता है।
कुछ लोग खराब समय को देख कर भाग जाते है और
कुछ लोग समय को तब तक देखते है। जब तक वो समय निकल नही जाता।
जब तक वो ठीक ना हो जाए उस पर पूरी तरह से निगरानी रखते है की समय अब कोई हरकत तो नही कर रहा वह हर प्रकार का मौका ढूंढते है की समय या परिस्थितियां एक मौका दे और हम फिर से करवट ले अपनी परिस्थितयो को बदले वह लोग डर कर भागते नही है सामना करते है और हिम्मत से खड़े रहते है। आख़िरी वक़्त तक जब तक समय बदलता नही है।
कुछ लोग समय के साथ समझौता कर लेते है की हमारा तो समय खराब है, हम कुछ नही कर सकते है और हार कर बैठ जाते है।
फिर आगे वो उसी जगह खुद को एडजस्ट कर देते है जिसकी वजह से वे लोग अपने सपने , अपनी इच्छाये मार डालते है। तथा वे कुछ लोग समय और परिस्थितियों को दोष देते है बस और कुछ भी नही करते , ना वो कुछ कर पाते है, समय बलवान है, ऐसा सोचकर लोग हार मान लेते है।
समय के साथ जो दुख और अनेको चीज़ आती है उसको भी साथ पकड़ लेते है, और इंसान कमजोर पड़ जाता है, हार मान लेता है , तथा डरने लग जाता है, जिसके कारण ना जाने वो क्या क्या कर बैठता है, इस बात की समझ नही आती ओर वक़्त गुजर जाता है। परिस्थितियां उनको अपने साथ बहा कर ले जाती है।
थोड़ा बहुत इश्क
ये जो मुझे थोड़ा बहुत इश्क होता नजर आया ये तो सच है तेरे साथ होने से ही नजर आया है ये कुछ खट्टा, कुछ मीठा, तीखा , फीका बस जैसा भी आया तेरे होने से ही आया … के अब झुठला कैसे दु इस इश्क़ को जो मनचला बन बावरा तेरे ही ख्यालो में हर वक़्त डूबता सा नजर आया … तू ही बतादे ,तू कुछ तो समझा दे
भूल जाता हूँ
भूल जाता हूँ भटक जाता हूँ , शायद बेहोशी के आलं में भी खो जाता हूँ,अपनी ही चुनी हुई राहों से फिर ठोकर खाकर होश में आता हूँ संभाल जाता हूँ चलना,दौड़ना,फिर से सिख जल्द वापस आ जाता हूँ फिर अपनी पसंदीदा राहों पर
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