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दो दोस्त मेट्रो में

अक्सर ये देखा जाता है की कुछ मेट्रो में या कही भी इस तरह से मिलते है जैसे की वो एक लंबे अरसे बाद मिल रहे हो लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वो मिलते ही रहते है बीच बीच में एस उन दृश्यों से लगता है , लेकिन ये लोग कुछ इस तरह से दर्शाते है जैसे की आज मिले है कभी मिले नहीं थे ओर फिर शायद कभी मिलन नहीं होगा, वो ढेर सारी इनके बीच बाते अधूरी सी पड़ी है जो ये आज पूरी कर लेंगे , जरा देखिए जब दो दोस्त मेट्रो में मिलते है , दो दोस्त मेट्रो में मिलते है ओर फिर बस सन्नटा गहरा अब उनके बीच में कोई संवाद नहीं होता बस जद्दोजहत थी तो साथ बैठने तक की ओर कुछ नहीं

दो दोस्त मेट्रो में मिलते है अबे कहा था, इतनी देर से फोन कर रहा हूँ, फोन नहीं उठा रहा है तू बे

अरे कही नहीं माँ से बात रहा था यार  

वह मित्र अब उसके बगल में बैठ जाता है,  

क्या हाल चाल है तेरे , क्या चल रहा है?

हा ठीक,  आज लेट हो गया है

उत्तर : हा यार

उसके बाद घनघोर सन्नाटा उन दोनों के बीच में बस बाते खत्म हुई यही 2-3 लाइन थी जो आपस में उन्होंने बोली थी, मिले तो ऐसे थे नया जाने कितनी ही बाते अधूरी थी, जो उन दोनों दोस्तों को करनी पूरी थी अब बीच में या गई फोन की दीवार ओर लग गए अपने अपने फोन में।

आजकल लोग एक साथ बैठना तो चाहते है, लेकिन उनके पास बात करने को कुछ नहीं होती बस बैठना चाहते है, जो बैठा हो वह पर उसको सरकाना जो बेचारा आराम से बैठा है, उससे सीट साफ करवा देते है आप घर में कुछ बात नहीं करते है, आपस में लेकिन बैठना बगल में ही है, घर में आप शक्ल भी नहीं देखते है फोन की शक्ल में व्यस्त होते है, लेकिन साथ बैठना है बहुत ही समझ से बाहर है, यह बात मेरे तो दूसरे को इधर उधर सरका कर खुद बैठ जाना, पता नहीं कहा की अकलमंदी है यह………….

क्या वो गुम हो जाएगा यदि आपके साथ नहीं बैठा तो, छोटा बच्चा है क्या आपका मित्र, भी, या जो भी साथ है।

क्या उसके साथ बहुत सारी बाते अभी करोगे? यदि वो साथ नहीं बैठा तो क्या दिक्कत हो रही है, यह बात समझ नहीं आती।  

की आप 3 लोग मेट्रो में चढ़ते है ओर आपको एक साथ सीट नहीं मिलती तो आप दूसरे लोगों को adjust करवाने लग जाते हो, की हम आए है हम इधर एक साथ बैठेंगे आप हमारी वजह से इधर उधर हो जाओ।

क्या आप उधर बैठ सकते? क्या आप उधर चले जाएंगे? बस यही रहता है, पता नहीं कितना प्रेम उस टाइम इनका झलकता है, लेकिन वो लोग कुछ बात नहीं करते बस अपने अपने मोबाईल में लग जाते है।  

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बस ओर मेट्रो

बस ओर मेट्रो

एक समय था जब नीली वाली प्राइवेट बस चला करती थी, उसमे बहुत भीड़ होती थी और लोग लटक लटक जाते थे, ज्यादातर लोग गेट पर ही खड़े हो जाते थे, आज जब मेट्रो चलने लगी है तब भी लोगों में वही आदत है लोग गेट पर ही खड़े रहते है, वहाँ से हटते ही नहीं है।

पता नहीं लोगों को क्या लगता है की उन्हे वही खड़ा रहना है, जैसे एकदम से कूदेंगे जैसे ही मेट्रो रुकेगी, चाहे मेट्रो में भीड़ हो या नहीं, लेकिन उन लोगों को तो गेट पर ही खड़ा होना है जैसे सारा आनंद उनको गेट पर ही मिलेगा, किसी को भीतर आने ओर बाहर जाने का रास्ता आसानी से नहीं मिल पाता है, ये लोग ऐसे अढ़ कर खड़े हो जाते है, जैसे की अब जगह नहीं बची है किसी को प्रवेश नहीं होगा।

मेट्रो के तो गेट बंद हो जाते है, इसमे लटक भी नहीं सकते फिर भी यह लोग गेट पर खड़े होते है, पहले जो नीली वाली बसे चलती थी, उन्मे ज़्यादार लोग बस की सीढ़ियों पर ही खड़े रहते थे।

तो मुझे इन गेट पर खड़े होने वाले लोगों को देखकर वही दृश्य याद आता है, जो आजसे 15 साल पहले  होता था, लोग उस समय एक बस के इंतजार में आधे घंटे तक खड़े रहते थे, लेकिन आज इतनी जल्दी होती है, एक मेट्रो का इंतजार वो 2 मिनट नहीं कर पाते पता नहीं कितनी जल्दी है।

अब लोगों को की उनसे इंतजार के 2 मिनट नहीं बीतते दिल्ली मेट्रो के कुछ स्टेशन जैसे राजीव चौक, कश्मीरी गेट, स्टेशन पर तो लोग ऐसे धक्का मुक्की करते है, ओर उसके बाद जैसे की दूसरी कोई मेट्रो तो ही नहीं आएगी इस तरह से वो उसमे धक्का मुक्की करने लग जाते है।

मेट्रो का सफर बहुत आरामदायक हो चुका है, पहले से बेहतर है सब कुछ बेहतर हो रहा है फिर भी इंसान परेशान सा लगता है, इतना आरामदायक जीवन हो चला है, फिर भी कही फंस हुआ लग रहा है ये इंसान..

आज से 10 साल पहले जब रात 9 बजे बस सर्विस नहीं थी या कम थी तब घंटे भर तक एक बस का इंतजार करना पड़ता था ओर वो भी बिल्कुल भरी हुई आती थी, लेकिन आज के समय में लगातार बस भी है ओर मेट्रो भी हर 2 मिनट बाद मेट्रो आ जाती है रात 11 बजे तक तो मेट्रो चलती है, कुछ स्टेशन के लिए 12 बजे तक की भी सर्विस है फिर भी लोग बेचैन हो जाते है।

समय के साथ सबकुछ बेहतर हो रहा है, लेकिन क्या इंसान बेहतर हो पा रहा है इंसान उसी तरह से, उसी सोच के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहा है उसमे कोई बदलाव नहीं दिख रहा है!

नए नियम लागू

आज से नए नियम लागू हुए जानिए क्या है वो नियम जो आपको फॉलो करने होंगे, मेट्रो में सफर अब हुआ 50% और यात्रा को खड़े होकर तय करना अब दंडनीय अपराध होगा जिस पर जुर्माना लगाया जाएगा।

ऑटो, टैक्सी में सफर सिर्फ अब फिर से दो लोग ही कर पाएंगे।

बस में भी एक सीट पर एक व्यक्ति बैठेगा, मुह पर मास्क लगाना अनिवार्य नहीं तो होगा जुर्माना

दिल्ली की सभी बड़ी मार्केट अब ओड और इवन के आधार पर ही खुलेगी।

शर्तों के साथ अब दिल्ली में होगा सफर, सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सरकार ने लिया फैसला इन्ही नए नियम लागू होने के साथ होगा सब चालू।