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Trade Fair

हम आए घूम कर प्रगति मैदान Trade fair जहां इस बार लगा हुआ था 42 वा अंतरराष्ट्रीय मेला जिसमे भारत वर्ष के सभी राज्य इस व्यापार मेले का हिस्सा होते है, और बहुत सारी चीज़ें इसमें देखने को मिलेगी जैसे की कपड़े , घर का सामान, खाने का सामान , रसोई का सामान, सजावट आदि सामान मिलेगा इन सभी की कीमत कम होगी यह तो नहीं कहा जा सकता परंतु वह चीज होती है जो आसानी से हमे मार्केट में नही मिल पाती, इसलिए इस समान का दाम थोड़ा महंगा होता है, ओर काफी नई कंपनी अपना प्रचार व प्रसार करने के लिए आती है, वह अपना स्टॉल लगते है। 

इस बार जिस थीम पर काम किया गया है वह है वासुदेव कुटुंबकम इसी थीम पर पूरा मेला बनाया गया है। 

वासुदेव कुटुंबकम
वासुदेव कुटुंबकम

मैं हर बार जाता हूं। स्कूल टाइम से जा रहा हूं मैं एक बार का किस्सा याद आया मुझे जब मैं पहली बार ट्रेड फेयर गया था अपने स्कूल फ्रेंड्स के साथ हम सभी स्कूल बंक करके प्रगति मैदान गए थे पहली बार किसी ने घर पर नही बताया था। 

बस निकल चले हम सभी वही जाकर अपने घरवालों को फोन करने की सोच रहे थे और काफी घबराए हुए थे की हमे घर पर जाने में तो देर हो जायेगी और घरवाले चिंता करने लग जायेंगे। 

वो मेरा पहला अनुभव था उस समय का मन में डर था लेकिन जाने की इच्छा थी वैसे भी हम 11वी में थे उस समय उम्र का जोश था की अब हम बड़े हुए है तो कौन क्या कहेगा हमे, बस यही सोचकर चले गए थे लेकिन हमने से कुछ वापस चले गए थे और कुछ अंदर घूमने गए। 

तबसे लेकर अब मैं 38 साल का हो चुका हूं मैं हर साल जाता हूं और किसी किसी वर्ष तो ऐसा होता है की मैं 2 और 3 बार भी चला जाता हूं , मुझे नई नई चीज को देखने में अच्छा लगता है , मार्केट में क्या नया आ रहा है इस बारे में जानकारी मिलती है, इस वजह से ही में घूमने के लिए जाता हूं। 

Trade Fair के लिए टिकट अनलाइन Paytm इन्साइडर से आप ले सकते है, या फिर किसी भी मेट्रो स्टेशन से आप टिकट ले सकते है, सिर्फ सुप्रीम कोर्ट वाले स्टेशन पर टिकट नहीं मिल रही है बाकी सभी जगह टिकट उपलब्ध है, Paytm से टिकट लेने पर आपको कोई Platform चार्ज नहीं देना पड़ता। 

 मेट्रो से सीधा आप सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन पर उतरते है ओर वही से प्रवेश करते है,  गेट नंबर 10 से भीतर प्रवेश करते है। 

इस बारे जाने का मजा थोड़ा अलग है क्यूकी  काफी समय से घर से बाहर नहीं गया निकला था, काफी समय बाद जब आप घर से बाहर निकलते है तब आपको भी अच्छा अच्छा महसूस होता है। और भीतर उत्साह भरा हुआ होता है की यह देखेंगे वह देखेंगे और कुछ नया कर भी लेंगे। 

इस बार सरस जो पहले की बाहर की ओर स्टॉल उपलब्ध करता था वो इस बार पूरी तरह से अंदर ही अरैन्ज कर रखा था, जिससे आपको देखने व घूमने में आसानी होती है। 

जो पहले लोग पार्क में बैठकर खाना कहा लेते थे अब वो जगह भी खत्म कर दी गई है, उसकी जगह पर फूड कोर्ट बना दिए गए है। 

इस बार प्रगति मैदान का Trade Fair पहले से ज्यादा व्यवस्थित है, जितनी भी भीड़ आए वो सारी फैल जाती है जिसके कारण लगता है की भीड़ नहीं है, सभी हाल खाली से लगते है। बहुत भिचे हुए नहीं लगते सभी स्टॉल पर यदि भीड़ उमड़ ना पड़े तो इससे समान का बिक्री अधिक होती है, ओर ग्राहकों को भी समान को पसंद करने में आसानी होती है, वो व समान को जांच कर के लेता है, नहीं तो धक्का मुक्की करके आगे बढ़ जाता है ना ही समान देख पाता था ना ही कुछ खरीदारी कर पाता था, जिन लोगों को सिर्फ घूमने का शोक होता है वह अपना घूमने का शोक पूरा कर लेते है ओर जिनको कुछ साथ खरीदारी भी होती है तो वह भी कर लेते है।

इस बार फूड कोर्ट भी काफी व्यवस्थित था, ओर सभी प्रकार का भोजन उपलब्ध था, राज्यों के अनुसार फूड कोर्ट लगाया गया हुआ है।

फूड कोर्ट
फूड कोर्ट

इस तरह के मेलों से हमे समान खरीदना चाहिए, यदि हम ईन जगहों से समान नहीं कहरीदेंगे तो आगे आने वाले समय में इस तरह के मेले लगने ही बंद हो जाएंगे क्युकी जिस तरह से अनलाइन का प्रचलन बढ़ रहा है, उस तरह से इन मेलों में खरीदारी कम हो रही है। 

सभी चीज़े आजकल अनलाइन मिल ही जाती है, जिसकी वजह से लोग अनलाइन समान खरीद लेते है, उन्हे बाहर जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। 

राजधानी दिल्ली

राजधानी दिल्ली के बारे कुछ बाते

दिल्ली जो कि भारत की राजधानी है। भारत के चार महानगरों में से एक है। और एक ऐतिहासिक शहर भी है। दिल्ली महानगर में मुगल काल की भी कई विश्व विख्यात विरासते आज भी मौजूद है। इसी दिल्ली में 16वीं शताब्दी मे तब्दील हुई जामा मस्जिद लाल किला आज भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वही पास ही में चांदनी चौक जैसा एक भव्य बाजार मौजूद है जिसमें कि तरह-तरह के व्यंजन पकवान वह हर तरह की खरीदारी के सामान उपलब्ध हो जाता है।    

    दिल्ली को तीन और से हरियाणा की सीमा लगती है, जबकि इस के पूर्वी छोर पर उत्तर प्रदेश की सीमा लगती है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र लगभग 573 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली शहर की आबादी 11 मिलियन है जोकि मुंबई के बाद भारत का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है।       

                                     अगर दिल्ली शहर की प्राचीनता की बात की जाए तो 10 वीं शताब्दी में यहां पर तोमर राजाओं का राज्य था। उन्हीं तोमर राजाओं का एक वंशज पृथ्वीराज चौहान था जिसने कि दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। और वही पृथ्वीराज चौहान दिल्ली का अंतिम हिंदू शासक था। उस पृथ्वीराज चौहान के बाद दिल्ली में लगातार तुर्क और मुगलों का आक्रमण होने लगा। जिसमें कि पृथ्वीराज चौहान के तुरंत बाद गुलाम राजवंश आया उसके बाद खिलजी, तुगलक , सैयद और लोरी राजवंश आए। यह सभी मुस्लिम शासक थे। इसके बाद अंत में पानीपत की लड़ाई में बाबर ने लोधी व राजवंश को हराकर दिल्ली में मुगलिया सल्तनत की नींव रखी। इसी मुगलिया सल्तनत में बाबर के बाद बाबर का वंशज हुमायूं आया जिसने की दिनपनाह महल जो कि आज के समय में पुराने किले के नाम से मशहूर है का निर्माण करवाया। और हुमायूं की मृत्यु भी उसी दिन प्रणाम महल में सीढ़ियों से गिरकर हुई थी।     

                अनेक दर्शनीय स्थल जैसे की कुतुब मीनार, सिकंदर लोदी का मकबरा, इंडिया गेट आदि कई विरासत ए आज भी मौजूद है।  

राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट की तस्वीर
राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट की तस्वीर

   अगर हम नई दिल्ली की बात करें तो नई दिल्ली को अंग्रेजों ने सन 1911 में अपनी राजधानी बनाया। अंग्रेजों ने भी दिल्ली में कई भव्य इमारतों का निर्माण करवाया। आज इतना भव्य इंडिया गेट हम देखते हैं असल में यह प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विरासत के रूप में तैयार किया गया वह उन सैनिकों के नाम आज भी इंडिया गेट पर लिखे हुए हैं। उसके अलावा राष्ट्रपति भवन विधान सभा वह कनॉट प्लेस भी अंग्रेजों के द्वारा ही बसाई गई विरासत है।    

          आध्यात्मिक तौर पर भी दिल्ली शहर में काफी पुरानी विरासत ए रही है। सूफी संत निजामुद्दीन औलिया भी इसी दिल्ली में रहे हैं जिन्होंने दिल्ली में 15 राजाओं का शासन देखा और उन्हीं के शिष्य अमीर खुसरो जोकि तबले के अविष्कारक और खड़ी बोली के जनक भी हैं उन्होंने भी 10 राजाओं का शासन देखा वह उन 10 राजाओं के दरबार में रहे। उसके अलावा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की मजार भी हमें महरौली क्षेत्र में देखने को मिल जाएगी राजा कुतुबुद्दीन ने इन्हीं के नाम पर कुतुब मीनार का निर्माण करवाया था।

Written by Pritam Mundotiya

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