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ध्यान करते समय

ध्यान करते समय आप स्थिर क्यों नहीं बैठ पाते

ध्यान करते समय आप विचारों के घने बादलों से घिरे हुए है जब आप चलते फिरते है, या कोई भी कार्य कर रहे होते है जब आपको पता नहीं चलता की आपके मन में कितने विचार लगातार चल रहे है आपको सिर्फ यह लगता है की आप काम कर रहे है परंतु जब आप एक स्थान पर शांत होकर बैठने की कोशिश करते है तो वह विचार आपको शांति से बैठने नहीं देते वह विचार आपके मन मस्तिष्क में चलते रहते है , यह विचार किसी भी प्रकार के हो सकते है जैसे पैर में चींटी काट रही क्या? खुजली हो रही है? हल्की सी आवाज में आपका मन बहुत सारी कल्पनाए गढ़ लेता है, हवा चलती है तो शरीर में सरसराहट होती है लगता है चींटियों ने स्पर्श किया , आदि अनेक विचार उत्पन्न होते है लेकिन जैसे जैसे आप ध्यान में बैठ कर अपने मन को देखने लगेंगे आपका चित भी शांत होगा ओर इस प्रकार के विचार हटने लगेंगे, नए विचारों पर भी रोक लगने लगेगी जिसकी वजह से आपका शरीर स्थिर होने लगेगा,

यदि आपने देखा हो तो ध्यान करते समय कुछ लोग बस हिलते ही रहते है, कभी वो अपनी टांग हिलाते है, या फिर हाथों को हिलाते है, उनका शरीर स्थिर ही नहीं होता, यह सब मन में विचारों की गति का बहुत तेज होने से होता है, इसलिए भी यह एक कारण है शरीर को स्थिर होने की आदत नहीं होती जैसे जैसे आप बैठने आदत डालते है शरीर को आप ध्यान में ही उतरते जाएंगे।

जिस तरह से शुरुआत में लोग सत्संग सुनते है ओर उनको नींद आ जाती है क्युकी निद्रा माता उनको भजन , सत्संग नहीं करने देती लेकिन धीरे आप दृढ़ हो जाते है आपको बैठना सुनना अच्छा लगता है सत्संग तो वह स्वत ही हो जाता है, इस प्रकार शरीर के पंचतत्व आपको स्थिर नहीं बैठने देते लेकिन आप धीरे धीरे गहरे भीतर होना शुरू जाते है, बस थोड़ा समय लगता है फिर ध्यान आपके के लिए आनंद हो जाता है।

मन को कैसे शांत करे?

अंत में एक सुझाव यह भी है की आपको शरीर को स्थिर करने की कोई आवश्यकता नहीं है आवश्यकता है तो मन को स्थिर करने की आपका मन बस इस मन को देखने की आदत बना लो , जहां भी हो बस यह मन क्या कर रहा है , मन कहाँ जा रहा है , क्यों जा रहा है?  जब आप इस बात को समझने लग जाएंगे आपका मन भीतर स्वत ही शांत होने लग जाएगा वह दौड़ेगा नहीं क्युकी आप उस पर निगरानी रखे हुए है , इस मन को आप मना नहीं कर रहे कुछ भी करने को लेकिन देख रहे है बस फिर वो कही नहीं भागेगा, रुक जाएगा ठहर जाएगा आपका ओर साथ आपके शरीर को भी स्थिर होने में मदद करेगा।

अंत में एक सुझाव यह भी है ध्यान करते समय आपको शरीर को स्थिर करने की कोई आवश्यकता नहीं है आवश्यकता है तो मन को स्थिर करने की आपका मन बस इस मन को देखने की आदत बना लो , जहां भी हो बस यह मन क्या कर रहा है , मन कहाँ जा रहा है , क्यों जा रहा है? जैसे जैसे आप मन को देखना शुरू कर दोगे आपकी हर एक क्रिया ध्यान हो जाएगी।

ध्यान कैसे करे

ध्यान कैसे करे ? ध्यान क्यों करना चाहिए ? ध्यान करने के लिए किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है इस आपाधापी की जिंदगी में अपने मन के विचारों को हम शांत नहीं रख पाते है इसलिए हमे ध्यान करना चाहिए  

ध्यान कैसे करे : मन को शांत रखने के लिए हमे ध्यान करना चाहिए , मन ना जाने किधर किधर भागता है उस मन को स्थिर करने के लिए ध्यान करना जरूरी है।

मन के भटकाव को रोकने के लिए ध्यान करना जरूरी है, हमे जीवन में सफल होने के लिए स्वयं के विचारों को नियंत्रित रखना होता है उसके लिए हमे ध्यान करने की आवश्यकता है, 

ध्यान तो स्वं घटित होता है , किसी पर चीज पर लगातार ध्यान रहे उसी को ध्यान कहते है ध्यान करने के लिए आपको कही नहीं जाना जहा आप है जो आप कर रहे है बस वही ध्यान हो सकता है, असल में ध्यान वही है,

यदि आप ध्यान करते समय स्थिर नहीं बैठ पाते है तो इसके लिए हमने अलग से एक ब्लॉग लिखा है इसको आप इधर पढ़ सकते है

अपने भीतर की हो रही क्रियायों को सजगता से देखना ही ध्यान है ध्यान जो स्वयं घटित होता है

जब आप भोजन करते है उस समय आप भोजन पर ध्यान दे , कोई भी कार्य कर रहे हो बस उसी पर ध्यान दीजिए उसके अलावा कही नहीं होना आपका ध्यान धीरे धीरे उसी दिशा में केंद्रित होने लगेगा  

जब आप पैदल चल रहे हो तो अपने कदमों पर ध्यान दे ये छोटी छोटी किरया आपको ध्यान की गहराई में धीरे धीरे उतार देगी ओर आप अपने भीतर मन की आवाज को ध्यान से सुन पाओगे जिससे आपका मन शांत होने लगेगा ओर ध्यान इधर उधर की व्यर्थ की चीजों में नहीं जाएगा

आपका मन स्थिर हो जाएगा