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मित्र आपका दर्पण

मित्र आपका दर्पण , मित्र भिन्न भिन्न प्रकार की उनकी सुगंध को लिए वो इत्र…..
मित्र आपका दर्पण उनको हम चुनते, मददगार गढ़ने में चरित्र ।

नहीं मन में इच्छा बड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों से हो मित्रता ….
मेरे मित्र हो जाए वो बड़े महत्वपूर्ण ऐसी हो उनकी पात्रता ।

मित्र, वह रंगीन फूल है जिसके पत्तों में छुपी है सुगंध,
विविध रूपों में व्यक्त होती है उनकी आत्मा की विशेषता।
जैसे शीतल वायु में तरंगों की लहरें छाती हैं,
वैसे ही मित्रता के साथ वे दिलों को छू जाते हैं।

मित्र, तुम्हारी प्रतिबिंब वे देखते हैं अपनी आभा में,
तुम्हारे साथ जीवन के सफर में रंग भरते हैं।
वे बनते हैं तुम्हारे मददगार, तुम्हारे संग वे चरित्र गढ़ते हैं,
मित्र आपका दर्पण जैसे दर्पण तुम्हें चुनता है, वैसे ही वे तुम्हें स्वीकारते हैं।

मित्र, वे संगठित होते हैं जैसे पुरानी किताबों के पन्ने,
जो अनमोल विचारों से भरे हैं और ज्ञान का संग्रह करते हैं।
वे सहायता करते हैं जब जीवन के अचानक मुड़े आते हैं,
तुम्हारे दुःख सुख में सदैव वे संगीत बनते हैं।

मित्र, उनके साथ जीने में हमेशा होती है आनंद की बरसात,
जैसे इत्र की सुगंध हमें ले जाती है आभा की उषा में।
वे रचते हैं हमारी कहानी को खुदा की एक कृपा समान,
मित्र, तुम्हारा दर्पण वे हैं, जो हमेशा रहेंगे हमारे अभिमान।



बच्चे जब करते शरारत

बच्चे जब करते शरारत
चेहरे पे आती मुस्कुराहट….
शरारत भी अच्छी होती हे ।

दोस्त भी करते शरारत….
नहीं होती उसमें कुछ बनावट ।
शरारत भी अच्छी होती हे ।

पति पत्नी भी करे शरारत….
बस आए ख़ुशियों की आहत ।
शरारत भी अच्छी होती हे ।

शरारत भी जीवन का मसाला….
जेसे कभी कभी जाते मधुशाला ।
शरारत भी अच्छी होती हे ।

शरारत एक गुण ….
होना चाहिए इसमें निपुण ।
शरारत भी अच्छी होती हे ।

मीठी शरारत का न छोड़े मोका …..
बस न दे किसी को धोखा ।
कुछ भी बोलो शरारत अच्छी होती हे ।

बच्चे जब करते शरारत

आखिरी शब्द

कुछ शब्द तो पहले से ही आखिरी शब्द बन जाते है, जिनका कुछ पता नही वो कहाँ कब गुम हो जाते है, कौनसे पन्ने पर लिखे थे वो शब्द किस क्रोध की अग्नि में जलाकर फेंके थे जो ऐसा हो जाता है, क्यों वो पहले शब्द ही अंतिम शब्द बन जाते है। इन शब्दों में कितना क्रोध , रोष था जिनके कारण सब छूट गया बीच दिवारे खड़ी हो गई , टकरार बढ़ गया , मन मुटाव हो गया , यह क्या हो गया वही शब्द अब अंतिम शब्द बन गए, हम सभी उन शब्दों में जल गए।

वो आखिरी शब्द जिनका मलाल उम्र भर रह जाता है वह शब्द मन, मस्तिष्क से बाहर भी निकल नहीं पाते वो बन जाते है है अंतिम शब्द

जिन शब्दो की वजह से बोलना हँसना मुस्कुराना सब कुछ छूट-टूट जाता है बने बनाये सारे रिश्ते टूट जाते है कौन सी आग थी उन शब्दों में जिनकी वजह से उम्र भर का रिश्ता एक पल में छूट जाता है, एक पिता के आखिरी शब्द क्या होते है, जब बेटा घर छोड़ चला जाता है।

एक पति पत्नी के संबंध में कौनसी दीवार आ जाती है की वो रिश्ता अब रिश्ता नही कोर्ट का पेपर बन जाता है। वो आखिरी शब्द क्या थे जब लड़का लड़की अपना रिश्ता तोड़ देते है,
वो अंतिम शब्द क्या थे,जब दो दोस्त भी रिश्ता तोड़ देते है।

क्या है वो? अंतिम शब्द जिनकी वजह से अनेको रिश्ते टूट गए ऐसा क्या था उन शब्दों में जिनकी वजह से सब कुछ खत्म हो गया जो शब्द अब ठीक नही हो सकते
या करना नही चाहते ?