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Shark Tank

Shark Tank देखने के बाद मुझे भी कभी कभी लगता की मैं भी नया बिसनस idea लेकर जाऊ ओर पैसे मांगु ओर एक्विटी दे दु, वैसे बहुत अच्छे अछे दिमाग वाले लोग आते है जिन्होंने कुछ हासिल किया है अपनी जिंदगी में , ओर आगे भी बहुत अच्छा करेंगे , इन्वेस्टर में ये नमिता जी तो बस बैठी रहती है, मैं इस समय बाहर हूँ बस यही बोलती है बहुत ही कम बार इन्होंने किसी Startup के साथ पैसे लगाए होंगे।

ज्यादातर समय यह बाहर ही रहती है, चलिए बहुत अच्छा है, Shark Tank शो को देखकर अच्छा लगता है हमारा भारत नई उचाई को छु रहा है, ओर बहुत सारे जवान लोग आज व्यापार करना चाहते है एक समय बीच में एस लग रहा था की सभी लोग नौकरी करेंगे , वैसे हम सभी लोग किसी एक ही पक्ष को सही कहते है या तो नौकरी या व्यापार लेकिन दोनों चीज़े अपनी अपनी जगह बिल्कुल सही है क्युकी जब आप व्यापार करते है तो आपको भी एक कर्मचारी की आवश्यकता होती ही है, ओर जब आप नौकरी करते है तो नौकरी के लिए व्यापारी के पास ही जाना होगा।

इसलिए दोनों को बराबर की जरूरत है, किसी भी व्यापार के लिए बहुत सारे लोग ओर दिमाग चाहिए होते है, आप सिर्फ कुछ उचाई तक जा सकते लेकिन उस उचाई को हमेशा बरकरार रखने के लिए आपको नए दिमाग की आवश्यकता रहती है।

मुझे पहले सेशन में असनिर ग्रोवेर बहुत बकवास लगता था, लेकिन इस सेशन में वो नहीं है बहुत अच्छी बात है ये इसलिए मैं इस सेशन को देख पिछला सेशन मैंने सही से नहीं देखा, बहुत शालीनता से सभी shark बात करते है उनको लगता है तो जॉइन करते है नहीं तो नहीं किसी भी बातचीत का ये बहुत अच्छा उदाहरण है।

Shark Tank मदद कर रहा है उन सभी लोगों की जो लोग बड़ा व्यवसाय करना चाहते है, अपनी मेहनत से जो लोग आगे बढ़े है उनको ओर आगे बढ़ने में मदद करता है, इसमे कोई शक नहीं है की बदले में वो कुछ हिस्सा लेता है, लेकिन इसमे कोई बुराई नहीं है क्युकी इनकी मदद से कुछ लोग काफी आगे बढ़ जाते है।

आपको Shark Tank कैसा लगता है ओर सभी शार्क में कौनसा शार्क अधिक पसंद है जरूर बताए।

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दुकानदार का जीवन

एक दुकानदार का जीवन कैसा होता है, वह दुकानदार सारा दिन काम में व्यस्त होता भी है ओर नही भी होता कुछ काम कभी कभी तो उसी को दुकानदार कहते है।

काम हो तो बहुत है वरना खाली बैठा बस ग्राहक के आने का इंतज़ार करता है, वह दुकानदार

एक दुकानदार यदि उसके पास काम नही है तो इधर उधर आसपास की दुकानों पर बाते करके अपना समय व्यतीत करता है।

काम कुछ भी नही है लेकिन फिर भी व्यस्त है एक दुकानदार क्यों? क्योंकि वह पूरा दिन उस एक जगह बैठा हुआ है जहाँ से उठकर वो कही नही जा पाता बस उसे वही बैठना है ओर अपना समय अपनी दुकान के लिए ही देना है। क्योंकि लोग कहते है।
‘”ग्राहक ओर मौत का कोई पता नही कब आ जाए”

दुकानदार का जीवन उस चार दिवारी की तरह ही होता है बस वह अपने समान का पता करता रहता है की क्या खतना हुआ क्या नही , क्या लाना है ओर क्या नही पूरा जीवन उस दुकान में समान के खतम होने ओर भरने के चक्कर में खुद को कहाँ खो देता है इस बात का उसको होश नही होता।

एक दुकानदार हमेसा 99 के फेर में लगा रहता है यदि वो खाली भी है तो बस वो व्यस्त है क्योंकि वो कही आ ओर जा नही सकता बस उसे दुकान पर बैठना है चाहे काम हो या नही।

पूरा दिन बैठे हुए वो अखबार के हर के पन्ने को पूरी तरह से निचोड़ देता है।

लोग कहते है अपना काम बहुत बढ़िया होता है जब चाहा छुट्टी कर ली जब मन किया चले गए परंतु ऐसा नही है एक दुकानदार नौकरी वाले व्यक्ति से ज्यादा काम करता है ओर पूरे साल भर यदि देखा जाए तो छुट्टी तो बहुत दूर की बात है। वो बीमार होने पर भी दुकान जाता है क्योंकि उसका घर पर मन ही नही लगता।

दुकान पर आने जाने वाले दुकानदार को कहानी अपनी बीती कहानी सुनाते रहते है।

एक दुकानदार पर जितनी कहानियां होती है उतनी शायद किसी के पास भी नही होती होगी क्योंकि वह पूरे दिन कोई न कोई एक नई कहानी सुन लेता है।

एक दुकानदार की जितनी बहने बनती है उतनी बहने तो शायद किसी की भी नही बन सकती जो आता है वो भैया जी कहकर ही बुलाता है चाहे वो छोटी लड़की है या आंटी , या बुजुर्ग वो भी भैया ही कहकर बुलाते है।

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