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लड़को को गलतफहमी

हर लड़के को यही लगता है की वो लड़की उसे घूर रही है,लेकिन वह लड़की ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर रही होती ,यह लड़कों की गलतफहमी है जिसमे वह सुधार नहीं कर रहे है। एक दिन उनको पछतावा होता है इस बात का की वो गलत थे इस बारे में

कोई लड़की हँसे इसका मतलब बिल्कुल भी नहीं की वो फंस रही है, इसलिए कृपया कर ऐसी गलतफहमी बिल्कुल न रखे।

पछतावा

पछतावा कब होता है ? गलती जों हर कोई करता है वो गलती है घर छोड़ने की एक युवा अवस्था में बहुत सारे लोगों के मन यह ख्याल आता है कि हमें घर छोड़ कहीं वन , आश्रम , या पहाड़ों पर कहीं चले जाना चाहिए।
लेकिन क्या यह उचित है ? क्या सहज ही यह संभव है ?

हम एक बार को मां लेते है की यह संभव है परन्तु उस घर को छोड़ने का कारण ओर परिणाम कभी सोचा है ??

यह गलती 100 प्रतिशत लोग करते है जिनको अपनी भूल का पछतावा होता है ओर फिर वही साधु आपकोंथ सलाह भी देते है की संत क्यों बनना ? गृहस्थ जीवन बिताए वहीं सबसे बड़ा आश्रम है परन्तु गृहस्थ ? जरूरी नहीं कि शादी भी करो जो लोग जीवन को बांधना नहीं चाहते उन लोगो को शादी भी नहीं करनी चाहिए इस जीवन को मुक्त रखना सभी बंधनों से विचारो से , कार्यों से इसलिए में तो गृहस्थ जीवन की भी सलाह नहीं देता।

यदि आप घर में भी रहे तो को पहले से संबंध बन चुके है उन्हीं के साथ निर्वाह कीजिए मरा पिता , भाई बहन , बंधु बांधव रिश्तेदारों के साथ यही संबंध धीरे धीरे स्वत ही छूट जाएंगे ओर बंधन मुक्त हो जाएंगे इन्हे जबरदस्ती मत छोड़िए जबरदस्ती कुछ भी संभव नहीं है इसलिए जीवन को स्वत ही होने दीजिए।

यदि कोई आपको अब भी गृहस्थ जीवन की सलाह देता है इसका सिर्फ एक ही कारण है वह बहिर्मुखी होते है उनका अंतर्मुखी ना होना ही इस बात का पछतावा है कि उन्होंने घर क्यों छोड़ा
यह सिर्फ किसी एक व्यक्ति विशेष की व्यथा नहीं है यह उन लाखो , करोड़ों लोगों की व्यथा है जो साधु , संत बन जाते है परन्तु उनका उद्देश्य का है यह समझ नहीं पाते
बस इतना ही कारण है इसके विपरित कुछ भी नहीं

मेरे मन में भी लगातार याहिंद्वांध चलता रहता है, कि घर में रहू या घर छोड़ कर भाग जाऊ
लेकिन घर छोड़कर जाना क्यों ?

सीधा ओर सरल प्रश्न जो मैंने स्वयं से हजारों , लाखो बार किया है, ओर उसका उत्तर सीधा ओर सरल यही है बाहर जाकर भी कोई ना कोई कार्य इत्यादि तो करना ही पड़ेगा चाहे आप आश्रम में जाए या फिर कहीं ओर, इसके विपरीत आपको  भिक्षुक भी बनना हो सकता है, इस पर के निर्वाह के कारण ओर भी कई अन्य स्तिथि ओर परिस्थिति का सामना भी करना पड़ेगा।

फिर क्यों ना घर पर रहकर ही चिंतन मनन स्वयं का अध्यन किया जाए , क्यों छोड़ जाना घर को
हम इस समय जिस परिवार के साथ रहते है, वह सबकुछ हमारे ही द्वारा किया गया चुनाव है, फिर क्यों इस स्तिथि ओर परिस्थिति से विमुख होना।

गलतफहमी

यू तुम्हारी सारी गलतफहमी भी मिटा दूंगा , बस तुम मेरे सामने एक बैठ जाना, दिल को भीतर से खोलकर दिखा दूंगा , बस तुम एक बार मुझे मिल जाना….

गलतफहमी का शिकार वो इश्क हमारा हुआ ही नहीं कभी #rohitshabd
galatfehmi

वो इश्क़ हमारा हुआ ही नहीं कभी
जिसे हम गलतफहमी ना जानकर मानते रहे।