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वीरवार

दिन वीरवार जब मैं अपने बैंक के काम के लिए निकला मुझे अपनी मम्मी के अकाउंट को उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था, जिसके लिए मुझे अपने पुराने वाले घर की ओर जाना था हम अब द्वारका रहते है ओर पहले हरिजन बस्ती में रहते थे, घर के पास ही हमारे बैंक की ब्रांच है सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जिसको अब उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था जिसके लिए मैं कल वह गया, मैं वीरवार को मेट्रो से नहीं गया मैं बस में गया ओर मैंने 50 रुपये वाला रोजाना का एक पास बनवा लिया, जिसमे आप जितना मर्जी सफर कर सकते है, पूरे दिन ओर कितनी ही बार आप बस बदल सकते है, ये एक बेहतर विकल्प है यदि आपको बहुत सारी जगह जाना हो, ओर यदि आपको सिर्फ एक ही जगह जाना आना है तो आप मेट्रो को लीजिए वो एक अच्छा साधन है।

मैं वीरवार को बैंक गया वहाँ मैंने अपने पेपर जमा किए ओर मैं वहाँ से निकल चल उसके बाद मैं अपने दूसरे बैंक चल निकल जो शक्ति नगर में है, वह एक सोसाइटी का बैंक है, वहाँ मैं पहले पैसे निकालने के लिए फॉर्म करके आया था, वह एक दिन बाद दुबारा बुलाते है चैक देने के लिए, उन्होंने मेरा चैक बनाकर रखा हुआ था, मैंने अपना चैक लिया ओर मैं वहाँ से भी निकल चल पड़ा आज वीरवार था आज उनका बैंक बंद नहीं था यह बैंक सोमवार को बंद होता है, अब मैं सोच रहा था की किधर जाऊ अब मैं जा रहा था, आजाद मार्केट उधर टॉफी की मार्केट देखने के लिए चल निकला,

मैं अब आजाद मार्केट की टॉफी मार्केट में पहुच गया ओर उसके साथ साथ मैंने क्राकरी मार्केट भी देखी वहाँ बहुत सस्ती क्रॉकरी थी ओर बहुत अलग अलग तरह की क्राकरी में आइटम उपलब्ध थी, जो घर में इस्तेमाल करने के मतलब की थी ओर आप रेस्तरा खोलने की सोच रहे हो तो इधर आपको सस्ता क्राकरी का सामान मिल जाएगा।

थोड़ी देर पैदल चलते चलते में आजाद मार्केट के चौक तक पहुँचा उधर पूरा बाजार मेवे का है हर तरह के मसाले ओर मेवा यही मिल जाता है जो सही दाम में मिलता यदि आप बाजार से मेवा खरीद तो एक बार आपको इधर भी कोशिश करनी चाहिए इधर आपको सस्ते दामों पर मसाले, डाल, व मेवे की सभी किस्म मिल जाती है। ओर वो उचित दाम में आपको मिल जाते है। कुछ देर घूमने के बाद मैं निकल चल पड़ा चाँदनी चौक की तरफ अब मैं जा रहा था क्लॉथ मार्केट इस मार्केट में आपको कपड़ों के थान ही थान मिलते है चाहे आप किसी भी प्रकार के कपड़े लेना चाहते हो आपको इस बाजार में मिल जाएंगे, इधर परदे, कामिट ओर पैंट आदि कुछ भी आपको चाहिए हो उसका पूरा थान मिल जाएगा, इधर से चलने के बाद अब मैं काफी थक चुका था क्युकी मैं काफी देर से मैं पैदल ही चल रहा था अब मेरा मन घर जाने को कर रहा था, लेकिन उसके बाद खारी बाओली की मार्केट में पहुच गया ओर मैंने कुछ देर फिर से टॉफी की दुकाने देखी इधर बहुत तरह की टॉफी थी, खरी बाओली सभी तरह का सामान मिलता है यहाँ भी आपको किराने में रखने वाला सामान व जैसे दाल, चावल चीनी, मेवा, मसाले आदि सभी समान थोक में मिलता है यहाँ , यदि आपको इधर खुला साबुन ओर किलो के भाव में साबुन चाहिए हो इस मार्केट में कई दुकाने है जिनके पास खुला साबुन किलो के भाव में मिलता है।

काफी देर इधर भी घूम लिया अब मैं ओर भी थक चुका था लेकिन मेरा रास्ता अब सादर से होते हुए मुझे राजीव चौक या आर के आश्रम मेट्रो स्टेशन पर पहुचना क्युकी बस से जाने की अब मेरी हिम्मत नहीं थी, क्युकी बहुत समय लग जाता मुझे बस से जाने में इसलिए मैंने सोचा की मैं मेट्रो से चलता हूँ सादर बाजार में चलते हुए काफी भीड़ थी जैसे तैसे मैं सादर चौक पहुचा ओर मैंने वहाँ से बैटरी वाला रिकसा पकड़ जिसने मुझे नई दिल्ली पर छोड़ दिया इधर से मैंने शंकर मार्केट की बस पकड़ी ओर अब जब मैं राजीव चौक उतार ही गया हूँ तो मैंने शंकर मार्केट के राजमा चावल खाने की सोची लेकिन मुझे ज्यादा नहीं खाने थे इसलिए मैंने उनसे हाफ प्लेट राजमा चावल की बोली लेकिन वो हाफ प्लेट नहीं देते इतना ज्यादा मैं खाना नहीं चाहता था ओर बर्बाद करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए मैं वहाँ से चल पड़ा ओर एक patty खाई मैंने थोड़ी दूर जाकर फेर मैं मेट्रो स्टेशन पहुच गया अब मैं राजीव चौक से मेट्रो लेने के खड़ा हो गयालेकिन सभी मेट्रो इतनी भारी आ रही थी बैठने क्या खड़े होने की भी जगह नहीं दिख रही थी, इसलिए कुछ मेट्रो छोड़ दी, कुछ देर बाद जब मेट्रो थोड़ी खाली आई तो मैं उसमे चल निकल बैठने के लिए सीट तो नहीं मिली बस खड़े खड़े ही घर तक सफर पूरा करना पड़ा।

घर पहुंचा काफी थक गया था जाते ही मैं कुछ देर आराम कर मैंने अपना रात का खाना खाया ओर सो गया कुछ देर काम करने के लिए मैंने लैपटॉप शुरू तो किया लेकिन थकावट की वजह से काम नहीं कर पा रहा था, इसलिए ऐन जल्दी ही लैपटॉप बंद करके सो गया ओर लेटने के तुरंत बाद ही मुझे नींद भी आ गई।

बस यह वीरवार वाला दिन कुछ इसी तरह से ही बीता

घूमने के फायदे

घूमने के फायदे क्या है ? घूमने का अर्थ है एक जगह से दूसरी जगह जाना यह साधारण भाषा में हम इसे स्थानांतरण भी कह सकते हैं। कभी-कभी तो बीमार व्यक्तियों के चिकित्सा के लिए भी चिकित्सक उनको स्थान परिवर्तन की सलाह देते हैं।

  एक जगह पर रहते रहते हम उस स्थान के आदी हो जाते हैं। स्थान बदलने पर जलवायु बदलती है, हवा बदलती है, पानी बदलता है।
 
  यह तो हुई मौसम की बात इससे अलावा हमें अलग-अलग जगह जाने से अलग-अलग जगह के रीति रिवाज तौर-तरीकों को जानने का मौका मिलता है।
 
ज्ञान केवल हमें किताबों से ही नहीं मिलता बल्कि हम जितने ज्यादा लोगों में बैठते हैं जितने ज्यादा लोगों से मिलते हैं उतना ही हमें ज्ञान मिलता है।
जितनी ज्यादा लोगों से हमारा मेलजोल होता है इतना ज्यादा ही हम दुनिया के तौर-तरीकों को आसानी से सीख पाते हैं।      
                    
    यह उसी प्रकार सत्य है जिस प्रकार के एक भरे पूरे परिवार में एक बच्चा बहुत जल्दी बोलना सीख जाता है वह सभी क्रियाकलापों को बहुत जल्दी सीख जाता है। मैं कुछ ऐसे लोगों को जानता हूं जो कि हिंदुस्तान में कई राज्यों में घूमे हैं और बिना किसी विशिष्ट ज्ञान के उन्हें भारत की कई अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान भी है और साथ में वहां की परंपराओं को आसानी से समझ पाते है।

घूमने के फायदे
घूमने के फायदे

घूमने के फायदे 

दुनिया में अलग-अलग जगह जाने पर आपको अलग-अलग जगह के व्यंजनों का पता चलता है। अलग-अलग जगह के रीति-रिवाजों का ज्ञान होता है अलग-अलग जगह के लोगों की सोच का पता चलता है। अगर आप अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक केवल एक ही जगह रहते हैं तो आपको कभी भी बाहर के समाज का ज्ञान नहीं हो सकता आप केवल कुएं के मेंढक की तरह बने रहेंगे।
   
आज के समय में बच्चों का यही तो हाल है कि वह घर से बाहर निकलना नहीं चाहते।
सभी का मन यही करता है कि सबकुछ घर बैठे-बैठे ही मिल जाए और तो और खेल खेलने के लिए भी कोई बच्चा बाहर नहीं जाना चाहता।

मोबाइल में या वीडियो गेम पर सारे खेल उपलब्ध है इससे उनका शारीरिक विकास भी रुक जाता है।     
 
हमने कई ऐसे महापुरुषों के बारे में पढ़ा है जिन्होंने पूरी दुनिया में भ्रमण करके पूरी दुनिया का ज्ञानार्जन किया। उसमें सबसे ऊपर तो नाम गुरु नानक देव जी का ही है जिन्होंने पैदल ही पूरी दुनिया की यात्रा की। जितना ज्यादा आप एक जगह से दूसरी जगह पर जाओगे आपको उतने ही ज्यादा समाज के बारे में जानकारी प्राप्त होगी।   
 
एक पुरानी कहावत भी है कि
             
कोस कोस पर बदले पानी और 5 कोस पर बदले वाणी”।   
                              
 अर्थात हमारे देश में इतनी विविधता है कि हर थोड़ी ही दूर चलने पर पानी में विविधता जाती है और और थोड़ी दूर चलने पर लोगों की वाणी में विविधता जाती है अर्थात लोगों की बोली में अंतर आ जाता है।

Written by Pritam Mundotiya