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वादा

जो वादा हम साल की शुरुआत में अपने आपसे बहुत सारे वादे करते है, लेकिन जैसे ही कुछ दिन बीत जाते है हमारे वादे जो हमने खुद से किए वो टूटने लग जाते है, आखिर ऐसा क्यू होता है?

यह सब इसलिए होता है की हम अपने वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर पाते, या फिर वो वादे बस इसी तरह के होते है रात गई बात ओर हम वो वादा भी उसी तरह से भूल जाते है।

लेकिन यदि आप चाहते है की जो वादे आपने अपने आपसे किए थे उनको पूरे साल तक निभाया जाए तो उन वादों की लिस्ट बनानी चाहिए।

उस लिस्ट को बनाने के बाद उसे अपने कमरे की दीवार पर लगा देना है ताकि आप हर रोज उन बातों पर हर रोज ध्यान दे सको।

आपको अपनी लिस्ट को हर रोज ट्रैक करना है की आप कुछ छोड़ तो नहीं रहे, ओर आपको कभी स्किप नहीं करना।

बाकी सारे कामों को छोड़कर अपनी लिस्ट के कार्यों को हर रोज जरूर पूरा करना है इससे आपको उन कार्यों की आदत बनने लगती है, ओर हर रोज इस कार्य को एक ही समय पर करना चाहिए अब उस कार्य का निश्चित समय आपको तय कर लेना है, ताकि आप उस कार्य को उसी समय पर करे जैसे की मैं भी अपने लिखने का कार्य एक ही समाए पर करता हूँ, चाहे मेरा मन हो या नहीं लेकिन उस समय मैं अपने लैपटॉप को लेकर बैठ जाता हूँ बिना मन के भी हमे उन कार्यों को करना चाहिए जब तक हमारी रुचि उन कार्यों में नहीं बढ़ जाती।

जैसे ही आपकी आदत उस कार्य के प्रति बन जाएगी आपकी रुचि भी अधिक हो जाएगी ओर फिर आपको उस कार्य को करने में मन लगने लगेगा ओर आप उस कार्य को कभी नहीं छोड़ना चाहेंगे, इसलिए हमे लगातार बने रहने की कोशिश रखनी चाहिए ताकि हम किसी भी दिन उस कार्य को छोड़े नहीं वो जो वादा हमने अपने आपसे किया था साल के पहले दिन उस वादे को साल के आखिरी दिन तक निभाते रहे ओर उसमे प्रगति करे, उस लक्ष्य को पूरा करे व सफलता हासिल करे।

युवा

“युवा साथीत्व के रंगमंच पर दिखाए अपार प्रतिभा और सहयोग” एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक नाटक का आयोजन रखा गया। इस नाटक के लिए गाँव के सभी लोग आए , जहां उन्हें एक रंगमंच तैयार करने के लिए आदेश दिया गया।

गांव के युवा समिति ने अपनी सोच और कला का प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित होकर रंगमंच की तैयारी शुरू कर दी। वे सभी अपनी कठिनाइयों के बावजूद मिलकर काम करने लगे।

कुछ लोग मोर्चे बनाने में लगे, कुछ लोग पैंटिंग का काम कर रहे थे, और कुछ लोग सेट डिजाइन और सीनरी के लिए जिम्मेदार थे। युवा सदस्यों ने आपस में सहयोग करते हुए एक सुंदर और आकर्षक रंगमंच तैयार किया।

नाटक का दिन आ गया और सभी गांववासी उत्सुकता से नाटक का आयोजन देखने के लिए आए। नाटक शुरू हुआ, और गांववासी नाटक के पात्रों की प्रतिभा, अभिनय और कथानक को देखकर प्रभावित हो उठे। रंगमंच पर उनकी रचनात्मकता और प्रतिभा की झलक दिखाई दी।

नाटक का समापन हो गया और सभी लोग आपस में गले मिले और बधाई देने लगे। यह नाटक और रंगमंच ने न सिर्फ एक कहानी को बयां किया, बल्कि गांव के युवाओं में आत्मविश्वास, सामर्थ्य और सहयोग की भावना को भी जगाया।

इस छोटी सी कहानी से स्पष्ट होता है कि रंगमंच हमें अपनी प्रतिभा का परिचय कराने के साथ-साथ समजबूत समाजी बंधन बनाने में भी मदद करता है। यह गांव के युवाओं को एक मंच प्रदान करता है जहां वे अपनी कला, संगठनशीलता, और सहयोग कौशलों का प्रदर्शन कर सकते हैं। यह एक उदाहरण है कि जब लोग साथ मिलकर काम करते हैं और एक लक्ष्य के लिए मेहनत करते हैं, तो उनकी सामरिकता और समृद्धि बढ़ती है।

इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि सामूहिक योगदान और टीमवर्क अद्यतन करने की आवश्यकता होती है। छोटी से छोटी उपलब्धियों के लिए भी सहयोग और समर्पण की आवश्यकता होती है, क्योंकि इससे हमारे आसपास के लोगों को प्रेरित करने और उन्हें उदाहरण स्थापित करने में मदद मिलती है।