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घूमर फिल्म

घूमर फिल्म में कुछ ऐसे वाक्य जो हमारी जिंदगी को बदलने में सहायक है, कुछ ऐसे विचार जिनको पढ़कर आपको हिम्मत मिले

  1. लगातार कोशिश करने से जीत हासिल होती है।
  2.  जिंदगी में कब कौनसी परेशानी आपको घेर ले ये बात किसी को नहीं पता।
  3.  हम अपने सपनों को बहुत बड़ा कर लेते है लेकिन हमे नहीं पता चलता वो कब टूट जाते है।
  4.  कोई किसी के लिए नहीं रुकता , आपके बदले कोई ओर जगह जरूर लेगा , बिल्कुल वैसा हो  या नहीं वो शायद आपसे बेहतर या फिर बस कुछ कम हो सकता है बिल्कुल आप जैसा न भी हो तो भी।
  5.  उन टूटे हुए ख्वाबों को फिर से जोड़ना मुश्किल हो जाता है, लेकिन उसका टूटना बहुत बड़ा दर्द  है।
  6.  तुम खुद को दुख से भरना चाहते हो लेकिन सुख तुम्हारे साथ ही क्युकी तुम दुख को बड़ा कर लेते हो ओर सुख को छोटा।
  7.  तुम्हारा होसला ही तुम्हें कामयाबी दिलाता है।
  8.  जिंदगी जब कही पर दरवाजा बंद करती है तब दरवाजा खोलना नहीं तोड़ना पड़ता है।
  9.  हम शरीर के कुछ अंगों को बिल्कुल भूल जाते है। जिनका प्रयोग सिर्फ कुछ ऐसे कामों के लिए करते है जिसका विकल्प भी आज मौजूद है।
  10.  जरूरी नहीं है दरवाजे को तोड़ना ही पड़े बस थोड़ी मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है, उस दरवाजे की चाबी को पाने के लिए।
  11.  तीखी बाते कभी कभी इंसान को अच्छा बनाती है, तो बहुत सारे लोगों को बुरा भी बना देता है।
  12.  हमेशा सख्त होना भी अच्छा नहीं है।
  13.  हम हमेशा परफेक्ट होने में ही लगे रहते है। लेकिन क्या परफेक्ट होना जरूरी है?
  14.  कहते है रुकना नहीं है, बस चलते रहना है तभी मंजिल मिलती है।
  15.  अपनी गलतियों को सुधारना है, ओर दुबारा गलतिया ना हो ऐसा प्रयास करना है।
  16.  जिंदगी में बहुत सारी असफलता मिलती है, लेकिन सफलता हमारा अधिकार है, जो एक दिन  अवश्य मिलेगी।
  17.  क्रिकेट अनिश्चितिताओ का खेल है कुछ भी हो सकता है।
  18.  आपकी सफलता सिर्फ आप पर ही निर्भर नहीं करती वो एक समूह का भी हिस्सा है।
  19.  विश्वास जरूरी है अंधविश्वास नहीं।
  20. जब आपकी किस्मत ही किसी ने छिन ली हो, तब किस्मत पर भरोसा करोगे या खुद पर विश्वास।

यह विचार घूमर फिल्म से है, यदि आपको अच्छे लगे हो तो कृपया कमेन्ट करके बताए इसी तरह के बहुत सारे विचार फिल्मों के माध्यम से मैं लिखता रहूँगा।

मन

मन क्या है ? क्या चाहता है ? मन शरीर का एक अंग नही है यह शरीर से अलग है जो हमारे शरीर को चलायमान रखता है स्वयं नित कार्यों में मग्न रहता है और शरीर को भी वहीं आदेश देना चाहता है।

मन की गति बहुत तेज़ है, शरीर की वह गति नहीं है, शरीर धीमा है, यदि शरीर में मन आवागमन की गति आए तो शरीर इस ब्रह्माण्ड में कहीं विचर सकता है परन्तु यह करने के लिए बहुत तपस्या करनी होगी।

हमेसा हम नए नए कार्यो उलझता है मन सिर्फ नए कार्य ही करने चाहता है, यह स्वभाव है यह की पृकृति है की यह सिर्फ नए की खोज में लगातार लगा रहे यह पुराने को भूल जाता है छोड़ देता है हर दूसरे पल में कुछ ना कुछ नया करने की इच्छा इस मन में रहती है जिसकी वजह से हम कुछ ना कुछ अलग अथवा नए कार्यों की तलाश में रहते है और उन्हीं कार्यो को करना चाहते है खाली बैठ नही पाते जिसकी वजह से  मन तो कभी इस दिमाग को व्यस्त रखता है खाने, घूमने, खेलने, आदि कार्य करने या कुछ भी सोचने आदि के कार्यो में हमेसा उलझाए रखता है।

हम क्यों खाली खाली महसूस कर रहे है या करते है ? क्या हमारे पास कुछ नही है करने को ? या हम कुछ अलग कुछ नया हम करना चाहते है हम क्यों अपने आपको खाली खाली देखते हैै?
 
क्यों हमारा मस्तिष्क खाली खाली सा महसूस कर रहा है हमारा मन हमेसा नए कार्यो में नई चीज़ों की तरफ आकर्षित होता है तथा शरीर पुराने की मांग करता है जो पिछले दिन किया था उसी कार्य को करना चाहता है यदि हम पिछले दिन दिन में 2-4 के बीच सोए थे आज फिर शरीर उसी की मांग करता है परन्तु मन के साथ एसा नहीं है बिल्कुल भी नहीं है, नए कार्यो में लगाना चाहता है ये सिर्फ कुछ स्थानों पर शांति चाहता है जैसे बीते हुए दिन में क्या हुआ था वही दुबारा चाहता है उसी को बार बार दोहराना चाहता है शरीर आलसी है।

मन नित नए कार्यो की अग्रसर होता है अर्थात नया चाहता है इसलिए हमेसा हम एक छोर को छोड़ते है तो दूसरे छोर की और भागते है एक कार्य पूरा नही होता बस दूसरेे कार्य में लग जाना चाहते है एक मिनट भी हमें यह हमारा मन हमे खाली बैठने नही देता बस किसी ना किसी कार्य में लगातार लगाए रखता है।

और इस मन को जिसने जीत लिया वहीं जीत जाता है और जो इससे हार गया वहीं हारा हुआ कहलाता है।

टूटा फूटा

मैं टूटा फूटा ओर बिखर गया उन्होंने सीमेटा भी नहीं इस टूटे हुए दिल को वो बस यू ही बिखरा छोड़ चले उन्होंने मुड़ देखा नहीं, सीमेटा नहीं बेकदरी कर उस हाल में चल दिए।

टूटा फूटा ओर बिखर गया,
दर्द दिल का मेरा उठ गया आसमां में।
सीमेटा भी नहीं इस टूटे हुए दिल को,
वो बस यूं ही बिखरा छोड़ गयी मुझे यहां।

जीने के नगमे थे सजाए हुए,
अब जिंदगी के राग सुनाई नहीं देते।
प्यार के अरमान थे बहुत सजाए हुए,
पर अब तेरे बिना पल गुजराई नहीं जाती।

मेरे टूटे हुए दिल की आहटें,
मुझसे छिन गई हर रातें।
तेरे चरणों में मेरा सुख था,
पर वो भी छिन गया मेरे हाथ से।

क्या करूँ अब मैं इस टूटे हुए दिल से,
कहाँ जाऊँ इस विरानी की दस्तान सुनाने।
वो बस यूं ही बिखरा छोड़ गयी मुझे यहां,
और मैं आज खुद को खोजने में लगा हुआ हूँ।

अब्दुल कलाम

अब्दुल कलाम जी से हमे बहुत प्रेरणा मिलती है व बहुत सारी बाते सीखने को मिलती है उन्मे से एक यह भी है जिसे हम सभी को याद रखना ओर अपने जीवन में उटार्नी चाहिए।

बहाना  :- मैं अत्यंत गरीब घर से हूँ….

जवाब :- पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी गरीब घर से थे।

हम सभी को यही बात सिखनी चाहिए की हम बहाने तो बहुत सारे बना सकते है लेकिन सफल होने के लिए बहाने काम नहीं आते हमे कड़ी लग्न ओर मेहनत से कार्यों को करना पड़ता है, ओर उन कार्यों को करने उन्मे बहाने नहीं ढूँढने चाहिए।

अब्दुल कलाम

बर्ट्रांड रोसल

बर्ट्रांड रोसल मैंने हिंदुतत्व को पढ़ और जान लिया की यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है, हिंदुतत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिंदुतत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे एक दिन एस आएगा की हिन्दू ही दुनिया की वास्तविकता उतएजन होगा।

बर्ट्रांड रोसल
Burtrand rosal

आओ बाहर

आओ बाहर उन विचारो से बाहर निकल कर देखो जिनमें उलझे हो ना जाने कितने ही जन्मों से तुम अब तो आओ बाहर यह वक़्त है कुछ कर गुजरने का , कुछ हो जाने का , खुद को जानने का , समझने का , पहचानने का

देखो उस आसमान को, जो अपार है,
जहां सितारे चमकते हैं न्यारे-न्यारे।

जीवन का रंग देखो, चमक उठाओ बहार,
मुसीबतों के बावजूद खुद को बनाओ अद्वितीय यार।

सुंदरता को छूने का हौसला रखो,
आपातकाल में भी खुद को मजबूत बनाओ।

हर एक चुनौती को स्वीकारो,
खुद को परिवर्तित करो, समस्याओं को विकारो।

जीवन की गतिशीलता को समझो,
उच्चतम लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ो।

जो भी हुआ है, वह बीत चुका है,
आगे बढ़ो, नया चर्चा करो, नया रास्ता चुनो।

जन्म-जन्मांतर की कठिनाइयों से हार मत मानो,
अपनी प्रगति को बाधित नहीं होने दो।

आओ बाहर निकलो, विचारों के जंगल से,
नए दृष्टिकोण से देखो जीवन के खेलों को, ये विश्व संसार।

दिल ओर दिमाग

दिल ओर दिमाग के बीच में जो आंदोलन होता है, उस आंदोलन को क्या नाम देना चाहिए, वो जो दिमाग है उस समय कुछ कहता है ओर दिल कुछ कहता है, मन कहता है दिल की सुनो लेकिन कभी कभी दिल धोखा दे देता है इसलिए दिमाग की सुननी चाहिए ,

फिर मन कहता है दिमाग की सुनी तो दिल टूट जाएगा, ये बहुत अजीब सी एक कशमकश होती है, इन दोनों के बीच में इसमे कौन जीतता ये बात किसी को नहीं पता लेकिन फिर ये हमारे दिल तो कभी दिमाग की बात है न बहुत जबरदस्त होती है। क्युकी इसमे मसक्कत बहुत होती है, जद्दोजहत भी बहुत है किसी बात पर निर्णय लेने के लिए वक्त भी बहुत लगता है।

कौन गलती करेगा ओर कौन उस गलती का भुगतान करेगा करेगा यह कहना बहुत मुश्किल हो जाता है जब इन दोनों के बीच कोई फैसला बड़ा हो जाता है, बस इस दुविधा को कैसे खतम किया जाए ये नहीं समझ आता है इसमे दिमाग ओर दिल दोनों फंसे हुए नजर आते है।

क्या आप वो कर पाते है जो आपका दिल कहता है, या फिर दिमाग के कहने पर ही आप चलते है? किसकी सुने ओर किसकी नहीं बस इसीमे हम फंस जाते है, कई बार फैसले भी गलत हो जाते है, ओर हम अपनी राहों से भटक जाते है।

उत्सुकता

जीवन को जानने के लिए हम उत्सुक है ओर हमें अपनी उत्सुकता को बढ़ाना चाहिए।

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हर अंत नई शुरुआत

हर अंत नई शुरुआत हे
अंत जैसा कुछ नहीं सब समझे तो अंत निरंतर का हिस्सा हे एक नई शुरुआत हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे…..
यह समझने की बात हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे….
सच्चाई से मुलाक़ात हे ।
हर अंत नयी शुरुआत हे….
ये जीवन का उत्पाद हे ।
यही जीवन का संवाद है ।
यह सच बात हे यह सच बात हे।

हर अंत नई शुरुआत है,
जब एक द्वारा समझा जाता है यह बात है।
अंत की भावना सब नहीं समझ पाते,
पर वो है जो हम सबका हिस्सा बनाते।

जीवन का चक्र अटल है निरंतर,
हर अंत से होती है नई शुरुआत यहाँ।
लहरों की तरह चलती रहती है यह धारा,
सबके जीवन में इसकी होती है प्यारा।

हर अंत एक मंच है दूसरी शुरुआत की,
नये सपनों की ऊँचाई फिर से पाने की।
चाहे हो जीवन की राहों में कोई अटकाव,
विजय की ओर बढ़ते हैं हम अपने कदम।

अंत का आगाज हमेशा नया होता है,
नई उम्मीदों की धूप सदैव छा जाती है।
हर अंत एक संदेश है नई जीवन का,
जैसे कि सूरज का संध्या में उदय होना।

तो चलो, आओ अंत को स्वीकार करें,
नयी शुरुआत की आग में उड़ जाएं।
हर अंत नई पहचान है हमारी,
जगा दो ख्वाबों को, बन जाओ तैयारी।

सफर रोज मेट्रो का

सफर रोज मेट्रो का कुछ इस तरह से चल रहा है, जैसे जिंदगी का कुछ हिस्सा एक दूसरे हिस्से को मिल रहा है।

यात्रा रोज़ की, मेट्रो की रेलों में,
जीवन का टुकड़ा चल रहा है अधिकारों में।
यात्रा का हर स्थान, हर स्टेशन नया,
कुछ दूसरे हिस्से को सलाम कर जाता है।

जैसे सफर चलता है, जीवन भी चलता है,
हर किसी को अपना रास्ता ढूंढ़ना है।
मिलते हैं रास्ते, ना जाने कहाँ कहाँ,
दूसरे हिस्से को पाने का सब्र करता है।

धूप-छाँव, गाड़ी में आवाज़ों की बौछार,
जीवन की कठिनाइयों का कर रहा सामना यहां।
एक दूसरे को संभालते, संगठित ढंग से,
जिंदगी भी सीख रही है सहनशीलता यहां।

मेट्रो की रेलें, जीवन का प्रतीक हैं,
जोड़ती हैं अलग-अलग लोगों की भीड़ को।
प्यार और सदभावना से भरी यात्रा है यह,
जहां दूसरे हिस्से को जीने का मौका मिलता है।

सफर रोज मेट्रो का, एक बदलाव है,
जिंदगी का आदान-प्रदान यहां दिखाई देता है।
एक दूसरे से जुड़े रहने की शिक्षा देता,
ओर जीवन को सही दिशा में ले जाता है।

चलती रहे मेट्रो की यात्रा, बढ़ती रहे रेलें,
जीने का संघर्ष रहे सबके पास अवसर।
जब सफर के अंत में हम एक दूसरे को मिलें,
जिंदगी का सफर एक संगठित हिस्सा बन जाए संगीत।