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हिन्दू धर्म

हम सभी को अभी या बाद में हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा, यही असली धर्म है, मुझे कोई हिन्दू तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं इस बात बात को स्ववेकर करती हूँ क्युकी यही सच बात है ओर सही भी, इस बात को अस्वीकार करने जैसे कुछ नहीं है।

लॉर्ड शब्द

लॉर्ड शब्द का प्रयोग आजकल कलाकारों, क्रिकेटर के लिए किया जा रहा है, क्या अब आने वाले समय में यह मानव भगवान बनने जा रहे है क्या? 

क्या हमारी आस्था हमारी सोच बदल गई है? 

लोग भेड़ चाल में चल रहे है उन्हे यह नहीं पता की यह अच्छा है, या बुरा बस वो चल रहे है उन्हे लगता है वो यह करके अमीर या फेमस हो गया है, तो हम भी उसी तरह से हो जायेंगे लेकिन उन्हें उनके पीछे की सोच का नही पता जिस तरह से गाने के बोल कितने अश्लील होते है लेकिन वो गाना रील में बहुत तेज़ी से वायरल हो गया तो अब बाकी के लोग भी वही गाना अपनी रील में जोड़ने लग जाते है बजाए उसका बहिष्कार करने के उन्हे लगता है, इतने लोग कर रहे है तो यह सही होगा, जबकि ऐसा नहीं होता सोशल मीडिया हमेशा सही नही होता, और सोशल मीडिया पर बहुत सारी गलत चीजों को फैलाया भी जाता है, जो बल्कि भी सही नही है लेकिन हम भी उन्ही के जाल में फंस जाते है हम लगता है की वह सही है हम इस समय अपनी बुद्धि का उपयोग ही नही करते बस उनको फॉलो करना शुरू कर देते है। 

क्या हम इन शब्दो का उचित प्रयोग कर रहे है लॉर्ड शब्द से संबोधन करना किसी भी व्यक्ति को जब वह व्यक्ति बहुत अश्लील और कत्ल करने जैसे निंदनीय कार्य करता हो फिल्म में, इस प्रकार के संदेशों को फैलाना समाज को किस में बढ़ावा दे रहा है उस पर हमे ध्यान देना चाहिए। 

क्या अश्लील हरकतों के लिए आप किसी व्यक्ति को लॉर्ड बना देंगे? आप अपने धर्म को नीचा गिराने में ही लगे हुए है फिर कोई और आपके धर्म का आदर कैसे करेगा, वह भी इसी तरह के मजाक बनाएगा।

बॉबी देओल ने यह नाम खुद नही रखा यह दर्शक उन्हें ये नाम दे रहे है जो बिल्कुल निंदनीय है सिर्फ गलती किसी कलाकार की नही होती समाज की भी बहुत भूमिका होती है, किसी को गलत बनाने और उनका गलत कार्यों में साथ देने की हम ही है, जो इस तरह की फिल्मों को बनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर रहे है, इसलिए लगातार इस तरह को फिल्मे आजकल बन रही है और इसके साथ इस प्रकार की फिल्मे अच्छी कमाई भी कर रही है।

क्या हमे लॉर्ड शब्द का प्रयोग करना चाहिए या नहीं इसका निर्णय आप स्वयं ले ओर इस बात को समझे की यह सही है या गलत

श्री मद्भगवत गीता

श्री मद्भगवत गीता द्वितीय अध्याय तृतीय श्लोक हे अर्जुन ! तुझे इस असमय में यह मोह किस हेतु से प्राप्त हुआ? क्योंकि न तो यह श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा आचरित है, न स्वर्ग को देने वाला है और न कीर्ति को करने वाला ही है। इसलिए हे अर्जुन ! नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझमें यह उचित नहीं जान पड़ती। हे परंतप ! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्यागकर युद्ध के लिए खड़ा हो जा। (2,3)

बहुत ही महत्व पूर्ण श्लोक जिसमे आलस्य को समाप्त कर देने की बात कही गई है, श्री कृष्ण द्वारा

नपुंसकता को त्याग कर उठ खड़ा हो अर्जुन

मोहवश क्यों विलाप  कर रहे हो ? क्या यह उचित समय है ?
असमय में मोह को क्यों हुआ ?? जिस समय तुम्हें युद्ध करना है उस समय तुम मोह के पास में बंध रहे हो

यह रोना- धोना और चिल्लाना दुर्बलता कमजोर मनुष्यो की निशानी है तुम तो परमतप हो है, अर्जुन
यह तुम्हे शोभा नहीं देता, कायरो की भांति विलाप ना करो

श्री मद्भगवत गीता श्लोक

सुबह की चाय

जैसे ही हम सुबह उठे बस तभी बितर में ही हमे चाय मिल जाए तो उससे बढ़िया क्या हो सकता है यह तो आजकल हर किसी की इच्छा होती है की उसे बिस्तर में ही चाय मिल जाए ओर फिर वो बिस्तर से बाहर निकले क्युकी सुबह की चाय की बात ही कुछ ओर होती है, सुबह समय चाय की तलब तो ऐसी होती है, मानो बिना चाय दिन की शुरुआत ही न हो रही हो, लगता है चाय पीने के बाद दिमाग तरोताजा होगा, ओर शरीर खुल जाएगा, सर्दियों में तो चाय का मिलन बिस्तर में ऐसे लगता है की कोई ख्वाब ही पूरा हो गया हो।

चाय की तलब कुछ इस तरह से लग रही है।

मानो जिंदगी प्यास में तड़प रही है।

चाय की तलब कुछ बढ़, कुछ घट रही है।

ये साली चाय की तलब मुझे लग रही है, क्या इसकी महक तुम तक भी पहुँच रही है।

या सिर्फ चाय की महक मुझे ही मदमस्त कर रही है,

चाय की चुस्की लिए जा रहा हूँ, मैं चाय अब पिए जा रहा हूँ

चाय की तलब कुछ इस तरह बढ़ जाती है।

की उसके सामने सारी तलब फीकी पड़ जाती है।

कुछ से कुछ का कहना बिना चाय के भी क्या रहना .. ….

मानसिक तनाव

स्ट्रेस क्या है जब भी स्ट्रेस तो क्या करे? यह आपका मानसिक तनाव है जो आपको किसी भी विषय में अधिक सोचने पर होते है, छोटी छोटी बातों पर आप अधिक चिंतित होने लगते है तो आपको स्ट्रेस होने लगती है।

  • मानसिक तनाव को कम करने के लिए आप रोजाना आधे घंटे पैदल चले, पैदल चलने से दिमागी तौर पर बहुत आराम मिलता है, जितना भी स्ट्रेस होता है वह कम हो जाता है।
  • साइकिल चलाए आधा घंटा हर रोज
  • एक्सर्साइज़ करे
  • पैदल चले आधा घंटा हर रोज
  • ध्यान करे 40 मिनट
  • हर रोज 4 लीटर पानी पिए
  • हमे व्यायाम करना चाहिए ओर अपने दिन की दिनचर्या को ठीक रखना चाहिए सभी कार्यों को समय पर कर लेना चाहिए
  • हमे स्वस्थ ओर अच्छे भोजन को लेना चाहिए जितना हो सके हमे शुद्ध शाकाहारी भोजन ही लेना इससे हमारे विचार अच्छे होते है ओर सकारात्मक भी
  • सोने का समय सही होना चाहिए अधिक रात्री तक नहीं उठना चाहिए ओर अपनी नींद को पूरे 8 घंटे की लेना चाहिए।
  • अपनी मनपसंद के कार्यों में अधिक समय बिताए जिससे आप सदेव खुश रहते हो उनही कार्यों में अधिक समय बिताने से मूड अच्छा ओर स्वस्थ बना रहता है।

बिना वजह ही हमारे मस्तिसक में बहुत सारे विचार चलते रहते है, जिनकी वजह से हमारा तनाव बढ़त है इसके साथ ही हमारा मूड भी बदल जाता है, बहुत छोटी छोटी बातों से हमारे मूड में काफी बदलाव आ जाते है, जो हमारे मस्तिष्क में तनाव पैदा करता है, इस तनाव को काम करने के लिए हमे ज्यादा समय ध्यान करना चाहिए।

हमे अपने विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए जिससे की हमे उन छोटी छोटी बातों पर सोचने से कोई घबराहट ना हो।

हमारे मस्तिष्क में लगातार विचार आते रहते है, उन विचारों को पर रोक लगाने के लिए हमे अपने विचारों का पैटर्न बदलना होगा, हमारे जो विचार है यदि वो सही ओर सकारात्मक होंगे तो हम अपने ऊपर अधिक कंट्रोल रख सकेंगे।


शब्द से शुरू

शब्द की यात्रा शब्द से शुरू होती है, ओर निशब्द होने पर रुक जाती है। शब्द को मौन भी होना होगा, शब्द को एक दिन शांत तो होना ही होगा, कब तक शब्द बजते रहेंगे, एक दिन दिन वो मौन में ठहरने की कोशिश करेंगे।

बर्ट्रांड रोसल

बर्ट्रांड रोसल मैंने हिंदुतत्व को पढ़ और जान लिया की यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है, हिंदुतत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिंदुतत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे एक दिन एस आएगा की हिन्दू ही दुनिया की वास्तविकता उतएजन होगा।

बर्ट्रांड रोसल
Burtrand rosal

दिल ओर दिमाग

दिल ओर दिमाग के बीच में जो आंदोलन होता है, उस आंदोलन को क्या नाम देना चाहिए, वो जो दिमाग है उस समय कुछ कहता है ओर दिल कुछ कहता है, मन कहता है दिल की सुनो लेकिन कभी कभी दिल धोखा दे देता है इसलिए दिमाग की सुननी चाहिए ,

फिर मन कहता है दिमाग की सुनी तो दिल टूट जाएगा, ये बहुत अजीब सी एक कशमकश होती है, इन दोनों के बीच में इसमे कौन जीतता ये बात किसी को नहीं पता लेकिन फिर ये हमारे दिल तो कभी दिमाग की बात है न बहुत जबरदस्त होती है। क्युकी इसमे मसक्कत बहुत होती है, जद्दोजहत भी बहुत है किसी बात पर निर्णय लेने के लिए वक्त भी बहुत लगता है।

कौन गलती करेगा ओर कौन उस गलती का भुगतान करेगा करेगा यह कहना बहुत मुश्किल हो जाता है जब इन दोनों के बीच कोई फैसला बड़ा हो जाता है, बस इस दुविधा को कैसे खतम किया जाए ये नहीं समझ आता है इसमे दिमाग ओर दिल दोनों फंसे हुए नजर आते है।

क्या आप वो कर पाते है जो आपका दिल कहता है, या फिर दिमाग के कहने पर ही आप चलते है? किसकी सुने ओर किसकी नहीं बस इसीमे हम फंस जाते है, कई बार फैसले भी गलत हो जाते है, ओर हम अपनी राहों से भटक जाते है।

सफर रोज मेट्रो का

सफर रोज मेट्रो का कुछ इस तरह से चल रहा है, जैसे जिंदगी का कुछ हिस्सा एक दूसरे हिस्से को मिल रहा है।

यात्रा रोज़ की, मेट्रो की रेलों में,
जीवन का टुकड़ा चल रहा है अधिकारों में।
यात्रा का हर स्थान, हर स्टेशन नया,
कुछ दूसरे हिस्से को सलाम कर जाता है।

जैसे सफर चलता है, जीवन भी चलता है,
हर किसी को अपना रास्ता ढूंढ़ना है।
मिलते हैं रास्ते, ना जाने कहाँ कहाँ,
दूसरे हिस्से को पाने का सब्र करता है।

धूप-छाँव, गाड़ी में आवाज़ों की बौछार,
जीवन की कठिनाइयों का कर रहा सामना यहां।
एक दूसरे को संभालते, संगठित ढंग से,
जिंदगी भी सीख रही है सहनशीलता यहां।

मेट्रो की रेलें, जीवन का प्रतीक हैं,
जोड़ती हैं अलग-अलग लोगों की भीड़ को।
प्यार और सदभावना से भरी यात्रा है यह,
जहां दूसरे हिस्से को जीने का मौका मिलता है।

सफर रोज मेट्रो का, एक बदलाव है,
जिंदगी का आदान-प्रदान यहां दिखाई देता है।
एक दूसरे से जुड़े रहने की शिक्षा देता,
ओर जीवन को सही दिशा में ले जाता है।

चलती रहे मेट्रो की यात्रा, बढ़ती रहे रेलें,
जीने का संघर्ष रहे सबके पास अवसर।
जब सफर के अंत में हम एक दूसरे को मिलें,
जिंदगी का सफर एक संगठित हिस्सा बन जाए संगीत।

जीवन को इन्जॉय

जीवन को इन्जॉय कैसे करना चाहोगे? जिंदगी उन हसीन लम्हों का ही नाम है जिनमे आपने सुकून पाया हो, ये भाग दौड़ की जिंदगी से बहुत दूर निकल जाना हो। इस जिंदगी के हसीन लम्हों को कैद करना

कहते है जिंदगी, जिंदगी लंबी नहीं बस बड़ी होनी चाहिए इसका अर्थ है, आपकी जिंदगी का कोई मतलब होना चाहिए जब तक जिए हर पल बेहतर होना चाहिए, जीवन को इन्जॉय करते हुए होना चाहिए।

पता नहीं कि जीवन को एन्जॉय करने के लिए क्या करना चाहिए मगर अधिकांश की जिन्दगी या तो निन्यानवे के चक्र में फँसी रहती है, या फिर जीवन को समझने और तत्कालीन जरूरतों को पूरा करने में बीत जाती है।

फिर भी उम्र के इस पड़ाव तक आ कर मैंने जो सीखा है, उसके अनुसार लाइफ को एन्जॉय करने के लिए आपको इन बातों पर थोड़ा गौर करना चाहिए , यदि आपको यह बाते पसंद आए तो आप इनको अपने जीवन में उतार सकते है।

1. जीवन में आपाधापी तो उम्र भर की है इस भागम भाग का जो खेल है वो खत्म नहीं होता ये लंबा सिलसिला है। बस इसी दौड़ में कुछ ऐसे पलों को इककठे करना ओर उन पलों के साथ इन्जॉय कर सकते है , जिसे हम सभी यू ही गवा देते है ओर जीवन को इन्जॉय नहीं कर पाते है बस यू ही उधेड़ बुन में इस जीवन की उलझते हुए नजर आते है।

2. सन्तुलन तालमेल रखना जरूरी है, जीवन में काम और निजी जिन्दगी में अंतर रखना और दोनों के बीच सन्तुलन बनाये रखना उतना ही जरूरी है जितना कि हमारा साँस लेना, केवल काम या अर्थ भी जीवन को ख़ुशी से नहीं भर सकते और केवल निजी जीवन में मग्न रहने पर भी आपके पास जरूरी अर्थ नहीं आएगा, तो संतुलन जरूरी है।

3. जिस कार्य में अधिक रूचि हो, उसी में अपना करियर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। यह दोहरा फायदा देती है। जीवन में आप जो करेंगे, उसमें रूचि हमेशा बनी रहेगी और अर्थोपार्जन भी होता रहेगा। याद रखिये कि अर्थोपार्जन के लिए कुछ भी करना एक बात है, और ख़ुशी से वो करना जिसे करने पर आपको ख़ुशी मिलती है, यह दूसरी बात है। जब आप अपनी मनपसंद का कार्य करते है तो उस कार्य के लिए समय आप समय नहीं देखते बस उसमे लगे रहते है बोरियत नहीं आती आपका लगातार उस कार्य को करने का मन करता है।

4.यदि आप किसी को खुशी नहीं दे सकते तो किसी को आप दुखी भी न करे, मनुष्य जन्म से अन्तरात्मा के साथ जन्मता है। किसी भी विपरीत कार्य से उसे स्वयं पीड़ा होती है और उसकी अन्तरात्मा उसे तब तक कचोटती है जब तक कि वह उस विपरीत कार्य के बदले सही कार्य न कर दे। जान बूझ कर किसी को दिया गया दुःख अंततः मनुष्य की पीड़ा का कारण बनता है। इसलिए जीवन को एन्जॉय करने के रास्ते में किसी को दिया गया दुःख पीड़ा का कारण न बने, इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने कर्म को सत्कर्मों तक सीमित रखें, ओर दूसरों का भी अच्छा सोचे व करे

5. सद्भावना और परोपकार दया भाव की नियत सदा हृदय में धारण रखना, ख़ुशी को खुद के समीप पाने का सरल उपाय है। एक पुष्प से अच्छादित उपवन में हर किसी का मन हर्षित होता है। कौन प्रातः की लालिमा को देख कर प्रफुल्लित, प्रसन्न और आनंद से भर नहीं जाता। पक्षियों का कलरव किसके हृदय को आह्लादित नहीं करता है। कौन बहते झरनों को या बरसते बादलों को देख कर मयूर की भांति नृत्य करने को उद्यत नहीं होता है। इसलिए, परोपकार और सद्भावना की उर्जा से वह मनुष्य सदा ही ऐसे भावों से परिपूर्ण रहता है। फिर उसे अपने जीवन को एन्जॉय करने से कोई रोक नहीं सकता।

6. प्रेम इस मृत्युलोक में अगर किसी ने प्रेम को जान लिया तो उसने जीवन का मर्म और उद्देश्य जान लिया। प्रेम कहने के लिए ढाई अक्षर का शब्द मात्र है, मगर इसके मर्म को जानने के लिए संत से ले कर भगवान तक मनुष्य रूप धर पृथ्वी पर आते हैं। इसे किन्हीं शब्दों या शब्दों के समूहों द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता वरन इसे आत्मसात करना पड़ता है, वह भी सारे हृदय के लिए सम्भव नहीं जिसे परमात्मा ने बनाया है, प्रेम का मर्म जानने या समझने के लिए कुछ खास हृदय ही उपयुक्त है। फिर भी मनुष्य के लिए इसे जितना सम्भव हो, जानने की कोशिश करनी चाहिए। कदाचित, कई अर्थों में प्रेम ऊपर वर्णित अन्य गतिविधियों में समाहित है।

7. मौजूदा पलों का आनंद लें: वर्तमान क्षण को महसूस करें और उसका आनंद लें। अपने आस-पास के वातावरण की सुंदरता, सुखद संगठन, और मनोहारी वस्तुएं देखें।

8. संयम और अधिकार्यता बनाए रखें: अपने काम में संयम बनाए रखने का प्रयास करें। समय का सदुपयोग करें और अपनी प्राथमिकताओं को पहचानें।

9. सराहना करें: अपने आस-पास की खूबियों को देखें और सराहना करें। दृष्टि से छोटी-छोटी खुशियों को पकड़ें और उन्हें महसूस करें।

10. स्वास्थ्य का ध्यान रखें: अपने शरीर और मन की देखभाल करें। नियमित रूप से व्यायाम करें, स्वस्थ आहार लें, और प्रतिदिन सुखद नींद प्राप्त करें।

11. अपनी प्रिय गतिविधियों में समय बिताएं: अपनी प्रिय गतिविधियों, जैसे कि गाना गाना, पुस्तक पढ़ना, फोटोग्राफी, योग, यात्रा, आदि में समय बिताएं। इन गतिविधियों में आपको आनंद का एहसास होगा।

12. संगठन को छोड़कर आराम करें: अपने आप को संगठित रखने के लिए अवकाश, अवकाश या छुट्टी पर जाएं। किसी खास स्थान पर जाने का आनंद लें और वहां की सुंदरता का आनंद उठाएं।

13. ध्यान और मेधा का अभ्यास करें: ध्यान और मेधा अभ्यास करें, जैसे कि मानसिक शांति और आनंद के लिए मेडिटेशन करें। योगाभ्यास भी मन को शांत और स्थिर रखने में मदद कर सकता है।

14. प्रेरणादायक किताबें पढ़ें: आप प्रेरणादायक किताबें पढ़कर अपने मन को प्रशांत, सकारात्मक और उत्साहित रख सकते हैं। किसी आदर्श के चरित्रों और उनकी कथाओं से प्रेरणा लें।

15. अपने पासवर्ड को छोड़ें: अपने दिन के हसीन पलों को कैप्चर करने के लिए अपने पासवर्ड और फोन को अवकाश पर छोड़ें। सोशल मीडिया का उपयोग कम करें और अपने पासवर्ड खोलने के बजाय वास्तविक जीवन को जीएं।

16. धैर्य और कृतज्ञता रखें: जीवन के प्रत्येक पल को धैर्य से और कृतज्ञता के साथ स्वीकार करें। धन्यवाद की भावना रखें और अपने आस-पास के लोगों के साथ दया और सहानुभूति बनाए रखें।

याद रखें, हर दिन विशेष है और हर क्षण का आनंद उठाने का अवसर होता है। संयमित रहें, स्थितिवत्ता रखें और जीवन के छोटे-छोटे पलों का आनंद लें।