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हिन्दू धर्म

हम सभी को अभी या बाद में हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा, यही असली धर्म है, मुझे कोई हिन्दू तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं इस बात बात को स्ववेकर करती हूँ क्युकी यही सच बात है ओर सही भी, इस बात को अस्वीकार करने जैसे कुछ नहीं है।

पैसों की बचत

पैसों की बचत क्यू जरूरी है: पैसों को ध्यान से खर्चे जहां जरूरत हो वही पर उसको खर्च करे, बेफिजूल के खर्च से दूर रहे, अपने खर्चों की लिस्ट बनाए व देखे की आप कहाँ खर्च कर रहे इससे आपको यह समझ आता है की आपका खर्च अनावश्यक कार्यों में तो नहीं लग रहा।

पैसों की बचत जरूर करे चाहे व बचत छोटी ही क्यू न हो, छोटी छोटी बचत करने से आपसे लंबी अवधि में ज्यादा बचत कर सकते है, आपकी बचत ही आपको भविष्य में फायदा देती है, अनिश्चित घटनाओ से बच जा सकता है।

खर्चे से ज्यादा इनवेस्टमेंट करने पर ध्यान दे, हर महीने के खर्चों की लिस्ट बनाए जिससे आपको आपके खर्चों का स्पष्ट रूप दिखेगा ओर आप अपने बेफिजूल के खर्चों पर रोक लगा सकेंगे।

यदि आप पैसों की बचत के लिए दस वर्ष का समय रखते है तो आपको बहुत लाभ मिलता है, समय तो बहुत जल्दी ही बीत जाता है लेकिन पैसे की बचत नहीं हो पाती उतनी इसलिए हमे पैसों की बचत के साधनों पर ध्यान देना चाहिए।

हमारा हाल आमदनी अठन्नी ओर खरचा रुपया है ऐसा हाल तो नहीं है इस बात को ध्यान में रखना चाहिए।

जब स्वतंत्रता की बात आती है तो पैसे बचाने के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता। वित्तीय स्वतंत्रता आपको आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह आपको अपनी पसंद और आराम के अनुसार जीवन जीने में मदद करता है। आपको अपनी पसंद की चीज़ों पर अपना पैसा खर्च करने और एक आरामदायक और समृद्ध जीवन जीने की स्वतंत्रता और अधिकार है।

पर्याप्त बचत होने से आप अधिक पूर्ण जीवन जीने में सक्षम होते हैं। आपको अपने भविष्य के लक्ष्यों जैसे सेवानिवृत्ति या स्वास्थ्य देखभाल जैसे अप्रत्याशित खर्चों के बारे में कम तनाव होने की संभावना है। बचत आपको राहत और आराम देती है, यह जानकर कि आपके पास जीवन में विभिन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त धन है।

छत पर कूड़ा

समझदार लोग, पढे लिखे होने का क्या फायदा यदि आप इसी तरह की हरकते करेंगे जिससे की समाज को उसका परिणाम भुगतना पड़े, किसी दूसरे का नुकसान ओर खुद का फायदा हो क्या आप इसीको समझदारी कहते है, कुछ लोग कूड़ा कही भी डाल देते है, आजकल लोग फ्लैट, बिल्डिंग सोसाइटी में रहते है, ओर यह लोग ऊपर से ही कूड़ा फेकते रहते है कोई गली में कोई किसी की छत पर, तो कोई आसपास के किसी खाली प्लॉट में ही कूड़ा डाल देता है, लेकिन यह लोग कूड़े की गाड़ी में कूड़ा नहीं डालते है जबकी कूड़े की गाड़ी हर रोज आती है उसमे कूड़ा नहीं डालते, ना ही कूड़ा उठाने वाले को लगाते है कूड़ा उठाने के लिए, बस कुछ रुपये बचाने के लिए इस तरह की हरकते करते है।

इस तरह की हरकतों के लिए कौन जिम्मेदार है? आपकी शिक्षा या संस्कार क्या यही सीखा है आपने स्कूल में या घर में की आप अपने घर से कूड़ा फेक दे तो फिर चाहे वो गली में तारों पर लटके या या गली में बिखर जाए इस बात से आपको कोइ फर्क नहीं पड़ता क्यूकी कूड़ा आपके घर से तो निकल गया है अब इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता की किसका नुकसान होता है।

लोग कूड़ा फेक देते है और फिर मुकर जाते है की हमने नही फैंका , जब तक आप किसी को देखते नही हो तब तक आप यह नहीं कह सकते है की कूड़ा इन्होंने फैंका है इसलिए जब आप देखोगे तभी उनको कुछ बोल पाओगे लेकिन एक बार सबको बोल देना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अगली बार शर्म आए लेकिन कई लोगो को शर्म नही आती वह वही गलतियां बार बार करते है लेकिन उन्हें गलतियां नही कहते क्युकी कुछ लोग ऐसी हरकतें जान बूझकर करते है अपने कुछ 50 या 100 रुपए बचाने के चक्कर में दूसरो को परेशान करते है।

जो हमारे घर के पीछे वाले घर में रहते है उनकी छत पर कूड़ा हर दूसरे दिन पड़ा रहता है, हममें से ही कोई है जो इस तरह की हरकत कर रहा है अब यह बहुत निंदनीय कार्य है। और ऐसा कौन कर रहा है यह उनको नही पता चल रहा क्युकी उन्होंने किसी को भी कूड़ा फ़ैकते हुए नहीं देखा।

सुबह की चाय

जैसे ही हम सुबह उठे बस तभी बितर में ही हमे चाय मिल जाए तो उससे बढ़िया क्या हो सकता है यह तो आजकल हर किसी की इच्छा होती है की उसे बिस्तर में ही चाय मिल जाए ओर फिर वो बिस्तर से बाहर निकले क्युकी सुबह की चाय की बात ही कुछ ओर होती है, सुबह समय चाय की तलब तो ऐसी होती है, मानो बिना चाय दिन की शुरुआत ही न हो रही हो, लगता है चाय पीने के बाद दिमाग तरोताजा होगा, ओर शरीर खुल जाएगा, सर्दियों में तो चाय का मिलन बिस्तर में ऐसे लगता है की कोई ख्वाब ही पूरा हो गया हो।

चाय की तलब कुछ इस तरह से लग रही है।

मानो जिंदगी प्यास में तड़प रही है।

चाय की तलब कुछ बढ़, कुछ घट रही है।

ये साली चाय की तलब मुझे लग रही है, क्या इसकी महक तुम तक भी पहुँच रही है।

या सिर्फ चाय की महक मुझे ही मदमस्त कर रही है,

चाय की चुस्की लिए जा रहा हूँ, मैं चाय अब पिए जा रहा हूँ

चाय की तलब कुछ इस तरह बढ़ जाती है।

की उसके सामने सारी तलब फीकी पड़ जाती है।

कुछ से कुछ का कहना बिना चाय के भी क्या रहना .. ….

समय की बचत

समय की बचत की जाए, समय की हानी ना हो, अपने समय को सही जगह लगाए, यू ही समय को ना गवाये, बिना मतलब के कार्यों में अपने समय को बर्बाद नहीं करे

  1. समय बहुत कीमती है, इसलिए समय को व्यर्थ नहीं करना चाहिए
  2.  जो कार्य जरूरी नहीं उन कार्यों को छोड़ दे ओर अपने जरूरी कार्यों पर ध्यान दे उन कार्यों को जल्द से जल्द करे उन कार्यों को ताले नहीं।
  3. समय अपनी जगह बना लेता है निकलने के लिए इसलिए हर उस जगह को ध्यान से देखे जहां से समय निकल रहा है।
  4. अपनी दिनचर्या को ध्यान से देखे ताकि आप अपने समय की हानी होने से रोक सके।
  5. सोशल मीडिया हमारा बहुत समय लेता है आजकल इसलिए अपने समय को देखे की आप व्यर्थ की चीजों पर तो समय को बर्बाद तो नहीं कर रहे है ना
  6. हम उन छोटी छोटी चीजों पर ध्यान नहीं देते जो हमारे समय को खराब करवाती है इसलिए अपने समय को उस जगह न लगाए जहां समय ज्यादा अधिक लगता है ओर उत्पादन कम होता है।
  7. बेफिजूल की चर्चा ओर बातों में अपने समय को ना लगाए।
  8. यदि आपके लिए कोई वस्तु जरूरी नहीं है तो उस पर अपना ध्यान नहीं लगाए।
  9. हमे सुबह जल्दी उठना चाहिए ताकि हम समय का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर सके, ओर उन जरूरी कामों को सुबह से ही खत्म करले जिससे की हमारे काम का बोझ पूरे दिन ना रहे।
  10. गुस्सा ना करे नहीं तो पूरे दिन आप उनही चीजों के बारे में सोचते रहेंगे ओर आप अपने काम पर ध्यान नहीं लगा पाएंगे।

समय की बचत पर कुछ बातें जो ध्यान रखनी चाहिए जिससे हम समय को बचा सके ओर सही दिशा में समय को लगा सके।

आलस

जब बहुत सारा आलस भर जाता है, इस आलस की वजह से लिखने का मन नहीं करता, तब आपको ज्यादातर समय सिर्फ सोने ओर लेटने का ही मन करता है। खुद को व्यस्त रखना बहुत जरूरी है यदि आलसी नहीं बनना तो, स्वयं को किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखना बहुत जरूरी है जिससे हमारा शरीर आलसी ना बने।

शरीर इतना आलसी होता है, खुद से कुछ काम करने को मन नहीं करता एसा लगता है, कोई हमारे लिए काम करदे, अक्सर हम यही चाहते है।

ये आलस ही है, जो हमे बार बार काम को टालने की आदत से भर देता है। जो हमे हमारे लक्ष्य से दूर करता है।

आलस को कैसे दूर करे? आलस को दूर करने के लिए कुछ तरीकों को अपनाये।  

हमे व्यायाम करना चाहिए, हर आधे घंटे बाद अपने शरीर को स्ट्रेच करना चाहिए, हमे अपने दिमाग की एक्सर्साइज़ करनी चाहिए।

किसी भी कार्य की शुरुआत करना जरूरी है जिससे आलसीपन खत्म हो।

आलस की वजह से कम्फर्ट ज़ोन में चले जाते है, ओर बार बार कार्य को टालते जाते है।

आलसी होने की आदत को बदलिए।

में नींद भी बहुत आती है, हाथ ओर पैर जाम से लगते है शरीर को हिलाने तक मन नहीं करता ये शरीर इतना आलसी हो जाता है।

ज्यादा से ज्यादा किताबे पढे जिससे आपका दिमाग लगातार अच्छा सोचे ओर शरीर बेहतर करे।

शरीर चुस्त रहना चाहिए, हर रोज व्यायाम करना चाहिए जिसकी वजह से हमारा शरीर खुलता है ओर आलसीपन दूर होता है।

ज्यादातर लोग

ज्यादातर लोग जिंदगी में स्कूल की तरह 33 प्रतिशत अंक लाने से ही पास होना है, 100% लाने में डरते है, ओर उन्हे लगता है की 100% तो कभी हो ही नहीं सकते तो, हम इसी तरह से अच्छे है, वो अपनी जिंदगी में कुछ बेहतर होने की कोशिश ही नहीं करते, जैसे की वो उतने बेहतर होना ही नहीं चाहते, जैसे है बस वैसे ही अच्छे है, उन्हे यही लगता है, हम कुछ नहीं कर पाएंगे, हम जिस तरह से जी रहे है यही जीवन है, उसमे कोई सुधार नहीं करते ना ही वो करना चाहते।

ज्यादातर लोग

क्या आप भी उनही लोगों में से जो जीवन में सुधार नहीं चाहते या फिर आप स्वयं को बदलना चाहते है, यदि आप स्वयं को बदलना चाहते है तो शुरुआत आज से ही करे क्युकी कल कभी नहीं आता, जब आप शुरू करते है वही समय ठीक होता है उसके लिए कोई मुहूरत नहीं होता।

आपके विचार ही आपका अच्छा ओर बुरा समय बनाते है इसलिए अपने विचारों से स्वयं को बेहतर बनाने के लिए शुरू हो जो।

हममे से ज्यादातर लोग बस जैसे है वैसे ही रहते है वे बदलाव नहीं चाहते, उनको बदलने में डर लगता है, इसलिए वह बदलाव नहीं कर पाते ना स्वयं में ओर ना ही दूसरों में

मूड को जरा संभाल

क्या होता है ना की आप अपने मूड के साथ ही लड़ते रहते हो, कब किस तरह का मूड बन जाए आपको पता ही नहीं चलता, इसलिए अपने मूड को जरा संभाल कर रखिए क्युकी इसको बिगड़ने में समय नहीं लगता बस संभालने में वक्त बहुत है लगता।

बार बार अपने मूड को मत खराब करो, इस मूड को देखो की ये बार बार क्यू खराब हो जाता है, इसका क्या इलाज है की बस ठीक रहे यह क्युकी यह मूड तो हर छोटी छोटी सी चीज पर खराब हो जाता है।

“इस मूड को जरा संभाल कही ये हो न जाए बिगड़ेल”

जैसे ही हमारा मूड खराब होता है हम चिड़चिड़े हो जाते है, ओर फिर हमे कोई पसंद नहीं आता हम सभी से लड़ाई झगड़ा करने लग जाते है, कुछ भी पसंद नहीं आता, ये हमारे मूड खराब होने का नतीजा निकलता है।

इस मूड को ठीक रखने के लिए हमे क्या क्या करना चाहिए, इस मूड के बार बार खराब होने से क्या नुकसान होता है हमे, हमारे दिमाग पर क्या असर पड़ता है? हमारे आसपास में कैसा व्यवहार होता है इस मूड की वजह से ये मूड जब मर्जी खराब हो जाता है तो कभी भी ठीक हो जाता है, इस मूड का कुछ पता ही नहीं चलता। जब हम अपनी मर्जी का कोई कार्य नहीं करते तब हमारा मूड ज्यादा खराब हो जाता है, या तो आप उस कार्य को करे जो आपको ज्यादा पसंद है या फेर अपनी सोच को बदलिए की कोई भी बेकार नहीं होता बस उसमे मन लगाना आना चाहिए।

बस कोशिश है

बस कोशिश है
हां कोशिश है कुछ लिखने की, कुछ बता देने की, कुछ भीतर जो हो रहा है, दिल में उसको बयां कर देने की, ये जो कोशिशे है ना लगातार चलती रहनी चाहिए।
जो मन के भीतर है दबा कहीं यह कोशिश है, उन सभी दबे हुए विचारो के लिए एक कोशिश है, जो उन विचारों को बाहर निकाले ओर उनके साथ कुछ बाते हो, कुछ तालमेल बने वरना वो विचार कही घुटकर मर ना जाए, जिन विचारों से चल रहा है यह जीवन

जिनको बाहर निकाल पाना बहुत मुश्किल सा है।

लेकिन फिर भी बस एक कोशिश है, कुछ हो जाने की, कुछ करने की
कुछ कह पाना
कुछ समझा पाना
कुछ बता पाना, कुछ हो पाना,

समस्या ओर समाधान

समस्या ओर समाधान कि बात की जाए तो बेहतर है, यदि सिर्फ समस्या ही गिनते रहेंगे तो आप एक दिन समस्यायों को इतना बड़ा कर लेंगे की फिर उभर नहीं पाएंगे, उन समस्याओ का समाधान ढूँढने के लिए लगातार प्रयास करते रहे, क्युकी समस्या को बड़ा नहीं होने एक बार जब समस्या बड़ी हो जाती है तो उससे निकलना मुश्किल हो जाता है, इसलिए जब भी कोई समस्या आती है उसको वही पर खतम करे, उसे देख लेंगे, या छोड़ो न कहकर ना खतम करे, उसका हिसाब वही पर चुकता करे यही एक बेहतर समाधान है, क्युकी जब हम समाधान ढूँढने के लिए जाते है तो उसका समाधान नहीं मिलता, बस समस्या बड़ी हो जाती है ओर हम उसमे फंस जाते है।

समस्या का समाधान अवश्य मिलता है लेकिन उसमे तकलीफ को बड़ा ना होने दे, कैसी भी समस्या हो आपको उसका हाल मिल ही जाता है, बस आप समस्या को रबड़ की तरह ना खींचे यही आकी जिम्मेदारी है।

इसलिए यदि समस्या है तो उसका समाधान भी अवश्य है, इसलिए साथ साथ उसको भी बताए सुझावों की सूची बनाएं।

सुझाव दीजिए तभी आप सशक्त होंगे तभी हम बेहतर बन पाएंगे।