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तैयारी करो

तैयारी करो लेकिन तैयारी किस बात की और तैयारी क्या है? यह तैयारी हमे किसलिए करनी है? किसी भी कार्य को सही एवं अच्छी तरह से करने के लिए हमे तैयारी पहले से ही शुरू करनी होती है, चाहे फिर तैयारी किसी भी चीज की हो , यह तैयारी परीक्षा के लिए भी हो सकती है।

जिस प्रकार से एक बच्चे के 8th में 60% नंबर आते है अब यदि उसे 10th में 90+ अंक प्राप्त करने है, तो उसे ओर अधिक मेहनत करनी होगी उसे कक्ष 9 में भी लगभग 80-90 प्रतिशत अंक लाने होंगे, तभी वह 10वी में 90 प्रतिशत अंक पाने की उम्मीद कर सकता है , इसके साथ उसको अधिक मेहनत से पढ़ाई भी करनी होगी, उसके लिए खूब तैयारी करो।

यही एक सिद्धांत है, सफल होने का ओर आगे बढ़ने का की हमको लगातार बेहतर होने की कोशिश करते रहना चाहिए, साथ ही अपने लक्ष्य के प्रति पूरा ध्यान केंद्रित करना चाहिए, तभी हम सफल होते है , तभी वह हमारी तैयारी की ओर कदम बढ़ता है।

यदि हम किसी भी कार्य को अच्छे ढंग से करना चाहते है, तो तैयारी तो हमे आज से करनी होगी ओर तैयारी जितनी अच्छी होगी परिणाम भी उतने अच्छे ही होंगे इसलिए हमे तैयारी करनी है, अब ये तैयारी किसी भी कार्य के लिए हो सकती है।

हम अपनी जिंदगी में क्या करना चाहते है? लेकिन हम कर कुछ ओर ही रहे है, जो हम करना चाहते है हमे उसके लिए भी तैयारी भी करनी है ओर जो कर रहे है, उसको करते रहना है, जब वक्त आएगा तब आप अपना मनपसंद कार्य पूरे मन ओर तन से करने लग जाओगे यही वो तैयारी है जो आपको करनी है, या आप कर रहे है तो आपको बहुत सारी सावधानी बरतनी है, उन तैयारियों के लिए।

तैयारी करो
तैयारी खूब धूम धाम से होनी चाहिए , हर रोज तुम्हें ये याद रहे की तुम जो अपनी जिंदगी में करना चाहते हो उसको ही तुम्हें करना है, तुम अपनी सारी कोशिशे उसी के लिए कर रहे हो।

तुम कभी भूल ही न पाओ इतना तुम खुद को याद दिलाओ” जलील होना भी खुद की ही नजरों में हो तो बेहतर है क्युकी जो तुम करना चाहते थे तभी तुम कर पाते हो वरना उम्र भर पछतावे की चादर ओड़ नम आँखों के संग अधूरे सपनों की आँखों को खोलकर तुम राते बिताते हो।

तैयारी लगातार चलती रहनी चाहिए वो रुकनी नहीं चाहिए क्युकी तैयारी आपके द्वारा किया जाने वाला लगातार प्रयास है आपकी तैयारी आपको आपके सपनों को पूरा करवाती है।

समय के अनुसार

समय के अनुसार इस शरीर को मृत्यु आती है कोई भी साधन इस मृत्यु को रोक नहीं पाता है सब कुछ यही रह जाता है, कौन था राजा कौन रंक ये कौन जाने मृत्यु तो बस अपने रास्ते आती है, इस शरीर को मृत्यु ले जाती है
प्रकृति यह नियम अपनाती ।
ये सब प्रकृति का केमिकल
लोचा….
शरीर सब तत्वों में मिल जाता जो नही था सोचा ॥

समय के अनुसार मृत्यु नही लगनी चाहिए वो बुरी……
इसमें एक ख़ुशी समय अनुसार चली जीवन की धुरी ॥

मृत्यु सच्चाई नही वो बुरी वो कड़वा सत्य लेकिन सत्य नही वो बुरी ॥

समय अनुसार प्रकृति अपना चक्र पूरा करती हे यह प्रकृति का चक्रव्यूह हे उसमें वो मतभेद नही करती राजा हो रंक हो अमीर हो गरीब हो ताकतवर हो कमजोर हो सब के साथ समान व्यवहार इसकी पहचान ।
प्रणाम प्रकृति को उसके सत्य को उसकी कार्यशेली को नमन वंदन बस सत्य कि माँ प्रकृति इस सत्य के दर्शन भीतर से हो पाए उसमें सहायक बनना आपका अति आभार ।