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जिंदगी कैसी है

जिंदगी कैसी होनी चाहिए ?

जिंदगी कैसी है ? जैसा आप पसंद करते है, जिंदगी बिल्कुल वैसी ही है, इसके विपरीत कभी नहीं होती बेशक हम हर समय कोसते है। अपनी जिंदगी को लेकिन यह हमारी नासमझी है, ओर कुछ नहीं क्युकी जैसी आप इच्छा कर रहे है, जिंदगी बिल्कुल वैसी ही बनती है।

जिंदगी ठीक वैसी ही है जैसा तुमने जिंदगी के बारे में सोचा  है
ज़िंदगी वैसी है जैसी तुम चाहते हो

हमारी जिंदगी बस ज़िंदगी बचपन में बिना चाहे मोड ले लेती थी, क्युकी उस जिंदगी की जिम्मेदारी कुछ समाज , परिवार , माता-पिता , रिश्तेदार , दोस्त, विधालय उठा रहा होता है।

और जैसा वो सभी चाहते है, उसी तरह से हमारी जिंदगी मुड़ती, तुड़ती जाती है, जिनकी वजह से अनचाहे मोड जिंदगी को मिल जाते है, फिर वो मोड कैसे भी हो हम भी उसी ओर दौड़ने लग जाते है, उस दौरान हमे कुछ नहीं पता होता की हमे क्या बनना है , कहाँ जाना है? क्या करना है? क्यों करना है बस कुछ होना , पहुचना ओर जाना होता है।

इसी अनजान दौड़ में हम कहाँ से कहाँ निकल जाते है हमे खुद ही नहीं पता होता उसमे कुछ गलतिया , नादानिया हो जाती है जिनका हरजाना बस जिंदगी भर चलता है।

ओर वो भी कही न कही भीतर गहरे मन में तुमने चाहे होंगे, तभी वो सारे विचार ऊपरी सतह पर आ जाते है, ओर जिंदगी को नए नए मोड देकर चले जाते है।

लेकिन यह सब आपके हाथ में ही है, की आप उस जाल से बाहर आ पाते हो या फिर उसीमे गोल गोल घूमते रह जाते हो।

इसलिए जिंदगी गणित सवाल भी है तो उसका जवाब भी है जिंदगी।

जिंदगी कैसी है ? बहुत अटकती भटकती सी है जिंदगी तो फिर उसी मोड पर वापस भी ले आती है, जैसा तुम चाहे हो ज़िंदगी तो साहब वैसी ही हो जाती है।

ज़िंदगी को प्रेम भरी नजरों से देखो प्रेममय ही नजर आएगी जिंदगी , उमंगों से सजती हुई , फूलों सी खुलती हुई , खुसबू सी महकती हुई सी है ज़िंदगी।