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शब्दों की गठरी

शब्दों में गाठ जो लगी है उन्हे खुल जाने दो इनको शब्दों की गठरी ना बनाओ तुम, इनका खुलना ही बेहतर होगा यदि ये गाठे नहीं खुली तो भीतर तकलीफ होगी, तुम्हारा शरीर , तुम्हारा मन , तुम्हारी बुद्धि रोग से ग्रसित हो जाएगी।

इन शब्दों को ध्यान, योग आदि क्रिया से हल्का करो तभी तुम अच्छा महसूस करोगे, यदि तुम्हारे मन, मस्तिष्क में प्रश्न घूम रहे है तो उन्हे पूछ डालो निसंकोच होकर यही हल है भीतर से शांत होने का कब तक, तुम इन अपाच्य शब्दों को भीतर ही रखोगे।

सब्र रख

सब्र रख सब ठीक होगा आज नहीं तो कल होगा , हमारा सब्र हमारा इम्तिहान लेता है सब्र का बांध टूट जाता है, ओर हम बेसब्री में कुछ का कुछ कर जाते है जिसकी वजह से हम अपने रास्ते भटक जाते है, हम अपनी मंजिल से ही कही दूर हो जाते है जिसका हमे पता नहीं चलता उस समय हमारे दिमाग में सिर्फ वही चल रहा होता है की कब होगा , कैसे होगा लेकिन सवाल इतना बड़ा हो जाता है की सब्र का बांध टूट जाता है इस सब्र को पकड़ कर रखना बहुत जरूरी है वरना यह सब्र, धैर्य टूट गए तो हम इसके विपरीत दिशा में बहने लग जाते है इसलिए यह टूटना नहीं चाहिए।

जीवन में, हमें कई बार ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जब हम थक जाते हैं और उम्मीद खो देते हैं। इन समयों में, सब्र रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। सब्र से काम लेने से हम भविष्य में सफलता हासिल कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी धैर्य बनाए रख सकते हैं।

हालांकि, सब्र का मतलब यह नहीं है कि हमें कुछ नहीं करना चाहिए। सब्र से काम लेने के साथ हमें अपने लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए निरंतर काम करना चाहिए। इसके अलावा, हमें अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार करने की भी आवश्यकता होती है।

इसलिए, सफलता हासिल करने के लिए सब्र रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए सब्र से काम लेने की जरूरत होती है, और अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के साथ निरंतर काम करना होगा, ताकि हमारे जीवन में से सभी कठिनाई खत्म हो जाए।

विचारों का बेहतर होना

हमारे विचारो में
हो सकती असहमति…लेकिन हमारे विचारों का बेहतर होना है संभव
हमे खोजना उन विचारो को
जिसमें दोनों की एक मति ।
तब एक बेहतर संवाद जन्मेगा….
उसी की सुगंध चहु ओर बहेगा ।

वैचारिक मतभेद का करे सम्मान….
तभी सच्चाई को जान पाते श्रीमान ।
जहाँ एक मति से कार्य होगा सम्पन्न….
तीव्र गति से होगा सुखो का संवर्धन ।

सुखी रहने का मंत्र….
कार्यशैली में निरंतर अपनाये सुधार तंत्र ।

अनमोल वचन

अनमोल वचन क्या होते है अब जानते है की अनमोल वचन क्या होते है, हम सभी हर रोज अनमोल वचन ढूंढते है, सुबह का शुभ विचार देखते है, किसी ने कोई सुबह सुबह व्हाट्सप्प पर मैसेज भेज होता है, तो हम उसे देखने लग जाते यही पढ़ते ओर फिर वही आगे भेजते है, लेकिन क्या हम उस अनमोल वचन को जीवन में उतार रहे है।

फिर क्या फायदा इन अनमोल विचारों का यदि आप इन अनमोल विचारों, बेहतरीन विचारों, प्रेरणादायक विचार, शुभ विचार को पढ़कर अपने जीवन में नहीं उतार रहे तो क्या कर रहे है, इनका बस यू ही आपके व्हाट्सप्प पर आया ओर आगे की ओर आपने भी दौड़ा दिया बस यू ही चल रहा है, सब बिना सोचे समझे आपको वो विचार एक पल के लिए अच्छा लगा बस इसके विपरीत उस विचार पर आपने कोई परिश्रम नहीं किया ,कोई कार्य नहीं किया।

यदि आप साल में 365 विचार पढ़ते है तो उसका कोई फायदा हम सभी हर रोज एक विचार तो कम से कम पढ़ रहे है, जिन लोगों के पास टेक्नॉलजी का अभी तक अभाव है, यदि उनको हत्या भी दिया जाए तो 90% जनसंख्या शुभ विचारों को पढ़ रही है, चाहे वो किसी भी धर्म का हो वह एक मानव है।

ओर मानवीय विचारों को ग्रहण कर रहा है तथा भक्ति भावना से भरपूर विचार भी ग्रहण कर रहा है, परंतु यहाँ एक प्रश्न यह उठता है, की हम सभी में विचारों को पढ़ने के बाद परिवर्तन कितना आता है? कुछ बदलाव है, हममे या फिर कुछ भी नहीं सिर्फ हम उन विचारों को इधर से उधर किए जा रहे है।

क्या आप भी विचारों को आगे बढ़ा देते है ? यदि हाँ तो क्यों ? ओर यदि आप उन विचारों पर अमल करते है तो अभी कितना बदलाव आया है ओर वो कौनसे ऐसे विचार है, जिनको आपने अपनी जिंदगी में उतार लिया है अभी तक।

आपका दिमाग

आपका दिमाग क्या कहता है? आप को किस कार्य और किस दिशा की ओर प्रेरित कर रहा है आपको ?  किस दिशा में ले जाना चाहता है आपका दिमाग आपको ? क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की है।

जब आप बहुत सारे लोगो के बीच में होते हो यो बहुत शोर आता है अलग अलग लोगो के विचार आपके मस्तिष्क से टकराते है, जिनकी वजह से आपके सोचने में  परिवर्तन आ जाता है ओर आप जो सोचना चाहते हो वो सब सोच भी नही पाते हो, जिस वजह से आप भी उन लोगो में घुल मिल जाते हो ओर देखने लगते हो लोगो को जो आस पास से गुजर रहे है जो आपके सामने से जा रहे है।

जो उनकी आंखे उसी दिशा में बह जाती है जहाँ से लोग आ ओर जा रहे है, लेकिन आपको अपने विचारो को देखना है समझना है क्यों वो बह रहे है? उन लोगो के साथ क्या आपका दिमाग ऐसे ही किर्या कलापो में लगना चाहता है आप यदि करना भी चाहते हो कुछ तो  कर नही पाते बस बह जाते हो दूसरे के साथ…..

आपका मस्तिष्क आपसे कुछ कहता है या कुछ कह रहा है? लेकिन आप अपने मस्तिष्क और उसके विचारो की बात सुन नही पा रहे है या सुनकर अनसुनी कर रहे है हमारा मस्तिष्क ना जाने कितने ही, विचारों को प्रकट कर रहा है कभी हम अकेले बैठना चाहते है तो कभी भीड़ का हिस्सा होना चाहते है, इधर उधर टहलने लग जाते है यदि हमारे पास कुछ और काम नही तो अपने आपको किसी ना किसी काम में व्यस्त रखना चाहते है।

हम हमसे  अपने आपको किसी न किसी प्रकार के कार्य में व्यस्त रखते है, जिसके कारण हम अपने विचारों को सही तरह से ढंग से देख नहीं पाते है हमारा मस्तिष्क हमेशा विचारों में भरा हुआ रहता है हम कभी अपने विचारों के साथ अकेले नहीं होते, ये दिमाग कभी बिना विचारों के नहीं होता ये बात हम कभी नहीं सोचते की ये जो विचार है हमे  किस दिशा में ले जा रहे है।

हमारा मस्तिष्क भी कितने प्रकार के विचारों को प्रकट करता है, कभी किसी प्रकार की सोच में व्यस्त करता है तो कभी काही कुछ और स्तिथि और परिसतिथियों के कारण हमारा मस्तिष्क अलग अलग प्रकार की सोच को विचारों को जनम देता है, या हम यू कह सकते की हमारा मस्तिष्क की प्रकार से कार्य करता है, हमारा मस्तिष्क तो अनंत तरीकों से काम कर सकता है और इतनी किरयायाओ में व्यस्त हो सकता है शायद उसको इमैजिन करना भी मुश्किल है।

Mind work on different different level it vary accrdng to your thought how u give design to ur thought it can goes nd go beyond the limits of univers your brain is complete universe as your brain think it happen in our real life.

हमारा दिमाग भी हर समय हर पल घिरा हुआ रहता है जिसके कारण हमारा मस्तिष्क आने जाने वाले विचारों में विचार विमर्श की क्रिया और प्रतिक्रिया में लगातार उलझा रहता है, इन विचारो के दृश्य और इनकी कल्पनाएं हमारे मस्तिष्क में लगातार चलने वाली किरायायो के एक सहायक होती है, हमारी छोटी छोटी विचार का अपना एक दृश्य होता है और दृश्य की अपनी एक उसकी उचाईं और गहराई उस एक विचार के साथ होती है।

कभी कभी लगता है कि आसक्ति अब भी बाकी है मेरी बहुत सारी जगह जिसके बुलबुले फूटते है,  अंदर ही अंदर और में उनको देखता हूं रोक भी लेता हूं लेकिन फिर भी  ऐसा लगता है कि यदि मैं इन विषयों को हमेसा रोकता रहा तो इनका विस्फोट भी होगा एक दिन जो सही नही है फिर मुझमे अंतर ही कहाँ रह गया यदि मैं भी एक दिशा से दूसरी दिशा में भटकता रहूंगा तो।

इससे तात्पर्य यह है कि मुझे अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते रहना चाहिए चाहे वो छोटी सी इच्छा क्यों न हो उस इच्छा को मारना नही चाहिए उसे समझना चाहिए मेरा लगाव जीवन के प्रति अब भी बाकी है वो लगाव कम हो में इसके लिए अभ्यासरत हूं।

यह भी पढे: यादों से कैसे बचे, नया विचार, यादे दिमागी भोजन, मन का भटकाव,

दिखावा करना

दुनिया में दिखावा करना ….
कोई नहीं हमसाया ।
कही न कही यह स्वय का दोष …
जो चाहता तो हे स्वय के लिए मिले
ऐसा व्यक्तित्व लेकिन नहीं किसी के लिए मैं इस शिद्दत से जी पाया ।
बाहर तो हम कह सकते है आसान हे यह सही नहीं वो कितना ग़लत…..
प्रश्न स्वय से किया कभी मैंने किसके लिये क्या किया ? क्यूँ में माँग रहा कितनी मेरी हे समझ ।

स्वय को कम आंकना नहीं मेरा मक़सद….
बस उम्मीदों के कारवाँ से बचना ही सही मायने की स्वय की सही अर्थों में मदद।

नई संभावनाओ से

नई संभावनाओ से भरा यह दिन…..
रचनात्मक जीये समय आपकी win win ।
अपने व्यक्तिगत को दे shape….
आए चाहे समय की कितनी भी brake ।

जीवन में नई नई संभावनाओं की सुगंध…
महसूस करे सुगंध निरंतर तो होवे उपलब्ध ।
नई सुगंध की चहु ओर हो उसका फेलाव….
सबको सके छू हो ऐसा उसका बहाव ॥


जो होता है वो अच्छा

जो होता है वो सबसे अच्छा…..
क्यूँकि कुदरत प्रकृति की इच्छा ।
इस विचार के दूरगामी परिणाम सुखद …
समर्पण इस विचार को जी के इसकी हद ॥

जो होता है सबसे अच्छा होता है
anmol shabd

जो होता हे वो ही सच्चाई….
न ढूँढे उसमें कुछ बुराई ।
जो हो रहा हे सही …..
जमा लो जीवन की दही ॥

टहलने निकल गया

ज्यादातर मैं यूट्यूब पर जाता हूं वहा पर बुक समरी और काफी कुछ नया सीखने के लिए वीडियो देखता हूं लेकिन आज मैं कुछ ऐसे ही टहलने निकल गया फेसबुक , ट्विटर और इंस्टाग्राम पर जाने पर अच्छा अच्छा लग रहा था क्युकी गया काफी दिनों बाद था।

बस फिर क्या था मैं टहलता ही रहा शाम हो गई और पता चला की मैं अपना दिन यूं ही व्यर्थ कर बैठा बिन मतलब की कुछ बाते पढ़ी और कुछ वीडियो को देखता रहा जिनका ना कुछ ज्यादा सर पैर था। लेकिन इन सभी विडिओ में आज कुछ सीखने को नहीं मिला इसलिए कम अच्छा लगा

पूरा दिन व्यस्त भी खुद में दिखने लगा अंत में जब सोने के बारे में ख्याल आया तो एक विचार आया कि आज किया क्या ?

फिर पूरे दिन को टटोला और समझ आया कि मैं तू आज खाली झोला जिसमे सुबह से लेकर शाम होने तक कुछ भरकर ना लाया।

तो मुझे बताए आपने कुछ भरा अपने झोले में या यूं मेरी तरह खाली झोला करते हुए वापस चले आए।

फिर मिलेंगे शुभ रात्रि

Best Part Of Life

best part of life is to love yourself just love yourself nothing else your life is very important for you and for others too.

best part of life
best part of Life