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मंजिले है ख्वाब सी

मंजिले है ख्वाब सी वो ख्वाब दिखाए

उलफतों में ना जाने वो कौनसी बात बताए

बस ये उलफते बढ़ती जाए

ख्वाब जिंदगी के ना जाने

कैसे कैसे ये सजाए जिंदगी की उलझनो को ये बढ़ाए ,

ख्वाब कुछ दिखाए – ख्वाब कुछ दिखाए

जिन ख्वाबों को हम पूरा नहीं कर पाए

ये मंजिले ये मंजिले

इन मंजिलों को पाने के लिए

हम क्यों न चलते जाए-हम क्यों चलते न जाए

ये मंजिले हासिल करके हम क्यों ना दिखाए

हर राह इस जीवन की

क्यू ना आसान बनाए

हर मोड़ पर आती है मुश्किल

इन मुश्कलो को पीछे छोड़ हम आगे बढ़ चलते जाए

इस सफर को जिए ओर मंजिल को करीब हम लाए

ये मंजिले आसान कर हम दिखाए

डर क्यू रहे है आगे बढ़ने से

पीछे हट क्यों रहे आगे बढ़ने से

आगे बढ़ कर इस  सफर को  क्यों ना आसान हम बनाए

मंजिल को पाने की कोशिश हम करते जाए

पीछे मुड़ क्यों है देखना

आगे बढ़ कदम के साथ क्यों ना पीछे वाले कदम को साथ लेकर आए

ये मंजिले

क्यू ना हम पाए

कदम हमारे लड़खड़ाए

इन मंजिलों को करीब हम लाए

मंजिले ख्वाब सी एक हकीकत वो बन जाए

इन ख्वाबों को पूरा कर हम चलते जाए

ये हौसला कभी कम हो ना पाए

इन मंजिलों को पा कर ही हम रूके

मंजिले है ख्वाब सी ख्वाब पूरे हम कर दिखाए

जिंदगी एक सफर है

जिंदगी एक सफर है, और हम सभी यात्री है, हम थक जाते है, ठहर जाते है, कभी कभी चल नही पाते है बस फिर भी आगे बढ़ने की इच्छा है, इसलिए जिंदगी के साथ आगे बढ़ते जाते है।

यह जीवन एक चलता हुआ सफर है
और हम मंजिल से बस बेखबर है
मंजिल से बेखबर है लेकिन
इस चलते हुए सफर में,
इंसान तू ठहर मत जाना

थक हार कर तू कही बैठ नही जाना
यह जिंदगी एक चलता हुआ सफर है
बस चलते ही तू जाना,
रुक ठहर तू मत जाना
हौसला टूटता है तो टूट जाने दे लेकिन
तू हौसला टूटता देख मत लड़खड़ाना।

मेने हिम्मत की हार होते हुए बहुतो की देखी है
उन बहुतों में तू भी ना शामिल हो जाना,
तू भी उनकी तरह टूट-फुट, बिखर  ना जाना

जिंदगी की मौज में सवार होकर तू आगे बढ़ना
कभी जिंदगी को थका हुआ ,
हारा हुआ एहसास न तुम कराना

आगे देख बस बढ़ते ही तुम जाना
पीछे जो मुड़कर देखते है,
वही अक्सर रुके हुए नजर आते है
और फिर कभी आगे नही वो बढ़ पाते है ,
इसलिए सफर को
मुड़कर ना तू  देखना

बस आगे तू बढ़ते जाना
उचाऊ से कभी मत डरना
और नीचाई को अकड़ मत दिखाना,

ऊँचाई को पकड़ लेना लेकिन
गहराई को भूल ना जाना,

धीरे धीरे चल
आराम से चलना जिंदगी की मौज में चलना
हर कदम संभाल कर चलना
कभी लड़खड़ाना, डगमगाना तो रुक जाना
लेकिन मुड़ कर वापस तू ना आना

बाहँ पकड़ खुदकी तू चलना
बाहे तेरी पकड़ने, साथ तेरा निभाने
कोई ना आएगा
पथ ना कोई दिखायेगा तुझे,
अलग अलग पथों पर भटकाएगा
तुम्हे लेकिन अडिग हो अपने पथ पर चलते जाना है
बल्कि
इसके विपरीत नीचे जो साथ है वो गिरायेगा तुझे
पहले मैं – पहले मैं करता नजर आयेग वह

भरोसा चाहकर भी तू नही उन पर कर पायेगा
खुद संभल उठ खड़ा हो
तभी इस जहांन को नजर आएगा,
वरना ना जाने कहाँ गुम तू हो जाएगा
तू रुकना नही

दिन के उजाले को देख खुश ना होना
और रात के अंधेरे में घबरा मत जाना

मंजिल नजदीक ही है बस उसे पाने के लिए
तू अपने पथ पर अडिग चलते ही तू जाना……

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