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Judge Karna

kya kisi ko judge karna sahi hai ? aap apni rai jaruri btana, lekin meri rai mei kisi ko judge karna thik nahi hai or kisi ka kisi ke saath comparison karna bhi uchit nahi hai …..

kyuki jab aap bahar kisi dusre vyakti ke bheetar sahi ya galat dekhne lag jaate ho to aap swayam ka core bhul jaate ho , aapko fer khud ka nahi maalum padta , bas aap duniay ke acche or bure mein ulajh mein jaate ho yahi baat comparison ki drishti hai jab kaun behtar hai kaun nahi, isliye in vivado ke chakkar mein fanse ho to fir aap kaise kisi ko apna dost bna paoge.

Kuch log aapko bahut baariki se dekhte hai ki aap koi galti kare or wo us galti par aapka mazak bnaye ya fir aapke jitne bhi negative point hai un par dusre logo se aapke baare mein baate kare , ye insaani fitrat hai……

Hame unh logo se dur rehna chahiye jo aapke saath kaarno se judte hai, in logo ka koi matlab hota hai aapke saath judne ka or inki hamesha koshish yahi rehti hai ki apna matlab poora kar ye log aapko chhod dete hai isliye is tarah ke logo se bache , saavdhan rahe

Aapko unki galtiyo ko bas najarandaaz karna hai , khamiya nahi dhundhni , bas wo kya aapko sikhaa raha hai , unki kaunsi baate hai jo aap apne jivan mein utaar sakte hai …. aapko sirf unhi baato par gaur karna hai.

Jivan ki jyadatar pareshaniya tabhi hoti hai jab ham khud se jyada dusro ke baare mein sochte hai , isliye khud par vichar jyada kare or dusro par kam.

क्या करता हूँ मैं

क्या करता हूँ मैं दिन भर ? वैसे तो मैं कुछ नहीं बस अगर सच बताऊ तो सिर्फ लिखने की कोशिश करता हूँ, ओर जो मन में आता है वही अब लिखता हूँ, चाहे मैंने कितना ही सोच रखा हो दिमाग में लेकिन वो एक दम शब्दों को पन्नों पर नहीं उतार पाता है।

इसलिए घंटों बैठ जाता हूँ खुद के साथ अकेले में ताकि मैं कुछ कुछ लिखू जो विचार आ रहे है उन शब्दों में उतार सकु, बस यही एक वो जरिया है , जिसकी वजह से मुझे बहुत शांति मिलती है , लगता है भीतर बहुत कुछ भरा हुआ जिसे बाहर निकाल देना है।

इसलिए मैं अपने लैपटॉप के सामने बैठ जाता हूँ ओर गूगल कीप जिसमे मैं लिखता हूँ, उसको खोल लेता हूँ, जैसे ही कोई विचार मेरे मन में आता है मैं उसे लिख लेता हूँ, यही मैं पहले भी करता था, तब मैं अपनी छोटी सी नोटबुक ओर पेन लेकर बैठ जाता था।

किस तरह से मैं लिखता था उस समय: अपने मस्तिष्क के विचारों पर गौर किया करता था की मेरे दिमाग में चल क्या रहा है? मैं सोच क्या रहा हूँ? असल मैं नहीं, मेरा दिमाग सोचा करता था बस उस दिमाग को मैं देखता था।

मैं आपको बताता हूँ, वो शुरुआत कैसे हुई जब मुझे घंटों बैठना पड़ता था, सिर्फ एक विचार के लिए , सिर्फ कुछ शब्दों के लिए की मैं लिख पाउ उन विचारों को पन्नों पर उतार मैं सकु बस इसलिए तब भी घंटों कॉफी होम में बैठता था। क्युकी एक एक विचार बहुत देर में आता था।

वो विचार जो ब्रह्मांड से आते थे , जो मुझे प्रकृति से जोड़ते थे , एक संबंध स्थापित करते थे , उन शब्दों को मैं सुनता ओर लिखता था , मुझे कुछ नहीं पता बस मैं लिख लेता था, जैसे मैं सवाल पूछ रहा हूँ ओर मेरे जवाब मुझे मिल जाते थे , कुछ बस सवाल ही बनकर भी रह जाते थे की इनका जवाब कुछ समय बाद मिलेगा अभी नहीं।

मैं हर रोज शिवाजी स्टेडियम के पास कॉफी होम है उधर जाता था, जिससे की आराम से बैठकर लिख सकु जो नया विचार आए उसको पकड़ सकु , उस समय मैं अपनी पुस्तक “कौन हूँ मैं” की शुरुआत पर था बस मन में यही विचार था ओर इसी किताब के इर्द गिर्द सभी प्रश्न ओर उत्तर बन रहे थे।

क्या करता हूँ मैं यह बात मैंने आपको बताई अब आप मुझे बताए की आप क्या करते है।

मूड को फ्रेश बनाना

मूड को फ्रेश बनाना है जिंदगी , जिंदगी कभी रुलाती है तो कभी हँसाती है, हर गम को भुलाती है जिंदगी, तुम्हारी मंद मुस्कान को मुस्कुराहट का नाम भी है जिंदगी, कभी मूड को खराब कर देती है तो मूड फ्रेश कर देना ही है जिंदगी,

मूड को फ्रेश बनाना है जिंदगी

मूड को फ्रेश बनाना भी है ज़िंदगी

लगातार जिंदगी को बेहतर बनाना ही हमारा काम है, जिंदगी बहुत बड़ी है ओर हम बहुत छोटे है। इस जिंदगी को बहुत बड़ा ही समझ कर जिन चाहिए तभी हमारे सारे सवालों ओर परेशानियों का समाधान मिलता है, यदि आप मुस्कुरा नहीं पा रहे है, तो जिंदगी की मुस्कुराहट को देखो जरा वह कितना मुस्कुरा रही है, क्या जिंदगी दुखी है? क्या जिंदगी परेशान है? तकलीफ ओर दुख तो तुम्हारी जिंदगी को है इस नन्ही सी जान को इतना परेशान कर रहे है हम।

इसलिए खुद को जिंदगी समझकर जिओ खुद को मानो जिंदगी हूँ मैं ओर जिओ इस जीवन को अपनी आदत में कुछ ऐसे शब्दों को जोड़ लेना बेहद जरूरी है।

पानी की बर्बादी

हमने पानी की बर्बादी करने के लिए बहुत सारे साधन बना लिए है जिनकी वजह से ऐसा लगता है हमारे आगे आने वाली पीढ़िया इन सब चीजों के लिए तरस जाएगी जिन चीजों का हम भोग बहुत नासमझी के साथ कर रहे है।

पानी को साफ करने की मशीन: अक्सर देखता हूँ आजकल हम सभी के घरों में पानी को साफ करने की मशीन लगी होती है, जैसे जैसे पानी साफ होता है, एक तरफ से गंदा पानी रिस रिस कर पाइप से निकलता जाता है , लेकिन उस पानी को कभी हम प्रयोग में नहीं लाते, होने को उस पानी का प्रयोग बर्तन धोने, कपड़े धोने आदि बहुत सारे कामों के लिए प्रयोग में ला सकते है।

लेकिन वो पानी बस यू ही बहता रहता है। और पानी की बर्बादी होती रहती है , आप सोच रहे है, यह बात सिर्फ आपकी 2 बाल्टी पानी की है उससे क्या होगा जरा सोचिए जिनके घर पानी साफ करने की मशीन नहीं ओर जो लोग पानी बाहर से मंगाते है, जब वो पानी के प्लांट वाला व्यापारी सफाई करता होगा पानी की, तो वह कितना पानी व्यर्थ में बहने दे रहा है। ओर हम कुछ भी नहीं कर रहे , ना ही सरकार इस और ध्यान दे रही है, ओर न हम आप सभी कार्यों को सरकार के भरोसे पर नहीं छोड़ सकते कुछ कार्य की जिम्मेदारी तो हमे स्वयं ही लेनी पड़ेगी।

छत पर रखी पानी की टंकी:  छत पर रखी पानी की टंकी भी भर जाती है, लेकिन वो पानी तो घंटों तक बहता हुआ ही दिखता है, कुछ लोग लगता है मोटर चलाकर बस भूल जाते है, ओर पानी बहता रहता है, ऐसा ही कुछ हमारी बिल्डिंग में भी होता है, शाम को पानी आता है, तो सभी अपना पानी भर लेते है एक पानी की टंकी लगभग 35 मिनट में भर जाती है 750 लीटर वाली यदि पूरी खाली है तो , लेकिन वो 35 मिनट उनके पूरी रात में बदल जाते है लेकिन मोटर नहीं बंद होती , यदि टंकी छत पर है तो वो छत भी एक दिन कमजोर हो ही जाएगी , उसमे से भी एक दिन पानी रिस रिस नीचे तक जाएगा, जिस तरह से पानी बहता है,

क्या हम उस पानी का इस्तेमाल गमलों की ओर नहीं कर सकते या अलार्म नहीं लगा सकते की पानी भर रहा है तो हमे याद रहे , हमे वो पता चल जाए की पानी की भर चुकी है अब बंद कर दीजिए। लेकिन ऐसा नहीं करते यह लोग पता नहीं क्या सोचकर पानी को इतना व्यर्थ कर रहे है।

हाल ही मैं एक दर्दनाक हादसा हुआ है, शिमला में पानी लगातार पहाड़ों से रिस रहा था उसका निकासी सिस्टम सही तरीके काम नहीं कर रहा था, जिसकी वजह से पहाड़ खिसक रहे है, ओर बहुत भारी नुकसान पूरे हिमाचल को हुआ है। पूरा हिमाचल इस भूल का परिणाम भुगत रहा है फिर सोचिए हमारा एक छोटा सा घर जिसका हम ख्याल नहीं रख पा रहे है उसका क्या होगा? बड़ी मेहनत से बनता है एक घर पूरी उम्र बीत जाती है एक घर बनाने में , यह जल हमारी प्राकृतिक सम्पदा है, इसे यू ही व्यर्थ में खर्च ना कीजिए इसका ध्यान रखना ही हमारी जिम्मेदारी है।

फोकस

कैसे करे अपने गोल को सेट ? फोकस, फोकस, फोकस ओर सिर्फ फोकस कीजिए , क्या करना है क्या नहीं उस पर फोकस करो जहां opportunity देखी वही भाग जाना नहीं खुद को उसी जगह पर बिल्ड करो

किसी ने सच ही कहाँ है की सक्सेस इस डूइंग राइट थिंग नोट एनीथिंग ओर मेनी थिंग

1. घर ओर परिवार में संतुलन : जो तस्वीर में होते है वो परिवार नहीं है जो तकलीफ में होते है वो परिवार है , घर को ऑफिस ले जाना ओर ऑफिस को घर ले जाना ये ठीक नहीं है , जिन लोगों को आदत होती है की अपनी सारी ऑफिस की टेंशन को घर में उठाकर ले आए ओर घर की परेशानी अपने ऑफिस में तो इसे बंद करे।

2. फाइनैन्शल : खाली पेट ईमानदारी , सच्चाई की बड़ी बड़ी बाते करना कोई ठीक नहीं है इसलिए पैसा कमाओ लेकिन ईमानदारी से ही , पैसा खराब नहीं होता लेकिन यदि आप पैसे से प्रेम करते है तो वह गलत है।

3. शारीरिक दुरुस्त: होना चाहिए सेहत बहुत जरूरी है , जब हम मानसिक तौर पर अच्छे होते है तब अच्छा महसूस करते है ,तभी हम अच्छे बड़े ओर फायदेमंद फैसले ले पाते है।

4. मेंटली स्ट्रॉंग – यदि हम 1 हफ्ते में एक किताब पढ़ते है तो इसी तरह साल में 52 किताबे पढ़ सकते है, जो आपकी बुद्धि को बढ़ाए , आपको नया सोचने कए लिए प्रेरक करे , एक आइडीअ मिलियन डोलोर के बराबर है , सफल होने के लिए सिर्फ एक idea ही बहुत है।

लर्निंग एण्ड अर्निंग , लर्न मोर अर्न मोर , हमेशा पढ़ने की कोशिश करे यह आपको एक बेहतर इंसान बनाने में भी बहुत मदद करता है , समय कितना भी हो लेकिन पढ़ना बहुत जरूरी है, और अच्छी किताब को एक बार नहीं पढ़ना जितनी बार पढ़ सको उतना अच्छा हर बार कुछ नया सीखने को मिलता है , अच्छी किताब सिर्फ पढ़ी नहीं जाती उससे बातचीत की जाती है।

5. आपका सोशल सर्कल – आपका सोशल कितना जरूरी है , आपकी संगत ओर आपकी किताबे जो पढ़ते है वो कहाँ पर है , आज से 5 साल बाद आप कहाँ होंगे, ओर आपका सोशल सर्कल कहाँ होगा क्या आज भी आप उन लोगों के साथ ठहरे हुए है या आप उन्हे भूल गए या वो आपको आपने अपनी जिंदगी में कितने लोगों को संभाल कर रखा है। इस बात से अंदाज लगाया जा सकता है आप आज कहाँ है।

6. आध्यात्मिक – झूठ नहीं बोलना , अपने आप से चोरी नहीं करना, अच्छे रास्ते पर चलना दूसरों को ओर साथ ही खुद को धोखा नहीं देना ,

इन 6 चीजों में से कोई भी एक चीज मिस करोगे तो आपकी गाड़ी झटके मारेगी , इन सभी बातों में से कोई भी एक चीज आप छोड़ते हो तो आपकी गाड़ी डोलेगी।

अपडेट

यदि आप अपडेट नहीं हो रहे है, तो कुछ समय बाद आप स्वयं ही आउटडेट हो जाएंगे, जिस तरह से दुनिया आगे बढ़ रही है, और नई नई तकनिके आ रही है इस हिसाब से टेक्नॉलजी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, हाल ही में जिस तरह से अभी CHAT GPT आ चुका है, यदि हम देखे तो ज्यादातर बड़ी बड़ी कॉम्पनीया चैट गपट को प्रयोग में ल रही है ओर अपनी कार्य क्षमता को बढ़ रही रही है, उस हिसाब से हम सभी की प्रोडक्टिविटी भी बढ़ रही है, एक कंपनी की काम करने की क्षमता अधिक हो रही है, जिसकी वजह से उनकी मार्केट ग्रोथ ओर अधिक होने लगी है, इन कॉम्पनियों का प्रॉफ़िट बढ़ने लगा है, अब कुछ घंटों का काम सिर्फ कुछ मिनटों में होने लगा है, एक इंसान की कार्यक्षमता बहुत ज्यादा हो चुकी है, ओर जो लोग इस चीज को अडैप्ट नहीं कर रहे है वो कितना पीछे चले जाएंगे आने वाले कुछ समय में , संभावनाए लगातार बढ़ रही है यदि कोई एक चीज नई आती है तो दूसरी पुरानी होगी ओर मार्केट से निकल जाएगी इसके साथ ही बहुत सारी नई चीजों का विस्तार भी होगा।

आज से 10 साल बाद वर्ल्ड किस लेवल पर पहुच सकता है , क्या possibilities है की हम किस लेवल पर होंगे

हम पहले खाना खाने के बाहर जाते थे या अधिकांश घर पर ही बनाते थे ओर उसीको खाते थे लेकिन जबसे swiggy , zomato , आदि अन्य सेवाये आई है , हम बाहर से खाना मांग कर खाने भी लग गए है , यह एक नई जॉब opportunity खुली है इसी तरह से नया behavior खुलता है कोई नहीं चीज जब मार्केट में आती है आने वाले समय में Chat GPT से जुड़ी नौकरिया भी सामने भी आने लगेगी , किसी भी नई तकनीक को हमे इग्नोर नहीं करना नहीं करना उसे अडैप्ट करना चाहिए , और समय के साथ साथ अपडेट होते रहना चाहिए।

जिस तरह से मार्केट में नए फोन आए , यू ट्यूब , फेस्बूक , इंस्टाग्राम , टिकटोक, आदि सोशल मीडिया के Plateform बने साथ ही इनसे कमाई से साधन भी विकसित हुए बहुत लोगों के लिए

ऑफलाइन के साथ साथ अब अनलाइन भी समान उतनी ही तेजी से बिक रहा है , इसलिए मार्केट में कोई चीज आती है तो उपयोग ओर उपभोग दोनों ही साथ साथ होते है , इससे नई नई संभावनाए भी खुलेगी

जैसे की व्हाट्सप्प था, हम पहले किसी को फोन करते थे अब मैसेज से भी काम चल जाता है , अपने प्रोडक्ट के बारे में बताने के लिए अपने ग्राहकों को अलग प्रकार से मार्केटिंग करनी पड़ती थी लेकिन व्हाट्सप्प या आदि आने सेवाओ के होने से हमे उन तक अपना संदेश व सेवाये बहुत आसानी से पहुच देते है तथा उन्हे अपने बारे अधिक जानकारी भी देते है , यदि आप व्हाट्सप्प चलोगे नहीं तो फिर उसी तरह से आपको अपने ग्राहकों के नुमबरों को डायरी में नोट करना अपड़ेगा ओर उन्हे एक एक करके बना होगा यह सब साधन हमे बिजनस व हमारी उड़पादां क्षमता, हमारी सर्विस को ओर बेहतर बनाने के लिए आती है , इसलिए इनका हमे समझदारी पूर्वक उपयोग व उपभोग करना चाहिए।

समय समय पर स्वयं को अपडेट करते रहे।

यह भी पढे: लगातार करते रहे, क्या सलाह है, अपने बिजनस, सबसे अच्छा विचार,

Shrink Flation

Shrink Flation क्या होता है? जब प्राइस मत बढ़ाओ , चीजों को छोटा कर दो , समान को आधा कर दिया जाए उसे Shrink Flation कहते है , Shrink Flation क्यों होता है ? – जब आपके आसपास बहुत स्पर्धा है, यदि आप प्राइस बढ़ देंगे तो आपका माल नहाई बिकेगा ओर दूसरी कॉम्पनी की सेल बढ़ने लग जाएगी और आपकी कम हो जाएगी , साथ ही कोस्ट बढ़ती है, एम्प्लोयी की सलेरी , उपकरण आदि की कारण बढ़ जाते है समान को बनाने में , एक प्रोडक्ट के पीछे कई और कंपनी भी खुल जाती है, अगर दूसरे लोग रेट नहीं बढ़ रहे तो हम कैसे बढ़ा सकते है इसलिए समान को आधा कर देते है।

क्या आप जानते है ? बिना प्राइस बढ़ाए भी प्रॉफ़िट कमाया जा सकता है, आइए जानते है आजकल बड़ी बड़ी कंपनी क्या करती है , प्रॉफ़िट को बढ़ाने के लिए यदि आप पार्ले जी का बिस्किट खाते है, तो आप देखेंगे की जो पिछले काफी सालों से पार्ले जी का बिस्किट आ रहा है उसका साइज़ अब छोटा हो गया है , लेकिन उसका दाम वही है वो नहीं बढ़ रहा लेकिन कुछ महीनों में ही बिस्किट कम हो जाते है।

कंपनी समान कम कर देती है लेकिन मूल्य उतना ही रखती है, इसी तरह हल्दीराम की नमकीन या कोलगेट, कपड़े धोने वाला विम बार 155 ग्राम से 135 कर दिया मात्र 6 महीने के भीतर ,OREO बिस्किट में व्हाइट क्रीम कम करदी साथ ही बिस्किट की संख्या भी कम , चिप्स के पैकेट में हवा बढ़ रही है, लेकिन चिप्स कम हो गए है , कई बार ये लोग साइज़ बढ़ा देते है लेकिन समान उतना ही होता है।

हमे लगता है ज्यादा होगा लेकिन होता नहीं है, बस उसका आकर्षण अधिक कर देते है जो बेचने में इन कॉम्पनी के आसानी कर देती है, आदि बहुत सारी खाने पीने का समान है जो लगातार समान कम हो रहा है, लेकिन कीमतों में वृद्धि नहीं हो रही है , लेकिन इसका अर्थ ये नहीं है की मेंहगाई नहीं हो रही। यह बात हो गई आपकी FMCG के प्रोडक्ट की आप हम कुछ ओर चीजों को भी देखते है जिन लोगों ने अपनी सर्विस को।

जब आप पहले फोन खरीदेते दे तो आपको फोन के साथ चार्जर, ईर्फोन, पिन आदि डब्बा भी बहुत अच्छा होता था लेकिन अब कॉम्पनी भी मिलती थी साथ डब्बे की पॅकिंग , कवर ओर भी की अच्छी चीजे उसके साथ मिलती है, व डिब्बे की पॅकिंग भी अच्छी होती थी लेकिन अब कंपनी सिर्फ फोन ही देती है।

टेलीकॉम इंडस्ट्रीज़ ने 30 दिन से काम करके उसको अब 28 दिन कर कर दिया है यह पैसे उतने ही ले रहे है लेकिन दिनों में कमी कर रहे है।

मेरा धैर्य से संवाद

मेरा धैर्य से संवाद , धेर्ये में तेरे में पलता
तेरे में मेरा बचपन जवानी में जीता ।
तू जेसा मुझे वैचारिक भोजन स्वस्थ
भोजन देगा उसी प्रकार मेरा शरीर
बनेगा ।

मै तुझे बदरी विशाल की तरह चाहता देखना ।
धेर्य सपना तो तेरा बहुत बड़ा लेकिन पहचान तू क्या जीवन जी रहा । पल भर में मुझे छोड़
ग़ुस्से के घोड़े की सवारी करने लगता हे ।
मुझे तो साहस दे मुझे पाल अच्छा वेचारिक भोजन दे निरंतर तो में तेरा सपना पूरा कर सकता हूँ ।

में तुझ से प्रतिज्ञा करता हूँ धैर्य मेने तेरे विचारो को सुना में तुझे अपनी तकलीफ़ों में आगे झोकूँगा तुझे में बहुत मज़बूत बनाऊँगा ओर
जीवन को महान उज्ज्वल बनाऊँगा मै समझ रहा हूँ तेरी कितनी आवश्यकता हे जो भी बड़ा दिख रखा लोगों के जीवन में वो तेरे ही बल पर प्राप्त हुआ हे ।

मेरा धैर्य से संवाद यही है अब तू लग जा काम पे वेसे ही समय जो अब आगे बचा हे उसे पहचान ओर अपने बुद्धि कोशल से आगे बढ़।

यह भी पढे: धैर्य व्यवहार, भीतर सच, आशा ओर निराश, अपमान ओर अहंकार,

आंखे

आंखे हमारे शरीर का अभिन्न अंग है जो बहुत जरूरी है जैसा की आप जानते ही है लेकिन फिर भी इन आंखों की एक इच्छा देखने की होती है वो क्यों ? क्या हमने आदत बना ली है ?

आंखों के बारे में तो आप सभी जानते है लेकिन जो आंखों में यह देखने की इच्छा है यह क्या है ? और क्यों आंखे इतना सब कुछ देखना चाहती है लेकिन क्यों ? इन आंखो मै इस संसार को देखने की इतनी इच्छा क्यों है ? हम क्या सब कुछ देखना चाहते है ? आंखो से देखने की इच्छा रखना।

हमेसा अपने रास्ते पर ध्यान रखना जिससे की इस शारीरिक सुरक्षा पर ध्यान रखा जा सके और आने वाई घटनाओं से बचाव हो  सके।

आंखों का रोना मन के भावों को बढ़ावा देना  तथा  भाव प्रकट करना जब हम किसी व्यक्ति विशेष को देखते है तो हमारे मन में अनेकों प्रकार के विचार , भाव प्रकट होते है जिसके कारण बहुत सारी स्तिथि ओर परिस्थिति का निर्माण होता है जैसा हम देखते है वैसे ही हमारे विचार उं पर कार्य करने लग जाते है और विचारो का कार्य ही है लगातार कार्यरत होना।

पढ़ना कल्पनाशील खुली आंखों से दुख सुख  प्रकट करना सहायक प्रकिर्या है आंखे खुसी प्रकट करना चाहती है, आराम की स्तिथि में आना तथा  चौकन्ना हो जाना।

तस्वीरों को कैद करना और उन पर अपने विचारो को व्यक्त करना यह सबसे महत्वपूर्ण कार्य लगता है, इन आंखो द्वारा हमेसा देखने की इच्छा रखना बार बार बाहरी वस्तुयों को देखते रहते और आंखे बन्द कर के भीतर ना जाने की इच्छा या अनिच्छा रहना।

चित्रण करना उसकी एक तस्वीर अपने मस्तिष्क में भर लेना और उसको हृदय में छाप लेना यह सब आंखो के माध्यम से हो रहा है, हमारी आंखे देखना क्या चाहती है?  इन आंखों को क्या देखना पसंद है? यह किस प्रकार के दृश्यों को देखना चाहती है?

हमारी नजरे किस और ध्यान दे रही है? हमारी आंखे सूंदर सुन्दर दृश्यों को देखना चाहती है हमारी आंख अंदर की गहराइयों में झांकना चाहता है।

इस घर पर जन्म लेना चाहिए और अधर्म का नाश करना चाहिए लोगो की सेवा धर्म भावना से करनी चाहिए हमे अपने स्वामित्व को पहचानना तथा जानना है।

यह भी पढे: तेरी आंखे, आंखे मन का दर्पण, दृष्टि, आंखे भीग जाती है,

कौन है ये लोग

कौन है ये लोग जो हर रोज कुछ न कुछ हरकते है, दूसरों को परेशान करते है

कहाँ से आते है ये लोग? कौन है ये लोग जो रोज उट पटाँग हरकते करते है लेकिन फिर भी इनको कुछ समझ नहीं आता बस ये तो अपनी फिकर करते है दुनिया को पागल समझते है, और खुद को बहुत समझदार, खुद को बहुत एडवांस ओर दूसरों को आउट्डैटिड समझते है।

मेट्रो में कुछ ऐसे लोग भी सफर करते है,

खाते है पीते ओर अपना कूड़ा कचरा वही छोड़ जाते है,

साफ सफाई का ध्यान नहीं रखते,

उन्हे अपनी जिम्मेदारी का कोई एहसास नहीं है,

क्या वो अपने घरों में भी ऐसा ही करते है

ना जाने कौन सी शिक्षा वो ग्रहण कर रहे है,

अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग रहे है,

क्या ये लोग जेन्डर स्पिसिफिक या फिर महिलाये और पुरुष दोनों को कहा जा सकता है?

आज शुक्रवार दिनांक 16-12-2022 जब में दुकान से आ रहा था तो मेट्रो भरी हुई थी ओर में आज उस जगह खड़ा हो गया जो मेट्रो में वृद्ध वाली सीट रिजर्व होती है उस जगह जाकर खड़ा हो गया तभी मेरे कानों ने कुछ बाते सुनी।

आज मैंने दो बुजुर्ग व्यक्तियों को आपस में बाते करते हुए सुना की लड़किया हमारी सीट पर बैठ जाती फिर उठने का नाम ही नहीं लेती और यदि हम महिलाओ की सीट की बैठ पर जाते है तो तुरंत ही उठा देती है फिर उम्र का लिहाज भी नहीं करती है ना जाने ये कैसा समय आ गया है बिल्कुल भी शर्म नहीं बची है आजकल के बच्चों में की कोई बुजुर्ग उनके सामने खड़ा हुआ है ओर वो अपनी सीट छोड़कर उठते नहीं साथ ही यदि उनकी सीट पर बैठ जाओ तो वह वह से उठा देती है बल्कि उंगली से इशारा कर बोलती की उठ जाओ बड़ा अजीब सा लगता है।

तभी मन में प्रश्न उठता है की ये है इनके कैसे संस्कार ?

कौन है ये लोग ?

आज कल लोगों में एक नई परतिस्पर्धा भी देखने को मिलती है हॉर्न बजने की लोग हॉर्न बहुत जोर जोर से बजाते  है और ना जाने कैसे कैसे हॉर्न अपनी गाड़ियों में लगवाते है, बिना सोचे समझे ये लोग सिर्फ हॉर्न बजते है बिना मतलब के जैसे की कोई इनके बस सामने ना आए इनको पूरा रास्ता खाली मिले भाई साहब गाड़ी रोड पर चला रहे हो आसमान में नहीं लेकिन अब ये बात इनको कौन समझाए और कैसे ?

पूछो इनसे भी कौन है ये लोग ? न जाने कौन है ये लोग जो गॅलिओ को हाइवे और हाइवे को गली बना लेते है स्कूटर ओर बाइक वाले लोग गली में ऐसे गाड़ी चलते है जैसे हाइवे पर चल रहे हो और हाइवे या रोड पर पहुचते ही ये साइड में चलाने लग जाते है तब इनकी हैकड़ी सब खतम हो जाती है फेर भूल जाते है गाड़ी चलाना?

कौन है वो लोग ? हम सभी में से है वो कुछ लोग जो ऐसी हरकते है और बिना सोचे समझे ये सारी हरकते करते ही जाते है! रुकते नहीं है ना ही समझते है यह सब हमारी आदतों में आ जाता है।

मेट्रो में संगीत न बजाए ये लगातार मेट्रो में इस सूचना को लगातार प्रसारित किया जाता है यात्रियों को लेकिन इनमे से कुछ यात्री बिना एयर फोन के तेज ध्वनि में गाने सुनते ही रहते है और विडिओ या कुछ रील्स देखते रहते है उनके साथ में कौन है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है बस खुद के लिए ओर टाइम पास के लिए वो ये सब करते है इनको सिर्फ अपने मनोरंजन की परवाह होती है इसके अलावा इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता।

कौन है ये लोग ? जो किसी की नहीं सुनते ये सिर्फ अपनी ही धुन में होते है सभी बातों को नकार देते है।

देखिए क्या आपके आसपास भी ऐसे लोग है ?

यह भी पढे: दो दोस्त मेट्रो में, मूड को जरा संभाल, मूड को फ्रेश बनाना, मूड खराब हो जाता,