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hi papa

hi papa बहुत समय बाद एक पारिवारिक बेहतरीन फिल्म देखी hi nana विराज उर्फ नानी इस फिल्म में एक पिता की भूमिका निभाते है, ओर उनकी एक बेटी होती जिसे वो बेहद प्यार करते है, वैसे तो हर पिता अपने बच्चों से बहुत प्रेम करता है, चाहे वो लड़का हो या लड़की उसे इस बात से कोई लेना देना नहीं होता लेकिन नैनी आपको बहुत रुलाते है इस फिल्म उनका अन्कन्डिशनल लव अपनी पुत्री के प्रति बहुत ही भावुक कर देता है। इस फिल्म में मृणाल ठाकुर उर्फ यासना, शरुती हसन, अंगद बेदी, किआरा खन्ना जिन्होंने विराज की बेटी का रोल किया है, इस नन्ही कलाकार ने दिल ही जीत लिया बहुत बेहतरीन ऐक्टिंग की है, बहुत शानदार किरदार निभाया है हर किसी का रोल बहुत ही उम्दा है।  

hi papa फिल्म एक रोमांटिक ड्रामा है जिसे देख मन में संगीत बज उठता है, यह फिल्म आपको रुलाती है बहुत मीठी मीठी हंसी का एहसास कराती है, भावनाओ से ओत प्रोत कर देती है।

खैर आजकल की फिल्मों से तो प्यार नाम का मतलब ही कुछ ओर हो गया है, इस फिल्म में बहुत अच्छे तौर पर प्रेम को दर्शाया गया है, इस रकर की फिल्मों को बार बार बनाया जाना चाहिए जिससे हमारी भावनए जीवित रहे नहीं तो वही मार काट देख कर हम लोग जानवरों की तरह व्यवहार करने लग जाएंगे शायद उनसे भी बदत्तर हो जाएंगे जिस तरह से आजकल फिल्मों में खून खराबा दिखाया जा रहा है।

फिल्म की कहानी में नानी ओर मृणाल ठाकुर एक दूसरे से प्रेम करते है ओर शादी कर लेते है उनका एक बच्चा होता है, ओर कुछ समय बाद यासना ओर विराज का एक्सीडेंट हो जाता है, लेकिन दोनों बच जाते है, लेकिन यासना विराज की पत्नी अपनी यादस्त खो बैठती है जिसके कारण वह अपनी पिछली जिंदगी भूल जाती है ओर उन्हे कुछ याद नहीं रहता यही से दोनों अलग अलग हो जाते है। ओर फिर से कहानी एक नया मोड लेती है जिसे आपको खुद ही देखकर रोमांचित होना चाहिए इसलिए मैं पूरी कहानी नहीं बता रहा इस फिल्म को देखिए ओर बताए की फिल्म आपको कैसी लगी।

hi papa फिल्म इस समय नेटफलिक्स पर उपलब्ध है

एनिमल फिल्म रिव्यू

एनिमल फिल्म रिव्यू : हर एक किरदार ने फिल्म में ऐक्टिंग तो शानदार की है, सभी पात्रो ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है, फिल्म की कहानी उतनी अच्छी नहीं है, एक बेटा अपने पिता से बेहद हद तक प्यार करता है, अपने पिता के लिए वो दुनिया को भी तबाह कर देना चाहता है, लेकिन गलत रास्ते को चुनते हुए, उसका गुस्सा, उसके आर्ग्यू उसको हमेशा सही लगते है, फिल्म को हमेशा इस तरह से ही दिखाया जाता है की हीरो जो कर रहा है वही सही है, चाहे वो गलत हो, लेकिन असल जिंदगी इससे बहुत हटकर होती है, यह आपको कत्ल करना, बलात्कार करना, नंगापन सिखाते है ओर हम इन लोग इसे सीखकर बिल्कुल सही मान लेते है, लेकिन यह बिल्कुल गलत है, इतना खून खराब इन फिल्मों में जो एक छोटे बच्चे पर किस तरह से असर करता है, उसका पूरा जीवन बदल जाता है, फिलहाल यह फिल्म 18 साल के ऊपर के लिए इसलिए 18 की उम्र से नीचे के बच्चों को यह फिल्म ना ही दिखाए तो बेहतर है, लेकिन आजकल इंटरनेट का सोर्स इतना है की बच्चे कुछ भी देख लेते है । फिर यह फिल्म कौनसी बड़ी बात है।

फिल्म में कलाकार अनिल कपूर, रणवीर कपूर, प्रेम चोपड़ा, राश्मिका मँदाना, शक्ति कपूर, बॉबी देओल ,

एनिमल फिल्म रिव्यू यह फिल्म एक फॅमिली ड्रामा है, इस प्रकार की कहानी पहले भी बन चुकी है ओर अब थोड़ी सी नए रूप में बनाई गई है, कहानी पहले भाग में भाग रही है आंखे परदे से हटती नहीं है जैसे सीट पर फेविकोल लगा कर खुद को चिपका लिया हो लेकिन इनर्वल के बाद फिल्म धीमी हो जाती है, जहां फिल्म की साँसे टूटने लगती लगती है, ओर कुछ ऐसे सीन डाल दिए जाते है फिल्म में जो बिल्कुल भी जरूरी नहीं है, इसके साथ ही कुछ पहलू अनछुए छोड़ दिए है इस फिल्म में, फिल्म के आखिरी सीन को देखकर लगता है की फिल्म का दूसरा भाग भी बनेगा ओर हो सकता है।

इस फिल्म में प्रेम को शारीरिक संबंध के तौर पर दिखाया गया है, क्या औरत का शरीर सिर्फ संभोग करने के लिए ही है, क्या औरत को अल्फा मेल पसंद होते है? राश्मिका मँदाना ओर तृप्ति ढींगरा इस तरह के रोल करने के लिए राजी हुई जो बहुत सोचने लायक है। प्यार का मतलब आप किसी के जूते चाटने के लिए तैयार हो जाओगे क्या ? आप शारीरिक संबंध बनाने के लिए खुद को कितना भी गिर सकते हो? इस तरह के निर्देशक जो फिल्म बनाते है लगता है इनको जीवन में किसी भी प्रकार से प्रेम नहीं मिला ओर ये अपने जीवन से असन्तुष्ट है तभी इस तरह की फिल्म बनाते है।

इतनी कैजुअल ऐक्टिंग जब रणवीर कपूर लड़ाई करता है तो, उसके दौरान गाना बहुत ही अजीब सा लगता है, जिसका कोई मतलब नहीं बनता, ये लोग क्यू पारिवारिक फिल्मे नहीं बनाते, फिल्म में कुछ सीन ओर कई डाइअलॉग जो बिल्कुल सही नहीं है।

यह फिल्म 3:21 घंटे की है, फिल्म को थोड़ा छोटा बनाया जा सकता था क्युकी कुछ सीन बहुत जबरदस्ती के जोड़े गए है जिनकी बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी, जबरदस्ती में सेक्स पर फोकस कराया गया है, जो भद्दी मानसिकता को दर्शाता है,

इस फिल्म को थोड़ा छोटा बनाना चाहिए था, पहले भाग में बॉबी देओल की एंट्री ही नहीं होती बॉबी देओल का फिल्म में काफी छोटा रोल है पहले हाफ तक बॉबी देओल की एंट्री ही नहीं होती।

फिल्म जरूर देखनी चाहिए एक बार आपको बहुत कुछ पता चलता है, आपका दिमाग कन्फ़्युशन में छोड़ दिया जाता है की आप अपनी जिंदगी में क्या सही क्या गलत करते है यह आपको नहीं पता होता, उन्हे अच्छे से समझे ओर फिल्मों को फिल्मों की तरह ही देखे यह आपकी असल जिंदगी को प्रभावित न करे।

घूमर फिल्म

घूमर फिल्म में कुछ ऐसे वाक्य जो हमारी जिंदगी को बदलने में सहायक है, कुछ ऐसे विचार जिनको पढ़कर आपको हिम्मत मिले

  1. लगातार कोशिश करने से जीत हासिल होती है।
  2.  जिंदगी में कब कौनसी परेशानी आपको घेर ले ये बात किसी को नहीं पता।
  3.  हम अपने सपनों को बहुत बड़ा कर लेते है लेकिन हमे नहीं पता चलता वो कब टूट जाते है।
  4.  कोई किसी के लिए नहीं रुकता , आपके बदले कोई ओर जगह जरूर लेगा , बिल्कुल वैसा हो  या नहीं वो शायद आपसे बेहतर या फिर बस कुछ कम हो सकता है बिल्कुल आप जैसा न भी हो तो भी।
  5.  उन टूटे हुए ख्वाबों को फिर से जोड़ना मुश्किल हो जाता है, लेकिन उसका टूटना बहुत बड़ा दर्द  है।
  6.  तुम खुद को दुख से भरना चाहते हो लेकिन सुख तुम्हारे साथ ही क्युकी तुम दुख को बड़ा कर लेते हो ओर सुख को छोटा।
  7.  तुम्हारा होसला ही तुम्हें कामयाबी दिलाता है।
  8.  जिंदगी जब कही पर दरवाजा बंद करती है तब दरवाजा खोलना नहीं तोड़ना पड़ता है।
  9.  हम शरीर के कुछ अंगों को बिल्कुल भूल जाते है। जिनका प्रयोग सिर्फ कुछ ऐसे कामों के लिए करते है जिसका विकल्प भी आज मौजूद है।
  10.  जरूरी नहीं है दरवाजे को तोड़ना ही पड़े बस थोड़ी मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है, उस दरवाजे की चाबी को पाने के लिए।
  11.  तीखी बाते कभी कभी इंसान को अच्छा बनाती है, तो बहुत सारे लोगों को बुरा भी बना देता है।
  12.  हमेशा सख्त होना भी अच्छा नहीं है।
  13.  हम हमेशा परफेक्ट होने में ही लगे रहते है। लेकिन क्या परफेक्ट होना जरूरी है?
  14.  कहते है रुकना नहीं है, बस चलते रहना है तभी मंजिल मिलती है।
  15.  अपनी गलतियों को सुधारना है, ओर दुबारा गलतिया ना हो ऐसा प्रयास करना है।
  16.  जिंदगी में बहुत सारी असफलता मिलती है, लेकिन सफलता हमारा अधिकार है, जो एक दिन  अवश्य मिलेगी।
  17.  क्रिकेट अनिश्चितिताओ का खेल है कुछ भी हो सकता है।
  18.  आपकी सफलता सिर्फ आप पर ही निर्भर नहीं करती वो एक समूह का भी हिस्सा है।
  19.  विश्वास जरूरी है अंधविश्वास नहीं।
  20. जब आपकी किस्मत ही किसी ने छिन ली हो, तब किस्मत पर भरोसा करोगे या खुद पर विश्वास।

यह विचार घूमर फिल्म से है, यदि आपको अच्छे लगे हो तो कृपया कमेन्ट करके बताए इसी तरह के बहुत सारे विचार फिल्मों के माध्यम से मैं लिखता रहूँगा।

भगवांथ केसरी

भगवांथ केसरी में नंदमुरी बालाकृष्ण, श्रीलीला, काजल अग्रवाल और अर्जुन रामपाल जैसे सितारों वाली फिल्म अक्टूबर में रिलीज हुई थी और जैसे ही फिल्म रिलीज हुई हर तरफ इसी के चर्चे होने लगे. इसी का असर था कि कई बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म इस फिल्म को खरीदने की होड़ में थे. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर फिल्म किस ओटीटी प्लेटफॉर्म ने भगवंत केसरी के राइट्स खरीदे हैं तो आपको बता दें कि अमेजन प्राइम वीडियो पर ये फिल्म रिलीज हो गई है.

सिनेमाघरों में कुछ ऐसी फिल्में भी रिलीज होती हैं, जिन्हें देखने के लिए सिेमाघरों के बाहर दर्शकों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है. भले ही ये फिल्में कम बजट में बनी हों, लेकिन इनकी कहानी इतनी जबरदस्त होती है कि कोई भी खुद को ये फिल्में देखने से रोक नहीं पाता. पिछले महीने ऐसी ही एक फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, जिसे देखने वालों की सिनेमाघर में भीड़ लग गई. इस फिल्म की सफलता को देखते हुए अब फिल्म के मेकर्स इसे ओटीटी पर रिलीज करने की तैयारी में जुट गए हैं. ये फिल्म है ‘भगवंत केसरी’, जो ‘गणपत’ और ‘टाइगर नागेश्वर राव’ के साथ सिनेमाघरों में रिलीज हुई और दोनों ही फिल्मों को जबरदस्त पटखनी देते हुए कमाई के मामले में काफी आगे निकल गई.

भगवांथ केसरी फैंस लंबे समय से फिल्म के ओटीटी पर रिलीज होने का इंतजार कर रहे थे, जो अब खत्म हो गया है. नटसिंह्मा नंदमुरी बालकृष्ण और श्री लीला की फिल्म के राइट्स ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम ने खरीद लिए हैं. यानी अब आप ये फिल्म अमेजन प्राइम पर आसानी से देख सकेंगे. फिल्म 24 नवंबर को ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज की जा चुकी है, अब इसका हिन्दी वर्जन अमेज़न उपलब्ध है, फिल्म बहुत ही शानदार है। फिल्म की कहानी में दम है,

नंदा बालकृष्ण मूरी अपनी बेहतरीन ऐक्टिंग के लिया बहुत ही विख्यात है, इनका अपना ही एक अलग अंदाज है, इनके डाइअलॉग दर्शकों को बहुत लुभाते है, गुंडे तो कांपने लगते है इनको देखकर फिल्मों में जब ये बोलते है सब चुप हो जाते ओर जब मारते है तो बचते नहीं मार ही जाते है।

ताली सीरीज

सुष्मिता सेन की ताली सीरीज आज जिओ सिनेमा पर आज लॉन्च हुई है , थोड़ा पतंग उड़ाने में व्यस्त रहे हम इसलिए देख नहीं बस जब रात को काम करने के लिए बैठे तो याद आया की फिल्म भी लॉन्च हुई है , तो देख लेते है , तो हम बैठ गए देखने के लिए आपको फिल्म के बारे में बताना भी था न तो ये भी बनता है की फिल्म देख ली जाए , वैसे तो सोने का मन कर रह था लेकिन जब सीरीज शुरू कर दी तो बंद करने का मन नहीं किया इसलिए पूरी देखली।

सुष्मिता सेन पहले से ही एक बेहतरीन अदाकारा है , इस फिल्म में तो उन्होंने अपनी ऐक्टिंग से चार चाँद लगा दिए है , सुष्मिता सेन उर्फ गौरी

समानता की लड़ाई : सबको समान अधिकार का कानून , एक ट्रैन्ज़्जेन्डर को भी वही हक मिलना जो स्त्री ओर पुरुष के लिए। सीरीज के पहले में भाग में सुष्मिता सेन कोर्ट पहुचती है तब उनके ऊपर हमला होता है।

सीरीज के दूसरे भाग में : सुष्मिता सेन के डाइअलॉग काफी अच्छे लिखे गए है। जिंदगी की जद्दोजहत सर्वाइवल की लड़ाई ये दूसरी लड़ाई है इस कहानी में
सुष्मिता सेन इस चैप्टर का नाम देती है फीलिंग इस चैप्टर में ईमोशन है कहानी बनती है , एक ट्रैन्ज़्जेन्डर की ओर यहाँ गौरी ट्रैन्ज़्जेन्डर बनने की कोशिश करती है ओर उनके रहन सहन से रूबरू होती है।

कहानी का तीसरा भाग जिसमे राही चल रहा है : अब सुष्मिता सेन वापस मुंबई आ जाती है
ओर अब वह एक ट्रैन्ज़्जेन्डर बनती है अभी तक वह अंदर से ट्रैन्ज़्जेन्डर नहीं बनी थी, इस फिल्म में सुष्मिता सेन ट्रैन्ज़्जेन्डर के हक की लड़ाई लड़ती है। जिसमे उनको भी आधार कार्ड , पान कार्ड , ओर व्यवसाय करने का हक मिले जो अभी तक इस हक से यह वंचित थे, समाज इन्हे बुरी नजरों से देखता है उन नजरों में बदलब लाने की लड़ाई , उनके हक की लड़ाई, इसी पर यह कहानी आगे बढ़ती है।

कहानी के 4 से 6 भाग तक कहानी बहुत तेज भागती है ओर इस सीरीज को बंद करने का मन नहीं करता, क्युकी हर एक सीन इस तरह से दर्शाया गया है मानो आप उस घटना को होते हुए अपनी आँखों के सामने ही देख रहे है।

इस कहानी में वो समाज भी है जो किसी को उभरने नहीं देता , उस समाज का कड़वा सच जो किसी को समान अधिकार देने से अब भी घबराता है, ओर उस समाज का एक भद्दा चेहरा भी नजर आता है जो किसी को घृणा की नजर से भी देखता है।

कहानी आगे बढ़ती है ओर जिस तरह से कहानी आगे बढ़ती है सुष्मिता सेन कमाल करती ही नजर आती है उनकी ऐक्टिंग इस सीरीज को चार चाँद लगा देती है, हर एक सीन में तालिया बजाने को मन करता है। जैसा की सुष्मिता सेन कहती है ताली बजाऊँगी नहीं बजवाऊँगी

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गदर 2

किरदार गदर 2 : सनी देओल , अमीषा पटेल , उत्कर्ष शर्मा , सिमरत कौर , लव सिंह ओर मनीष वध्वा

सनी देओल ने कितनी ही हल्की फिल्म की हो लेकिन उनकी ऐक्टिंग बहुत शानदार रहती है, इनको देखने बाद तो यही लगता है, की ये ट्रक को भी उठाकर फैक देंगे जब गुस्से में होते है, फिर हथोड़े से पिटाई इनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है। और ऐसा ही कुछ दिखा सनी पाजी की गदर 2 में , कुछ भी कर सकते है सनी पाजी , उनके चेहरे को देखकर ही लोग डर जाते है वो जब गुस्से में होते है।

कुछ सीन ऐसे आते है, जहां आप खुद ही खड़े होकर चिल्लाने लग जाए आपका ऐसा मन करता है, सिनेमा हाल में लोग भारत माता की जय के नारे लगाते दिखे, ये मोमेंट कैमरे में तो कैद नही कर पाया लेकिन लोगो का समूह खुद जोर जोर से भारत माता की जय , भारत जिंदाबाद था , जिंदाबाद है, और जिंदाबाद रहेगा के नारे गूंजते रहे।

गदर 2
रिकार्ड तोड़ टिकट बुकिंग

फिल्म पहले हाफ में थोड़ी धीमी चलती है, लेकिन दूसरे हाफ में जोर पकड़ लेती है, फिल्म की कहानी को घुमाकर लाने में अनिल शर्मा को थोड़ी मेहनत करनी पड़ी है, लेकिन फिर भी अनिल शर्मा दम पूरा लगा नहीं पाए ऐसा लगता है, पहले हाफ में फिल्म आपको बांध नहीं पाती है , और आप सीट के साथ चिपककर बैठना पसंद नहीं करते।

गदर 2 का म्यूजिक जो गदर एक प्रेम कथा में मैजिक करता है, हमारे मन में अपने आप ही गानों में खो जाता था , लेकिन वो गदर-2 में नहीं दिखाई पड़ता, तो गानों का जादू भी हल्का है लेकिन उत्कर्ष शर्मा ओर सिमरत का एकसाथ एक गाना है जिसमे दोनों अच्छे लगते है।

यह फिल्म सिर्फ 90s की याद दिलाती है , जीते उर्फ उत्कर्ष शर्मा की एक्टिंग पहले हाफ में कुछ हल्की लगती है, लेकिन दूसरे हाफ में उनकी ऐक्टिंग बहुत बढ़िया हो जाती है इनको दुबारा आगे फिल्मों में देखा जा सकता है। लेकिन यहाँ ऐसा लगता है की उत्कर्ष शर्मा को लॉन्च करने की कुछ ज्यादा जल्दी थी।

एक्शन सीन मे हाई टेक्नॉलजी की ज्यादा उम्मीद नहीं करे क्युकी यह 70-80 दशक के दौर की कहानी है, और अभी भी लगभग वही दौर चलता है इस फिल्म के हिसाब से ओर उतनी ही उम्मीद करते है।

फिल्म का निर्देशन: फिल्म की कहानी को निर्देशक ने बना ही दी उन पुराने पहलुओं को जोड़कर लेकिन कहानी में दम फिर भी कम ही दिखा , निर्देशन और बेहतर हो सकता था, कहानी धीमी पड़ जाती है। पहले हाफ में लेकिन फिल्म को दूसरे भाग में अच्छा बनाने की कोशिश की है उस कोशिश में काफी कामयाब भी हुए है।

फिल्म में स्कारात्मक पहलू : सनी देओल ही इस फिल्म की जान है जो फिल्म को एक अलग लेवल पर रखते है , उत्कर्ष शर्मा की एक्टिंग दूसरे भाग में बेहतर हो जाती है , फिल्म का क्लाइमैक्स अच्छा है, आखिरी में सिमरत ने भी किरदार अच्छा निभाया है , सकीना उर्फ अमीषा पटेल फिल्म की जान नहीं बन पाई इस फिल्म में

फिल्म में नकारात्मक पहलू : फिल्म का निर्देशन कुछ कमजोर दिखा है, इसलिए फिल्म काफी साधारण लगती है, जितनी उम्मीद की थी उससे खरी नहीं उतरती। सनी देओल को लगभग 1 घंटे तक फिल्म में से गायब रखा है ये बहुत ही नेगटिव पार्ट है इस फिल्म का , कुछ डाइअलॉग काफी कमजोर है।

फिल्म का कॉमेडी सीन जो हैंडपम वाला है जैसे ही सनी देओल हैंडपंप उखड़ने के लिए जाते है सभी लोग भाग खड़े होते है, यह सीन याद दिलाता है पुरानी गदर की ओर ये हेंडपम्प वाला सीन आप भूलेंगे नहीं।

कुल मिलकर पारिवारिक फिल्म है जो बहुत लंबे समय बाद आई है , बहुत ज्यादा उम्मीद हाई एक्शन सीन की उम्मीद लगाकर थीअटर में नया जाए बस सनी ओर सकीना की जोड़ी देखे ओर अपने परिवार संग ये फिल्म देखे आपको फिल्म जरूर पसंद आएगी।

गदर 2 टिकट बुकिंग

जिस तरह से GADAR-2 की advance टिकट बुकिंग हो रही है उस हिसाब से omg कही भी स्टैन्ड करती हुई नहीं दिख रही , OMG 10% ही टिकट बुकिंग होती दिख रही है, 1.5 लाख टिकट के आसपास अभी तक बिक चुकी है। इस तरह से लगता है की पठान फिल्म का भी रिकार्ड तोड़ देगी।

टिकट बुकिंग
चित्र स्रोत : गूगल, रिकार्ड तोड़ टिकट बुकिंग

22 साल बाद गदर 2 रिलीज हो रही है पहली गदर जब आई थी तब भी यही हाल हुआ था लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी सिनेमाघरों में सनी देओल की ऐक्टिंग ओर एक्शन सीन को देखने के लिए 2-3 हफ्ते तक टिकट ही नहीं मिली थी उनका HANDPUMP उखाड़ने वाला सीन इतना फेमस हुआ की लोग आज तक नहीं भूले, लोग इंतजार कर रहे थे की टिकट मिले ओर हम फिल्म देखने जाए , उन दिनों गदर के साथ आमिर खान की लगान भी आई थी, जिन्ह लोगों को शायद गदर की टिकट नहीं मिल पा रही थी वो लोग लगान ही देखने चले इसमे कोई शक नहीं है लगान एक फिल्म थी।

लेकिन गदर फिल्म के आगे लगान फीकी पड़ गई थी इस बार भी कुछ इसी तरह से होता दिख रहा है, जब मैंने टिकट बुक कराई थी उसी दिन से लग रहा था की टिकट फिल्म के रिलीज होने से पहले ही खत्म हो जाएगी ओर जिस दिन फिल्म देखने के लिए जाना होगा टिकट नहीं मिल पाएगी, इस दिन अक्षय कुमार की OMG-2 भी रिलीज हो रही है ।

लेकिन Theater में भीड़ नहीं दिख रही OMG-2 के लिए सभी सिनेमा हाल में आराम से टिकट उपलब्ध है OMG-2 की , दर्शक सिर्फ ओर सिर्फ गदर 2 ही देखना पसंद कर रहे है , जो लोग सोच रहे है , की अनलाइन क्या बुक करनी उसी दिन लेलेंगे टिकट उनको टिकट नहीं मिलने वाली जिस तरह से हर घंटे बुक मी शो पर टिकट बुक हो रही है। उस समय जो लगान के साथ हुआ था की , GADAR-2 की टिकट नहीं मिली तो लगान ही देख लेते है, बस यही OMG-2 फिल्म के होता दिख रहा है अगले एक हफ्ते या 2 हफ्ते टिकट तो मिलती हुई नहीं दिख रही है, जिस तरीके से सिनेमा हाल में जाने को लोग बेकरार है, बाकी फिल्म देखने के बाद पता चलेगा, की फिल्म में कितना दम है।

उम्मीद करते है फिल्म अच्छी ही होगी

इरफान खान

अभी बस यू ही बैठा हुआ था और ऐसे ही यू ट्यूब पर कुछ नहीं दिख रहा था देखने को आजकल मिलता भी क्या है कुछ अच्छा देखने को , तो रीमोट के कान मरोड़ते हुए अब फिल्म लग गई मदारी बस फिर क्या था देखना शुरू कर दिया सोच थोड़ी देर देखते है , फिल्म इतनी बेहतर थी एक और बार पूरी फिल्म देख डाली इरफान खान की ऐक्टिंग तो बहुत ही शानदार है, उन्होंने अपना किरदार बहुत ही जबरदस्त तरीके से निभाया है एक मँझा हुआ कलाकार , साथ ही इसमे जिम्मी शेरगिल की ऐक्टिंग भी बहुत बढ़िया है, जिमी शेरगिल एक अच्छे मंझे हुए कलाकार है फिर भी पता नहीं क्यू लगता है की जहां उन्हे होना चाहिए था वो आज वहाँ नहीं है।

जिम्मी शेरगिल ने कई फिल्मों बहुत अच्छा अभिनय निभाया है परंतु वह एक बड़े कलाकार के रूप कभी नहीं दिख पाए या फिर उन्हे आगे कभी आने नहीं दिया।

यह बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री सिर्फ कुछ लोगों के लिए चल रहा है ऐसा बहुत बार लगता है जिसमे खान ओर कपूर इन लोगों का नाम सबसे पहले आता है इनके अलावा स्टार किड जिनको बहुत आसानी से फिल्मों में जगह मिल जाती है चाहे उन्मे ऐक्टिंग का गुण ही न हो।

बात इरफान खान की मदारी फिल्म की कर रह थे हम, यदि आपने पहले यह फिल्म नहीं देखी तो जरूर देखिए ओर पहले देख रखी है तो दुबारा भी देखी जा सकती है।

क्या आपके पास कुछ ऐसी फिल्मों की सूची है जिन्हे बहुत बार देखा जा सकता हो यदि है तो मुझे भी बताए इंतजार रहेगा आपकी सूची का

Bloody Daddy

Bloody daddy यह फिल्म का नाम है जो इसी हफ्ते जिओ सिनेमा पर वर्ल्ड वाइड रिलीज हुई है, इस फिल्म में मुख्य पात्र शाहिद कपूर है इस फिल्म में शाहिद कपूर की ऐक्टिंग एकदम दमदार है पूरी फिल्म में सिर्फ शाहिद को देखने का मन करता रहेगा उनका किरदार बेहद उम्दा है, फिल्म में संजय कपूर, रॉनित रॉय, डायना पेन्टी ओर राजीव खंडेलवाल भी है।

Bloody Daddy फिल्म की कहानी 50 करोड़ के कोकैन पर घूमती है जो शाहिद कपूर जब्त कर लेते है उसके बदले में रॉनित रॉय उनका बेटा किड्नैप कर लेता है बस इसी के बीच में कहानी घूमती है लेकिन कहानी से ज्यादा मजेदार शाहिद कपूर की ऐक्टिंग है जिसके लिए फिल्म से आँख नहीं हटती कहानी में कुछ नया नहीं सब प्रीडिक्ट किया जा सकता है लेकिन फिल्म में एक्शन सीन बहुत बढ़िया है।

इस फिल्म में रॉनित कपूर ओर राजीव खण्डेलवाल का सही तरीके से प्रयोग नहीं किया गया नहीं तो फिल्म ओर भी शानदार हो सकती हो थी।

एक तरफ तो Fathers Day आ रहा है लोगों की भवनाए सकारात्मक है दुसर ओर ये बॉलीवुड की फिल्म वाले इस प्रकार के नाम रखते यही फिल्मों के आप खुद ही सोचिए इस प्रकार के नाम अच्छे है ?

कितना भद्दा नाम है इस नाम से हटकर भी कई ओर नाम रखे जा सकते थे इस फिल्म के लिए, कही न कही कुछ न कुछ इस बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए अब आपत्ति उठ ही रही है क्युकी अब यह समझ नहीं आता की यह क्या सोचकर फिल्मों के नाम का चुनाव , कहानी का चुनाव करते है जिससे जनता कही न आहात हो ही जाती है।

एक सलाह इस फिल्म को परिवार के संग न देखिए क्युकी बीच में गालियों का प्रयोग ओर उपयोग दोनों किया गया है जो बिल्कुल भी सही नहीं है, हम ऐसी चीज़े कन्सूम कर रहे है जो हमारे लिए कोई फायदे की नहीं है, साथ फिल्म का नाम भी इतना भद्दा क्यू रखा गया यह भी एक सोचने लायक बात है वैसे तो ओर शाहिद कपूर उस तरह के बाप बिल्कुल नहीं है।

आप भी देखिए ओर भरपूर आनंद लीजिए

फिल्म को 3 ***

Baaghi 3

किसी ने Baaghi 3 देखी क्या ? अगर नहीं देखी तो मत देखना आजकल फिल्म बनाना कोई आसान बात नहीं है बहुत मुश्किल काम है डायरेक्टर साहब ने जिस तरह से फिल्म बनाई है उससे पता चल गया कि साउथ की फिल्म को चुराना कितना आसान है इस फिल्म की कहानी लगभग 5 साल पुरानी है साउथ की फिल्म में और बॉलीवुड आज दिखा रहा है मतलब हम इतने पीछे है ?? कुछ तो शर्म करो बनाने और दिखाने के लिए

बॉलीवुड दिखाना क्या चाहता है?? हमें ये फिल्म वाले कुछ भी दिखा रहे है और हमदेख रहे है हमारे पैसों की कद्र तो करो यार

और वन मेन आर्मी वाह पूरा सीरिया तबाह कर दिया एक अकेला टाइगर श्रॉफ ने भाई ओर कुछ नहीं मिला दिखाने को ??? इसके एक्शन , स्टंट कितने शानदार थे लेकिन क्या एक साधारण आदमी पर इतना सबकुछ जायज है ??

सुपर हीरो बनाया होता तो समझ आता कुछ की एक साधारण आदमी की  इमेज एक सुपर हीरो की तरह से रखी है लेकिन आपने तो एक आम आदमी को को कितना ही सुपर हीरो कर दिया बिना लॉजिक के फिल्म को बनना बंद कर दीजिए अब नहीं पचती एसी फिल्म
इससे ज्यादा अच्छी तो 1990 की फिल्में थीं जिनमें कुछ लोग ही पूरी फिल्म को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत करते थे।

इतना कौन ताकतवर होता है भाई ??

bhaagi 3
baaghi 3