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ज़िंदगी भर का साथ

ज़िंदगी भर का साथ है निभाना,
ना इस जीवन में कोई चलेगा बहाना।
हर पल, हर लम्हे को संग संग जीना,
मिलकर खुशियों को बांटना और दुःखों को हराना।

जब बारिश के बूंदें गिरती हैं धरती पर,
हाथ थामकर चलना, मुस्कान बिखेरते हुए जीना।
मिलकर खुशियों के रंगों में रंग जाना,
ना जीवन में दरारें, ना किसी को थहराना।

हर उड़ान को पूरा करने की आस रखना,
हकीकत से दूरी नहीं, सपनों को संग लेना।
चोट खाए दिल को सहलाना, मुस्कान बनाए रखना,
दरिया भी कठिनाइयों को लेकर बह जाता है आगे बढ़ना।

ज़िन्दगी का सफर है यह, एक अद्वितीय यात्रा,
हर मोड़ पर नई चुनौतियों का सामना करना।
बिना बहानों के, साथ चलना है यहां,
हर एक दिन को खूबसूरत बनाना, खुशियों को बांटना।

ना रुकना, ना हार मानना, जीना है खुलकर,
ज़िन्दगी के रंगों में रंग बनकर बहना।
साथ चलना है, संगीत बनकर बजना,
ना इस जीवन में कोई बहाना, ज़िंदगी भर का साथ है निभाना।

कठिन परिस्थिति

कठिन परिस्थिति निर्माणकर्ता मज़बूत व्यक्तित्व के लोग….
वही लोग लिए मशाल अग्रसर खोजते करते नूतन नूतन प्रयोग ।
परिस्थिति के गर्भ में छिपा अनंत अनंत सम्भावनाओं का भंडार…
हर परिस्थिति के लिए रहे तेयार खिले व्यक्तित्व ओर आए निखार ॥

कुछ लोग खुद कठिन परिस्थिति का आवाहन उसको बुलाते….
उसकी हद को तोड़ कर नूतन कीर्तिमान खड़े कर दिखलाते ।
अनबूझ परिस्थिति आए अचानक या खुद हम जाके स्वीकारे…..
मन की स्थिति सदा होवे मजबूत चाहे हम जीते या हम हारे ॥

दृढ़ता से चमकते, अग्रसर होते ये व्यक्तित्व,
कठिनाइयों को चुनौती स्वीकारने के लिए समर्पित।
मशाल उठाते हैं, नये-नये अनुभवों की खोज में,
परिस्थिति के आवरण में छिपे अनंत सम्भावनाओं के।

बढ़ते हैं वे मजबूती के साथ, आगे बढ़ने के लिए,
विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को साबित करने के लिए।
उनका विश्वास अटूट होता है, कठिनाइयों के बीच,
जैसे बवंडर के आगे भी खड़े रहें शिखर पहाड़ों सीख।

नए नए प्रयोग करते हैं, नूतनता की खोज में,
उनकी चेष्टाएं निरंतर, बढ़ाती हैं समृद्धि के रास्ते।
क्योंकि परिस्थिति के गर्भ में छिपे हैं अनगिनत सम्भावनाएं,
जो व्यक्तित्व को बढ़ाने के लिए होती हैं अद्यायेश।

संघर्षों के माध्यम से निकलता है अद्भुतता का सिरोमणि,
जो बनाता है उन्हें बेहतर, बनाता है अद्यतित भविष्य का नगरी।
कठिन परिस्थितियों में उनका जीवन निःस्वार्थ होता है,
समाज के लिए जीने की उनकी निश्चितता उठाती है आदर्श प्रतीति।

इसलिए जो लोग लिए मशाल अग्रसर, करते हैं नूतन प्रयोग,
वे निर्माता हैं अपार संभावनाओं के, जो बाहर करेंगे उन्हें खोज।
क्योंकि कठिनाईयाँ सिर्फ एक चुनौती होती हैं उनके लिए,
जिनमें छिपा है अनंत सफलता का सौंदर्य और वही करेंगे अपने नए सपनों का विस्तार।

कुछ सुनहेरी यादें हैं

कुछ सुनहेरी यादें हैं तेरी,
जो दिल को छू जाती हैं खुशी से भरी।
तेरी हँसी की मुस्कान, तेरे प्यार की मिठास,
हर लम्हे को यादगार बनाती हैं वो आस्था।

यादें वो धुंधली सी, मधुर सी और सुहानी,
जो भर देती हैं दिल को अमन और भरोसा नयी।
तेरे साथ बिताए हर वो पल, जो अद्वितीय हैं,
हमेशा याद रहेंगे, वे अनमोल दिन और रातें।

तेरी हंसी का चमकता है आसमान,
तेरे साथ बिताए हर वो पल हैं महान।
जीवन की यात्रा में, तू है मेरी साथी,
तेरी यादें बनी हैं मेरी आत्मा की अभिलाषी।

जब भी याद आती हैं तेरी हंसी की धुन,
मन होता है प्रसन्न, खुशियों से भर जाता हूँ।
तेरी यादों के संग, चलता हूँ जीवन की राहों पर,
मुस्कान बनाती हैं वो यादें, अनमोल हैं वो लम्हों की बारिश।

कुछ सुनहेरी यादें हैं तेरी जिनके संग, जीता हूँ खुशियों से भरी ज़िन्दगी,
हर एक पल बनता हैं यादों का एक सुंदर पहरी।
तेरी यादों के जरिए, जीने को मिला सच्चा अर्थ,
बन गई हैं वो सुनहेरी यादें, जो हैं मेरी आत्मा की मृदुल अर्ग्य।

स्वयं से मुलाकात

स्वयं से मुलाकात के लिए भीतर धारण करना मौन…..
भीतर चलते कोलाहल को सुनना बनना गवाह “हे वो कौन “ !
जब स्वयं के लिए व्यय करेंगे समय तब आएगा भीतर का समाचार….
दिखेगा बाहर निरंतर बदलाव लेकिन भीतर
की अलग ही सरकार ।

मनुष्य पल पल में पता नहीं क्या क्या उठते संकल्प विकल्प….
भीतर का व्यक्ति अलग व्यक्तित्व, अभी सुधार हुए बहुत अल्प ।
भीतर ही स्वास्थ्य ,बुद्धि ,संस्कार ,स्वभाव ओर विकास की जड़ …
जड़ में भी सुधारो की आवश्यकता ताकि बने सत्य पर दृढ़ता से पकड़ ॥

उठ रहा है अनजानी सी ध्वनि,
खिलखिला रहा है सिरहानी सी रवनि।
मन में बसे एक अजनबी ख्वाब,
चुपचाप धारण कर रहा है मौन।

भीतर विभोर हो जाती है घटाएं,
कोलाहल मच जाता है आस पास।
नगरों में फैलता है उदासी का साया,
करता है खुद को अनजान गवाह।

“हे वो कौन” इस दिल की धड़कन है,
जो बोलता है सुनने वालों को।
गुमसुम सिरहानी में छुपी खुशियाँ,
बदलती हैं ज़िंदगी के मोड़ों को।

भीतर धारण कर, मौन बन जाओ,
खुद को पहचानो और बोलो अपनी आवाज़।
क्योंकि ज़िन्दगी के पथ पर चलते,
आप ही हो वो कौन, जो देते हैं उत्तर का साथ, कर लो स्वयं से मुलाकात

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उत्साह से भरपूर जीवन

उत्साह से भरपूर जीवन , रखे उत्साहित एक दूसरे को हर दिन….
संग मिले चार मित्र तो जीवन सुंदर रंगीन ।
उत्साह की ऊर्जा सदा बनाए रखती जवान …
मित्रों में बहे ईंधन खुली रहे इसकी दुकान ॥

उत्साह जननी जीवन प्रति करते नये प्रयोग….
ख़ुशियाँ मनाए मिले इस जीवन का संयोग ।
अपने उत्साह को न दबाए या उसको कुचले..
इस ऊर्जा को मिले प्रदर्शन , खूब फुले फले ॥

जीवन का उत्साह हर पल साथी,
खुशियों के संग बनाएं रंगीन यात्रा।
दिल से बांधी दोस्ती की मित्रता,
हर दिन उत्साहित रखें एक-दूसरे को हम।

सदा चमके उत्साह की ऊर्जा अद्भुत,
हर क्षण में मिले नई हैरानी की चुनौती।
जीवन के संगीत में सदैव रवाना,
उत्साह से भरपूर रखें अपना जीवन सदा।

ख्वाबों के परिंदे उड़ाते अटल बंधन,
उत्साह की पंखों से चढ़ाते उच्चाईयाँ।
हर रोज़ नयी चुनौतियों का सामना करें,
उत्साह के प्रभाव से नई उचाईयाँ छू लें।

संग मिले चार मित्र, जीवन सुंदर रंगीन,
खुशियों की बौछार से भरें आसमान।
उत्साह से भरा हर दिन का सफर,
खुशियों के संग बनाएँ यही अपना ध्यान।

उत्साह की ज्वाला जगमगाती जीवन में,
सदा चमके उमंगों की दीप्ति हमारी।
हर क्षण बने उत्साह का उत्सव,
जीवन को रंगीन बनाएं यही हमारी प्रेरणा।

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मस्तिष्क के द्वारा

जो भी हो रहा वो सब मस्तिष्क द्वारा उत्पन्न परछाई …..
सब कुछ बदला जा सकता हे मस्तिष्क के द्वारा सब बाँते ऊसमे समाई ।
मस्तिष्क का सकारात्मक भाव …..
हमेशा सुख और दुखों का अभाव ।

मस्तिष्क में सुख और दुख के लिए समान भाव….
दोनों नही सदा रहने वाले दोनों से ऊपर उठना व्यक्ति का हो स्वभाव ।
हर जगह मस्तिष्क द्वारा चालित कार्यक्रम चल रहे ….
चालाक व्यक्ति वहाँ अपना राज हमेशा रहेगा सोच के चला रहे ।

जो कुछ हो रहा वो मस्तिष्क के द्वारा उत्पन्न उसकी छाया….
सब ओर धुँआ धुँआ हे सब इस प्रकृति की शक्ति उसकी माया ।

जीवन के कठिनाइयों में, मस्तिष्क की छाप,
उत्पन्न करती है मस्तिष्क से रचित ये कविता।

सब कुछ जो हो रहा है, उसकी बुनियाद है मस्तिष्क,
जहां सभी विचार आकर एकत्र होते हैं समाई।

चाहे चुनौतियों का सामना हो, या विपरीत परिस्थिति,
सकारात्मक भाव से भरा होता है मस्तिष्क का आकार।

मस्तिष्क की शक्ति से ही होता है सब कुछ बदला,
विचारों की ऊर्जा द्वारा जीवन को मिलती उम्मीद।

जब आत्मविश्वास से भरा होता है मस्तिष्क का विश्वास,
तो हर कठिनाई को हम पार कर पाते हैं आसानी से।

मस्तिष्क की परछाई से ही प्रेरित होती है ये कविता,
जीवन को बदलने की शक्ति देती है ये अद्भुत विचार।

इसलिए, जब भी आपको लगे कि हर बात हार गई है,
याद रखें मस्तिष्क की शक्ति है हमारी आधारभूत ताकत।

स्वयं को समय दे

स्वयं को समय दे …
जीवन क्षण क्षण हो रहा हे व्यय ।
जो जो करना हे उसका करे चिंतन …
उसपर फिर करे कर्मों से मनन ॥

स्वयं पे भी दे ध्यान….
स्वयं आप धुरी ले संज्ञान
आप प्रसन्न जो जग प्रसन्न …
ये अर्जित कमाई आपका धन ॥

स्वयं से करे संवाद…
पहचाने मन के विवाद ।
जीवन को मिले सही अर्थ …
बने हम इतने समर्थ ॥

स्वयं की करे सुरक्षा …
आपके चाहने वालों की यही मंशा ।
आपके चाहने वाले चाहते रहे सुरक्षित….
ये विचार मेरे मित्रों को समर्पित ॥

स्वयं को भी दे समय,
जीवन क्षण-क्षण हो रहा है व्यय।
जो-जो करना है, उसका करे चिंतन,
मन की ऊर्जा को जगाएं जगमगाते किनारे।

आओ, निर्णय का सागर तैरें,
ख्वाबों की उड़ान को पकड़ें,
आपातित्व की धारा में हर क्षण निकालें,
अपने अस्तित्व को नयी राह दिखाएं।

चिंता के बादलों को रोके,
आनंद की बूंदें बहाएं,
खुशियों के गीत गाएं,
भाग्य की रोशनी के साथ चले जाएं।

समय की पालकी में बैठें,
चरणों में जीवन की गाथा लिखें,
प्रतिभा के पंखों से ऊंचाई छू जाएं,
अपने सपनों को साकार करें और मनोरंजन करें।

जीवन क्षण क्षण हो रहा है व्यय,
इसे महत्वपूर्ण बनाएं और समय का सम्मान करें।
स्वयं को भी दे समय,
और खुद को नयी ऊंचाइयों तक ले जाएं।

आपका हृदय

जाईये वहाँ जहाँ आपका हृदय जाना चाहता ……
वहाँ वो होता प्रसन्न और स्वस्थ खूब खिलखिलाता ।
हृदय का सिंहासन मस्तिष्क से नीचे….
असली संपदा तो छिपी हृदय में पीछे ।

हृदय में बसते प्राण सब अंगों शिराओ को रक्त का करता संचार…..
प्रसन्न इसको रखना ,ना स्वय का किसी का तुम दुखाना उचित आधार ।
सब ह्रदयों के दृष्टिकोण का हो विकास …..
फिर धरती पे उत्सव उल्लास ही उल्लास ।

कीजे इसका सतत प्रयास , समय दीजे इस प्रयास ।

जाईये वहाँ जहाँ आपका हृदय जाना चाहता…
वहाँ वो होता प्रसन्न और स्वस्थ खूब खिलखिलाता।
हृदय का सिंहासन मस्तिष्क से नीचे…
जहाँ प्रेम और स्नेह सदैव प्रबल रहे।

वहाँ जहाँ सौंदर्य सदैव विराजमान हो,
सुख-दुःख के साथ आपसी सम्बन्ध गहराएं।
हंसी और आनंद की झलकें आपके चेहरे पर हों,
ज्योति के समान प्रकाशित रहें आपके मन में।

जाईये वहाँ जहाँ आप खुलकर हंसें,
खुशियों के संग संगीत गाएं और नाचें।
जहाँ आपकी आत्मा स्वतंत्रता का आनंद धरे,
और जीवन के रंगों में रंग भरें।

हाथों की छांव में सुरभि खिलें फूल,
दिल की गहराइयों में बसे खुशियों के मौल।
जाईये वहाँ जहाँ आपकी प्रतिभा चमके,
और सपनों के पंखों पर आप उड़ें।

हृदय का सिंहासन मस्तिष्क से ऊपर रखें,
जीवन की उच्चताओं को प्राप्त करें।
जाईये वहाँ जहाँ आपकी आत्मा मधुर हो,
और सुख का संगीत हर दिन सदैव बजे।

वहाँ जहाँ आपका हृदय जाना चाहता,
सीमाओं से परे खुशियों का आदान प्रदान करे।
चलिए, आओ वहाँ जहाँ आपकी प्रेम और स्नेह है,
और जीवन की हर दिन आपके लिए नया आरंभ है।

योग्यता पे अविश्वास

कोई करे आपकी योग्यता पे अविश्वास ….
बुरा न मानना, खुश होना लेना गहरा श्वास ।
स्वयं पे करे गर्व नहीं होना हे तनिक सा भी परेशान…
क्यूँकि कसोटी पे कसा जाता सोना न कि लोहा श्रीमान ॥

कोई करे अविश्वास नहीं बुराई ,
ये उसके सोचने का हे तरीक़ा ….
आपने उसे लेना सदा सकारात्मक,
दिखना चाहिए आपका भी सलीका ॥

कोई करे आपकी योग्यता पे अविश्वास …
बुरा ना मानना, खुश होना लेना गहरा श्वास।
स्वयं पे करे गर्व नहीं होना है तनिक सा भी परेशान…
क्यूंकि कसोटी पे कसा जाता सोना न कि लोहा श्रीमान।

जब दूसरों की आँखों में आता है शक,
तब भी आप बने रहें सच्चाई का अभियांत्रण।
क्योंकि योग्यता की चमक सदैव चमकती रहेगी,
आपके अंतर्निहित सामर्थ्य को कभी नहीं छेड़ेगी कोई बादबाकी अविश्वास का आँच।

जीवन का प्रत्येक क्षण एक मुकाबला है,
जहाँ आपको अपनी क्षमताओं को साबित करना होता है।
जब बाधाएं आपके रास्ते में आती हैं,
तो आपको मजबूती से खड़े होना होता है, ना कि भयभीत होना आँखों में अविश्वास की लकीर।

आपकी योग्यता, आपकी मेहनत का अंश है,
जो आपको अद्वितीय बनाता है और उच्चताओं की ओर ले जाता है।
इसलिए ना चिंता करें बाहरी आवाजों से,
आपकी अंतर्निहित कमजोरियों के बावजूद भी, आप लोहे की तरह दृढ़ रहें, श्रीमान।

जब आपकी योग्यता को कोई अवगुण कहता है,
तो याद रखें, वह अवगुण उसकी जानकारी का प्रतिफल है।
क्योंकि जो अस्थिर होता है वह अद्यावधिक ढंग से तैरता है,
जबकि आपकी योग्यता अटूट है, जैसे सोना, श्रीमान, न कि लोहा।

तो ना करें आप योग्यता पर संदेह व अविश्वास

स्वयं की झोपड़ी

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज ओर महल ग़ुलामी परोसे ।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी….
महल प्रतीक हाथ पेरो पे लगी हथकड़ी ॥

मौज में रहना हे छोड़नी पड़ेगी ग़ुलामी…
ग़ुलामी का जीवन एक मानसिक ख़ामी ।
जो भी मिला ओर कोशिश करते रहे सुधार ..
स्वयं की मेहनत से उपजे वही सही आधार ॥

स्वयं की झोपड़ी अच्छी दूसरों के महल से…
झोपड़ी में राज और महल गुलामी परोसे।
स्वाभिमान का प्रतीक स्वयं की झोपड़ी…
महल प्रतीक हाथ पे रो पे लगी हथकड़ी।

ये झोपड़ी छोटी, दीन-हीन, अपनी सी,
इसमें रहती है गरीबी, अधीनता की भी।
पर इसकी दीवारों में है आत्म-सम्मान,
जो कभी नहीं झुकता, न ये हार मान।

महलों की चमक, क्रीड़ाभूमि की खुशियां,
सब यहां हैं पर भाग्य की कर्मभूमि यहां।
ये झोपड़ी सदा देती है हमें शक्ति,
क्योंकि जीवन में इसकी है अद्वितीय महत्त्विता।

महलों की उच्चाई, झोपड़ी की सरलता,
होती है अंतरंग और व्यापारिकता।
पर अच्छाई, सादगी, स्नेह और सौहार्द,
सब यहां हैं, जो नहीं मिलता महलों में बार-बार।

झोपड़ी है स्वर्ग, उसका अभिमान है शान्ति,
महल तो बस भटकने वालों की हैं मंत्रिति।
हमारी झोपड़ी, हमारी पहचान है ये,
महलों के सामर्थ को हम करें नहीं मान।

तो चाहे अन्याय हो, या गरीबी की लाचारी,
झोपड़ी हमेशा रहेगी निर्मलता की भूमि।
यहां प्यार है, सम्मान है, जीने का हौसला,
झोपड़ी है अपनी, ऐसी है हमारी आशा।

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