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विनम्रता में भी नंबर

विनम्रता में भी नंबर चाहिए दस में से दस…..
तभी सोल्व होगा सही जीवन का पर्पस ।
क़द ख़ुद का नहीं हो विनम्रता का बड़ा…
है मुश्किल, जीतता वही लड़ाई जो लड़ा ।

मैं नहीं विनम्र काईयो की नज़र में….
वो सही है जानते मुझे जीवन के सफ़र में।
क़द सत्य का भी जीवन मी चाहिए बड़ा ..
सत्य कटु , सामने नहीं होता झूठ खड़ा ।

विनम्रता में भी नंबर चाहिए दस में से दस,
तभी सोल्व होगा सही जीवन का पर्पस।

क़द ख़ुद का नहीं हो विनम्रता का बड़ा,
है मुश्किल, जीतता वही लड़ाई जो लड़ा।

विनम्रता से भरी हर बात, हर काम,
प्रभुत्व को देती जीवन को नई शान।

समय के साथ बदले भाव, रहे सदा सुरमई,
विनम्रता बनी रहे हमारी शक्ति की काई।

गर्व से नहीं, बल्कि सहजता से जियें,
दूसरों की सम्मान को हम जगाएं।

जब तक विनम्रता बनी रहे विचारों की नीव,
हम बनेंगे सच्चे मानवता के प्रवीण।

इसलिए आओ मिलकर चलें विनम्रता की राह,
सृजन करें एक जीवन नया, सदा सुखी और सहज।


मुस्कुराहट छुआ छूत

जरा देखिए दिखे कोई चेहरा जो नहीं रहा हो मुस्कुरा….
दीजिए उसको मुस्कुराहट उसका भी चेहरा खिले ये ख़ुशी का इशारा ।
मुस्कुराहट छुआ छूत की बीमारी…..
इच्छा ये लगे सबको, है इतनी प्यारी ।

जरा मुस्कराइए….
ख़ुशी के महामार्ग पे चढ़ जाइए ।
जीवन के प्रति कृतघ्न भाव अपनाइए….
जीवन भी पूरी क्षमता से ख़ुद को लुटाइए।

जगमगाते रंगों के बीच एक चेहरा है,
जो नहीं रहा हो मुस्कुरा।
उसकी आँखों में छुपी दर्द की बूंदें,
जीवन की गहराईयों में घिरा।

पर उसे चाहिए था एक मुस्कान का इशारा,
जिससे उसका भी चेहरा खिले।
वो खुशी का संकेत जो भर दे उसके दिल को,
और हर गम को दूर कर दे मिटाए।

मुस्कुराहट छुआ छूत की बीमारी है,
जो देती है दिल को आराम।
वो बतलाती है कि जीने का असली मजा,
खुशियों को बांटने में है समाया।

जब चेहरे पर लगी मुस्कान की छांव हो,
दिल की धड़कनें भी जगमगाए।
हर दर्द को दूर कर दे वो प्यारी मुस्कान,
और खुशियों से सजाए।

तो जरा देखिए, दिखेगा वह चेहरा है,
जो नहीं रहा हो मुस्कुरा।
उसे दीजिए वो मुस्कुराहट का तोहफा,
जिससे उसका जीवन बन जाए सुहाना।

अहंकार का कद

अहंकार का कद चार फीट ही ठीक….
ज़्यादा बड़ा अहंकार बना देता डीठ ।
चार फीट अहंकार है आत्मसम्मान ….
वही ऊर्जा अधिक करती लहुलुहान।

आत्मसम्मान ज़रूरी होता वो मर्यादित….
उसकी सीमा में  रहना स्वय का हित ।
यह सफल स्वस्थ जीवन का पथ…..
ओ सारथी पथ पर सही से चलेगा रथ

अहंकार का कद चार फीट ही ठीक,
ज़्यादा बड़ा अहंकार बना देता डीठ।
चार फीट अहंकार है आत्मसम्मान,
वही ऊर्जा अधिक करती लहुलुहान।

यह जीवन का नियम, यह सत्य है,
अहंकार के बिना व्यक्ति अधूरा रहे।
पर ध्यान रहे, बड़ा अहंकार न करो,
वरना खो दोगे सबकुछ, हो जाओगे हरजाये।

चार फीट अहंकार से भरे रहो,
आत्मसम्मान को सदा बनाए रखो।
पर अहंकार में खुद को न खो दो,
अपने मूल्यों को न समझो छोड़ दो।

जीवन की ऊर्जा बढ़ाने का यह राज,
सम्मान का रखो आदर्श संग ताज।
घमंड और अभिमान से दूर रहो,
सच्चे आत्मसम्मान में बस जीने रहो।

अहंकार का क़द चार फीट ही ठीक,
ज़्यादा बड़ा अहंकार बना देता डीठ।
चार फीट अहंकार है आत्मसम्मान,
वही ऊर्जा अधिक करती लहुलुहान।



दुनिया के लिए

दुनिया के लिए मैं एक व्यक्ति , लेकिन वही  मैं परिवार के लिए पूरी दुनिया ….
ये सब नज़रिए का फ़र्क़ , जब फ़र्क़ ख़त्म होते  वहाँ नज़रिया बड़ा ये उसका नफ़ा ।

मानो तो सब है एक परिवार , सारी पृथ्वी के सारे प्राणी एक परिवार ….
वसुधैव कुटुंबकम इस बात का उचित आधार और पूर्ण विचार ।

ये धरती, ये आकाश, ये सृष्टि अपार,
मैं एक व्यक्ति, उसका छोटा सा अंश हार।
परिवार के लिए हूँ मैं पूरी दुनिया,
उनके लिए हर कठिनाईयों का नया सूर्य।

बच्चों के खेलने के लिए पार्क बनाता हूँ,
उनके सपनों को मैं हकीकत में लाता हूँ।
पत्नी के लिए चाँद लाता हूँ रोज़ाना,
उसके आँचल से मैं सबको रोशनी देता हूँ।

माता-पिता के लिए मैं एक आश्रय हूँ,
उनके सपनों को साकार करता हूँ।
उनकी ऊंचाइयों को मैं छूने का अधिकार,
मैं उनके लिए बढ़ने का प्रतिकार।

दोस्तों के लिए मैं हंसता हूँ और रोता हूँ,
उनकी परेशानियों को दूर भगाता हूँ।
खुशियों के मोमेंट्स में मैं साथ देता हूँ,
उनकी ज़िन्दगी को मैं सजाता हूँ।

सभी के लिए मैं एक दोस्त, एक साथी हूँ,
उनकी मुसीबतों में मैं उम्मीद का बाँसी हूँ।
जब फर्क़ ख़त्म होते, नज़रिए समाने के,
मैं उसका नफ़ा हूँ, ये ज़िंदगी बदलाने के।

धरती के मालिक, परिवार की आभारी,
मैं व्यक्ति और उसका अद्वितीय पारी।
जीवन का सफर, संघर्षों से भरा,
सबके लिए मैं आगे बढ़ता चला, दुनिया के लिए


अपने पे रखे नज़र

अपने पे रखे नज़र हम दिखते कैसे है…
यही मुद्दे की बात हम दिखते कैसे है।
असली लेबोलबाब हम दिखते कैसे है….
इसी बात सब राज हम दिखते कैसे है ।

जो दिखता है वही बिकता है ….
वो व्यापारी की नज़र रखता है ।
असल में तो हम अपनी नज़र से कैसे है…
वही सच में आप है , अपनी नज़र दिखते कैसे है ।

अपने पे नज़र रखे हम दिखते कैसे है,
यही मुद्दे की बात हम दिखते कैसे है।
असली लेबोलबाब हम दिखते कैसे है,
इसी बात सब राज हम दिखते कैसे है।

हम आहुति हैं साहस की, न रुकने वाले युद्धों की,
जो अथाह विश्वास रखते, कठिनाइयों को चुनौती देते।
हम वीरता के अम्बार में चमक, अद्वितीय स्वाभिमान की,
पर दिखने का तरीका, यह जग न समझे, हम जानते हैं बस खुदाई की।

सबके होंठों पर हंसी हो, लेकिन सच्चाई हमारी हो,
चाहे चुप रहें हम, जैसे ज्ञाता नहीं हमारी हो।
हम कवच हैं सत्य का, जो न टूटे कभी विपरीत में,
बदलने से तोड़ देंगे नहीं, इस जग के फ़रमान को हम पर मिले विपरीत में।

अपने कर्मों में छुपी है, हमारी असलियत गहराई में,
हम पर नज़र रखने वालों को है यह सच्चाई में।
हम अद्वितीय व्यक्तित्व के साकार हैं, अज्ञात जग में छिपे हुए,
बस खुद का साथी हैं हम, बाकी सब बने रुखे हुए।

जगत के राजों की जड़ में है विद्या की वृक्षारोहण,
हम अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते जाते हैं अग्रणी।
हार नहीं मानते हम, जीत के लिए बने हैं हम आदी,
जिसे देखते हैं सब राज, वही हमारी पहचान है प्रमुख हदी।

अपने पे रखे नज़र हम दिखते हैं जैसे कैसे,
यही मुद्दे की बात हम जानते हैं कैसे।
असली लेबबोलबाब हम दिखते हैं कैसे,
इसी बात सब राज हम दिखते हैं कैसे।

यह हैं हमारी प्रखरता, जो छिपी हैं हमारे अंदर,
जग में लहराते हैं हम, अपने वीरता के प्रमाण पर।
हमारे हृदय में धड़कन, जो लहराती हैं गर्व के साथ,
महसूस करो यह जग, हमारी उच्चता की अवाज़।

हम सृजनशीलता के प्रतीक, जो जगत में चमकते हैं,
अपने विचारों के आचरण, जो जग को प्रेरित करते हैं।
हम उज्ज्वल आध्यात्मिकता, जो जगत में छाती चौड़ी करते हैं,
मिटाओ अंधकार को, बन जाओ ज्ञान के बिरादरों के सरदार।

हम अस्थायी नहीं, दीर्घकालिक प्रतिष्ठित हैं,
जहां जाते हैं हम, उज्ज्वलता छोड़ जाते हैं।
हम सहायता के प्रतीक, जो जगत को बचाते हैं,
बढ़ते हैं हम सबके साथ, जीवन के रास्ते साथ चलाते हैं।

हम अपने कर्मों के धर्म में जीने का जन्म लेते हैं,
जन जन को जागृत करते हैं, सत्य के पथ पर चलते हैं।
जग को दिखाते हैं हम, अपनी सत्यता के बादशाही,
हम अपने पे रखे नज़र हैं, जग को दिखते हैं कैसे हमारी महिमा।

जीवन आप रहे

जो जीवन आप रहे जी वो लाखों लोगो का सपना…..
अपनी ख़ुशियाँ बनाये रखे, बस नहीं चाहिए दिल किसी का दुखना ।
बहुत सी ख्वाहिशें अभी होनी है पूरी….
ख़्वाहिशों अनगिनत रह जाती अधूरी ।

लाखों लोगो का सपना हमारा जैसा जीवन…..
जो मिला है रहे इसमें खुश ,स्वस्थ रहे तन मन ।
दिल न दुखे मेरे किसी कृत्य से किसी का…..
यह कमाए कर्म ही हमारे मित्र और सखा।

जो जीवन आप रहे जी वो लाखों लोगों का सपना…
अपनी ख़ुशियाँ बनाये रखे, बस नहीं चाहिए दिल किसी का दुखना।

बहुत सी ख्वाहिशें अभी होनी हैं पूरी…
ख़्वाहिशों अनगिनत रह जाती अधूरी।

जीवन की दौड़ में हम भटकते रहते हैं,
ख्वाहिशों की लहरों में उलझते रहते हैं।

हर एक सपना हमारा बनना चाहता है,
पर समय और परिस्थितियों की बाधाएं आतीं हैं।

मगर हम निरंतर चलते रहते हैं,
ख्वाहिशों के साथ अपना जीवन बिताते हैं।

हर एक सपना हमारा एक उम्मीद है,
जो हमें जीने का मार्ग दिखाती है।

बस नहीं चाहिए दिल किसी का दुखना,
अपनी ख़ुशियाँ बनाए रखें, यही है अपना कामना।

ख्वाहिशों की सीमाएं अधूरी न रहें,
हमेशा आगे बढ़ते रहें, ख्वाहिशों को पूरा करते रहें।

जीवन का सफर है यह अनंत और अद्वितीय,
ख्वाहिशों के संग बिताएं यह अद्वितीय समय।

सपनों की दुनिया में हम बस रहें,
ख्वाहिशों की परछाईयों में खो रहें।

हमारे दिल के सपने हमेशा जीवित रहें,
ख्वाहिशों के संग चलते रहें, पूरी करते रहें।

विचारों का पिटारा

अच्छे विचारों का पिटारा
हो मस्तिष्क तुम्हारा…..
फिर हार में या जीत में
सदा खुला रहेगा यह द्वारा ।

अच्छा व्यक्तित्व व्यापार की पूजी के समान मज़बूत सहारा ….
सब अच्छा ,जब अच्छे विचारो का पिटारा
हो मस्तिष्क तुम्हारा ।

अच्छे विचारो का पिटारा,
हो मस्तिष्क तुम्हारा।
फिर हार में या जीत में,
सदा खुला रहेगा यह द्वारा।

जब भी दुख सताए आपको,
और जीवन थकाए आपको।
तो खोल लें इस पिटारे को,
विचारों का अमृत पाएं आपको।

यहाँ निवेदन करें आपको,
अपार ज्ञान प्राप्त हो आपको।
ज्ञान की कठपुतली बनें आप,
और दुर्बलता को हराएं आप।

चाहे जीत हो या हार हो,
चाहे अंधकार हो या प्यार हो।
यह विचारों का पिटारा,
सदैव चमके यहाँ तुम्हारा।


किसी को लूटा के

किसी को लूट के मज़ा आता किसी को लूटा के,
समझ समझ का खेल है भइया काम न करना किसी का दिल दुखा के ।
परोपकार की महिमा अपरंपार….
समझने वाले का बेड़ा ही पार ।

बात यह की ज़रूरतमंद की ज़रूरत को सही से समझना …..
सच्ची ज़रूरत को महत्व देकर सामर्थ्य यथाशक्ति से पूरा करना।

किसी को लूट के मज़ा आता, किसी को लूटा के,
समझ-समझ का खेल है भइया, काम न करना किसी के दिल दुखा के।
परोपकार की महिमा अपरंपार, इस दुनिया में बहुत अलग है विचार।
कर्मठ और उदार लोग, जीवन में चमकते हैं जो होंठ।

दूसरों की मदद करना एक कला है, त्याग और दया से हृदय बना है।
दरिद्रता और दुःख से दूरी बना है, स्वार्थ की जगह परोपकार की चमका है।

दिन-रात मेहनत करते लोग, दूसरों के दुःखों को हरते लोग।
अनजानों को राह दिखाते लोग, खुद को भी भूल जाते लोग।

आँखों में चमक, हंसी का रंग, खुशियों का बांधन बांधा है।
मन में शांति, आदर्शों का ताज, अपने सुखों में खुश रहा है।

दुखी को दिया, रोगी को दवा, दिलों में आराम का विश्राम।
परोपकार की महिमा अपरंपार, जीवन का सच्चा धर्म है यह।

चलो आओ मिलकर बदलें दुनिया, दूसरों के सुखों का राग गाएं।
परोपकार की अद्भुत शक्ति से, हम सब मिलकर जीवन को सजाएं।

यादे दिमागी भोजन

यादे दिमागी भोजन
चलता रहता यह चंचल मन ।
याँदो का मन में चलचित्र…..
केंद्र में आपका चरित्र ।
मन जाने क्या सच्चा क्या झूठ….
मन हारे हार है , ले मन से सब दिल लूट

यादे दिमागी भोजन
चंचल मन का खजाना।
विचारों का चलचित्र है,
जीवन का निर्माणा।

सच्चा और झूठ जानना,
मन के लिए मुश्किल है।
हारता है वह जीत है,
दिलों को लूटता है।

विचारों की अवधारणाएं,
सच और भ्रम मिल जाते हैं।
मन की अनियंत्रितता के आगे,
बहुत सरकार झुक जाते हैं।

मन का चरित्र सदैव बना रहे,
सत्य को जानने के लिए।
चंचल मन को संयम दे,
जीवन को शांति दे।

यह चंचल मन विचारों का संग्रह,
जीवन का निर्माण करे।
अपने दिल की सुने हमेशा,
सफलता की ओर बढ़े।

चंचल मन को संयम दे,
विचारों का प्रबंध करे।
जीवन को सुखी बनाने के लिए,
मन को प्रशांत करे।

यादे दिमाग़ी भोजन,
चलता रहे यह चंचल मन।
जीवन के पथ पर आपका चरित्र,
अग्रणी बने जीवन का ध्यान।

तन्हाई का रास्ता

तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं, तुमने जो तन्हाई का रास्ता मुझे दिखाया था,उस पर आज भी मैं तन्हा ही हूं।

ज़िन्दगी की जगमगाहट में खो गया हूं,
किसी के साथ न जाने कितनी रातें बिताया हूं।

तेरे जाने के बाद ये दुनिया सुनी हो गई,
हर रोशनी भी चली गई, अँधेरे में डूब गई।

तन्हाई की इस राह पर आज भी चलता हूं,
यादों के साथ आँसू बहाता हूं।

मेरी आवाज़ को धड़कनें सुनती हैं,
मगर खुद को तन्हा ही पाता हूं।

ये तन्हाई भरी ज़िंदगी अजनबी सी हो गई,
खुद को खो बैठा हूं, खुद से अलग हो गई।

क्या ये तन्हाई ही ज़िंदगी का मतलब है?
या कोई और मुझे समझा ही नहीं है।