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लिखता हूँ

लिखता हूँ लेकिन कभी कभी तो लिखने का मन नहीं होता ओर कभी कभी तो यह सोचने में समय निकल जाता है, की क्या लिखू किसके बारे में लिखू जब लिखने बैठता हूँ तो फिर कई बार तो मैं लिख भी नहीं पाता या दो चार लाइन लिख कर बस वही रुक जाता हूँ, उस लिखे हुए को बीच में अधूरा छोड़ फिर किसी ओर विषय पर लिखने बैठ जाता हूँ, एस बहुत बार होता है मेरे साथ जब मैं लैपटॉप पर लिखता हूँ इसलिए पेन ओर कॉपी उठाकर ही लिखता हूँ जिससे मुझे एक ही विषय पर लिखने का जोर रहे।

मन में अब कोई दर्द भी नहीं है जिसको लिखू, जिसको कुरेद कर लिख दू अपने शब्दों में, कोई जिले, शिकवा व शिकायत नहीं किसी से जो मैं दुखी होकर लिखू , सुन है दुख में इंसान ज्यादा लिख लेता है, खुश होता है तो उसके पास शब्द नहीं होते या शब्दों में अपनी भावनए व्यक्त नहीं कर पाता।

मेरे साथ भी कुछ इसी तरह का लगता है, मेरा जीवन एक सीधी रेखा की तरह सीधा ही है जिसमे कोई हलचल नहीं है, ना शोर शराबा है, बस चुप शांत लहर है भीतर गहरी शांति ओर सन्नटा है, ना बहुत सारी इच्छाए जितना है उसमे संतुष्ट हूँ, ओर जीवन में यही उम्मीद भी करता हूँ सब अच्छा ओर शांति से ही चलता रहे सब खुश रहे सदेव शांति बनी रहे।

लेकिन जब हृदय टूट हुआ होता है, छिन्न भिन्न होता है, कुछ गीले शिकवे, शिकायते बहुत होती है किसी से तो हमारे मस्तिष्क में विचारों जमावड़ा सा लग जाता है, भीतर क्रोध भी भर जाता है, बुद्धि खुद में ही बड़बड़ाने लगती है, विचार अपनी कहानिया बना लेते है, ओर बहुत सारे ऐसे विचारों को जोड़ लेते है जो पहले से थे नहीं उनको आमंत्रण दे देते है, वही समय होता है जब व्यक्ति बहुत अधिक लिखने लगता है।

उस समय सबकुछ शब्दों के माध्यम से बाहर आने लगता है, इसके विपरीत जब मन ओर मस्तिष्क, हृदय शांत होता है तब कोई राग द्वेष नहीं होता भीतर ना इच्छाए बहुत उच्चल मार रही होती तब विचार भी शांत मुद्रा में बैठ जाते है फिर वो भी बाहर नहीं आना चाहते विचार भी गहरी शांति का अनुभव लेना चाहते है, ओर शांत जीवन के साथ बस ज्यों के त्यो ही चलते है, फिर कुछ लिखना या नहीं लिखना बहुत जरूरी नहीं लगता, भीतर ही ठहराव बना रहे यह ज्यादा जरूरी सा लगता है।

लिखने का मन है तो कभी लिखना नहीं छोड़ना जो राग द्वेष के बुलबुले उठते है उनको शब्दों के द्वारा बाहर निकालते रहो, उन्हे लिखो ओर अपने शब्दों को जन जन तक पहुचाओ, जिसने सुधार हो , जीवन बेहतर हो ओर अच्छे रास्ते पर अग्रसर रहे, यही आशा करता हूँ

दिल्ली की बस

मैं लगभग 3 साल बाद आज दिल्ली की बस से सफर कर रहा था, लेकिन आज बस में भीड़ को देखकर ऐसा लगा की बस पुरुषों के लिए तो रह ही नहीं गई, इन बसों में सिर्फ महिलाये ही सफर कर रही है, वो भी ऑफिस जाने के लिए नहीं सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अपने रिश्तेदारों व बाजार के लिए बस में सफर हो रहा है लेकिन जो महिलाये ऑफिस जा रही है वह इस योजना का सही ढंग से लाभ भी नहीं उठा पाती वो तो मेट्रो में जा रही या ऑटो में ही आना जाना कर रही है।

दिल्ली की बस का सफर भी कुछ ऐसा है मानो खचाखच भीड़ बस ओर कुछ नहीं केजरिवाल सरकार ने महिलाओ की टिकट मुफ़्त में कर रखी है अब पुरुष तो बस में दिख ही नहीं रहा, पता नहीं कहाँ गायब हो गया है बेचारा पुरुष हर जगह महिलाये है बस, मुझे महिलाओ से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की सरकारी बसों में पुरुषों को कोई स्थान ही न दे, एक तो सफर मुफ़्त ऊपर से सीट की जगह पर लिखा होता है की यह सीट महिलाओ की है लेकिन पुरक्षों की सीट कही भी रिजर्व नहीं होती, अब बेचारा पुरुष करे भी तो क्या करे।

कहाँ जाए जो चल चल कर थक जाता है वो किसी से बोल भी नहीं पाता की आज मैं बहुत थका हुआ हूँ मुझे सीट दे दो, वो बेचारा पुरुष कुछ रुपये बचाने की वजह से हर समय ऑटो में नहीं जाता, गाड़ी नहीं बुक करता भीड़ भाड़ भरी बस में लटकर भी चल देता है उन सरकारी बसों का घंटों तक इंतजार भी कर लेता है की ऑटो के पैसे बच जाएंगे, ज्यादा बस बदल लेगा तो ज्यादा पैसे लग जाएंगे इसलिए सीधे अपने रूट वाली बस का ही इंतजार वो करता है।

लेकिन महिलाये कितनी ही बस बदलकर चली जाती है, महिलाये तो बिना सोचे समझे ऑटो ओर गाड़ी भी कर के चलती है, क्युकी वो अपनी सहूलियत ज्यादा देखी है, उनको रिजर्व सीट तो हर जगह मिल ही जाती है, फिर चाहे उनकी सीट पर कोई बुजुर्ग भी बैठा हो वो उनको उठाकर खुद बैठ जाती इनको इसमे भी कोई शर्म नहीं आती।

क्या इस समय सरकारी बसे मुनाफे में चल रही है? जहां तक हमे लगता है की सरकारी बस घाटे में ही चल रही है क्युकी ज्यादातर संख्या तो महिलाये की होती है बस में जिनका किराया माफ है दिल्ली की सरकार की ओर से, ओर जो व्यक्ति चढ़ते है उनके पास होते है फिर सरकारी बस मुनाफे में कैसे हो पाएगी।

वीरवार

दिन वीरवार जब मैं अपने बैंक के काम के लिए निकला मुझे अपनी मम्मी के अकाउंट को उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था, जिसके लिए मुझे अपने पुराने वाले घर की ओर जाना था हम अब द्वारका रहते है ओर पहले हरिजन बस्ती में रहते थे, घर के पास ही हमारे बैंक की ब्रांच है सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जिसको अब उत्तम नगर की ब्रांच में ट्रांसफर कराना था जिसके लिए मैं कल वह गया, मैं वीरवार को मेट्रो से नहीं गया मैं बस में गया ओर मैंने 50 रुपये वाला रोजाना का एक पास बनवा लिया, जिसमे आप जितना मर्जी सफर कर सकते है, पूरे दिन ओर कितनी ही बार आप बस बदल सकते है, ये एक बेहतर विकल्प है यदि आपको बहुत सारी जगह जाना हो, ओर यदि आपको सिर्फ एक ही जगह जाना आना है तो आप मेट्रो को लीजिए वो एक अच्छा साधन है।

मैं वीरवार को बैंक गया वहाँ मैंने अपने पेपर जमा किए ओर मैं वहाँ से निकल चल उसके बाद मैं अपने दूसरे बैंक चल निकल जो शक्ति नगर में है, वह एक सोसाइटी का बैंक है, वहाँ मैं पहले पैसे निकालने के लिए फॉर्म करके आया था, वह एक दिन बाद दुबारा बुलाते है चैक देने के लिए, उन्होंने मेरा चैक बनाकर रखा हुआ था, मैंने अपना चैक लिया ओर मैं वहाँ से भी निकल चल पड़ा आज वीरवार था आज उनका बैंक बंद नहीं था यह बैंक सोमवार को बंद होता है, अब मैं सोच रहा था की किधर जाऊ अब मैं जा रहा था, आजाद मार्केट उधर टॉफी की मार्केट देखने के लिए चल निकला,

मैं अब आजाद मार्केट की टॉफी मार्केट में पहुच गया ओर उसके साथ साथ मैंने क्राकरी मार्केट भी देखी वहाँ बहुत सस्ती क्रॉकरी थी ओर बहुत अलग अलग तरह की क्राकरी में आइटम उपलब्ध थी, जो घर में इस्तेमाल करने के मतलब की थी ओर आप रेस्तरा खोलने की सोच रहे हो तो इधर आपको सस्ता क्राकरी का सामान मिल जाएगा।

थोड़ी देर पैदल चलते चलते में आजाद मार्केट के चौक तक पहुँचा उधर पूरा बाजार मेवे का है हर तरह के मसाले ओर मेवा यही मिल जाता है जो सही दाम में मिलता यदि आप बाजार से मेवा खरीद तो एक बार आपको इधर भी कोशिश करनी चाहिए इधर आपको सस्ते दामों पर मसाले, डाल, व मेवे की सभी किस्म मिल जाती है। ओर वो उचित दाम में आपको मिल जाते है। कुछ देर घूमने के बाद मैं निकल चल पड़ा चाँदनी चौक की तरफ अब मैं जा रहा था क्लॉथ मार्केट इस मार्केट में आपको कपड़ों के थान ही थान मिलते है चाहे आप किसी भी प्रकार के कपड़े लेना चाहते हो आपको इस बाजार में मिल जाएंगे, इधर परदे, कामिट ओर पैंट आदि कुछ भी आपको चाहिए हो उसका पूरा थान मिल जाएगा, इधर से चलने के बाद अब मैं काफी थक चुका था क्युकी मैं काफी देर से मैं पैदल ही चल रहा था अब मेरा मन घर जाने को कर रहा था, लेकिन उसके बाद खारी बाओली की मार्केट में पहुच गया ओर मैंने कुछ देर फिर से टॉफी की दुकाने देखी इधर बहुत तरह की टॉफी थी, खरी बाओली सभी तरह का सामान मिलता है यहाँ भी आपको किराने में रखने वाला सामान व जैसे दाल, चावल चीनी, मेवा, मसाले आदि सभी समान थोक में मिलता है यहाँ , यदि आपको इधर खुला साबुन ओर किलो के भाव में साबुन चाहिए हो इस मार्केट में कई दुकाने है जिनके पास खुला साबुन किलो के भाव में मिलता है।

काफी देर इधर भी घूम लिया अब मैं ओर भी थक चुका था लेकिन मेरा रास्ता अब सादर से होते हुए मुझे राजीव चौक या आर के आश्रम मेट्रो स्टेशन पर पहुचना क्युकी बस से जाने की अब मेरी हिम्मत नहीं थी, क्युकी बहुत समय लग जाता मुझे बस से जाने में इसलिए मैंने सोचा की मैं मेट्रो से चलता हूँ सादर बाजार में चलते हुए काफी भीड़ थी जैसे तैसे मैं सादर चौक पहुचा ओर मैंने वहाँ से बैटरी वाला रिकसा पकड़ जिसने मुझे नई दिल्ली पर छोड़ दिया इधर से मैंने शंकर मार्केट की बस पकड़ी ओर अब जब मैं राजीव चौक उतार ही गया हूँ तो मैंने शंकर मार्केट के राजमा चावल खाने की सोची लेकिन मुझे ज्यादा नहीं खाने थे इसलिए मैंने उनसे हाफ प्लेट राजमा चावल की बोली लेकिन वो हाफ प्लेट नहीं देते इतना ज्यादा मैं खाना नहीं चाहता था ओर बर्बाद करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए मैं वहाँ से चल पड़ा ओर एक patty खाई मैंने थोड़ी दूर जाकर फेर मैं मेट्रो स्टेशन पहुच गया अब मैं राजीव चौक से मेट्रो लेने के खड़ा हो गयालेकिन सभी मेट्रो इतनी भारी आ रही थी बैठने क्या खड़े होने की भी जगह नहीं दिख रही थी, इसलिए कुछ मेट्रो छोड़ दी, कुछ देर बाद जब मेट्रो थोड़ी खाली आई तो मैं उसमे चल निकल बैठने के लिए सीट तो नहीं मिली बस खड़े खड़े ही घर तक सफर पूरा करना पड़ा।

घर पहुंचा काफी थक गया था जाते ही मैं कुछ देर आराम कर मैंने अपना रात का खाना खाया ओर सो गया कुछ देर काम करने के लिए मैंने लैपटॉप शुरू तो किया लेकिन थकावट की वजह से काम नहीं कर पा रहा था, इसलिए ऐन जल्दी ही लैपटॉप बंद करके सो गया ओर लेटने के तुरंत बाद ही मुझे नींद भी आ गई।

बस यह वीरवार वाला दिन कुछ इसी तरह से ही बीता

ख्वाब

ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दीजिए, ख्वाब हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, जो हमें जीवन की दिशा तय करने में मदद करते हैं। यदि आप अपने जीवन में अपने ख्वाबों को शामिल करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:

1. ख्वाबों को लिखें: अगर आप अपने ख्वाबों को अपने जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो उन्हें लिखें। अपने ख्वाबों को नोटबुक में या अपने मोबाइल फोन में लिखें। इससे आपके ख्वाब स्पष्ट होगें और आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए अधिक प्रोत्साहित होंगे।

2. एक कार्यात्मक योजना तैयार करें: जब आप अपने ख्वाबों को स्पष्ट कर लेते हैं, तो आप उन्हें जीवन में शामिल करने के लिए एक कार्यात्मक योजना तैयार कर सकते हैं। आप अपने ख्वाबों के लिए लक्ष्य तय कर सकते हैं और एक योजना बना सकते हैं जो आपको उन्हें पूरा करने में मदद करेगी।

3. संगठित रहें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आपको संगठित रहना होगा। आपको अपने ख्वाबों के लिए समय निकालना होगा और उन्हें पूरा करने के लिए उचित योजना बनाने की जरूरत होगी।

4. निरंतर मेहनत करें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको निरंतर मेहनत करनी होगी। आपको अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहना होगा और सफलताप्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना होगा।

5. आपसे सहयोग मांगें: अगर आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करना चाहते हैं, तो आप दूसरों से सहयोग मांग सकते हैं। आप उनकी सलाह और मार्गदर्शन ले सकते हैं जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

6. सकारात्मक सोच रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको सकारात्मक सोच रखना होगा। नकारात्मकता आपको अपने लक्ष्यों के प्रति निराश कर सकती है, इसलिए आपको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए जो आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।

7. धैर्य रखें: अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल करने के लिए आपको धैर्य रखना होगा। सफलता का मार्ग अनिश्चित हो सकता है और इसलिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना होगा। धैर्य रखना आपको अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए आवश्यक जानकारी, कौशल और अनुभव जुटाने में मदद करेगा।

इन सुझावों का पालन करते हुए आप अपने ख्वाबों को जीवन में शामिल कर सकते हैं और अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

आपके शब्द

आपके शब्द ही आपको आपकी मंजिल तक पहुंचा रहे है। जो आपके भीतर विचार चलते है उन विचारों से हम अपने नए विचारों को बनाते है। हमारे विचार ही हमे बनाते है, हमारे विचार ही हमे बिगाड़ देते है, हम अपने विचारों पर कितना गौर करते है।

कुछ बहुत कमाल करते है ये शब्द, इन शब्दों से ही बनता है हमारा जीवन, बहुत कुछ निर्भर करता है इन शब्दों पर हमारे जीवन के लिए जो कुछ घटनाए हो रही है इन शब्दों के द्वारा ही होती है, हम चाहे माने या नहीं लेकिन शब्दों का महत्व है हमारा जीवन बिना शब्द तो निर्जीव ही है, शब्द बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं है।  

लेकिन आज कल तो भद्दे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है जिन शब्दों से दूषित हो रहा है वातावरण, क्युकी यह शब्द आकाश का विकार है, इन्ही शब्दों से हमारे भूमंडल पर प्रभाव पड़ रहा है। जिस वजह से बहुत कुछ परिवर्तन की दिशा है इसलिए इस संसार में लगातार बदलाव चलते रहते है, इन विचारों को बदलना जरूरी है।

क्या आप भी नकारात्मक शब्दों का प्रयोग करते है? यदि हाँ तो अब अपने शब्दों को नकारात्मक बनने से रोके ओर उन्हे सकारात्मक शब्दों में बदले, अपने शब्दों को सरल ओर शालीन शब्द बनाए यह शब्द आपको एक बेहतर जीवन की ओर ले जाने में मदद करते है, आपके शब्द ही आपके जीवन को बेहतर की ओर लेकर जाते है।

मन का भटकाव

मन का भटकाव: मन के विचारों में इतना भटकाव क्यों है ? मन क्यों इधर उधर इतना भटक रहा है? यह विचार स्थिर क्यू नहीं होते ? क्या तरीका है इनको स्थिर करने का जानते है, धीरे धीरे कैसे अपने विचारों को स्थिर किया जा सकता है, ओर कैसे इन विचारों पर नियंत्रण लाया जा सकता है? यह मन का भटकाव कैसा है ?

मन ना जाने कितने ही विचारो को बुनने लगता है, ओर मन का भटकाव होता है , हमारे अंतिम लक्ष्य से हमको दूर करता है यह मन लगातार नए कार्यों को जोड़ना चाहता है ओर पुराने को छोड़ना

मन के भीतर तो अनेकों  विचारों का समूह है, जो लगातार बढ़ रहा है इन विचारों का कोई अंत नहीं दिखता ये तो बस लगातार ही बढ़ता ही जा रहा है, क्या ये विचार कभी रुकेंगे या फिर यू ही चलते रहेंगे।

इस विचार समूह को छोटा कैसे करे? और इस समूह को एक विचार पर लाकर कैसे रोके अथवा नियंत्रित करे? क्या एक विचार पर लाना सही होगा या फिर यू ही इसको बढ़ते रहने देना चाहिए।

किसी दृश्य को देखने पर उसके बारे में लगातार सोचना और ना जाने क्या क्या बुन  लेना , 
हमारे लक्ष्य की रुकावट का कारण बन जाती है और हम अपने लक्ष्य से दूर हो जाते है।

बाहरी दृश्य आपके अंतर के परिणाम में अनेक परिवर्तन कर रहे है, जिन्हे हम जानकर और अनजाने में अनदेखा कर रहे है और उसका परिणाम भटकाव है।

ये आंखे उन दृश्य को लगातार देख रही है, ओर उन सभी दृश्यों को विचार रूप में परिवर्तित कर रही है , इन विचारों पर कैसे नियान्तर्न लाए इनको कैसे स्थिर करे ?

अपने विचारो को एक जगह स्थिर करे और देखे उनको की वह किस और जाने की कोशिश कर रहे है।

मन भीतर अनेक विचार लगातार दौड़ रहे है कुछ विचार पुनः पुनः आ जाते है , अर्थात बार लौटकर वही विचार हमारे मन में दुबारा आ जाते है और हम उन कुछ ही विचारों के साथ अपना पूरा दिन व्यस्त कर बैठते है जबकि वो विचार किसी भी काम के नहीं होते उन बेकार के विचारों पर हम अपना समय बर्बाद किए जा रहे है इन विचारों को हटाकर हुमए कुछ ऐसे नए विचारों को अपने भीतेर लाना चाहिए जिनसे हम अपने आने वाले कल को और बेहतर बना सके।

कुछ नए है लेकिन जो दुबारा आ रहे है उनका क्या कारण क्या  है ?

अपने विचारो को एक सही दिशा में दौड़ाना और लक्ष्य की और अग्रसर करना ही बेहतर है
बहुत सारे विचारो का निचोड़ क्या है?

सिर्फ वही बात दुबारा – दुबारा सोचना जिसका परिणाम कुछ नही है, जिसका कोई परिणाम नहीं फिर भी  उसके बारे में इतना क्यों सोचना
चित ओर मन को शांत रख  कर ही तो इस जीवन को है जीना

मन क्यों इतना भाग रहा है? अलग-2 दृश्यों को देखकर

ब्रह्माण्ड आपके शब्दों  से इशारा दे रहा है
ब्रह्माण्ड आपके हर एक इशारे को किस  प्रकार से देख रहा है।
और उन पर किस  प्रकार से किस तरह से कार्य कर रहा है।

का हमार द्वारा भाते है? और हमारे पूछे गए सभी का तालमेल जवाब है? सवाल

हम ब्रह्मांड को सन्देश लगातार भेज रहे है, अपने दिमाग के द्वारा हमारे मन के विचार लगातार बाहर की ओर जा रहे है।

विचार और विचारो का जो समुह है वह कर रहा कितना इतना शोरगुल है, किस प्रकार से कार्य कर रहे है यह विचार?

हमारे पास भटकने के कई वास्ते बहुत मुश्किल है। नर्षित सम्भलने क परन्त की कोशिश सम्भलना ज्यादा से ज्यादी रहे अपने विचारों पर पान बदल और ज्यादात आपका बहुत रहा है। से यह किस Calm एक विचार आपके मस्तिष्क की पूरी संरचना वह विचार नकारात्म आप अपने भी हो सकता है जीवन आकर्षित करते है तो ही जिसके देखने को मिलते है और सकरात्मक जीवन सारे भाव नवरात्मक विचारो सम्भवत नकारात्मक परिणाम देखने को मिलते है और यदि आप स्कारात्मक जीवन की और ले जायेंगे जिसकी संभावना आपका जीवन बहुत ही अलग स्तिथि में होगा आपके विचार को नई दिशा मिलेगी जीवन खुशियों से भर उठेगा,

स्कारात्मक जीवन और उसकी सोच आपके जीवन को पूर्णतया एक नया रूप दे देती है

आपके लगातार सोचने की कोशिश करते रहना चाहिए।

पैसों की बचत

पैसों की बचत क्यू जरूरी है: पैसों को ध्यान से खर्चे जहां जरूरत हो वही पर उसको खर्च करे, बेफिजूल के खर्च से दूर रहे, अपने खर्चों की लिस्ट बनाए व देखे की आप कहाँ खर्च कर रहे इससे आपको यह समझ आता है की आपका खर्च अनावश्यक कार्यों में तो नहीं लग रहा।

पैसों की बचत जरूर करे चाहे व बचत छोटी ही क्यू न हो, छोटी छोटी बचत करने से आपसे लंबी अवधि में ज्यादा बचत कर सकते है, आपकी बचत ही आपको भविष्य में फायदा देती है, अनिश्चित घटनाओ से बच जा सकता है।

खर्चे से ज्यादा इनवेस्टमेंट करने पर ध्यान दे, हर महीने के खर्चों की लिस्ट बनाए जिससे आपको आपके खर्चों का स्पष्ट रूप दिखेगा ओर आप अपने बेफिजूल के खर्चों पर रोक लगा सकेंगे।

यदि आप पैसों की बचत के लिए दस वर्ष का समय रखते है तो आपको बहुत लाभ मिलता है, समय तो बहुत जल्दी ही बीत जाता है लेकिन पैसे की बचत नहीं हो पाती उतनी इसलिए हमे पैसों की बचत के साधनों पर ध्यान देना चाहिए।

हमारा हाल आमदनी अठन्नी ओर खरचा रुपया है ऐसा हाल तो नहीं है इस बात को ध्यान में रखना चाहिए।

जब स्वतंत्रता की बात आती है तो पैसे बचाने के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता। वित्तीय स्वतंत्रता आपको आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह आपको अपनी पसंद और आराम के अनुसार जीवन जीने में मदद करता है। आपको अपनी पसंद की चीज़ों पर अपना पैसा खर्च करने और एक आरामदायक और समृद्ध जीवन जीने की स्वतंत्रता और अधिकार है।

पर्याप्त बचत होने से आप अधिक पूर्ण जीवन जीने में सक्षम होते हैं। आपको अपने भविष्य के लक्ष्यों जैसे सेवानिवृत्ति या स्वास्थ्य देखभाल जैसे अप्रत्याशित खर्चों के बारे में कम तनाव होने की संभावना है। बचत आपको राहत और आराम देती है, यह जानकर कि आपके पास जीवन में विभिन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त धन है।

स्वयं का आकलन

हमे स्वयं का आकलन करते रहना चाहिए, समय समय पर हमे स्वयं की जांच करनी जरूरी है जिससे की हमे पता चलता है हम सही रास्ते पर ओर सही दिशा में अग्रसर है। हमारे जीवन का लक्ष्य सफलता को हासिल करना हो ओर उसी ओर हमे लगातार प्रयास करते रहना चाहिए, साथ ही उन सभी चीजों का आकलन करना चाहिए जिसकी वजह से हम बीच बीच में रुक जाते है, यदि कोई परेशानी आती है उन बातों को भी समझना चाहिए लेकिन हमे रुकना नहीं है इस बात की गांठ बांधनी है हमे मंजिल तक पहुचना ही हमारा लक्ष्य है उसके लिए स्वयं का आकलन जरूरी है।

  1. जैसे जैसे तुम आगे बढ़ते हो, तुम मंजिल के ओर करीब होते जाते हो।

2. मंजिल तक पहुचना एक दिन का काम नहीं है, बहुत लंबे समय की मेहनत से मंजिल तक पहुचा जा सकता है, इसलिए लगातार मेहनत करते रहे एक दिन सफलता जरूर हासिल होगी।

3. स्वयं का आकलन करो, जब भी आपको लगे की आप सफलता के करीब नहीं पहुच रहे आपको स्वयं का आकलन करना चाहिए।

4. हमे अपनी गलतियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, उन गलतियों से सीखना चाहिए ओर आगे बढ़ना चाहिए, साथ इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए की वो गलतिया न दोहराई जाए।

5. स्वयं के बारे में ज्यादा से ज्यादा सोचे ओर सकारात्मक विचार को ही अपने जीवन का हिस्सा बनाए, नकारात्मक विचारों से दूरी बनाकर रखे।

6. जिस कार्य में आपकी अधिक रुचि हो उसी कार्य को करे, हो सकता है एक समय आने पर उस कार्य में भी बोरियत महसूस हो लेकिन वही कार्य यदि वह कार्य आपकी पहली पसंद था ओर अब भी है तो उसमे रुचि फिर बढ़ जाएगी बस नए तरीके से सोचने की जरूरत है।

7. अपनी रुचि के अनुसार ही व्यक्ति को कार्य करना चाहिए ओर उसी दिशा में लगातार आगे बढ़ना चाहिए।

पता नहीं मुझे

पता नहीं मुझे कैसे मेरी ओर तुम्हारी बाते हो जाती है, कुछ तो बात है हम दोनों के बीच जो कभी अधूरी रह जाती तो कभी पूरी हो जाती है, हम दोनों ना जाने किसलिए मिले, कौनसा था तार जो हम दोनों को जोड़ रखा था, कितनी दूरिया हो जाती है फिर एक मोड पर आकार हम मिल ही जाते है, फिर उनही बातों को सिरा बनाकर हम आगे की और बढ़ चल चले जाते है।

कुछ ऐसे ही बस तेरी यादों में डूब जाना चाहता हूँ, हर जगह से दूर हो जाना चाहता हूँ, कुछ ओर ना हो अब हम दोनों के बीच सिर्फ तेरे ही ख्यालों में अपने हर ख्याल को बिताना चाहता हूँ, खो जाना चाहता हूँ, तेरे ही सपने सजाकर तुम्हें अपनी आँखों में मुँदना चाहता हूँ।

क्या तुम भी मुझे अपनी यादों में रखना चाहती हो या फिर उन सभी यादों का भुलाना चाहती हो, जो सँजोई थी एक दूसरे के साथ रहकर उन यादों को कैसे तुम भुला दोगे।

पता नहीं मुझे हम दोनों के बीच में कौनसा संबंध है, जो ना टूटता है ना जुड़ता है फिर भी हम दोनों का संबंध अटूट सा लगता है, उस अटूट से संबंध में हम दोनों का नहीं पता ना नाम दिया उस संबंध ना कोई पता फिर भी होने को रिश्ता कहला रहा है।

सबकी अपनी रुचि

सबकी अपनी रुचि होती है अलग अलग विषयों में और अलग अलग तरह से परंतु यह जरुरी नहीं है, कि हम सभी को जीवन में हमारी रूचि के अनुसार ही कार्य मिले और जिस विषय में हमारी रुचि है, उसमें हमे सफलता मिले इसलिए हम जो भी कार्य करते है, उसे ओर उत्साह से करे यही एक बेहतर विकल्प है।

बहुत सारे छात्रों की रूचि गणित में होती है, परंतु उससे ज्यादा छात्रों को गणित समझ में ही नहीं आती और कुछ छात्र गणित में रूचि तो रखते है, परंतु उसमे सफल नहीं हो पाते। बहुत सारे छात्र यह निर्णय लेते है 10वीं कक्षा के बाद #Science के विषय लेंगे परंतु उतने अंक ही नहीं प्राप्त कर पाते की वो विज्ञानं ले पाए या फिर उन्हें ये लगने लगता कि क्या आगे वो कर पाएंगे या नहीं ? क्योंकि जरुरी नहीं है आपको विज्ञानं के सभी विषय पसंद हो।

उसमे #physics #chemistry #biology होती है जरुरी नहीं है आपको यह तीनों विषय पसंद हो समय के साथ साथ आपको अपनी रुचियों के बारे में पता लगता है फिर आप उसी और अग्रसर होते है क्योंकि जरुरी नहीं है जिसमे आपकी रुचि आज है उसीमे आपकी रुचि कल भी हो।

हमारे जीवन में हर पड़ाव पर बहुत सारे ऐसे कार्य सामने आते है  जो हमे अपनी रूचि के अनुसार नहीं मिलते लेकिन हमें वो सभी कार्यो को करना हमारे जीवन की आवश्यकता में आ जाते है चाहे हम उस कार्य को करना चाहते है अथवा नहीं परंतु कार्य तो करना ही होता है क्यों ना  हम उन सभी कार्यो को उत्साह पूर्वक  करे।

जिस तरह से हम पुस्तक पढ़ते है अथवा जो बिषय हमारी पसंद का नहीं है फिर भी हमे उस विषय को भी पढ़ना पड़ता है क्योंकि हमें परीक्षा में सफल होना होता है, हम में से ज्यादातर छात्रों को #सामाजिक विज्ञान पढ़ने में अरुचि होती है लेकिन हमें परीक्षा में सफल होने के लिए वो विषय पढ़ना अनिवार्य होता है जबकि सामाजिक विज्ञान ही सबसे महत्वपूर्ण विषय निकल कर बाहर आता है जब आप IAS,IS आदि की परीक्षाओ की तैयारी करते है तो सबसे ज्यादा आपको सामाजिक अध्यन आदि के विषयों में ही सबसे अधिक जानकारी लेनी होती है चाहे वो विषय हमे पसंद था या नहीं परंतु जानकारी लेने के लिए उस विषय में हमे रूचि बनानी पढ़ी तथा उत्साह से के साथ पढ़ना भी पढ़ा।

इसलिए सफल व्यक्तित्व के लिए हमे सभी कार्यो को उत्साह के साथ करना चाहिए किसी भी कार्य को करते समय हमको बोरियत ना महसूस हो पूर्ण ध्यान और समग्र एकाग्रता के साथ हमे अपने कार्य को लगातार करना चाहिए तथा उस कार्य में जब तक सफलता ना प्राप्त करले तब तक हमे उस कार्य को  करना चाहिए क्योंकि वही कार्य आपको आपकी #मंजिल की और ले जाने में सहायक है।

फिर हमें परीक्षा हेतु के लिए पढ़ने होते है ताकि हम परीक्षा में सफल हो सके यदि हम वही विषय उत्साह से पढ़े तो हम सफल तो होंगे ही अपितु उस विषय में अच्छे अंक भी प्राप्त कर पाएंगे।

या फिर एक ही काम को बार बार करते हुए हम बोर हो जाते है परंतु वो कार्य करना हमारी मज़बूरी होता है यदि हम वही कार्य रूचि के साथ करे तो हम उस कार्य को अच्छे ढंगसे तथा अच्छे परिणाम की स्तिथि तक करते है क्युकी सबकी अपनी रुचि होती है अलग अलग विषयों में इसलिए हमे हमेशा इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।