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उपलब्धियाँ

उपलब्धियाँ नहीं इतनी आवश्यक ।
अच्छे सम्बंध ही जीवन में सहायक ॥
जीवन के अंतिम पड़ाव का ये ज्ञान ।
जियें ओर जाने इस नियम का विज्ञान ॥

उपलब्धियाँ नहीं इतनी आवश्यक,
अच्छे सम्बंध ही जीवन में सहायक॥

जीवन के अंतिम पड़ाव का ये ज्ञान।
समय की चाहत में जब बदल जाए आधार,
थके अरमानों के ये आश्रय के मायने,
मिटें भरोसे के ये भीखारी दिल के।

जीवन की पथचारिनी में चलते चलते,
खो गए बहुत से सपने और कायरतें,
अस्थिरता की लहरों में भटकते भटकते,
ख्वाहिशों के रंगों से रंगते रंगते।

पर जब आया वह दिन जब शोध लिया हाथ,
शुद्धता की लालसा के गहरे सागर में,
बिखरे एहसासों को जोड़कर वहां,
पाया असली सुख का वह अद्वितीय रंग।

उपलब्धियाँ की तो सबने खोजी थी राह,
पर सम्बंधों का बलिदान था वह सच्चा कारण।
जीवन के अंतिम पड़ाव की यही ज्ञान,
बनाता है संगीत सुखी इस मन का वास्तविक आधार॥

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नकारात्मक सोच

नकारात्मक सोच , अच्छी अच्छी घटनायें घटती जब नकारात्मक से होती दूरी……
नकारात्मकता मात्र एक पहलू एक पक्ष , उससे दूरी ही ज़रूरी…..

जितना हो सके पर किन्तु परंतु न पड़े इसकी ज़रूरत……
फिर हर समय शुभ ही शुभ हर मुहूर्त ही शुभ मुहूर्त ।

नकारात्मक सोच से परे,
जीवन में उजियारे;
एक दूसरे को समझते,
सहयोग से बदलते हाले।

आँधी चली, तूफान आये,
मगर हम अकेले न जाये;
संगठन में मजबूती है,
संयम से खुशियाँ बांटे।

नकारात्मकता को दूर भगाए,
सकारात्मक सोच से निभाए;
समृद्धि और खुशहाली की राह,
हम सब मिलकर चलें संग।

आपसी मेलजोल का खजाना,
मिटाए असाधारणता का भ्रम;
जीवन में बनाए अच्छी राह,
नकारात्मकता से दूर करें विचार।

सकारात्मकता की ज्योति जलाएं,
प्रकाश फैलाएं, खुशियाँ पाएं;
अच्छी अच्छी घटनाएं होंगी,
नकारात्मकता को हम भगाएं।

सबको आपस में जोड़े रखें,
खुशहाली की राह बनाएं;
नकारात्मकता से हो दूरी,
सबको खुशियों से भरे मौसम से डूबे।

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साधना

साधना किसे कहते है ? पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा।

फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा।

किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा।

इसी प्रकार निश्चित स्थान पर नाम स्मरण की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है ।
चक्की में दो पाटे होते हैं।

उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तोअनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है।

यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा।

इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं –

एक मन और दूसरा शरीर।

उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है।

अपने मन को भगवान के प्रति स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं।

परालब्ध रूपी खूँटा शरीर रूपी पाटे में बैठकर उसे घूमाता है और घूमाता रहेगा,

लेकिन मन रूपी पाटे को सिर्फ भगवान के प्रति स्थिर रखना है।

देह को तो परालब्ध पर छोड़ दिया जाए औरमन को नाम-सुमिरन में विलीन कर दिया जाए –

यही नाम साधना है।

साधना किसे कहते हैं, जाने ऐसा कोई नहीं,
वह अनुभव की गहराइयों में छिपी रही रहस्यमयी हैं।
यह एक अभ्यास है, यह एक अवस्था है,
जिसका साधक निरंतर खोजता है सत्य की दिशा हैं।

जैसे पत्थर में पानी का बहाव नहीं था,
वैसे ही इंसान में अनन्त शक्ति रहती है।
साधना से मनुष्य उठता है अपार,
उसका चेतना का आभास होता हैं विचार।

साधना का मार्ग हैं अतीत की खोज,
वहां छिपी गहराइयों में छिपी हैं ज्ञान की बूँद।
ध्यान, तप, प्राणायाम और जप,
ये साधना के अंग हैं, जिनसे मिलती हैं प्रकाश की आप।

प्रेम की उन्मुखी धारा साधक को ले जाती हैं,
आत्मा के अंतर्गत वह अद्वैत अनुभव करती हैं।
वहाँ नहीं रहता द्वंद्व का भ्रम,
बस एकता, प्रेम और शांति की होती हैं धाम।

साधना न केवल शरीर की,
बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा की स्वास्थ्य हैं।
यह एक प्रक्रिया हैं, यह एक संगठन हैं,
जो अंतर्मन को देती हैं दिव्यता की ज्ञान हैं।

पत्थर पर पानी एकदम से डाल दिया जाए,
तो पत्थर भीगेगा, इसमें कोई संशय नहीं।
लेकिन साधना से मनुष्य की अनतिम भावना,
पूर्णता की ओर बढ़ेगी, यही हैं निश्चय की राह।

मस्तिष्क

हमारे मस्तिष्क की शक्ति अपार है, समाज में चहु ओर फ़ेला इसका व्यापार संसार आधार है, ये सही तो दिखता भी सही संसार है, नकारात्मक सकारात्मक ओर मुश्किल कार्य तटस्थ रहना सब इसकी शक्ति में शुमार हे इसने विस्तृत ओर संकीर्ण होने के सभी गुणों की ये खान हे सर्जनता इसके विशिष्ट गुण से स्वयं का विकास समाज का विकास की सम्भावना व्याप्त हे, इसको शांत रहे सजग रखे सब क्षण आते हे सुख के दुःख के ये महसूस करता हे तो वो महसूस होती प्रतीत होती हे।

चेतन मस्तिष्क को आराम करना भी आवश्यक हे तभी रात्रि को विश्राम के बाद ये तरोताज़ा होकर नए दिन का स्वागत कर सकता हे तो चेतन शरीर के लिए 6 से 8 घंटे रात्रि में नीद को ज़रूर समर्पित करे बाक़ी कोई मानेगा कोई नहीं कहियो की ये मजबूरी हे की उन्हें 18 -20 घंटे काम करते हे लेकिन ये शरीर के साथ मुझे लगता हे अन्याय हे।

मस्तिष्क में लम्बे अंतराल तक अशांति रहने से उसका असर पूरे शरीर ओर व्यक्तित्व पर समाज पर पड़ता हे। वह असर ही पूरे समाज का रूप ओर स्वरूप बादल देता है।

मेरी प्रार्थना आप बार बार अपनी तकलीफ़ को न याद करे लेकिन चिंतन करे की केसे उसमें सुधार हो सके जिससे जीवन में नई ऊर्जा का ऊथान हो न कि आप मस्तिष्क के गहरे अंधेरे कोनो में स्वयं को धकेले ये जीवन एक बार मिला हे समस्या का हल ये मस्तिष्क ही प्रदान करेगा शान्ति में बहुत कुछ छिपा हे कर्म ज़रूर जरूर करे उससे चुके नहीं कुछ करेंगे तो गलती होगी लेकिन वो आपकी रुकावट न बन पाए ये कोशिश तो आपने ही करनी हे।
वाणी को दे विश्राम
मस्तिष्क से ले काम
रखे इसे ठंडा ठंडा कूल कूल
कर्मों की गर्मी भी इसका टूल, इस बात को ना जाए भूल।
जय हो , राम राम जी

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कुछ तो लिखे हम

कुछ तो लिखे हम, हर रोज तो लिखने को नही होगा
क्या यह बात है सही
नही नही
यह बात तो बिलकुल भी सही नही
क्यों
क्युकी हर पल , हर क्षण , हम अपने भीतर भर रहे असंख्य विचार उन्ही का समूह हम बना रहे है। बना रहे विचार पर विचार
फिर कैसे कुछ
फिर कैसे कुछ ना होगा कहने को
सुनने को
सुनाने को
कैसे ना होगी बात
और फिर कैसे ना होगी हमारी और आपकी मुलाकात
होगी और बहुत सारी होगी बात, कुछ नए शब्द और विचारो के तालमेल संग हम और आपका होगा साथ

कुछ तो लिखे हम, हर रोज लिखना ज़रूरी नहीं है,
यह सत्य नहीं है बिलकुल भी।
क्योंकि हमारे भीतर बसते हैं
असंख्य विचार, भावनाएं अनगिनत।

हर पल, हर क्षण ये विचार घुलते हैं,
उनसे ही हमारी कविताएं मिलती हैं।
ये विचारों का समूह हमें बनाता है,
कविता की रचना में उन्हें समाता है।

कविता हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति है,
जब विचारों को शब्दों में बदलती है।
हर रोज़ लिखकर हम बनाते हैं वाद्य,
अपनी भावनाओं को साझा करते हैं यहाँ।

तो हर रोज़ लिखने को हो सकता है,
यह बात बिलकुल सही हो सकती है।
क्योंकि जब विचार बहुत हों अनगिनत,
उन्हें शब्दों में छिड़कते हैं हम नित्यत।


कठिन परिस्थिति

कठिन परिस्थिति निर्माणकर्ता मज़बूत व्यक्तित्व के लोग….
वही लोग लिए मशाल अग्रसर खोजते करते नूतन नूतन प्रयोग ।
परिस्थिति के गर्भ में छिपा अनंत अनंत सम्भावनाओं का भंडार…
हर परिस्थिति के लिए रहे तेयार खिले व्यक्तित्व ओर आए निखार ॥

कुछ लोग खुद कठिन परिस्थिति का आवाहन उसको बुलाते….
उसकी हद को तोड़ कर नूतन कीर्तिमान खड़े कर दिखलाते ।
अनबूझ परिस्थिति आए अचानक या खुद हम जाके स्वीकारे…..
मन की स्थिति सदा होवे मजबूत चाहे हम जीते या हम हारे ॥

दृढ़ता से चमकते, अग्रसर होते ये व्यक्तित्व,
कठिनाइयों को चुनौती स्वीकारने के लिए समर्पित।
मशाल उठाते हैं, नये-नये अनुभवों की खोज में,
परिस्थिति के आवरण में छिपे अनंत सम्भावनाओं के।

बढ़ते हैं वे मजबूती के साथ, आगे बढ़ने के लिए,
विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को साबित करने के लिए।
उनका विश्वास अटूट होता है, कठिनाइयों के बीच,
जैसे बवंडर के आगे भी खड़े रहें शिखर पहाड़ों सीख।

नए नए प्रयोग करते हैं, नूतनता की खोज में,
उनकी चेष्टाएं निरंतर, बढ़ाती हैं समृद्धि के रास्ते।
क्योंकि परिस्थिति के गर्भ में छिपे हैं अनगिनत सम्भावनाएं,
जो व्यक्तित्व को बढ़ाने के लिए होती हैं अद्यायेश।

संघर्षों के माध्यम से निकलता है अद्भुतता का सिरोमणि,
जो बनाता है उन्हें बेहतर, बनाता है अद्यतित भविष्य का नगरी।
कठिन परिस्थितियों में उनका जीवन निःस्वार्थ होता है,
समाज के लिए जीने की उनकी निश्चितता उठाती है आदर्श प्रतीति।

इसलिए जो लोग लिए मशाल अग्रसर, करते हैं नूतन प्रयोग,
वे निर्माता हैं अपार संभावनाओं के, जो बाहर करेंगे उन्हें खोज।
क्योंकि कठिनाईयाँ सिर्फ एक चुनौती होती हैं उनके लिए,
जिनमें छिपा है अनंत सफलता का सौंदर्य और वही करेंगे अपने नए सपनों का विस्तार।

हरकत में बरकत

हरकत में बरकत …..
कहे उससे जो बात समझत ।
हरकत कर्म…..
कुछ न कुछ करना श्रम ।

आलस विकास विरोधी….
कार्य टालने की व्याधि ।
लक्ष्य प्राप्ति में आलस शत्रु….
मुक्त हो दे आलस को मृत्यु ।

अधिक सोना आलस की बीमारी….
वही समझेगा जिसने बात स्वीकारी ।
आओ बने सुख के आधिकारी….
त्यागे आलस रूपी महामारी ।

हरकत में बरकत…..
कर्म सुगंधित शरबत ।
दे आलस को आज़ादी…..
आलस गंभीर व्याधि ।

हरकत मे बरकत, भरे जीवन को नई राह,
कहे उससे जो बात समझत, नये दिशा का आधार।

हरकत कर्मों की बारीकियों में छुपी है शक्ति,
नये साधनों के साथ बदले जीवन की रफ्तार।

दृढ़ता और मेहनत से जागे सपनों की धुंध,
हर चरण पर आगे बढ़े, खुद को करे समर्पण।

हरकत की रवानी से बढ़े जीवन की उच्चाई,
संघर्षों में भी पाएं अनंत सुख की बारिश।

करे कर्मों का समर्थन, नये आरंभों का ध्यान,
हरकत में बरकत, बने सच्चे सफलता का ज्ञान।

जीवन में चलते रहे, नई राहों पर निरंतर,
हरकत कर्मों की जगाएं नई प्रेरणा का निशान।

बदले अपने विचारों के रंग, चमकें नयी आस,
हरकत में बरकत, जीवन में बने नए इंतजार।

सही कर्मों के बल पर बढ़े नई उचाई पार,
हरकत कर्मों के संग, जीवन करे गुणवत्ता का पार।

दिन की उम्र 24 घंटे

दिन आता है , दिन चला जाता है इस दिन की उम्र 24 घंटे ही है लेकिन ये संपूर्ण संसार को कार्यरत होने के लिए बाध्य कर देते है कुछ न करने के लिए , क्या आपके जीवन में भी स्वयं को बाध्य करने के लिए कोई नियम है ?  उम्र कितनी भी हो परंतु कार्य बड़ा होना चाहिए।

दिन की उम्र 24 घंटे
समय

हमे अपनी उम्र से बड़ा कार्य करने के लिए सोचना चाहिए, हम सभी के पास समय की एकदम बराबर मात्रा होती है हर दिन लेकिन हम उस समय का सदुपयोग किस तरह से करते है यह बात बहुत म्हटवपूर्ण है, यदि हम समय की हानी करते रहे तो समय कब समाप्त हो जाएगा हमे पता नहीं चलेगा ओर हमारे पास कुछ नहीं होगा, सुख ओर दुख भी समय की सीमा में है, इनका आना जाना भी समाए के अनुसार ही होता है। इसलिए हमे हमेशा सोच समझकर ही अपने समय का इस्तेमाल करना चाहिए।

हमारे दिन की उम्र तो 24 घंटे ही है लेकिन इन 24 घंटों का इस्तेमाल आपको ही करना है, आप इन 24 घंटों का इस्तेमाल कहाँ करेंगे यह निर्णय भी आपका ही होता है, कोई ओर इस समय का निर्णय नहीं ले रहा।

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रूठना नहीं है

रूठना नहीं है इन छोटी छोटी बातों पर , हाँ कुछ ऐसी ही बाते बस तुम इन छोटी मोती बातों पर बिगड़ मत जाया करो , थोड़ा थोड़ा हाँ बस थोड़ा थोड़ा तुम मुस्कुराय करो , ये जो तुम्हारी हंसी का जादू है न सब पर बिखर जाता है, ओर जिंदगी के होने का एक प्यार स एहसास दिलाता है। बस तुम इसी तरह से मुस्कुराया करो , ऐसे ही , बिना किसी बात पर तुम अपना ये प्यार सा मुंह मत फूलाया करो,

क्या तुम भी रूठ जाते हो उन्ही छोटी छोटी बातों पर? क्यू रूठते हो तुम और उस रूठने से क्या होता है? क्या तुमने कभी सोचा है, की तुम्हारी मुस्कुराहट कही खो जाती है जब तुम रूठते हो, तुम्हारे भीतर का प्रेम कही छुप जाता है, जब तुम रूठते हो, नहीं तुम्हें मुसकुराना है, ओर जीवन संग नए सपनों को सजाना है।

रूठना नहीं, मेरे यार, दिल की बाते सुनो थोड़ी यार
जब चाहें तुम गुस्सा कर लेना,
और दिल खोल कर तुम मुस्कुरा लेना। जिंदगी के सफर में है, थोड़े गम हमारी दोस्ती एक सहारा है जो मिटा देती है सभी गम

जब तुम खुद को अकेला महसूस करो मेरी बातों पर गौर कर लेना , जीवन के रंग में है बहुत उछाल दोस्ती एक खजाना है, जो करती मालामाल
कितना ही तुम रूठ मैं नहीं मनाऊँगा बस तुम रूठे लेकिन मैं तो तुम्हें प्यार से ही बुलाऊँगा

जीवन की दौड़ जब थक जाएगा तू तब कही ओर नहीं मेरे पास ही आएगा तू , मैं दोस्त हूँ तेरा
रूठना नहीं तू दिल की बाते सुन मेरे यार ।

मन को वश में करे

अपने मन को कैसे वश में करे

मन को वस में रखना एक सबसे मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन इसे करना बहुत जरूरी होता है। यह हमारी ज़िन्दगी में सकारात्मकता को बढ़ाने में मदद करता है और हमें एक शांत, स्थिर और संतुलित दिमाग देता है।

कुछ आसान तरीके हैं, जो मन को वस में रखने में मदद कर सकते हैं:

1 ध्यान करें – ध्यान एक बहुत ही अच्छा तरीका है मन को वास में रखने के लिए। ध्यान करने से मन शांत होता है और आप सकारात्मक सोच सकते हैं।

2 . व्यायाम करें – व्यायाम करने से शरीर से तनाव दूर होता है और मन भी शांत होता है। आप योगा या मेडिटेशन भी कर सकते हैं।

3. सकारात्मक सोचें – सकारात्मक सोच से मन शांत होता है और आपकी सोच भी सकारात्मक होती है। आप दूसरों को सकारात्मक सोचने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

4. संगीत सुनें – संगीत सुनने से मन शांत होता है और आपकी मूड भी अच्छा होता है।

5 खुश रहें – खुश रहने से मन वास में रहता है। आप अपनी दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं और उनसे मज़ाक करें।

इन तरीकों के साथ-साथ, आप अपने मन को वश में रखने के लिए दैनिक रूप से सकारात्मक अभिव्यक्ति करें। आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत करें, अपने विचारों को लिखें और अपने अनुभवों को शेयर करें। इससे आपको अपने मन को वश में रखने में मदद मिलेगी और आप अपनी सोच और भावनाओं को स्पष्ट रूप से समझ सकेंगे। अंततः, मन को वश में रखना एक सतत प्रयास होता है और इसके लिए आपको धैर्य और निरंतर प्रयास करने की जरूरत होती है।