Posts tagged hriday aur mastishk

हृदय और मस्तिष्क

हृदय और मस्तिष्क दोनों का स्वामी एक लेकिन दोनों के अलग अलग पथ…..
मस्तिष्क हानि लाभ सोचता फिर लेता निर्णय
हृदय ने स्वाभाविक चलने की ली शपथ ।

हृदय स्वाभाविक पूरे शरीर में रक्त का करता संचालन…..
मस्तिष्क मिले रक्त के प्रयोग से सब अंगों पे करता शासन ।

मानव रूपी यंत्र में इतनी जटिल प्रक्रिया का सरलता से होता निर्वाह…..
प्रकृति ने बेजोड़ यंत्र बनाया जिस ओर निहारो बरबस निकलता वाह वाह वाह वाह ।

हृदय और मस्तिष्क, दोनों के एक स्वामी,
पर चलते हैं अलग-अलग पथ, इस भाग्य की गाथ।
मस्तिष्क सोच-विचार करता, हानि और लाभ का विचार,
निर्णय लेने में धीरज रखता, नहीं चलता बिना संकोच।

हृदय ने स्वाभाविकता की ली है शपथ,
जीने के लिए चलता है नवीनता के साथ।
उसकी सुनता है नगमा दिल का,
खुशियों और दर्द को जानता है वह सच्चा।

मस्तिष्क विचारों का अनुकरण करे,
सोच-विचार में बहकर न करे विश्वास।
हृदय जीवन की गति को जाने,
भावनाओं के साथ रहे, ना झूमे उदास।

हृदय और मस्तिष्क, दोनों संतुलित हों,
इस शरीर के संगीत में रंगीं रंगों।
सोच-विचार और भावनाएं, एक दूसरे के संग,
बनाएं जीवन को खुशहाल और संपूर्ण।